ਅਸੰਖ ਭਗਤ ਗੁਣ ਗਿਆਨ ਵੀਚਾਰ ॥
असंख भगत गुण गिआन वीचार॥
Countless devotees contemplate the virtues and wisdom of the Almighty.
(अकाल-पुरख की कुदरत में) अनगिनत भक्त हैं, अकाल-पुरख के गुणों और ज्ञान की विचार कर रहे है,
ਅਸੰਖ ਸਤੀ ਅਸੰਖ ਦਾਤਾਰ ॥
असंख सती असंख दातार॥
There are countless holy persons and countless philanthropists.
असंख्य पवित्र व्यक्ति और असंख्य उपकारी हैं।
ਅਸੰਖ ਸੂਰ ਮੁਹ ਭਖ ਸਾਰ ॥
असंख सूर मुह भख सार॥
There are countless heros who face the brunt of steel weapons in battle.
(अकाल-पुरख की रचना में) बेअंत शूरवीर हैं जो अपने मुँह पे (भाव, सनमुख हो के) शास्त्रों के वार सहन करते हैं,
ਅਸੰਖ ਮੋਨਿ ਲਿਵ ਲਾਇ ਤਾਰ ॥
असंख मोनि लिव लाइ तार॥
Countless are the sages who are attuned to God in single-minded devotion.
अनेकों मौनी हैं, जो निरंतर बिर्ती जोड़ के बैठे हैं।
ਕੁਦਰਤਿ ਕਵਣ ਕਹਾ ਵੀਚਾਰੁ ॥
कुदरत कवण कहा वीचार॥
Who am I to assess the extent of God’s creation?
मेरी क्या ताकत है कि मैं करते की कुदरत की विचार कर सकूँ?
ਵਾਰਿਆ ਨ ਜਾਵਾ ਏਕ ਵਾਰ ॥
वारिआं न जावा एक वार॥
I am not worthy to dedicate myself to You even once.
(हे अकाल-पुरख!) मैं तो आप पर एक बार भी सदके होने के लायक नहीं हूँ (भाव मेंरी हस्ती बहुत तुच्छ है)।
ਜੋ ਤੁਧੁ ਭਾਵੈ ਸਾਈ ਭਲੀ ਕਾਰ ॥
जो तुध भावै साई भली कार॥
O’ God, whatever pleases You, is best for all.
जो तुझे ठीक लगता है वही काम भला है (भाव, तेरी रजा में रहना ही ठीक है),
ਤੂ ਸਦਾ ਸਲਾਮਤਿ ਨਿਰੰਕਾਰ ॥੧੭॥
तू सदा सलामत निरंकार॥१७॥
O’ the formless God, only You are the eternal one ।।17।।
हे निरंकार! तू सदा अटल रहने वाला है ।।17।।
ਅਸੰਖ ਮੂਰਖ ਅੰਧ ਘੋਰ ॥
असंख मूरख अंध घोर॥
In the world, there are countless fools who are blinded by complete ignorance.
(निरंकार की रची हुई सृष्टि में) अनेकों ही महामूर्ख हैं,
ਅਸੰਖ ਚੋਰ ਹਰਾਮਖੋਰ ॥
असंख चोर हरामखोर॥
Countless are thieves and embezzlers.
अनेको ही चोर हैं, जो पराया माल (चुरा चुरा के) इस्तेमाल कर रहे हैं और
ਅਸੰਖ ਅਮਰ ਕਰਿ ਜਾਹਿ ਜੋਰ ॥
असंख अमर कर जाहि जोर॥
Countless impose their will on others by force.
अनेकों ही ऐसे मनुष्य भी हैं जो (दूसरों पे) हुकम चला के ज़ोर जबरदस्ती कर करके (अंत में इस संसार से) चले जाते हैं।
ਅਸੰਖ ਗਲਵਢ ਹਤਿਆ ਕਮਾਹਿ ॥
असंख गलवढ हतिया कमाहि॥
Countless are cut-throats and ruthless killers.
