HINDI PAGE 1083

ਮਿਰਤ ਲੋਕ ਪਇਆਲ ਸਮੀਪਤ ਅਸਥਿਰ ਥਾਨੁ ਜਿਸੁ ਹੈ ਅਭਗਾ ॥੧੨॥
मिरत लोक पइआल समीपत असथिर थानु जिसु है अभगा ॥१२॥
जिसका निवास स्थान सदा अटल है, वह मृत्युलोक, पाताललोक में रहने वाले जीवों के पास ही रहता है॥१२॥

ਪਤਿਤ ਪਾਵਨ ਦੁਖ ਭੈ ਭੰਜਨੁ ॥
पतित पावन दुख भै भंजनु ॥
वह पतितपावन सारे दुःख-भय नाश करने वाला हैं,”

ਅਹੰਕਾਰ ਨਿਵਾਰਣੁ ਹੈ ਭਵ ਖੰਡਨੁ ॥
अहंकार निवारणु है भव खंडनु ॥
वही अहंकार का निवारण करने वाला है एवं जीवों के जन्म-मरण के चक्र को मिटाने वाला है।

ਭਗਤੀ ਤੋਖਿਤ ਦੀਨ ਕ੍ਰਿਪਾਲਾ ਗੁਣੇ ਨ ਕਿਤ ਹੀ ਹੈ ਭਿਗਾ ॥੧੩॥
भगती तोखित दीन क्रिपाला गुणे न कित ही है भिगा ॥१३॥
दीनों पर कृपा करने वाला प्रभु भक्ति से ही प्रसन्न होता है और किसी अन्य गुण से वश नहीं होता।१३॥

ਨਿਰੰਕਾਰੁ ਅਛਲ ਅਡੋਲੋ ॥
निरंकारु अछल अडोलो ॥
उस निराकार से किसी प्रकार का छल नहीं किया जा सकता, वह सदा अडोल है,”

ਜੋਤਿ ਸਰੂਪੀ ਸਭੁ ਜਗੁ ਮਉਲੋ ॥
जोति सरूपी सभु जगु मउलो ॥
ज्योतिस्वरूप है और उससे ही समूचा जगत् प्रफुल्लित हुआ है।

ਸੋ ਮਿਲੈ ਜਿਸੁ ਆਪਿ ਮਿਲਾਏ ਆਪਹੁ ਕੋਇ ਨ ਪਾਵੈਗਾ ॥੧੪॥
सो मिलै जिसु आपि मिलाए आपहु कोइ न पावैगा ॥१४॥
उस सर्वोच्च शक्ति परमेश्वर से वही मिलता है, जिसे वह स्वयं अपने साथ मिलाता है, अपने आप कोई भी उसे पा नहीं सकता।॥ १४॥

ਆਪੇ ਗੋਪੀ ਆਪੇ ਕਾਨਾ ॥
आपे गोपी आपे काना ॥
राधा एवं कृष्ण-कन्हैया स्वयं परमात्मा ही हैं और

ਆਪੇ ਗਊ ਚਰਾਵੈ ਬਾਨਾ ॥
आपे गऊ चरावै बाना ॥
गऊओं को वृंदावन में चराने वाला भी वहीं है।

ਆਪਿ ਉਪਾਵਹਿ ਆਪਿ ਖਪਾਵਹਿ ਤੁਧੁ ਲੇਪੁ ਨਹੀ ਇਕੁ ਤਿਲੁ ਰੰਗਾ ॥੧੫॥
आपि उपावहि आपि खपावहि तुधु लेपु नही इकु तिलु रंगा ॥१५॥
हे परम पिता ! तू स्वयं ही सृष्टि एवं जीवों को उत्पन्न करता और स्वयं ही नाश भी कर देता है, तुझको तिल मात्र भी संसार से कोई लोभ-मोह नहीं॥ १५॥

ਏਕ ਜੀਹ ਗੁਣ ਕਵਨ ਬਖਾਨੈ ॥
एक जीह गुण कवन बखानै ॥
मेरी एक ही जीभ है, यह तेरे कौन-कौन से गुण बयान कर सकती है।

