ਆਦੇਸੁ ਤਿਸੈ ਆਦੇਸੁ ॥
आदेसु तिसै आदेसु ॥
नमस्कार है, सिर्फ उस सर्गुण स्वरूप निरंकार को नमस्कार है।
Let us salute that Almighty God,
ਆਦਿ ਅਨੀਲੁ ਅਨਾਦਿ ਅਨਾਹਤਿ ਜੁਗੁ ਜੁਗੁ ਏਕੋ ਵੇਸੁ ॥੨੯॥
आदि अनीलु अनादि अनाहति जुगु जुगु एको वेसु ॥२९॥
जो सभी का मूल, रंग रहित, पवित्र स्वरूप, आदि रहित, अनश्वर व अपरिवर्तनीय स्वरूप है II २९ II
Who is eternal, immaculate, without beginning, indestructible and unchanging through the ages.
ਏਕਾ ਮਾਈ ਜੁਗਤਿ ਵਿਆਈ ਤਿਨਿ ਚੇਲੇ ਪਰਵਾਣੁ ॥
एका माई जुगति विआई तिनि चेले परवाणु ॥
एक ब्रह्म की किसी रहस्यमयी युक्ति द्वारा माया की प्रसूति से तीन पुत्र पैदा हुए।
According to Hindu belief system, Maya (worldly illusion) mysteriously conceived and gave birth to three sons (deities).
ਕੁ ਸੰਸਾਰੀ ਇਕੁ ਭੰਡਾਰੀ ਇਕੁ ਲਾਏ ਦੀਬਾਣੁ ॥
इकु संसारी इकु भंडारी इकु लाए दीबाणु ॥
इन में से एक ब्रह्मा सृष्टि रचयिता, एक विष्णु संसार का पोषक, और एक शिव संहारक के रूप में दरबार लगाकर बैठ गया।
One is believed to be the Creator of the World; one the Sustainer; and another one, the Destroyer.
ਜਿਵ ਤਿਸੁ ਭਾਵੈ ਤਿਵੈ ਚਲਾਵੈ ਜਿਵ ਹੋਵੈ ਫੁਰਮਾਣੁ ॥
जिव तिसु भावै तिवै चलावै जिव होवै फुरमाणु ॥
जिस तरह उस अकाल पुरुष को भला लगता है उसी तरह वह इन तीनों को चलाता है और जैसा उसका आदेश होता है वैसा ही कार्य ये देव करते हैं।
(However, the fact is that) God Himself is directing these actions as He pleases. and everything happens as He commands.
ਓਹੁ ਵੇਖੈ ਓਨਾ ਨਦਰਿ ਨ ਆਵੈ ਬਹੁਤਾ ਏਹੁ ਵਿਡਾਣੁ ॥
ओहु वेखै ओना नदरि न आवै बहुता एहु विडाणु ॥
वह अकाल पुरुष तो इन तीनों को आदि व अन्त समय में देख रहा है किंतु इनको वह अदृश्य स्वरूप निरंकार नज़र नहीं आता, यह अत्याश्चर्यजनक बात है।
He watches over all, but none can see Him. How wonderful this is!
ਆਦੇਸੁ ਤਿਸੈ ਆਦੇਸੁ ॥
आदेसु तिसै आदेसु ॥
नमस्कार है, सिर्फ उस सर्गुण स्वरूप निरंकार को नमस्कार है।
Let us humbly bow to Him,
ਆਦਿ ਅਨੀਲੁ ਅਨਾਦਿ ਅਨਾਹਤਿ ਜੁਗੁ ਜੁਗੁ ਏਕੋ ਵੇਸੁ ॥੩੦॥
आदि अनीलु अनादि अनाहति जुगु जुगु एको वेसु ॥३०॥
जो सभी का मूल, रंग रहित, पवित्र स्वरूप, आदि रहित, अनश्वर व अपरिवर्तनीय स्वरूप है॥ ३०॥
Who is eternal, immaculate, without beginning, indestructible and unchanging through the ages.