अनेकों ही खूनी मनुष्य लोगों का गला काट रहे हैं और
ਅਸੰਖ ਪਾਪੀ ਪਾਪੁ ਕਰਿ ਜਾਹਿ ॥
असंख पापी पाप कर जाहि॥
Countless are sinners who keep on committing sins.
अनेकों ही पापी मनुष्य पाप कमा के (आखिर) इस दुनिया से चले जाते हैं।
ਅਸੰਖ ਕੂੜਿਆਰ ਕੂੜੇ ਫਿਰਾਹਿ ॥
असंख कूड़िआर कूड़े फिराहि ॥
Countless are liars, wandering lost in their lies.
अनेकां ही झूठ बोलने वाले स्वभावके मनुष्य झूठ में ही लिप्त रहते हैं और
ਅਸੰਖ ਮਲੇਛ ਮਲੁ ਭਖਿ ਖਾਹਿ ॥
असंख मलेछ मलु भखि खाहि ॥
Countless are wicked who thrive on immoral behavior.
अनेकों ही खोटी बुद्धि वाले मनुष्य मल (अभक्ष) ही खाए जा रहे हैं।
ਅਸੰਖ ਨਿੰਦਕ ਸਿਰਿ ਕਰਹਿ ਭਾਰੁ ॥
असंख निंदक सिर करहि भार॥
Innumerable are the ones who speak ill of others and by doing so, carry the load of slander on their heads.
अनेकों ही निंदक (निंदा कर के) अपने सिर ऊपर (निंदा का) भार उठा रहे हैं।
ਨਾਨਕੁ ਨੀਚੁ ਕਹੈ ਵੀਚਾਰੁ ॥
नानक नीच कहै वीचार॥
Lowly Nanak, only expresses this thought,
(हे निरंकार!) अनेकों और जीव कई और कुकर्मों में फसे होंगे, मेरी क्या ताकत है कि तेरी कुदरत का पूरा विचार कर सकूँ? नानक विचारा (तो) ये (उपरोक्त तुच्छ सी) विचार पेश करता है।
ਵਾਰਿਆ ਨ ਜਾਵਾ ਏਕ ਵਾਰ ॥
वारिआ न जावां एक वार॥
I am not worthy to dedicate myself to You even once.
(हे अकाल-पुरख!) मैं तो आप पर एक बार भी सदके होने के लायक नहीं हूँ (भाव, मैं तेरी बेअंत कुदरत का पूरा विचार करने के लायक नहीं हूँ )।
ਜੋ ਤੁਧੁ ਭਾਵੈ ਸਾਈ ਭਲੀ ਕਾਰ ॥
जो तुध भावै साई भली कार॥
O’ God, whatever pleases You, that alone is the best deed for all.
जो तुझे ठीक लगता है वही काम भला है (भाव, तेरी रजा में रहना ही ठीक है; तेरी उस्तति करते रहें हम जीवों के लिए यही भली बात है कि तेरी रज़ा में रहें)।
ਤੂ ਸਦਾ ਸਲਾਮਤਿ ਨਿਰੰਕਾਰ ॥੧੮॥
तू सदा सलामत निरंकार॥१८॥
O’ the formless God, only You are the eternal one।।18।।
हे निरंकार! तू सदा अटल रहने वाला है।।18।।
ਅਸੰਖ ਨਾਵ ਅਸੰਖ ਥਾਵ ॥
असंख नाव, असंख थाव॥
Countless are the names of Your creations and countless their places.
(कुदरत के अनेकों जीवों व अन्य बेअंत पदार्तों के) असंखों ही नाम हैं। असंखों ही (उनके) स्थान-ठिकाने हैं।
ਅਗੰਮ ਅਗੰਮ ਅਸੰਖ ਲੋਅ ॥
अगंम अगंम असंख लोअ॥
There are countless worlds that are inaccessible and beyond imagination.
(कुदरत में) असंखों ही भवण हैं जिन तक मनुष्य की पहुँच नहीं हो सकती।
ਅਸੰਖ ਕਹਹਿ ਸਿਰਿ ਭਾਰੁ ਹੋਇ ॥
असंख कहहि, सिरि भारु होइ॥
Even to call them countless amounts to carrying loads of sin on the head.
