HINDI PAGE 1293

ਮਲਾਰ ਬਾਣੀ ਭਗਤ ਰਵਿਦਾਸ ਜੀ ਕੀ
मलार बाणी भगत रविदास जी की
मलार बाणी भगत रविदास जी की

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ਨਾਗਰ ਜਨਾਂ ਮੇਰੀ ਜਾਤਿ ਬਿਖਿਆਤ ਚੰਮਾਰੰ ॥
नागर जनां मेरी जाति बिखिआत चमारं ॥
हे नगर के लोगो ! यह बात विख्यात है कि मेरी जाति चमार है (जिसको आप छोटा मानते हो, परन्तु)

ਰਿਦੈ ਰਾਮ ਗੋਬਿੰਦ ਗੁਨ ਸਾਰੰ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
रिदै राम गोबिंद गुन सारं ॥१॥ रहाउ ॥
मेरे हृदय में परमात्मा ही बसा हुआ है, उसी के गुण गाता हूँ॥१॥रहाउ॥

ਸੁਰਸਰੀ ਸਲਲ ਕ੍ਰਿਤ ਬਾਰੁਨੀ ਰੇ ਸੰਤ ਜਨ ਕਰਤ ਨਹੀ ਪਾਨੰ ॥
सुरसरी सलल क्रित बारुनी रे संत जन करत नही पानं ॥
गंगाजल से तैयार की हुई शराब भक्तजन पान नहीं करते।

ਸੁਰਾ ਅਪਵਿਤ੍ਰ ਨਤ ਅਵਰ ਜਲ ਰੇ ਸੁਰਸਰੀ ਮਿਲਤ ਨਹਿ ਹੋਇ ਆਨੰ ॥੧॥
सुरा अपवित्र नत अवर जल रे सुरसरी मिलत नहि होइ आनं ॥१॥
मगर अपवित्र शराब एवं चाहे दूषित पानी भी हो, वे गंगा में मिलकर उससे अलग नहीं होते बल्कि गंगा ही हो जाते हैं।॥१॥

ਤਰ ਤਾਰਿ ਅਪਵਿਤ੍ਰ ਕਰਿ ਮਾਨੀਐ ਰੇ ਜੈਸੇ ਕਾਗਰਾ ਕਰਤ ਬੀਚਾਰੰ ॥
तर तारि अपवित्र करि मानीऐ रे जैसे कागरा करत बीचारं ॥
ताड़ के पेड़ को अपवित्र माना जाता है, उसी पेड़ से कागज बनकर आता है।

ਭਗਤਿ ਭਾਗਉਤੁ ਲਿਖੀਐ ਤਿਹ ਊਪਰੇ ਪੂਜੀਐ ਕਰਿ ਨਮਸਕਾਰੰ ॥੨॥
भगति भागउतु लिखीऐ तिह ऊपरे पूजीऐ करि नमसकारं ॥२॥
तदन्तर जब भगवान की भक्ति-स्तुति उस पर लिख दी जाती है तो वह पूजनीय बन जाता है और लोग उस पर शीश निवाते हैं।॥२॥

ਮੇਰੀ ਜਾਤਿ ਕੁਟ ਬਾਂਢਲਾ ਢੋਰ ਢੋਵੰਤਾ ਨਿਤਹਿ ਬਾਨਾਰਸੀ ਆਸ ਪਾਸਾ ॥
मेरी जाति कुट बांढला ढोर ढोवंता नितहि बानारसी आस पासा ॥
मेरी जाति के लोग अभी भी बनारस के आस-पास नित्य मृत पशु ढोते हैं।

ਅਬ ਬਿਪ੍ਰ ਪਰਧਾਨ ਤਿਹਿ ਕਰਹਿ ਡੰਡਉਤਿ ਤੇਰੇ ਨਾਮ ਸਰਣਾਇ ਰਵਿਦਾਸੁ ਦਾਸਾ ॥੩॥੧॥
अब बिप्र परधान तिहि करहि डंडउति तेरे नाम सरणाइ रविदासु दासा ॥३॥१॥
रविदास कहते हैं कि हे परमात्मा ! तेरे नाम एवं शरण के कारण अब बड़े-बड़े ब्राहाण हमें दण्डवत प्रणाम कर रहे हैं।॥३॥१॥

ਮਲਾਰ ॥
मलार ॥
मलार ॥

ਹਰਿ ਜਪਤ ਤੇਊ ਜਨਾ ਪਦਮ ਕਵਲਾਸ ਪਤਿ ਤਾਸ ਸਮ ਤੁਲਿ ਨਹੀ ਆਨ ਕੋਊ ॥
हरि जपत तेऊ जना पदम कवलास पति तास सम तुलि नही आन कोऊ ॥
जो श्रीहरि का जाप करते हैं, उसके चरणों की पूजा करते हैं, ऐसे भक्तों के समान अन्य कोई नहीं।

ਏਕ ਹੀ ਏਕ ਅਨੇਕ ਹੋਇ ਬਿਸਥਰਿਓ ਆਨ ਰੇ ਆਨ ਭਰਪੂਰਿ ਸੋਊ ॥ ਰਹਾਉ ॥
एक ही एक अनेक होइ बिसथरिओ आन रे आन भरपूरि सोऊ ॥ रहाउ ॥
वह एक ही है और एक वही अनेक रूपों में फैला हुआ है, उसी को दिल में बसाओ॥रहाउ॥

