HINDI PAGE 727

ਜੀਵਤ ਲਉ ਬਿਉਹਾਰੁ ਹੈ ਜਗ ਕਉ ਤੁਮ ਜਾਨਉ ॥
जीवत लउ बिउहारु है जग कउ तुम जानउ ॥
इस जगत् को तुम यू जानो कि इसका व्यवहार इन्सान के जीवन तक ही रहता है।

ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਇ ਲੈ ਸਭ ਸੁਫਨ ਸਮਾਨਉ ॥੨॥੨॥
नानक हरि गुन गाइ लै सभ सुफन समानउ ॥२॥२॥
है नानक! हरि का गुणगान कर लो, क्योंकि यह सब कुछ स्वप्न के सामान ही है ॥ २ ॥ २ ॥

ਤਿਲੰਗ ਮਹਲਾ ੯ ॥
तिलंग महला ९ ॥
तिलंग महला ९ ॥

ਹਰਿ ਜਸੁ ਰੇ ਮਨਾ ਗਾਇ ਲੈ ਜੋ ਸੰਗੀ ਹੈ ਤੇਰੋ ॥
हरि जसु रे मना गाइ लै जो संगी है तेरो ॥
हे मेरे मन ! हरि का यश गा ले, क्योंकि यही तेरा सच्चा साथी है ।

ਅਉਸਰੁ ਬੀਤਿਓ ਜਾਤੁ ਹੈ ਕਹਿਓ ਮਾਨ ਲੈ ਮੇਰੋ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
अउसरु बीतिओ जातु है कहिओ मान लै मेरो ॥१॥ रहाउ ॥
मेरा कहना मान ले, चूंकि यह जीवन-अवसर बीतता जा रहा है॥ १॥ रहाउ॥

ਸੰਪਤਿ ਰਥ ਧਨ ਰਾਜ ਸਿਉ ਅਤਿ ਨੇਹੁ ਲਗਾਇਓ ॥
स्मपति रथ धन राज सिउ अति नेहु लगाइओ ॥
संपत्ति, रथ, धन एवं राज के साथ तूने बहुत प्यार लगाया हुआ है।

ਕਾਲ ਫਾਸ ਜਬ ਗਲਿ ਪਰੀ ਸਭ ਭਇਓ ਪਰਾਇਓ ॥੧॥
काल फास जब गलि परी सभ भइओ पराइओ ॥१॥
लेकिन जब काल की फाँसी गले में पड़ेगी तो सब कुछ पराया हो जाएगा ॥१॥

ਜਾਨਿ ਬੂਝ ਕੈ ਬਾਵਰੇ ਤੈ ਕਾਜੁ ਬਿਗਾਰਿਓ ॥
जानि बूझ कै बावरे तै काजु बिगारिओ ॥
हे बावले ! तूने जानबूझ कर अपना काम आप ही बिगाड़ लिया है।

ਪਾਪ ਕਰਤ ਸੁਕਚਿਓ ਨਹੀ ਨਹ ਗਰਬੁ ਨਿਵਾਰਿਓ ॥੨॥
पाप करत सुकचिओ नही नह गरबु निवारिओ ॥२॥
पाप करते वक्त कभी संकोच नहीं किया और न ही तूने अपना अहंकार छोड़ा है॥ २॥

ਜਿਹ ਬਿਧਿ ਗੁਰ ਉਪਦੇਸਿਆ ਸੋ ਸੁਨੁ ਰੇ ਭਾਈ ॥
जिह बिधि गुर उपदेसिआ सो सुनु रे भाई ॥
हे मेरे भाई ! जैसे गुरु ने मुझे उपदेश दिया है, वह भी सुन ले।

ਨਾਨਕ ਕਹਤ ਪੁਕਾਰਿ ਕੈ ਗਹੁ ਪ੍ਰਭ ਸਰਨਾਈ ॥੩॥੩॥
नानक कहत पुकारि कै गहु प्रभ सरनाई ॥३॥३॥
नानक तुझे पुकार कर कहता है कि प्रभु की शरण पकड़ लो ॥ ३॥ ३ ॥

