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ਜੀਵਤ ਲਉ ਬਿਉਹਾਰੁ ਹੈ ਜਗ ਕਉ ਤੁਮ ਜਾਨਉ ॥जीवत लउ बिउहारु है जग कउ तुम जानउ ॥इस जगत् को तुम यू जानो कि इसका व्यवहार इन्सान के जीवन तक ही रहता है। ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਇ ਲੈ ਸਭ ਸੁਫਨ ਸਮਾਨਉ ॥੨॥੨॥नानक हरि गुन गाइ लै सभ सुफन समानउ ॥२॥२॥है नानक! हरि का गुणगान कर लो,

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ਜੋ ਗੁਰਸਿਖ ਗੁਰੁ ਸੇਵਦੇ ਸੇ ਪੁੰਨ ਪਰਾਣੀ ॥जो गुरसिख गुरु सेवदे से पुंन पराणी ॥जो गुरु के शिष्य अपने गुरु की सेवा करते हैं, वे उत्तम प्राणी हैं। ਜਨੁ ਨਾਨਕੁ ਤਿਨ ਕਉ ਵਾਰਿਆ ਸਦਾ ਸਦਾ ਕੁਰਬਾਣੀ ॥੧੦॥जनु नानकु तिन कउ वारिआ सदा सदा कुरबाणी ॥१०॥नानक उन पर ही न्योछावर है और सदा उन पर कुर्बान

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ਮੇਰੈ ਕੰਤ ਨ ਭਾਵੈ ਚੋਲੜਾ ਪਿਆਰੇ ਕਿਉ ਧਨ ਸੇਜੈ ਜਾਏ ॥੧मेरै कंत न भावै चोलड़ा पिआरे किउ धन सेजै जाए ॥१॥इसलिए मेरा यह तन रूपी चोला मेरे पति-प्रभु को अच्छा नहीं लगता, मैं उसकी सेज पर कैसे जाऊँ ?॥ १॥ ਹੰਉ ਕੁਰਬਾਨੈ ਜਾਉ ਮਿਹਰਵਾਨਾ ਹੰਉ ਕੁਰਬਾਨੈ ਜਾਉ ॥हंउ कुरबानै जाउ मिहरवाना हंउ कुरबानै जाउ ॥हे

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ਰਾਗੁ ਬੈਰਾੜੀ ਮਹਲਾ ੪ ਘਰੁ ੧ ਦੁਪਦੇरागु बैराड़ी महला ४ घरु १ दुपदेरागु बैराड़ी महला ४ घरु १ दुपदे ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ओंकार वही एक है, जिसे सच्चे गुरु की कृपा से पाया जा सकता है। ਸੁਨਿ ਮਨ ਅਕਥ ਕਥਾ ਹਰਿ ਨਾਮ ॥सुनि मन अकथ कथा हरि नाम ॥हे मेरे मन !

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ਨਾਨਕ ਜਿ ਗੁਰਮੁਖਿ ਕਰਹਿ ਸੋ ਪਰਵਾਣੁ ਹੈ ਜੋ ਨਾਮਿ ਰਹੇ ਲਿਵ ਲਾਇ ॥੨॥नानक जि गुरमुखि करहि सो परवाणु है जो नामि रहे लिव लाइ ॥२॥हे नानक ! गुरुमुख जो कुछ भी करते हैं वह स्वीकृत हैं, चूंकि उनकी सुरति भगवान के नाम में ही लगी रहती है ॥२॥ ਪਉੜੀ ॥पउड़ी ॥पउड़ी। ਹਉ ਬਲਿਹਾਰੀ ਤਿੰਨ ਕੰਉ

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ਸਲੋਕੁ ਮਃ ੩ ॥सलोकु मः ३ ॥श्लोक महला ३॥ ਵਿਣੁ ਨਾਵੈ ਸਭਿ ਭਰਮਦੇ ਨਿਤ ਜਗਿ ਤੋਟਾ ਸੈਸਾਰਿ ॥विणु नावै सभि भरमदे नित जगि तोटा सैसारि ॥नाम से विहीन सभी व्यक्ति नित्य भटकते ही रहते हैं और संसार में उनकी क्षति ही होती रहती है। ਮਨਮੁਖਿ ਕਰਮ ਕਮਾਵਣੇ ਹਉਮੈ ਅੰਧੁ ਗੁਬਾਰੁ ॥मनमुखि करम कमावणे हउमै अंधु

HINDI PAGE 632

ਅੰਤਿ ਸੰਗ ਕਾਹੂ ਨਹੀ ਦੀਨਾ ਬਿਰਥਾ ਆਪੁ ਬੰਧਾਇਆ ॥੧॥अंति संग काहू नही दीना बिरथा आपु बंधाइआ ॥१॥जीवन के अन्तिम क्षणों में किसी ने भी तेरा साथ नहीं देना और तूने निरर्थक ही खुद को लौकिक पदार्थों में फंसा लिया है॥ १॥ ਨਾ ਹਰਿ ਭਜਿਓ ਨ ਗੁਰ ਜਨੁ ਸੇਵਿਓ ਨਹ ਉਪਜਿਓ ਕਛੁ ਗਿਆਨਾ ॥ना हरि भजिओ

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ਜਿਹ ਜਨ ਓਟ ਗਹੀ ਪ੍ਰਭ ਤੇਰੀ ਸੇ ਸੁਖੀਏ ਪ੍ਰਭ ਸਰਣੇ ॥जिह जन ओट गही प्रभ तेरी से सुखीए प्रभ सरणे ॥हे प्रभु ! जिन भक्तों ने तेरी ओट ली है, वे तेरी शरण में सुख भोगते हैं। ਜਿਹ ਨਰ ਬਿਸਰਿਆ ਪੁਰਖੁ ਬਿਧਾਤਾ ਤੇ ਦੁਖੀਆ ਮਹਿ ਗਨਣੇ ॥੨॥जिह नर बिसरिआ पुरखु बिधाता ते दुखीआ महि गनणे

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ਆਪੇ ਹੀ ਸੂਤਧਾਰੁ ਹੈ ਪਿਆਰਾ ਸੂਤੁ ਖਿੰਚੇ ਢਹਿ ਢੇਰੀ ਹੋਇ ॥੧॥आपे ही सूतधारु है पिआरा सूतु खिंचे ढहि ढेरी होइ ॥१॥वह प्यारा प्रभु स्वयं ही सूत्रधार है, जब वह सूत्र खींच लेता है तो दुनिया नाश हो जाती है॥ १॥ ਮੇਰੇ ਮਨ ਮੈ ਹਰਿ ਬਿਨੁ ਅਵਰੁ ਨ ਕੋਇ ॥मेरे मन मै हरि बिनु अवरु न

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ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ੴ सति नामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुरप्रसादि ॥ईश्वर एक है, उसका नाम सदैव सत्य है, वह जगत का रचयिता है, सर्वशक्तिमान है, निर्भय है, उसका किसी से कोई वैर नहीं, वह मायातीत अमर है, जन्म-मरण के चक्र से

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