ਸਹਸ ਫਨੀ ਸੇਖ ਅੰਤੁ ਨ ਜਾਨੈ ॥
सहस फनी सेख अंतु न जानै ॥
हजार फनों वाला शेषनाग भी तेरा रहस्य नहीं जानता।

ਨਵਤਨ ਨਾਮ ਜਪੈ ਦਿਨੁ ਰਾਤੀ ਇਕੁ ਗੁਣੁ ਨਾਹੀ ਪ੍ਰਭ ਕਹਿ ਸੰਗਾ ॥੧੬॥
नवतन नाम जपै दिनु राती इकु गुणु नाही प्रभ कहि संगा ॥१६॥
हे प्रभु ! वह दिन-रात तेरे नए से नए नाम को जपता रहता है किन्तु वह तेरा एक भी गुण वर्णन नहीं कर सकता॥१६॥

ਓਟ ਗਹੀ ਜਗਤ ਪਿਤ ਸਰਣਾਇਆ ॥
ओट गही जगत पित सरणाइआ ॥
हे जगत् पिता ! मैंने तेरी ओट ली है, तेरी ही शरण में आया हैं।

ਭੈ ਭਇਆਨਕ ਜਮਦੂਤ ਦੁਤਰ ਹੈ ਮਾਇਆ ॥
भै भइआनक जमदूत दुतर है माइआ ॥
भयानक यमदूत नित्य भयभीत करते हैं, यह माया ऐसा सागर है, जिस में से पार होना बहुत कठिन है।

ਹੋਹੁ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਇਛਾ ਕਰਿ ਰਾਖਹੁ ਸਾਧ ਸੰਤਨ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸੰਗਾ ॥੧੭॥
होहु क्रिपाल इछा करि राखहु साध संतन कै संगि संगा ॥१७॥
कृपालु हो जाओ और अपनी इच्छा करके साधु-संतों के ही संग रखो॥ १७॥

ਦ੍ਰਿਸਟਿਮਾਨ ਹੈ ਸਗਲ ਮਿਥੇਨਾ ॥
द्रिसटिमान है सगल मिथेना ॥
यह दृष्टिमान समूचा जगत्-प्रसार झूठा एवं नश्वर हैं।

ਇਕੁ ਮਾਗਉ ਦਾਨੁ ਗੋਬਿਦ ਸੰਤ ਰੇਨਾ ॥
इकु मागउ दानु गोबिद संत रेना ॥
हे गोविन्द ! मैं तुझसे संतजनों की चरणरज़ का ही दान माँगता हैं,”

ਮਸਤਕਿ ਲਾਇ ਪਰਮ ਪਦੁ ਪਾਵਉ ਜਿਸੁ ਪ੍ਰਾਪਤਿ ਸੋ ਪਾਵੈਗਾ ॥੧੮॥
मसतकि लाइ परम पदु पावउ जिसु प्रापति सो पावैगा ॥१८॥
ताकि मैं इसे अपने माथे पर लगाकर परमपद् (मोक्ष) पा सकें, लेकिन जिसके कर्मालेख में इसकी लधि लिखी है, वहीं इसे प्राप्त करेगा॥१८॥

ਜਿਨ ਕਉ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੀ ਸੁਖਦਾਤੇ ॥
जिन कउ क्रिपा करी सुखदाते ॥
जिन पर सुखदाता परमेश्वर ने अपनी कृपा की है,”

ਤਿਨ ਸਾਧੂ ਚਰਣ ਲੈ ਰਿਦੈ ਪਰਾਤੇ ॥
तिन साधू चरण लै रिदै पराते ॥
उन्होंने साधुओं की चरणरज को लेकर हृदय में बसा लिया है।

ਸਗਲ ਨਾਮ ਨਿਧਾਨੁ ਤਿਨ ਪਾਇਆ ਅਨਹਦ ਸਬਦ ਮਨਿ ਵਾਜੰਗਾ ॥੧੯॥
सगल नाम निधानु तिन पाइआ अनहद सबद मनि वाजंगा ॥१९॥
प्रभु-नाम सुखों का भण्डार उन्होंने पा लिया है और उनके मन में अनाहद शब्द गूंज रहा है॥१९॥

