Hindi Page 1070
ਗੁਰਮੁਖਿ ਨਾਮਿ ਸਮਾਇ ਸਮਾਵੈ ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ਹੇ ॥੧੨॥गुरमुखि नामि समाइ समावै नानक नामु धिआई हे ॥१२॥गुरुमुख नाम में लीन रहकर परमात्मा में ही विलीन हो जाता है, हे नानक ! वह परमात्मा के नाम का ही मनन करता रहता है।॥ १२॥ ਭਗਤਾ ਮੁਖਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਹੈ ਬਾਣੀ ॥भगता मुखि अम्रित है बाणी ॥भक्तों के मुँह