ਤਿਲੰਗ ਬਾਣੀ ਭਗਤਾ ਕੀ ਕਬੀਰ ਜੀ
तिलंग बाणी भगता की कबीर जी
तिलंग बाणी भगता की कबीर जी

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ਬੇਦ ਕਤੇਬ ਇਫਤਰਾ ਭਾਈ ਦਿਲ ਕਾ ਫਿਕਰੁ ਨ ਜਾਇ ॥
बेद कतेब इफतरा भाई दिल का फिकरु न जाइ ॥
हे जिज्ञासु ! वेद-(ऋगवेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्वेद) तथा कतेब (तौरेत, जंबूर, बाईबल एवं कुरान) का ज्ञान पढ़ने से भी दिल का फिक्र दूर नहीं होता।

ਟੁਕੁ ਦਮੁ ਕਰਾਰੀ ਜਉ ਕਰਹੁ ਹਾਜਿਰ ਹਜੂਰਿ ਖੁਦਾਇ ॥੧॥
टुकु दमु करारी जउ करहु हाजिर हजूरि खुदाइ ॥१॥
यदि एक पल भर के लिए अपने चंचल मन को वश कर लोगे तो खुदा तुम्हारे सामने प्रत्यक्ष दिखाई देगा ॥ १॥

ਬੰਦੇ ਖੋਜੁ ਦਿਲ ਹਰ ਰੋਜ ਨਾ ਫਿਰੁ ਪਰੇਸਾਨੀ ਮਾਹਿ ॥
बंदे खोजु दिल हर रोज ना फिरु परेसानी माहि ॥
हे मनुष्य ! हर रोज खुदा को अपने दिल में ही खोज और परेशानी में मत भटकते रहो।

ਇਹ ਜੁ ਦੁਨੀਆ ਸਿਹਰੁ ਮੇਲਾ ਦਸਤਗੀਰੀ ਨਾਹਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
इह जु दुनीआ सिहरु मेला दसतगीरी नाहि ॥१॥ रहाउ ॥
यह जो दुनिया है, यह खुदा का बनाया हुआ एक जादू का मेला है, इसने मदद नहीं करनी ॥ १॥ रहाउ॥

ਦਰੋਗੁ ਪੜਿ ਪੜਿ ਖੁਸੀ ਹੋਇ ਬੇਖਬਰ ਬਾਦੁ ਬਕਾਹਿ ॥
दरोगु पड़ि पड़ि खुसी होइ बेखबर बादु बकाहि ॥
लोग झूठा ज्ञान पढ़-पढ़कर बड़े खुश होते हैं और बेखबर होने के कारण वाद-विवाद करते रहते हैं।

ਹਕੁ ਸਚੁ ਖਾਲਕੁ ਖਲਕ ਮਿਆਨੇ ਸਿਆਮ ਮੂਰਤਿ ਨਾਹਿ ॥੨॥
हकु सचु खालकु खलक मिआने सिआम मूरति नाहि ॥२॥
सच्चा परमात्मा अपनी बनाई हुई दुनिया में ही बसता है और वह श्याम मूर्ति नहीं है॥ २ ॥

ਅਸਮਾਨ ਮਿ੍ਯਾਨੇ ਲਹੰਗ ਦਰੀਆ ਗੁਸਲ ਕਰਦਨ ਬੂਦ ॥
असमान म्यिाने लहंग दरीआ गुसल करदन बूद ॥
आसमान में नाम रूपी दरिया बहता है, तुझे उस में स्नान करना चाहिए।

