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ਮੇਰੇ ਮਨ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇ ॥मेरे मन हरि हरि नामु धिआइ ॥   हे मेरे मन ! तू हरि-परमेश्वर के नाम का ध्यान किया करो।    ਨਾਮੁ ਸਹਾਈ ਸਦਾ ਸੰਗਿ ਆਗੈ ਲਏ ਛਡਾਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥नामु सहाई सदा संगि आगै लए छडाइ ॥१॥ रहाउ ॥  चूंकि भगवान का नाम-सिमरन ही सदैव साथ रहता है और सहायक होता है

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ਮੇਰੇ ਮਨ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇ ॥मेरे मन हरि हरि नामु धिआइ ॥   हे मेरे मन ! तू हरि-परमेश्वर के नाम का ध्यान किया करो।    ਨਾਮੁ ਸਹਾਈ ਸਦਾ ਸੰਗਿ ਆਗੈ ਲਏ ਛਡਾਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥नामु सहाई सदा संगि आगै लए छडाइ ॥१॥ रहाउ ॥  चूंकि भगवान का नाम-सिमरन ही सदैव साथ रहता है और सहायक होता है

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ਸਾਧੂ ਸੰਗੁ ਮਸਕਤੇ ਤੂਠੈ ਪਾਵਾ ਦੇਵ ॥साधू संगु मसकते तूठै पावा देव ॥हे गुरुदेव ! आपकी प्रसन्नता से ही साधु-संगति एवं नाम-सिमरन का कठिन परिश्रम किया जा सकता है। ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਵਸਗਤਿ ਸਾਹਿਬੈ ਆਪੇ ਕਰਣ ਕਰੇਵ ॥सभु किछु वसगति साहिबै आपे करण करेव ॥ सृष्टि के समस्त कार्य सच्चे पातशाह के अधीन हैं, वह स्वयं ही

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ਸਿਰੀਰਾਗੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥सिरीरागु महला ५ ॥  श्रीरागु महला ५ ॥    ਭਲਕੇ ਉਠਿ ਪਪੋਲੀਐ ਵਿਣੁ ਬੁਝੇ ਮੁਗਧ ਅਜਾਣਿ ॥भलके उठि पपोलीऐ विणु बुझे मुगध अजाणि ॥  मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर अपनी देहि का पालन-पोषण करता है, किन्तु जब तक ईश्वर बारे ज्ञान नहीं होता, वह मूर्ख तथा नासमझ ही बना रहता है।    ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਚਿਤਿ ਨ ਆਇਓ

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ਓਨੀ ਚਲਣੁ ਸਦਾ ਨਿਹਾਲਿਆ ਹਰਿ ਖਰਚੁ ਲੀਆ ਪਤਿ ਪਾਇ ॥ओनी चलणु सदा निहालिआ हरि खरचु लीआ पति पाइ ॥  वह सदैव मृत्यु को अपने नेत्रों के समक्ष रखते हैं और प्रवास हेतु व्यय के लिए परमेश्वर के नाम की राशि एकत्र करते हैं, जिससे लोकों में उन्हें मान-यश प्राप्त होता है।    ਗੁਰਮੁਖਿ ਦਰਗਹ ਮੰਨੀਅਹਿ ਹਰਿ ਆਪਿ

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ਸਿਰੀਰਾਗੁ ਮਹਲਾ ੪ ॥सिरीरागु महला ४ ॥  श्रीरागु महला ੪ ॥    ਹਉ ਪੰਥੁ ਦਸਾਈ ਨਿਤ ਖੜੀ ਕੋਈ ਪ੍ਰਭੁ ਦਸੇ ਤਿਨਿ ਜਾਉ ॥हउ पंथु दसाई नित खड़ी कोई प्रभु दसे तिनि जाउ ॥   जीव रूपी नारी नित्य खड़ी होकर कहती है कि मैं प्रतिदिन अपने प्रियतम प्रभु का मार्ग देखती रहती हूँ कि यदि कोई मुझे मार्गदर्शन करे

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ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਸੁਣਦਾ ਵੇਖਦਾ ਕਿਉ ਮੁਕਰਿ ਪਇਆ ਜਾਇ ॥ सभु किछु सुणदा वेखदा किउ मुकरि पइआ जाइ ॥ परमात्मा हमारा सब-कुछ कहा व किया, सुनता व देखता है, फिर उसके समक्ष कैसे इन्कार किया जा सकता है। God sees and hears everything (we do or say), so how can anyone can Him. ਪਾਪੋ ਪਾਪੁ ਕਮਾਵਦੇ

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ਇਹੁ ਜਨਮੁ ਪਦਾਰਥੁ ਪਾਇ ਕੈ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਨ ਚੇਤੈ ਲਿਵ ਲਾਇ ॥ इहु जनमु पदारथु पाइ कै हरि नामु न चेतै लिव लाइ ॥ यह मानव-जन्म रूपी पदार्थ पाकर जो जीव एकाग्रचित होकर प्रभु-नाम को स्मरण नहीं करता। In spite of having been blessed with this human life, many people do not recite Naam with

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ਆਦੇਸੁ ਤਿਸੈ ਆਦੇਸੁ ॥ आदेसु तिसै आदेसु ॥ नमस्कार है, सिर्फ उस सर्गुण स्वरूप निरंकार को नमस्कार है। Let us salute that Almighty God, ਆਦਿ ਅਨੀਲੁ ਅਨਾਦਿ ਅਨਾਹਤਿ ਜੁਗੁ ਜੁਗੁ ਏਕੋ ਵੇਸੁ ॥੨੯॥ आदि अनीलु अनादि अनाहति जुगु जुगु एको वेसु ॥२९॥ जो सभी का मूल, रंग रहित, पवित्र स्वरूप, आदि रहित, अनश्वर व अपरिवर्तनीय

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ਗੂਜਰੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥ రాగ్ గూజ్రీ, ఐదవ గురువు: ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਅਪਨਾ ਦਰਸੁ ਦੀਜੈ ਜਸੁ ਗਾਵਉ ਨਿਸਿ ਅਰੁ ਭੋਰ ॥ ఓ దేవుడా, దయను చూపి, నీ దృష్టిని నాకు ఇవ్వండి; నన్ను స్తుతించండి, నేను రాత్రిపూట నీ స్తుతులను పాడుతూ ఉంటాను. ਕੇਸ ਸੰਗਿ ਦਾਸ ਪਗ ਝਾਰਉ ਇਹੈ ਮਨੋਰਥ ਮੋਰ ॥੧॥ ఇది నా జీవిత ఉద్దేశ్యం, నేను మీ భక్తులకు నా జుట్టుతో వారి పాదాలను

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