Hindi Page 66

ਸਿਰੀਰਾਗੁ ਮਹਲਾ ੩ ॥सिरीरागु महला ३ ॥श्रीरागु महला ३ ॥ ਪੰਖੀ ਬਿਰਖਿ ਸੁਹਾਵੜਾ ਸਚੁ ਚੁਗੈ ਗੁਰ ਭਾਇ ॥पंखी बिरखि सुहावड़ा सचु चुगै गुर भाइ ॥जीव रूपी पक्षी, शरीर रूपी सुन्दर वृक्ष पर विराजमान होकर गुरु जी की इच्छानुसार सत्य नाम रूपी दाना चुगता है। ਹਰਿ ਰਸੁ ਪੀਵੈ ਸਹਜਿ ਰਹੈ ਉਡੈ ਨ ਆਵੈ ਜਾਇ ॥हरि रसु

Hindi Page 65

ਸਤਿਗੁਰੁ ਸੇਵਿ ਗੁਣ ਨਿਧਾਨੁ ਪਾਇਆ ਤਿਸ ਕੀ ਕੀਮ ਨ ਪਾਈ ॥सतिगुरु सेवि गुण निधानु पाइआ तिस की कीम न पाई ॥जिसने सतिगुरु की भरपूर सेवा करके गुणों के भण्डार प्रभु को प्राप्त कर लिया है उसका मूल्य नहीं आंका जा सकता। ਪ੍ਰਭੁ ਸਖਾ ਹਰਿ ਜੀਉ ਮੇਰਾ ਅੰਤੇ ਹੋਇ ਸਖਾਈ ॥੩॥प्रभु सखा हरि जीउ मेरा अंते

Hindi Page 64

ਸਭੁ ਜਗੁ ਕਾਜਲ ਕੋਠੜੀ ਤਨੁ ਮਨੁ ਦੇਹ ਸੁਆਹਿ ॥सभु जगु काजल कोठड़ी तनु मनु देह सुआहि ॥यह संसार कालिख की कुटिया है। शरीर, आत्मा एवं मनुष्य तन सब उसके साथ काले हो जाते हैं। ਗੁਰਿ ਰਾਖੇ ਸੇ ਨਿਰਮਲੇ ਸਬਦਿ ਨਿਵਾਰੀ ਭਾਹਿ ॥੭॥गुरि राखे से निरमले सबदि निवारी भाहि ॥७॥लेकिन जिनकी गुरु जी स्वयं रक्षा करते

Hindi Page 63

ਮਨਮੁਖੁ ਜਾਣੈ ਆਪਣੇ ਧੀਆ ਪੂਤ ਸੰਜੋਗੁ ॥मनमुखु जाणै आपणे धीआ पूत संजोगु ॥कुमार्गी पुरुष पुत्र-पुत्रियों एवं सगे-संबंधियों को अपना मान बैठता है ਨਾਰੀ ਦੇਖਿ ਵਿਗਾਸੀਅਹਿ ਨਾਲੇ ਹਰਖੁ ਸੁ ਸੋਗੁ ॥नारी देखि विगासीअहि नाले हरखु सु सोगु ॥वह अपनी गृहलक्ष्मी पत्नी को देख कर बड़ा प्रसन्न होता है। उसे हर्ष-शोक दोनों का सामना करना पड़ता है।

Hindi Page 62

ਸਰਬੇ ਥਾਈ ਏਕੁ ਤੂੰ ਜਿਉ ਭਾਵੈ ਤਿਉ ਰਾਖੁ ॥सरबे थाई एकु तूं जिउ भावै तिउ राखु ॥हे जगत के पालनहार ! तुम सर्वव्यापक हो, संसार के कण-कण में तुम विद्यमान हो। जिस तरह तुझे लुभाता है उसी तरह मेरी रक्षा करो। ਗੁਰਮਤਿ ਸਾਚਾ ਮਨਿ ਵਸੈ ਨਾਮੁ ਭਲੋ ਪਤਿ ਸਾਖੁ ॥गुरमति साचा मनि वसै नामु भलो

