HINDI PAGE 727
ਜੀਵਤ ਲਉ ਬਿਉਹਾਰੁ ਹੈ ਜਗ ਕਉ ਤੁਮ ਜਾਨਉ ॥जीवत लउ बिउहारु है जग कउ तुम जानउ ॥इस जगत् को तुम यू जानो कि इसका व्यवहार इन्सान के जीवन तक ही रहता है। ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਇ ਲੈ ਸਭ ਸੁਫਨ ਸਮਾਨਉ ॥੨॥੨॥नानक हरि गुन गाइ लै सभ सुफन समानउ ॥२॥२॥है नानक! हरि का गुणगान कर लो,