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ਤੂ ਆਪੇ ਕਰਤਾ ਤੇਰਾ ਕੀਆ ਸਭੁ ਹੋਇ ॥तू आपे करता तेरा कीआ सभु होइ ॥तुम स्वयं रचयिता हो, तुम्हारे आदेश से ही सब कुछ होता है। ਤੁਧੁ ਬਿਨੁ ਦੂਜਾ ਅਵਰੁ ਨ ਕੋਇ ॥तुधु बिनु दूजा अवरु न कोइ ॥तुम्हारे अतिरिक्त अन्य दूसरा कोई नहीं है। ਤੂ ਕਰਿ ਕਰਿ ਵੇਖਹਿ ਜਾਣਹਿ ਸੋਇ ॥तू करि करि वेखहि

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ਤੂੰ ਘਟ ਘਟ ਅੰਤਰਿ ਸਰਬ ਨਿਰੰਤਰਿ ਜੀ ਹਰਿ ਏਕੋ ਪੁਰਖੁ ਸਮਾਣਾ ॥तूं घट घट अंतरि सरब निरंतरि जी हरि एको पुरखु समाणा ॥सर्वव्यापक निरंकार समस्त प्राणियों के हृदय में अभेद समा रहा है। ਇਕਿ ਦਾਤੇ ਇਕਿ ਭੇਖਾਰੀ ਜੀ ਸਭਿ ਤੇਰੇ ਚੋਜ ਵਿਡਾਣਾ ॥इकि दाते इकि भेखारी जी सभि तेरे चोज विडाणा ॥संसार में कोई दाता

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ਜਿਨਿ ਦਿਨੁ ਕਰਿ ਕੈ ਕੀਤੀ ਰਾਤਿ ॥जिनि दिनु करि कै कीती राति ॥जिस ने दिन बनाकर फिर रात की रचना की है। ਖਸਮੁ ਵਿਸਾਰਹਿ ਤੇ ਕਮਜਾਤਿ ॥खसमु विसारहि ते कमजाति ॥ऐसे परमेश्वर को जो विस्मृत कर दे वह नीच है। ਨਾਨਕ ਨਾਵੈ ਬਾਝੁ ਸਨਾਤਿ ॥੪॥੩॥नानक नावै बाझु सनाति ॥४॥३॥गुरु नानक जी कहते हैं कि परमात्मा

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ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਜਤੀ ਸਤੀ ਸੰਤੋਖੀ ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਵੀਰ ਕਰਾਰੇ ॥गावनि तुधनो जती सती संतोखी गावनि तुधनो वीर करारे ॥तुम्हारा गुणगान यति, सत्यवादी व संतोषी व्यक्ति भी कर रहे हैं और शूरवीर भी तुम्हारे गुणों की प्रशंसा कर रहे हैं।    ਗਾਵਨਿ ਤੁਧਨੋ ਪੰਡਿਤ ਪੜਨਿ ਰਖੀਸੁਰ ਜੁਗੁ ਜੁਗੁ ਵੇਦਾ ਨਾਲੇ ॥गावनि तुधनो पंडित पड़नि रखीसुर जुगु जुगु

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ਸਰਮ ਖੰਡ ਕੀ ਬਾਣੀ ਰੂਪੁ ॥सरम खंड की बाणी रूपु ॥(श्रम खंड में परमेश्वर की भक्ति को प्रमुख माना गया है) परमेश्वर की भक्ति करने का उद्यम करने वाले संतजनों की वाणी मधुर है। ਤਿਥੈ ਘਾੜਤਿ ਘੜੀਐ ਬਹੁਤੁ ਅਨੂਪੁ ॥तिथै घाड़ति घड़ीऐ बहुतु अनूपु ॥वहाँ (श्रम खण्ड में) पर अद्वितीय सुन्दरता वाले स्वरूप की गढ़न

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ਆਦੇਸੁ ਤਿਸੈ ਆਦੇਸੁ ॥आदेसु तिसै आदेसु ॥नमस्कार है, सिर्फ उस सर्गुण स्वरूप निरंकार को नमस्कार है। ਆਦਿ ਅਨੀਲੁ ਅਨਾਦਿ ਅਨਾਹਤਿ ਜੁਗੁ ਜੁਗੁ ਏਕੋ ਵੇਸੁ ॥੨੯॥आदि अनीलु अनादि अनाहति जुगु जुगु एको वेसु ॥२९॥जो सभी का मूल, रंग रहित, पवित्र स्वरूप, आदि रहित, अनश्वर व अपरिवर्तनीय स्वरूप है II २९ II ਏਕਾ ਮਾਈ ਜੁਗਤਿ ਵਿਆਈ ਤਿਨਿ

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ਆਖਹਿ ਗੋਪੀ ਤੈ ਗੋਵਿੰਦ ॥आखहि गोपी तै गोविंद ॥ गिरिधर गोपाल कृष्ण तथा उसकी गोपियाँ भी उस निरंकार का गुणगान करती हैं । ਆਖਹਿ ਈਸਰ ਆਖਹਿ ਸਿਧ ॥आखहि ईसर आखहि सिध ॥   महादेव तथा गोरख आदि सिद्ध भी उसकी कीर्ति को कहते हैं । ਆਖਹਿ ਕੇਤੇ ਕੀਤੇ ਬੁਧ ॥आखहि केते कीते बुध ॥उस सृष्टिकर्ता ने इस जगत्

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ਨਾਨਕ ਆਖਣਿ ਸਭੁ ਕੋ ਆਖੈ ਇਕ ਦੂ ਇਕੁ ਸਿਆਣਾ ॥नानक आखणि सभु को आखै इक दू इकु सिआणा ॥सतगुरु जी कहते हैं कि कहने को तो हर कोई एक दूसरे से अधिक बुद्धिमान बनकर उस परमात्मा की श्लाघा को कहता है। ਵਡਾ ਸਾਹਿਬੁ ਵਡੀ ਨਾਈ ਕੀਤਾ ਜਾ ਕਾ ਹੋਵੈ ॥वडा साहिबु वडी नाई कीता जा

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ਅਸੰਖ ਭਗਤ ਗੁਣ ਗਿਆਨ ਵੀਚਾਰ ॥असंख भगत गुण गिआन वीचार ॥असंख्य ऐसे भक्तजन हैं जो उस गुणी निरंकार के गुणों को विचार कर ज्ञान की उपलब्धि करते हैं। ਅਸੰਖ ਸਤੀ ਅਸੰਖ ਦਾਤਾਰ ॥असंख सती असंख दातार ॥असंख्य सत्य को जानने वाले अथवा परमार्थ-पथ पर चलने वाले तथा दानी सज्जन हैं। ਅਸੰਖ ਸੂਰ ਮੁਹ ਭਖ ਸਾਰ

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ਸੁਣਿਐ ਦੂਖ ਪਾਪ ਕਾ ਨਾਸੁ ॥੯॥सुणिऐ दूख पाप का नासु ॥९॥परमात्मा का नाम सुनने से समस्त दुखों व दुष्कर्मो का नाश होता है II ९ II ਸੁਣਿਐ ਸਤੁ ਸੰਤੋਖੁ ਗਿਆਨੁ ॥सुणिऐ सतु संतोखु गिआनु ॥नाम सुनने से मनुष्य को सत्य, संतोष व ज्ञान जैसे मूल धमों की प्राप्ति होती है। ਸੁਣਿਐ ਅਠਸਠਿ ਕਾ ਇਸਨਾਨੁ ॥सुणिऐ

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