Hindi Page 61

ਸਾਚਿ ਸਹਜਿ ਸੋਭਾ ਘਣੀ ਹਰਿ ਗੁਣ ਨਾਮ ਅਧਾਰਿ ॥साचि सहजि सोभा घणी हरि गुण नाम अधारि ॥सत्य ईश्वर के यशोगान से उन्हें सहज अवस्था की उपलब्धि होती है और मनुष्य बहुत शोभा प्राप्त करता है। वे हरि नाम के सहारे रहते हैं। ਜਿਉ ਭਾਵੈ ਤਿਉ ਰਖੁ ਤੂੰ ਮੈ ਤੁਝ ਬਿਨੁ ਕਵਨੁ ਭਤਾਰੁ ॥੩॥जिउ भावै तिउ

Hindi Page 60

ਮਨ ਰੇ ਕਿਉ ਛੂਟਹਿ ਬਿਨੁ ਪਿਆਰ ॥lमन रे किउ छूटहि बिनु पिआर ॥हे मेरे मन ! प्रभु से प्रेम के बिना तेरी मुक्ति किस तरह होगी ? ਗੁਰਮੁਖਿ ਅੰਤਰਿ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਬਖਸੇ ਭਗਤਿ ਭੰਡਾਰ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥गुरमुखि अंतरि रवि रहिआ बखसे भगति भंडार ॥१॥ रहाउ ॥भगवान तो गुरु के हृदय में निवास करता है और

Hindi Page 59

ਸਾਹਿਬੁ ਅਤੁਲੁ ਨ ਤੋਲੀਐ ਕਥਨਿ ਨ ਪਾਇਆ ਜਾਇ ॥੫॥साहिबु अतुलु न तोलीऐ कथनि न पाइआ जाइ ॥५॥वह साहिब (प्रभु) अतुल्य है जिसे किसी वस्तु के समक्ष तोला नहीं जा सकता, उसकी प्राप्ति सिर्फ कहने या बाते करने से नहीं हो सकती ॥ ५ ॥ ਵਾਪਾਰੀ ਵਣਜਾਰਿਆ ਆਏ ਵਜਹੁ ਲਿਖਾਇ ॥वापारी वणजारिआ आए वजहु लिखाइ ॥जीव

Hindi Page 58

ਭਾਈ ਰੇ ਅਵਰੁ ਨਾਹੀ ਮੈ ਥਾਉ ॥भाई रे अवरु नाही मै थाउ ॥हे भाई ! गुरु के बिना मेरा अन्य कोई भी स्थान नहीं। ਮੈ ਧਨੁ ਨਾਮੁ ਨਿਧਾਨੁ ਹੈ ਗੁਰਿ ਦੀਆ ਬਲਿ ਜਾਉ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥मै धनु नामु निधानु है गुरि दीआ बलि जाउ ॥१॥ रहाउ ॥गुरु ने कृपा करके मुझे हरि-नाम की दौलत का

Hindi Page 57

ਤ੍ਰਿਭਵਣਿ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਜਾਣੀਐ ਸਾਚੋ ਸਾਚੈ ਨਾਇ ॥੫॥त्रिभवणि सो प्रभु जाणीऐ साचो साचै नाइ ॥५॥ सत्य प्रभु के नाम द्वारा वह उसे पहचान लेते हैं, जो पाताल, धरती एवं आकाश तीनों लोकों में रहता है॥ ५॥ ਸਾ ਧਨ ਖਰੀ ਸੁਹਾਵਣੀ ਜਿਨਿ ਪਿਰੁ ਜਾਤਾ ਸੰਗਿ ॥सा धन खरी सुहावणी जिनि पिरु जाता संगि ॥ वह जीव-स्त्री बहुत ही

error: Content is protected !!