(पर, यदि मनुष्य कुदरत का लेखा करने के वास्ते शब्द्) असंख (भी) कहते हैं, (उनके) सिर पे भार ही होता है (भाव, वो भी भूल करते हैं, ‘असंख’ शब्द् भी प्रयाप्त नहीं है)।
ਅਖਰੀ ਨਾਮੁ ਅਖਰੀ ਸਾਲਾਹ ॥
अखरी नाम, अखरी सालाह॥
It is by the use of the words that God’s Name can be recited; it is by the use of the words that His praises can be sung.
(हलांकि, अकाल-पुरख की कुदरत का लेखा करने के लिए शब्द् ‘असंख’ तो कहां रहा, कोई भी शब्द् काफी नहीं है, पर) अकाल-पुरख का नाम भी अक्षरों द्वारा ही (लिया जा सकता है), उसकी उस्तति भी अक्षरों द्वारा ही की जा सकती है।
ਅਖਰੀ ਗਿਆਨੁ ਗੀਤ ਗੁਣ ਗਾਹ ॥
अखरी गिआन गीत गुण गाह॥
It is through the medium of words that divine knowledge can be acquired, His praises be sung and virtues be known.
अकाल-पुरख का ज्ञान भी अक्षरों द्वारा ही (विचारा जा सकता है)। अक्षरों के द्वारा ही असके गीत और गुणों से वाकिफ हो सकते हैं।
ਅਖਰੀ ਲਿਖਣੁ ਬੋਲਣੁ ਬਾਣਿ ॥
अखरी लिखण बोलण बाण॥
The written and spoken language can only be expressed using words.
बोली का लिखना और बोलना भी अक्षरों के द्वारा ही संभव है।
ਅਖਰਾ ਸਿਰਿ ਸੰਜੋਗੁ ਵਖਾਣਿ ॥
अखरा सिर संजोग वखाण॥
Only through words one’s destiny can be explained.
अक्षरों के द्वारा ही भाग्यों के लेख बयान किया जा सकता है, बताया जा सकता है।
ਜਿਨਿ ਏਹਿ ਲਿਖੇ ਤਿਸੁ ਸਿਰਿ ਨਾਹਿ ॥
जिन ऐह लिखे, तिस सिर नाहि॥
But God who has written everybody’s destiny, is beyond destiny.
(इस लिए शब्द् ‘असंख’ इस्तेमाल किया गया है, वैसे) जिस अकाल-पुरख ने (जीवों के संजोग के) ये अक्षर लिखे हैं, उसके स्वयं के सिर पर कोई लेख नहीं है (भाव, कोई मनुष्य उस अकाल-पुरख का लेखा नहीं कर सकता)।
ਜਿਵ ਫੁਰਮਾਏ ਤਿਵ ਤਿਵ ਪਾਹਿ ॥
जिव फुरमाए, तिव तिव पाहि॥
As God ordains, so do we receive.
जैसे जैसे वह अकाल-पुरख हुकम करता है वैसे ही (जीव अपने संजोग) भोगते हैं।
ਜੇਤਾ ਕੀਤਾ ਤੇਤਾ ਨਾਉ ॥
जेता कीता, तेता नाउ॥
Whatever God has created is His manifestation (His Naam),
ये सारा संसार, जो अकाल-पुरख ने बनाया है, ये उसका स्वरूप है (‘इह विसु संसारु तुम देखदे, इहु हरि का रूपु है, हरि रूपु नदरी आइआ’)।
ਵਿਣੁ ਨਾਵੈ ਨਾਹੀ ਕੋ ਥਾਉ ॥
विणु नावै, नाही को थाउ॥
Without His Name, there is no place at all.
कोई भी जगह अकाल-पुरख के स्वरूप से खाली नहीं है, (भाव, जो भी जगह या पदार्थ देखें वही अकाल-पुरख का स्वरूप दिखाई देता है, सृष्टि का ज़ॅरा-जॅ़रा ईश्वर का ही स्वरूप है)।
ਕੁਦਰਤਿ ਕਵਣ ਕਹਾ ਵੀਚਾਰੁ ॥
कुदरत कवण, कहा विचार॥
How can I comprehend and describe Your creation?