ਕਿਰਤਮ ਨਾਮ ਕਥੇ ਤੇਰੇ ਜਿਹਬਾ ॥
किरतम नाम कथे तेरे जिहबा ॥
यह जिव्हा तेरे किए कर्मों के आधार पर सुविख्यात नामों का ही कथन कर रही है,”

ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਤੇਰਾ ਪਰਾ ਪੂਰਬਲਾ ॥
सति नामु तेरा परा पूरबला ॥
परन्तु सृष्टि-रचना से पूर्व ही ‘सत्य-नाम’ तेरा मूल प्राचीन नाम है।

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਭਗਤ ਪਏ ਸਰਣਾਈ ਦੇਹੁ ਦਰਸੁ ਮਨਿ ਰੰਗੁ ਲਗਾ ॥੨੦॥
कहु नानक भगत पए सरणाई देहु दरसु मनि रंगु लगा ॥२०॥
नानक की प्रार्थना है कि हे सत्यस्वरूप परमेश्वर ! भक्त तो शरण में पड़ गए हैं, उन्हें दर्शन देकर निहाल करो, क्योंकि उनका मन तेरी लगन में हीं लीन है॥ २०॥

ਤੇਰੀ ਗਤਿ ਮਿਤਿ ਤੂਹੈ ਜਾਣਹਿ ॥
तेरी गति मिति तूहै जाणहि ॥
तेरी गति एवं विस्तार तू हीं जानता है,”

ਤੂ ਆਪੇ ਕਥਹਿ ਤੈ ਆਪਿ ਵਖਾਣਹਿ ॥
तू आपे कथहि तै आपि वखाणहि ॥
तू स्वयं ही कथन करता है और स्वयं ही व्याख्या करता है।

ਨਾਨਕ ਦਾਸੁ ਦਾਸਨ ਕੋ ਕਰੀਅਹੁ ਹਰਿ ਭਾਵੈ ਦਾਸਾ ਰਾਖੁ ਸੰਗਾ ॥੨੧॥੨॥੧੧॥
नानक दासु दासन को करीअहु हरि भावै दासा राखु संगा ॥२१॥२॥११॥
नानक की विनती है कि हे हरि ! यदि तुझे स्वीकार हो तो मुझे अपने दासों का दास बनाकर उनके ही संग रखो॥२१॥२॥११॥

ਮਾਰੂ ਮਹਲਾ ੫ ॥
मारू महला ५ ॥
मारू महला ५॥

ਅਲਹ ਅਗਮ ਖੁਦਾਈ ਬੰਦੇ ॥
अलह अगम खुदाई बंदे ॥
अल्लाह अगम्य हैं, हे खुदा के बंदे !”

ਛੋਡਿ ਖਿਆਲ ਦੁਨੀਆ ਕੇ ਧੰਧੇ ॥
छोडि खिआल दुनीआ के धंधे ॥
दुनिया के काम-धन्धों का ख्याल छोड़ दो;

ਹੋਇ ਪੈ ਖਾਕ ਫਕੀਰ ਮੁਸਾਫਰੁ ਇਹੁ ਦਰਵੇਸੁ ਕਬੂਲੁ ਦਰਾ ॥੧॥
होइ पै खाक फकीर मुसाफरु इहु दरवेसु कबूलु दरा ॥१॥
फकीरों के पैरों की धूल बनकर एक मुसाफिर बन जा, ऐसा दरवेश ही खुदा के दर पर कबूल होता है॥१॥

ਸਚੁ ਨਿਵਾਜ ਯਕੀਨ ਮੁਸਲਾ ॥
सचु निवाज यकीन मुसला ॥
सत्य को अपनी नमाज एवं खुदा में यकीन को मुसल्ला (दरी) बना।

ਮਨਸਾ ਮਾਰਿ ਨਿਵਾਰਿਹੁ ਆਸਾ ॥
मनसा मारि निवारिहु आसा ॥
अपनी वासनाओं को मारकर आशा को मन से निवृत्त करो।