ਕਰਿ ਫਕਰੁ ਦਾਇਮ ਲਾਇ ਚਸਮੇ ਜਹ ਤਹਾ ਮਉਜੂਦੁ ॥੩॥
करि फकरु दाइम लाइ चसमे जह तहा मउजूदु ॥३॥
तू सदा ही फकीरी अर्थात् खुदा की बंदगी कर, ज्ञान रूपी चश्मा लगाकर देख, अल्लाह तुझे हर जगह मौजूद नजर आएगा ॥ ३॥

ਅਲਾਹ ਪਾਕੰ ਪਾਕ ਹੈ ਸਕ ਕਰਉ ਜੇ ਦੂਸਰ ਹੋਇ ॥
अलाह पाकं पाक है सक करउ जे दूसर होइ ॥
अल्लाह पाक-पवित्र है। इस बात में शक तो ही करो, यदि उसके अलावा कोई दूसरा हो।

ਕਬੀਰ ਕਰਮੁ ਕਰੀਮ ਕਾ ਉਹੁ ਕਰੈ ਜਾਨੈ ਸੋਇ ॥੪॥੧॥
कबीर करमु करीम का उहु करै जानै सोइ ॥४॥१॥
हे कबीर ! यह सब उस करीम का ही कर्म है, जो उसे ठीक लगता है, वही करता हैं।॥ ४ ॥ १॥

ਨਾਮਦੇਵ ਜੀ ॥
नामदेव जी ॥
नामदेव जी ॥

ਮੈ ਅੰਧੁਲੇ ਕੀ ਟੇਕ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਖੁੰਦਕਾਰਾ ॥
मै अंधुले की टेक तेरा नामु खुंदकारा ॥
हे मालिक ! तेरा नाम ही मुझ अंधे (ज्ञानहीन) को लकड़ी के समान सहारा है।

ਮੈ ਗਰੀਬ ਮੈ ਮਸਕੀਨ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਹੈ ਅਧਾਰਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
मै गरीब मै मसकीन तेरा नामु है अधारा ॥१॥ रहाउ ॥
मैं गरीब एवं मसकीन हूँ और तेरा नाम ही मेरा आसरा है॥ १॥ रहाउ॥

ਕਰੀਮਾਂ ਰਹੀਮਾਂ ਅਲਾਹ ਤੂ ਗਨੀਂ ॥
करीमां रहीमां अलाह तू गनीं ॥
हे करीम, रहीम, अल्लाह ! तू ही धनवान है।

ਹਾਜਰਾ ਹਜੂਰਿ ਦਰਿ ਪੇਸਿ ਤੂੰ ਮਨੀਂ ॥੧॥
हाजरा हजूरि दरि पेसि तूं मनीं ॥१॥
तू ही जीव के सामने साक्षात् है! तू हर समय मेरे अन्दर एवं मेरे सामने रहता है॥ १॥

ਦਰੀਆਉ ਤੂ ਦਿਹੰਦ ਤੂ ਬਿਸੀਆਰ ਤੂ ਧਨੀ ॥
दरीआउ तू दिहंद तू बिसीआर तू धनी ॥
तू दया का दरिया है, तू ही दाता है, तू ही बेअंत है और तू ही धनी है।

ਦੇਹਿ ਲੇਹਿ ਏਕੁ ਤੂੰ ਦਿਗਰ ਕੋ ਨਹੀ ॥੨॥
देहि लेहि एकु तूं दिगर को नही ॥२॥
एक तू ही जीवों को सबकुछ देता और लेता है, तेरे सिवा अन्य कोई नहीं॥ २॥

ਤੂੰ ਦਾਨਾਂ ਤੂੰ ਬੀਨਾਂ ਮੈ ਬੀਚਾਰੁ ਕਿਆ ਕਰੀ ॥
तूं दानां तूं बीनां मै बीचारु किआ करी ॥
तू चतुर है और तू सब को देखने वाला है। मैं तेरे गुणों का क्या विचार करूं ?