मेरी क्या ताकत है कि मैं कुदरत का विचार कर सकूँ?
ਵਾਰਿਆ ਨ ਜਾਵਾ ਏਕ ਵਾਰ ॥
वारिआ न जावां एक वार॥
I am not worthy to dedicate myself to You even once.
(हे अकाल-पुरख!) मैं तो तेरे ऊपर एक बार भी सदके होने के लायक नहीं हूँ। (भाव, मेरी हस्ती तो बहुत तुच्छ है)।
ਜੋ ਤੁਧੁ ਭਾਵੈ ਸਾਈ ਭਲੀ ਕਾਰ ॥
जो तुध भावै, साई भली कार॥
O’ God, whatever pleases You, that alone is the best deed for all.
जो तुझे ठीक लगता है वही काम भला है, (भाव, तेरी रज़ा में रहना ही हम जीवों के लाभदायक है)
ਤੂ ਸਦਾ ਸਲਾਮਤਿ ਨਿਰੰਕਾਰ ॥੧੯॥
तू सदा सलामत निरंकार॥१९॥
O’ the formless God! You alone are the eternal one।।19।।
हे निरंकार! तू सदैव स्थिर रहने वाला है।।19।।
ਭਰੀਐ ਹਥੁ ਪੈਰੁ ਤਨੁ ਦੇਹ ॥
भरीअै हथ पैर तन देह॥
If the hands, the feet and the body get soiled,
अगर हाथ या पैर या शरीर मैला हो जाए,
ਪਾਣੀ ਧੋਤੈ ਉਤਰਸੁ ਖੇਹ ॥
पाणी धोतै, उतरस खेह॥
then by washing with water the dirt goes away.
तो पानी से धोने से वह मैल उतर जाती है।
ਮੂਤ ਪਲੀਤੀ ਕਪੜੁ ਹੋਇ ॥
मूत पलीती कपड़ होय॥
If the clothes are soiled and stained by urine,
अगर (कोई) कपड़ा मूत्र से गंदा हो जाए,
ਦੇ ਸਾਬੂਣੁ ਲਈਐ ਓਹੁ ਧੋਇ ॥
दे साबूण लईअै ओह धोय॥
The it is washed by soap.
तो साबुन लगा के उसको धो लेते हैं।
ਭਰੀਐ ਮਤਿ ਪਾਪਾ ਕੈ ਸੰਗਿ ॥
भरीअै मति पापा कै संग॥
But when the intellect is polluted by sins,
(पर) यदि (मनुष्य की) बुद्धि पापों से मलीन हो जाए,
ਓਹੁ ਧੋਪੈ ਨਾਵੈ ਕੈ ਰੰਗਿ ॥
ओह धोपै, नावै कै रंग॥
it can only be cleansed by lovingly remembering God’s Name.
तो वह पाप अकाल-पुरख के नाम में प्यार करने से ही धोया जा सकता है।
ਪੁੰਨੀ ਪਾਪੀ ਆਖਣੁ ਨਾਹਿ ॥
पुंनी पापी आखण नाहि॥
Virtuous and sinner are not just names or words for saying,
‘पुनी’ या ‘पापी’ निरे नाम नहीं हैं (भाव, निरे कहने की बातें नहीं है, सच-मुच ही)
ਪੁੰਨੀ ਪਾਪੀ ਨਿਰਾ ਨਾਮ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੈ l
ਕਰਿ ਕਰਿ ਕਰਣਾ ਲਿਖਿ ਲੈ ਜਾਹੁ ॥
कर कर करणा, लिख लै जाह॥
Whatever deeds you do in this world, you will take those attributes with you to the next life.