ਦੇਹ ਮਸੀਤਿ ਮਨੁ ਮਉਲਾਣਾ ਕਲਮ ਖੁਦਾਈ ਪਾਕੁ ਖਰਾ ॥੨॥
देह मसीति मनु मउलाणा कलम खुदाई पाकु खरा ॥२॥
अपने शरीर को मस्जिद एवं मन को मौलवी बना लो, पवित्र एवं निर्मल जीवन तेरे लिए खुदा का कलमा पढ़ना है॥२॥

ਸਰਾ ਸਰੀਅਤਿ ਲੇ ਕੰਮਾਵਹੁ ॥
सरा सरीअति ले कमावहु ॥
खुदा का नाम लेकर बंदगी करो,यही नए इस्लामी शरअ अर्थात कानून एवं शरीयत्त शुभ कर्म करना है।

ਤਰੀਕਤਿ ਤਰਕ ਖੋਜਿ ਟੋਲਾਵਹੁ ॥
तरीकति तरक खोजि टोलावहु ॥
अभिमान को त्याग कर अपने दिल में ही खुदा को ढूँढो, यह करनी ही तेरे लिए तरीकत हैं।

ਮਾਰਫਤਿ ਮਨੁ ਮਾਰਹੁ ਅਬਦਾਲਾ ਮਿਲਹੁ ਹਕੀਕਤਿ ਜਿਤੁ ਫਿਰਿ ਨ ਮਰਾ ॥੩॥
मारफति मनु मारहु अबदाला मिलहु हकीकति जितु फिरि न मरा ॥३॥
हे अब्दल फकीर ! मार्फत यह है कि अपने मन को मारो अर्थात् अपने वश में करो। खुदा से मिलो, यह हकीकत है, जिससे फिर मृत्यु नहीं होती॥३॥

ਕੁਰਾਣੁ ਕਤੇਬ ਦਿਲ ਮਾਹਿ ਕਮਾਹੀ ॥
कुराणु कतेब दिल माहि कमाही ॥
कुरान, तौरेत, जंबूर इन कर्तबों का पाठ करना यही है कि अपने दिल में खुदा के नाम की कमाई करो।

ਦਸ ਅਉਰਾਤ ਰਖਹੁ ਬਦ ਰਾਹੀ ॥
दस अउरात रखहु बद राही ॥
अपनी इस औरतों अर्थात् इन्द्रियों को बुराई के राह पर जाने से रोक कर रखों ।

ਪੰਚ ਮਰਦ ਸਿਦਕਿ ਲੇ ਬਾਧਹੁ ਖੈਰਿ ਸਬੂਰੀ ਕਬੂਲ ਪਰਾ ॥੪॥
पंच मरद सिदकि ले बाधहु खैरि सबूरी कबूल परा ॥४॥
पाँच मर्दो काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार को धैर्य से पकड़ कर बाँध लो; संतोष एवं दान द्वारा तू अल्लाह को परवान हो जाएगा॥४॥

ਮਕਾ ਮਿਹਰ ਰੋਜਾ ਪੈ ਖਾਕਾ ॥
मका मिहर रोजा पै खाका ॥
जीवों पर मेहर करना ही मक्के का हज करना है और दरवेशों के पैरों की धूल बन जाना रोजा रखना है।

ਭਿਸਤੁ ਪੀਰ ਲਫਜ ਕਮਾਇ ਅੰਦਾਜਾ ॥
भिसतु पीर लफज कमाइ अंदाजा ॥
अपने पीर के वचनों का पूर्णतया पालन करना ही बिहिश्त में जाना है।

ਹੂਰ ਨੂਰ ਮੁਸਕੁ ਖੁਦਾਇਆ ਬੰਦਗੀ ਅਲਹ ਆਲਾ ਹੁਜਰਾ ॥੫॥
हूर नूर मुसकु खुदाइआ बंदगी अलह आला हुजरा ॥५॥
नूर रूप अल्लाह का दर्शन करना ही परियों का सुख भोगना है, खुदा की बंदगी ही शरीर पर सुगन्धि लगाना है, यह दुनिया रूपी खुदा का घर ही बंदगी करने के लिए बेहतर स्थान है॥५॥

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