ਰੋਗ ਬੰਧ ਰਹਨੁ ਰਤੀ ਨ ਪਾਵੈ ॥
रोग बंध रहनु रती न पावै ॥
रोगों के बन्धन में पड़कर उसे बिल्कुल भी ठिकाना नहीं मिलता और
ਬਿਨੁ ਸਤਿਗੁਰ ਰੋਗੁ ਕਤਹਿ ਨ ਜਾਵੈ ॥੩॥
बिनु सतिगुर रोगु कतहि न जावै ॥३॥
सतगुरु के बिना उसके रोग कदापि दूर नहीं होते॥३॥
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਜਿਸੁ ਕੀਨੀ ਦਇਆ ॥
पारब्रहमि जिसु कीनी दइआ ॥
परब्रह्म ने जिस पर भी दया की है,
ਬਾਹ ਪਕੜਿ ਰੋਗਹੁ ਕਢਿ ਲਇਆ ॥
बाह पकड़ि रोगहु कढि लइआ ॥
उसे बाँह से पकड़कर रोगों से मुक्त कर दिया है।
ਤੂਟੇ ਬੰਧਨ ਸਾਧਸੰਗੁ ਪਾਇਆ ॥
तूटे बंधन साधसंगु पाइआ ॥
साधु पुरुषों का साथ पाने से सब बन्धन टूटते हैं।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰਿ ਰੋਗੁ ਮਿਟਾਇਆ ॥੪॥੭॥੨੦॥
कहु नानक गुरि रोगु मिटाइआ ॥४॥७॥२०॥
हे नानक ! गुरु ने सब रोगों को मिटाया है॥४॥ ७॥ २०॥
ਭੈਰਉ ਮਹਲਾ ੫ ॥
भैरउ महला ५ ॥
भैरउ महला ५॥
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਮਹਾ ਅਨੰਦ ॥
चीति आवै तां महा अनंद ॥
ईश्वर स्मरण आए तो परम आनंद प्राप्त होता है,
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਸਭਿ ਦੁਖ ਭੰਜ ॥
चीति आवै तां सभि दुख भंज ॥
प्रभु याद आ जाए तो सब दुःख नष्ट हो जाते हैं।
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਸਰਧਾ ਪੂਰੀ ॥
चीति आवै तां सरधा पूरी ॥
मन में प्रभु की स्मृति बनी रहे तो हर श्रद्धा पूरी हो जाती है,
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਕਬਹਿ ਨ ਝੂਰੀ ॥੧॥
चीति आवै तां कबहि न झूरी ॥१॥
उसकी याद आने से कभी परेशान नहीं होना पड़ता॥१॥
ਅੰਤਰਿ ਰਾਮ ਰਾਇ ਪ੍ਰਗਟੇ ਆਇ ॥
अंतरि राम राइ प्रगटे आइ ॥
ईश्वर मन में ही प्रगट हो गया
ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਦੀਓ ਰੰਗੁ ਲਾਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
गुरि पूरै दीओ रंगु लाइ ॥१॥ रहाउ ॥
जब पूरे गुरु ने जब ईश्वर की लगन में लगा दी॥१॥ रहाउ॥
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਸਰਬ ਕੋ ਰਾਜਾ ॥
चीति आवै तां सरब को राजा ॥
अगर प्रभु याद आए तो मनुष्य सबका राजा बन जाता है,
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਪੂਰੇ ਕਾਜਾ ॥
चीति आवै तां पूरे काजा ॥
प्रभु की याद आती रहे तो सब कार्य सम्पन्न हो जाते हैं।
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਰੰਗਿ ਗੁਲਾਲ ॥
चीति आवै तां रंगि गुलाल ॥
भगवान स्मरण आए तो प्रेम का रंग चढ़ा रहता है,
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਸਦਾ ਨਿਹਾਲ ॥੨॥
चीति आवै तां सदा निहाल ॥२॥
प्रभु का चिन्तन हो तो जीव सदा आनंदित रहता है।॥२॥
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਸਦ ਧਨਵੰਤਾ ॥
चीति आवै तां सद धनवंता ॥
ईश्वर याद आता रहे तो मनुष्य सदा धनवान् बना रहता है,