जिस तरह के कर्म तू करेगा वैसे ही संस्कार अपने अंदर अंकुरित करके साथ ले कर अंकुरित करके ले कर जाएगा।
ਆਪੇ ਬੀਜਿ ਆਪੇ ਹੀ ਖਾਹੁ ॥
आपे बीज, आपे ही खाह॥
You would eat what you sow (you will endure the consequences of your deeds)
जो कुछ तू खुद बीजेगा, उसका फल स्वयं ही खाएगा। (अपने बीजे मुताबिक)
ਨਾਨਕ ਹੁਕਮੀ ਆਵਹੁ ਜਾਹੁ ॥੨੦॥
नानक, हुकमी आवह जाह॥२०॥
O’ Nanak, by God’s divine law, (based on your deeds) you will remain in the cycle of birth and death।।20।।
हे नानक!अकाल पुरख के हुकम में जनम मरण के चक्कर में पड़ा रहेगा ।।20।।
ਤੀਰਥੁ ਤਪੁ ਦਇਆ ਦਤੁ ਦਾਨੁ ॥
तीरथ तप दया दत दान॥
Pilgrimages, austere discipline, compassion and charity.
तीर्तों, यात्राएं, तपों की साधना, (जीवों पे) दया करनी, दिया हुआ दान- (इन कर्मों के बदले);
ਜੇ ਕੋ ਪਾਵੈ ਤਿਲ ਕਾ ਮਾਨੁ ॥
जे को पावै, तिल का मान॥
these, by themselves, bring only an iota of merit.
अगर किसी मनुष्य को कोई आदर-सत्कार मिल भी जाए, तो वह नाम मात्र ही है।
ਸੁਣਿਆ ਮੰਨਿਆ ਮਨਿ ਕੀਤਾ ਭਾਉ ॥
सुणिआ मंनिआ, मनि कीता भाउ॥
One who has listened and believed in God’s Name with love in mind,
(पर जिस मनुष्य ने अकाल-पुरख के नाम में) सुरति जोड़ी है, (जिस का मन नाम में) पतीज गया है, (और जिस ने अपने मन) में (अकाल-पुरख का) प्यार पैदा किया है,
ਅੰਤਰਗਤਿ ਤੀਰਥਿ ਮਲਿ ਨਾਉ ॥
अंतरगत तीरथ, मल नाउ॥
he has purified himself by bathing in the holy place of his inner self (where God resides), and has truly removed the filth of sins.
उस मनुष्य ने (मानों) अपने भीतर के तीर्थ में मलमल के स्नान कर लिया है (भाव, उस मनुष्य ने अपने अंदर बस रहे अकाल-पुरख में जुड़ के अच्छी तरह अपने मन की मैल उतार ली है)।
ਸਭਿ ਗੁਣ ਤੇਰੇ ਮੈ ਨਾਹੀ ਕੋਇ ॥
सभ गुण तेरे, मैं नाही कोय॥
O’ God, all the virtues in me are Your gifts; on my own, I have none.
(हे अकाल-पुरख!) अगर तू (स्वयं खुद) गुण (मेरे में) पैदा ना करें तो मुझसे तेरी भक्ति नहीं हो सकती।।
ਵਿਣੁ ਗੁਣ ਕੀਤੇ ਭਗਤਿ ਨ ਹੋਇ ॥
विण गुण कीते, भगत न होय॥
Without You bestowing these virtues, I cannot perform Your devotional worship.
(हे अकाल-पुरख!) अगर तू (स्वयं खुद) गुण (मेरे में) पैदा ना करें तो मुझसे तेरी भक्ति नहीं हो सकती। मेरी कोई बिसात नहीं है (कि मैं तेरे गुण गा सकूँ)। ये सब तेरी ही महानता है।
ਸੁਅਸਤਿ ਆਥਿ ਬਾਣੀ ਬਰਮਾਉ ॥
सुअसति आथ बाणी बरमाउ॥
O’ God! You Yourself are Maya, Yourself the divine Word, and Yourself Brahma, I bow to You.
(हे निरंकार !) तेरी सदा जै हो! तू स्वयं ही माया है। तू स्वयं ही बाणी है, तू सवयं ही ब्रह्मा है। (भाव, इस सृष्टि को बनाने वाली माया, बाणी या ब्रह्मा तुझसे अलग हस्ती वाले नहीं हैं, जो लोगों ने माने हुए हैं),
ਸਤਿ ਸੁਹਾਣੁ ਸਦਾ ਮਨਿ ਚਾਉ ॥
सत सुहाण सदा मन चाउ॥
You are eternal, immaculate and Your mind always remains delighted.
