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ਮੇਰੇ ਮਨ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇ ॥मेरे मन हरि हरि नामु धिआइ ॥ हे मेरे मन ! तू हरि-परमेश्वर के नाम का ध्यान किया करो। ਨਾਮੁ ਸਹਾਈ ਸਦਾ ਸੰਗਿ ਆਗੈ ਲਏ ਛਡਾਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥नामु सहाई सदा संगि आगै लए छडाइ ॥१॥ रहाउ ॥ चूंकि भगवान का नाम-सिमरन ही सदैव साथ रहता है और सहायक होता है