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਸਦ ਨਿਭਰੰਤਾ ॥
चीति आवै तां सद निभरंता ॥
परमात्मा का ध्यान हो तो सदा आत्म-निर्भर रहता है।
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਸਭਿ ਰੰਗ ਮਾਣੇ ॥
चीति आवै तां सभि रंग माणे ॥
परमेश्वर स्मरण आता रहे तो सब खुशियाँ प्राप्त होती हैं,
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਚੂਕੀ ਕਾਣੇ ॥੩॥
चीति आवै तां चूकी काणे ॥३॥
प्रभु का ध्यान हो तो लोगों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ती॥३॥
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਸਹਜ ਘਰੁ ਪਾਇਆ ॥
चीति आवै तां सहज घरु पाइआ ॥
ईश्वर याद आए तो सहज ही सच्चा घर प्राप्त हो जाता है,
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਸੁੰਨਿ ਸਮਾਇਆ ॥
चीति आवै तां सुंनि समाइआ ॥
उसकी स्मृति बनी रहे तो शून्यावस्था में लीन हो जाता है।
ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਸਦ ਕੀਰਤਨੁ ਕਰਤਾ ॥ ਮਨੁ ਮਾਨਿਆ ਨਾਨਕ ਭਗਵੰਤਾ ॥੪॥੮॥੨੧॥
चीति आवै सद कीरतनु करता ॥ मनु मानिआ नानक भगवंता ॥४॥८॥२१॥
अगर प्रभु याद आता रहे तो जीव सदैव उसका कीर्तन करता रहता है। नानक फुरमाते हैं कि इस तरह मन भगवान में लीन रहकर आनंदित हो जाता है॥ ४॥ ८॥ २१॥
ਭੈਰਉ ਮਹਲਾ ੫ ॥
भैरउ महला ५ ॥
भैरउ महला ५॥
ਬਾਪੁ ਹਮਾਰਾ ਸਦ ਚਰੰਜੀਵੀ ॥
बापु हमारा सद चरंजीवी ॥
हमारा पिता परमेश्वर सदैव चिरंजीव है,
ਭਾਈ ਹਮਾਰੇ ਸਦ ਹੀ ਜੀਵੀ ॥
भाई हमारे सद ही जीवी ॥
हमारे भाई-बंधु सदा जीवन पा रहे हैं,
ਮੀਤ ਹਮਾਰੇ ਸਦਾ ਅਬਿਨਾਸੀ ॥
मीत हमारे सदा अबिनासी ॥
हमारे मित्र सदा अविनाशी हो गए।
ਕੁਟੰਬੁ ਹਮਾਰਾ ਨਿਜ ਘਰਿ ਵਾਸੀ ॥੧॥
कुट्मबु हमारा निज घरि वासी ॥१॥
हमारा पूरा परिवार सच्चे घर में रह रहा है॥१॥
ਹਮ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਤਾਂ ਸਭਹਿ ਸੁਹੇਲੇ ॥
हम सुखु पाइआ तां सभहि सुहेले ॥
हमें परम सुख उपलब्ध हुआ तो सभी सुखी हो गए।
ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਪਿਤਾ ਸੰਗਿ ਮੇਲੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
गुरि पूरै पिता संगि मेले ॥१॥ रहाउ ॥
पूरे गुरु ने पिता परमेश्वर के साथ मिला दिया है॥१॥ रहाउ॥
ਮੰਦਰ ਮੇਰੇ ਸਭ ਤੇ ਊਚੇ ॥
मंदर मेरे सभ ते ऊचे ॥
मेरा घर सबसे ऊँचा है,
ਦੇਸ ਮੇਰੇ ਬੇਅੰਤ ਅਪੂਛੇ ॥
देस मेरे बेअंत अपूछे ॥
देश मेरा अनंत है, कोई पूछताछ नहीं।
ਰਾਜੁ ਹਮਾਰਾ ਸਦ ਹੀ ਨਿਹਚਲੁ ॥
राजु हमारा सद ही निहचलु ॥
हमारा राज्य निश्चय हो गया है और
ਮਾਲੁ ਹਮਾਰਾ ਅਖੂਟੁ ਅਬੇਚਲੁ ॥੨॥
मालु हमारा अखूटु अबेचलु ॥२॥
हमारा माल अक्षुण्ण अप्रभावित है॥२॥
ਸੋਭਾ ਮੇਰੀ ਸਭ ਜੁਗ ਅੰਤਰਿ ॥
सोभा मेरी सभ जुग अंतरि ॥
पूरे जगत में मेरी शोभा हो गई है,
ਬਾਜ ਹਮਾਰੀ ਥਾਨ ਥਨੰਤਰਿ ॥
बाज हमारी थान थनंतरि ॥
देश-दिशांतर हमारी प्रतिष्ठा बनी है I