तू सदा स्थिर हैं, सुंदर है, तेरा मन हमेशा प्रसन्नता से भरा हुआ है (तू ही जगत को रचने वाला है, तुम्ही को पता है कि इसे तुमने कब बनाया)।
ਕਵਣੁ ਸੁ ਵੇਲਾ ਵਖਤੁ ਕਵਣੁ ਕਵਣ ਥਿਤਿ ਕਵਣੁ ਵਾਰੁ ॥
कवण स वेला, वखत कवण, कवण थित, कवण वार॥
What was that time and what was that moment? What was that day and what was that date?
वह कौन सा वक्त व समय था, कौन सी तिथि थी, कौन सा दिन था,
ਕਵਣਿ ਸਿ ਰੁਤੀ ਮਾਹੁ ਕਵਣੁ ਜਿਤੁ ਹੋਆ ਆਕਾਰੁ ॥
कवण स रुती, माह कवण, जित होआ आकार॥
What was that season and what was that month, when the Universe was created?
कौन सी ऋतुऐं थीं और वह कौन सा महीना था, जब ये संसार बना था?
ਵੇਲ ਨ ਪਾਈਆ ਪੰਡਤੀ ਜਿ ਹੋਵੈ ਲੇਖੁ ਪੁਰਾਣੁ ॥
वेल न पाईआ पंडती, जि होवै लेख पुराण॥
The pandits did not know that time when the universe was created, otherwise they would have recorded in the holy books.
(कब ये संसार बना?) उस समय का पण्डितों को भी पता ना लगा, नहीं तो (इस मसले पे भी) एक पुराण लिखा होता।
ਵਖਤੁ ਨ ਪਾਇਓ ਕਾਦੀਆ ਜਿ ਲਿਖਨਿ ਲੇਖੁ ਕੁਰਾਣੁ ॥
वखत न पाइओ कादीआ, जि लिखन लेख कुराण॥
That time is not known to the Qazis, otherwise it would have been written in the Koran.
उस समय के काजि़यों को भी ख़बर ना लगी वर्ना वे भी लिख देते जैसे उन्होंने (आयतें इकट्ठी करके) कुरान (लिखी थी)।
ਥਿਤਿ ਵਾਰੁ ਨਾ ਜੋਗੀ ਜਾਣੈ ਰੁਤਿ ਮਾਹੁ ਨਾ ਕੋਈ ॥
थिति वार न जोगी जाणै, रुत माह न कोई॥
Neither any yogi nor any other person knows the lunar or solar day, season, or month in which this universe was created.
(जब जगत बना था तब) कौन सी तिथि थी, (कौन सा) दिन वार था, ये बात कोई जोगी भी नहीं जानता। कोई मनुष्य नहीं (बता सकता) कि तब कौन सी ऋतु थी और कौन सा महीना था।
ਜਾ ਕਰਤਾ ਸਿਰਠੀ ਕਉ ਸਾਜੇ ਆਪੇ ਜਾਣੈ ਸੋਈ ॥
जा करता सिरठी कउ साजे, आपे जाणै सोई॥
Only the Creator who created this creation knows about it.
जो सृजनहार इस जगत को पैदा करता है, वह स्वयं ही जानता है (कि जगत कब रचा)।
ਕਿਵ ਕਰਿ ਆਖਾ ਕਿਵ ਸਾਲਾਹੀ ਕਿਉ ਵਰਨੀ ਕਿਵ ਜਾਣਾ ॥
किव करि आखा किव सालाही, किउ वरनी किव जाणा॥
How can I describe God’s greatness, how can I praise Him? How can I describe His virtues? How can I relize Him?
मैं किस तरह (अकाल-पुरख की वडियाई) बताऊँ, किस तरह अकाल-पुरख की सिफत-सालाह करूँ, किस तरह (अकाल-पुरख की वडिआई) का वर्णन करूँ और किस तरह उसे समझ सकूँ?