ਨਾਮੇ ਚੇ ਸੁਆਮੀ ਬਖਸੰਦ ਤੂੰ ਹਰੀ ॥੩॥੧॥੨॥
नामे चे सुआमी बखसंद तूं हरी ॥३॥१॥२॥
हे नामदेव के स्वामी ! तू सब पर अपनी कृपा करने वाला है॥ ३ ॥ १॥ २ ॥

ਹਲੇ ਯਾਰਾਂ ਹਲੇ ਯਾਰਾਂ ਖੁਸਿਖਬਰੀ ॥
हले यारां हले यारां खुसिखबरी ॥
हे मेरे मित्र ! हे मेरे यार खुशखबरी सुनो !

ਬਲਿ ਬਲਿ ਜਾਂਉ ਹਉ ਬਲਿ ਬਲਿ ਜਾਂਉ ॥
बलि बलि जांउ हउ बलि बलि जांउ ॥
(हे प्रभु !) तुझ पर बार-बार बलिहारी जाता हूँ।

ਨੀਕੀ ਤੇਰੀ ਬਿਗਾਰੀ ਆਲੇ ਤੇਰਾ ਨਾਉ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
नीकी तेरी बिगारी आले तेरा नाउ ॥१॥ रहाउ ॥
मुझे तेरी बेगार बड़ी अच्छी लगती है और तेरा नाम बड़ा प्यारा लगता है॥ १॥ रहाउ॥

ਕੁਜਾ ਆਮਦ ਕੁਜਾ ਰਫਤੀ ਕੁਜਾ ਮੇ ਰਵੀ ॥
कुजा आमद कुजा रफती कुजा मे रवी ॥
तू कहाँ से आया है, तू कहाँ गया था और तूने अब कहाँ जाना है

ਦ੍ਵਾਰਿਕਾ ਨਗਰੀ ਰਾਸਿ ਬੁਗੋਈ ॥੧॥
द्वारिका नगरी रासि बुगोई ॥१॥
यह द्वारिका नगरी है, यहाँ सत्य ही बोलना। ॥ १॥

ਖੂਬੁ ਤੇਰੀ ਪਗਰੀ ਮੀਠੇ ਤੇਰੇ ਬੋਲ ॥
खूबु तेरी पगरी मीठे तेरे बोल ॥
तेरी पगड़ी बहुत सुन्दर है और तेरे बोल बड़े मीठे हैं।

ਦ੍ਵਾਰਿਕਾ ਨਗਰੀ ਕਾਹੇ ਕੇ ਮਗੋਲ ॥੨॥
द्वारिका नगरी काहे के मगोल ॥२॥
द्वारिका नगरी में कोई मुगल कैसे हो सकता है॥ २॥

ਚੰਦੀਂ ਹਜਾਰ ਆਲਮ ਏਕਲ ਖਾਨਾਂ ॥
चंदीं हजार आलम एकल खानां ॥
ब्रह्माण्ड के हजारों भवनों का सिर्फ एक तू ही सुलतान है।

ਹਮ ਚਿਨੀ ਪਾਤਿਸਾਹ ਸਾਂਵਲੇ ਬਰਨਾਂ ॥੩॥
हम चिनी पातिसाह सांवले बरनां ॥३॥
हमने तुझे सांवले रंग के बादशाह के रूप में ही पहचान लिया है अर्थात् तू ही कृष्ण है।॥ ३॥

ਅਸਪਤਿ ਗਜਪਤਿ ਨਰਹ ਨਰਿੰਦ ॥
असपति गजपति नरह नरिंद ॥
तू ही अश्वपति सूर्यदेव है, तू ही गजपति इन्द्रदेव है, तू ही नरों का नरेश ब्रह्मा है।

ਨਾਮੇ ਕੇ ਸ੍ਵਾਮੀ ਮੀਰ ਮੁਕੰਦ ॥੪॥੨॥੩॥
नामे के स्वामी मीर मुकंद ॥४॥२॥३॥
हे नामदेव के स्वामी ! तू मीर मुकुन्द है॥ ४॥ २ ॥ ३ ॥

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