ਕੀਰਤਿ ਹਮਰੀ ਘਰਿ ਘਰਿ ਹੋਈ ॥
कीरति हमरी घरि घरि होई ॥
घर-घर में हमारी कीर्ति फैली है और
ਭਗਤਿ ਹਮਾਰੀ ਸਭਨੀ ਲੋਈ ॥੩॥
भगति हमारी सभनी लोई ॥३॥
सब लोगों में हमारी भक्ति का प्रचार हो गया है॥३॥
ਪਿਤਾ ਹਮਾਰੇ ਪ੍ਰਗਟੇ ਮਾਝ ॥
पिता हमारे प्रगटे माझ ॥
हमारे अन्तर्मन में ही पिता प्रभु प्रगट हो गया है,
ਪਿਤਾ ਪੂਤ ਰਲਿ ਕੀਨੀ ਸਾਂਝ ॥
पिता पूत रलि कीनी सांझ ॥
अब पिता-पुत्र ने मिलकर साझ कर ली है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਜਉ ਪਿਤਾ ਪਤੀਨੇ ॥
कहु नानक जउ पिता पतीने ॥
नानक फुरमाते हैं कि अगर पिता खुश हो जाए तो
ਪਿਤਾ ਪੂਤ ਏਕੈ ਰੰਗਿ ਲੀਨੇ ॥੪॥੯॥੨੨॥
पिता पूत एकै रंगि लीने ॥४॥९॥२२॥
वह अपने पुत्र को अपने रंग में लीन कर लेता है॥४॥६॥ २२॥
ਭੈਰਉ ਮਹਲਾ ੫ ॥
भैरउ महला ५ ॥
भैरउ महला ५॥
ਨਿਰਵੈਰ ਪੁਰਖ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਭ ਦਾਤੇ ॥
निरवैर पुरख सतिगुर प्रभ दाते ॥
हे सतगुरुं प्रभु ! तू प्रेमस्वरूप, परमपुरुष एवं दाता है,
ਹਮ ਅਪਰਾਧੀ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹ ਬਖਸਾਤੇ ॥
हम अपराधी तुम्ह बखसाते ॥
हम तो अपराधी हैं और तू ही हमें क्षमा करने वाला है।
ਜਿਸੁ ਪਾਪੀ ਕਉ ਮਿਲੈ ਨ ਢੋਈ ॥
जिसु पापी कउ मिलै न ढोई ॥
जिस पापी व्यक्ति को कहीं आसरा नहीं मिलता,
ਸਰਣਿ ਆਵੈ ਤਾਂ ਨਿਰਮਲੁ ਹੋਈ ॥੧॥
सरणि आवै तां निरमलु होई ॥१॥
अगर तेरी शरण में आ जाए तो पाप-मुक्त होकर निर्मल हो जाता है।॥१॥
ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਸਤਿਗੁਰੂ ਮਨਾਇ ॥
सुखु पाइआ सतिगुरू मनाइ ॥
सतगुरु को मनाकर सुख प्राप्त हुआ है और
ਸਭ ਫਲ ਪਾਏ ਗੁਰੂ ਧਿਆਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
सभ फल पाए गुरू धिआइ ॥१॥ रहाउ ॥
गुरु का ध्यान करने से सब फल पा लिए हैं।॥१॥ रहाउ॥
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਸਤਿਗੁਰ ਆਦੇਸੁ ॥
पारब्रहम सतिगुर आदेसु ॥
हे परब्रह्म सतगुरु ! तुम्हें शत्-शत् नमन है,
ਮਨੁ ਤਨੁ ਤੇਰਾ ਸਭੁ ਤੇਰਾ ਦੇਸੁ ॥
मनु तनु तेरा सभु तेरा देसु ॥
यह मन तन सब तेरी ही देन है।
ਚੂਕਾ ਪੜਦਾ ਤਾਂ ਨਦਰੀ ਆਇਆ ॥
चूका पड़दा तां नदरी आइआ ॥
भ्रम का पद हटा तो तू नजर आया।
ਖਸਮੁ ਤੂਹੈ ਸਭਨਾ ਕੇ ਰਾਇਆ ॥੨॥
खसमु तूहै सभना के राइआ ॥२॥
हे विश्व के बादशाह ! तू ही सबका मालिक है॥२॥
ਤਿਸੁ ਭਾਣਾ ਸੂਕੇ ਕਾਸਟ ਹਰਿਆ ॥
तिसु भाणा सूके कासट हरिआ ॥
अगर उसकी रज़ा हो तो सूखी लकड़ी हरी हो जाती है,
ਤਿਸੁ ਭਾਣਾ ਤਾਂ ਥਲ ਸਿਰਿ ਸਰਿਆ ॥
तिसु भाणा तां थल सिरि सरिआ ॥
अगर उसकी इच्छा हो तो सूखा सरोवर जल से भर जाता है,
ਤਿਸੁ ਭਾਣਾ ਤਾਂ ਸਭਿ ਫਲ ਪਾਏ ॥
तिसु भाणा तां सभि फल पाए ॥
उसकी मर्जीं हो तो सब फल प्राप्त हो जाते हैं,
ਚਿੰਤ ਗਈ ਲਗਿ ਸਤਿਗੁਰ ਪਾਏ ॥੩॥
चिंत गई लगि सतिगुर पाए ॥३॥
सतगुरु के चरणों में लगने से चिंता दूर हो जाती है।॥३॥