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ਨਾਨਕ ਸਬਦਿ ਮਿਲੈ ਭਉ ਭੰਜਨੁ ਹਰਿ ਰਾਵੈ ਮਸਤਕਿ ਭਾਗੋ ॥੩॥नानक सबदि मिलै भउ भंजनु हरि रावै मसतकि भागो ॥३॥हे नानक ! शब्द द्वारा ही भय का नाश करने वाला हरि मिलता है और जीवात्मा मस्तक के भाग्य द्वारा ही उससे रमण करती है॥ ३॥ ਖੇਤੀ ਵਣਜੁ ਸਭੁ ਹੁਕਮੁ ਹੈ ਹੁਕਮੇ ਮੰਨਿ ਵਡਿਆਈ ਰਾਮ ॥खेती वणजु

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ਤੁਧੁ ਆਪੇ ਕਾਰਣੁ ਆਪੇ ਕਰਣਾ ॥तुधु आपे कारणु आपे करणा ॥तू आप ही कारण और आप ही करने वाला है। ਹੁਕਮੇ ਜੰਮਣੁ ਹੁਕਮੇ ਮਰਣਾ ॥੨॥हुकमे जमणु हुकमे मरणा ॥२॥तेरे हुक्म में ही जीवों का जन्म होता है और तेरे हुक्म में उनकी मृत्यु होती है॥ २॥ ਨਾਮੁ ਤੇਰਾ ਮਨ ਤਨ ਆਧਾਰੀ ॥नामु तेरा मन तन

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ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਮੇਲਾਵੈ ਮੇਰਾ ਪ੍ਰੀਤਮੁ ਹਉ ਵਾਰਿ ਵਾਰਿ ਆਪਣੇ ਗੁਰੂ ਕਉ ਜਾਸਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥गुरु पूरा मेलावै मेरा प्रीतमु हउ वारि वारि आपणे गुरू कउ जासा ॥१॥ रहाउ ॥पूर्ण गुरु ही मुझे मेरे प्रियतम-प्रभु से मिलाता है और अपने गुरु पर मैं करोड़ों बार न्यौछावर होता हूँ ॥१॥ रहाउ॥ ਮੈ ਅਵਗਣ ਭਰਪੂਰਿ ਸਰੀਰੇ ॥मै अवगण

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ਮਨਮੁਖ ਮੂਲਹੁ ਭੁਲਾਇਅਨੁ ਵਿਚਿ ਲਬੁ ਲੋਭੁ ਅਹੰਕਾਰੁ ॥मनमुख मूलहु भुलाइअनु विचि लबु लोभु अहंकारु ॥स्वेच्छाचारी जीव आदि काल से ही कुमार्गगामी हुआ है, चूंकि उसके अंदर लालच, लोभ एवं अहंकार भरा हुआ है। ਝਗੜਾ ਕਰਦਿਆ ਅਨਦਿਨੁ ਗੁਦਰੈ ਸਬਦਿ ਨ ਕਰੈ ਵੀਚਾਰੁ ॥झगड़ा करदिआ अनदिनु गुदरै सबदि न करै वीचारु ॥झगड़ा करते हुए ही उसके रात-दिन

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ਭਗਤ ਤੇਰੇ ਦਇਆਲ ਓਨੑਾ ਮਿਹਰ ਪਾਇ ॥भगत तेरे दइआल ओन्हा मिहर पाइ ॥हे दयानिधि ! ये भक्त तेरे ही हैं, उन पर अपनी मेहर कर। ਦੂਖੁ ਦਰਦੁ ਵਡ ਰੋਗੁ ਨ ਪੋਹੇ ਤਿਸੁ ਮਾਇ ॥दूखु दरदु वड रोगु न पोहे तिसु माइ ॥दुःख, दर्द, बड़ा रोग एवं माया उनको स्पर्श नहीं कर सकती। ਭਗਤਾ ਏਹੁ ਅਧਾਰੁ

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ਨਾਨਕ ਸਾ ਕਰਮਾਤਿ ਸਾਹਿਬ ਤੁਠੈ ਜੋ ਮਿਲੈ ॥੧॥नानक सा करमाति साहिब तुठै जो मिलै ॥१॥हे नानक ! अदभुत देन वह है, जो प्रभु की कृपा-दृष्टि होने पर प्राप्त होती है॥ १॥ ਮਹਲਾ ੨ ॥महला २ ॥महला २॥ ਏਹ ਕਿਨੇਹੀ ਚਾਕਰੀ ਜਿਤੁ ਭਉ ਖਸਮ ਨ ਜਾਇ ॥एह किनेही चाकरी जितु भउ खसम न जाइ ॥यह कैसी

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ਪਿਰੁ ਸੰਗਿ ਕਾਮਣਿ ਜਾਣਿਆ ਗੁਰਿ ਮੇਲਿ ਮਿਲਾਈ ਰਾਮ ॥पिरु संगि कामणि जाणिआ गुरि मेलि मिलाई राम ॥गुरु ने जिस जीव-स्त्री को अपनी संगति में मिला कर प्रभु से मिला दिया है, उसने जान लिया है कि उसका पति-प्रभु तो उसके साथ ही रहता है। ਅੰਤਰਿ ਸਬਦਿ ਮਿਲੀ ਸਹਜੇ ਤਪਤਿ ਬੁਝਾਈ ਰਾਮ ॥अंतरि सबदि मिली सहजे

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ਓਹੁ ਜੇਵ ਸਾਇਰ ਦੇਇ ਲਹਰੀ ਬਿਜੁਲ ਜਿਵੈ ਚਮਕਏ ॥ओहु जेव साइर देइ लहरी बिजुल जिवै चमकए ॥वह फल ऐसे है जैसे समुद्र की लहरें उत्पन्न होती हैं और बिजली की चमक की भाँति अस्थिर होता है। ਹਰਿ ਬਾਝੁ ਰਾਖਾ ਕੋਇ ਨਾਹੀ ਸੋਇ ਤੁਝਹਿ ਬਿਸਾਰਿਆ ॥हरि बाझु राखा कोइ नाही सोइ तुझहि बिसारिआ ॥हरि के अलावा

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ਰਾਗੁ ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੧ ਛੰਤ ਘਰੁ ੨रागु आसा महला १ छंत घरु २रागु आसा महला १ छंत घरु २ ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है। ਤੂੰ ਸਭਨੀ ਥਾਈ ਜਿਥੈ ਹਉ ਜਾਈ ਸਾਚਾ ਸਿਰਜਣਹਾਰੁ ਜੀਉ ॥तूं सभनी थाई जिथै हउ जाई साचा सिरजणहारु जीउ

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ਕਰਿ ਮਜਨੋ ਸਪਤ ਸਰੇ ਮਨ ਨਿਰਮਲ ਮੇਰੇ ਰਾਮ ॥करि मजनो सपत सरे मन निरमल मेरे राम ॥हे मेरे मन ! सात सागर रूपी गुरु की संगति का स्नान करने से मन निर्मल हो जाता है। ਨਿਰਮਲ ਜਲਿ ਨੑਾਏ ਜਾ ਪ੍ਰਭ ਭਾਏ ਪੰਚ ਮਿਲੇ ਵੀਚਾਰੇ ॥निरमल जलि न्हाए जा प्रभ भाए पंच मिले वीचारे ॥जब प्रभु

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