ਜਾ ਕੈ ਭਾਗਵਤੁ ਲੇਖੀਐ ਅਵਰੁ ਨਹੀ ਪੇਖੀਐ ਤਾਸ ਕੀ ਜਾਤਿ ਆਛੋਪ ਛੀਪਾ ॥
जा कै भागवतु लेखीऐ अवरु नही पेखीऐ तास की जाति आछोप छीपा ॥
जिसके घर में भगवान का भजन होता है, अन्य कुछ दिखाई नहीं देता, उस नामदेव की जाति छींबा अछूत है।

ਬਿਆਸ ਮਹਿ ਲੇਖੀਐ ਸਨਕ ਮਹਿ ਪੇਖੀਐ ਨਾਮ ਕੀ ਨਾਮਨਾ ਸਪਤ ਦੀਪਾ ॥੧॥
बिआस महि लेखीऐ सनक महि पेखीऐ नाम की नामना सपत दीपा ॥१॥
व्यास की रचना तथा सनक की रचनाओं में हरिनाम की कीर्ति है, जो सातों द्वीपों में फैली हुई है॥१॥

ਜਾ ਕੈ ਈਦਿ ਬਕਰੀਦਿ ਕੁਲ ਗਊ ਰੇ ਬਧੁ ਕਰਹਿ ਮਾਨੀਅਹਿ ਸੇਖ ਸਹੀਦ ਪੀਰਾ ॥
जा कै ईदि बकरीदि कुल गऊ रे बधु करहि मानीअहि सेख सहीद पीरा ॥
जिसके जहाँ ईद-बकरीद के त्यौहारों पर गो-वध होता था, शेखों एवं पीरों को.मानते थे,

ਜਾ ਕੈ ਬਾਪ ਵੈਸੀ ਕਰੀ ਪੂਤ ਐਸੀ ਸਰੀ ਤਿਹੂ ਰੇ ਲੋਕ ਪਰਸਿਧ ਕਬੀਰਾ ॥੨॥
जा कै बाप वैसी करी पूत ऐसी सरी तिहू रे लोक परसिध कबीरा ॥२॥
जिसका पिता यह सब करता था, उसके पुत्र ने वह कर दिया कि वह कबीर दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गया॥२॥

ਜਾ ਕੇ ਕੁਟੰਬ ਕੇ ਢੇਢ ਸਭ ਢੋਰ ਢੋਵੰਤ ਫਿਰਹਿ ਅਜਹੁ ਬੰਨਾਰਸੀ ਆਸ ਪਾਸਾ ॥
जा के कुट्मब के ढेढ सभ ढोर ढोवंत फिरहि अजहु बंनारसी आस पासा ॥
जिसके परिवार के वंशज अब भी बनारस के आसपास पशु ढोते हैं,

ਆਚਾਰ ਸਹਿਤ ਬਿਪ੍ਰ ਕਰਹਿ ਡੰਡਉਤਿ ਤਿਨ ਤਨੈ ਰਵਿਦਾਸ ਦਾਸਾਨ ਦਾਸਾ ॥੩॥੨॥
आचार सहित बिप्र करहि डंडउति तिन तनै रविदास दासान दासा ॥३॥२॥
दासों के दास रविदास को ब्राह्मण समाज आदरपूर्वक दण्डवत प्रणाम करता है॥३॥२॥

ਮਲਾਰ
मलार
मलार

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ਮਿਲਤ ਪਿਆਰੋ ਪ੍ਰਾਨ ਨਾਥੁ ਕਵਨ ਭਗਤਿ ਤੇ ॥
मिलत पिआरो प्रान नाथु कवन भगति ते ॥
प्राणों से प्यारा प्रभु किस भक्ति से मिलता है और

ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਪਾਈ ਪਰਮ ਗਤੇ ॥ ਰਹਾਉ ॥
साधसंगति पाई परम गते ॥ रहाउ ॥
साधु जनों की संगत में परमगति संभव है॥२॥रहाउ॥

ਮੈਲੇ ਕਪਰੇ ਕਹਾ ਲਉ ਧੋਵਉ ॥
मैले कपरे कहा लउ धोवउ ॥
पराई निंदा द्वारा मैले कपड़े कहाँ तक धोऊँगा।

ਆਵੈਗੀ ਨੀਦ ਕਹਾ ਲਗੁ ਸੋਵਉ ॥੧॥
आवैगी नीद कहा लगु सोवउ ॥१॥
नींद आएगी तो कहाँ सो सकूंगा Il १॥

ਜੋਈ ਜੋਈ ਜੋਰਿਓ ਸੋਈ ਸੋਈ ਫਾਟਿਓ ॥
जोई जोई जोरिओ सोई सोई फाटिओ ॥
जो जो कुटिल कर्म करके लेखा-जोखा इकठ्ठा किया था, वह हिसाब फट गया है।

ਝੂਠੈ ਬਨਜਿ ਉਠਿ ਹੀ ਗਈ ਹਾਟਿਓ ॥੨॥
झूठै बनजि उठि ही गई हाटिओ ॥२॥
झूठे व्यापार की दुकान बंद ही हो गई है॥२॥

ਕਹੁ ਰਵਿਦਾਸ ਭਇਓ ਜਬ ਲੇਖੋ ॥
कहु रविदास भइओ जब लेखो ॥
रविदास जी कहते हैं कि जब कर्मों का हिसाब होता है तो

ਜੋਈ ਜੋਈ ਕੀਨੋ ਸੋਈ ਸੋਈ ਦੇਖਿਓ ॥੩॥੧॥੩॥
जोई जोई कीनो सोई सोई देखिओ ॥३॥१॥३॥
जो-जो शुभाशुभ कर्म किया होता है, वही दिखाई देता है॥३॥१॥३॥

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