ਆਸਣੁ ਲੋਇ ਲੋਇ ਭੰਡਾਰ ॥
आसणु लोइ लोइ भंडार ॥
उसका आसन प्रत्येक लोक में है तथा प्रत्येक लोक में उसका भण्डार है।
God is present in the whole universe and the universe is full of His bounties.
ਜੋ ਕਿਛੁ ਪਾਇਆ ਸੁ ਏਕਾ ਵਾਰ ॥
जो किछु पाइआ सु एका वार ॥
उस परमात्मा ने सभी भण्डारों को एक ही बार परिपूर्ण कर दिया है।
Whatever bounties He has put in the universe, He has put these once for all.
ਕਰਿ ਕਰਿ ਵੇਖੈ ਸਿਰਜਣਹਾਰੁ ॥
करि करि वेखै सिरजणहारु ॥
वह सृजनहार रचना कर करके सृष्टि को देख रहा है।
God creates and then looks after His creation.
ਨਾਨਕ ਸਚੇ ਕੀ ਸਾਚੀ ਕਾਰ ॥
नानक सचे की साची कार ॥
हे नानक ! उस सत्यस्वरूप निरंकार की सम्पूर्ण रचना भी सत्य है।
O’ Nanak, God’s system of sustaining His creation is perfect (flawless).
ਆਦੇਸੁ ਤਿਸੈ ਆਦੇਸੁ ॥
आदेसु तिसै आदेसु ॥
नमस्कार है, सिर्फ उस सर्गुण स्वरूप निरंकार को नमस्कार है।
Let us salute that Almighty God.
ਆਦਿ ਅਨੀਲੁ ਅਨਾਦਿ ਅਨਾਹਤਿ ਜੁਗੁ ਜੁਗੁ ਏਕੋ ਵੇਸੁ ॥੩੧॥
आदि अनीलु अनादि अनाहति जुगु जुगु एको वेसु ॥३१॥
जो सभी का मूल, रंग रहित, पवित्र स्वरूप, आदि रहित, अनश्वर व अपरिवर्तनीय स्वरूप है॥ ३१॥
Who is eternal, immaculate, without beginning, indestructible and unchanging through the ages.
ਇਕ ਦੂ ਜੀਭੌ ਲਖ ਹੋਹਿ ਲਖ ਹੋਵਹਿ ਲਖ ਵੀਸ ॥
इक दू जीभौ लख होहि लख होवहि लख वीस ॥
एक जिव्हा से लाख जिव्हा हो जाएँ, फिर लाख से बीस लाख हो जाएँ।
If one’s tongue becomes hundred thousands and even twenty times more.
ਲਖੁ ਲਖੁ ਗੇੜਾ ਆਖੀਅਹਿ ਏਕੁ ਨਾਮੁ ਜਗਦੀਸ ॥
लखु लखु गेड़ा आखीअहि एकु नामु जगदीस ॥
फिर एक-एक जिव्हा से लाख-लाख बार उस जगदीश्वर का एक नाम उच्चारण करें, अर्थात् निशदिन उस प्रभु का नाम सिमरन किया जाए।
And if God’s Name is recited millions of times with each tongue.recitation without love and devotion will not get a person any closer.
ਏਤੁ ਰਾਹਿ ਪਤਿ ਪਵੜੀਆ ਚੜੀਐ ਹੋਇ ਇਕੀਸ ॥
एतु राहि पति पवड़ीआ चड़ीऐ होइ इकीस ॥
इस मार्ग से पति-परमेश्वर को मिलने हेतु बनी नाम रूपी सीढ़ियों पर चढ़ कर ही उस अद्वितीय प्रभु से मिलन हो सकता है।
The way to become one with God is to ascend on the steps that lead to Him which require shedding one’s ego and meditating on Naam with loving devotion.
ਸੁਣਿ ਗਲਾ ਆਕਾਸ ਕੀ ਕੀਟਾ ਆਈ ਰੀਸ ॥
सुणि गला आकास की कीटा आई रीस ॥
वैसे तो ब्रह्म-ज्ञानियों की बड़ी-बड़ी बातें सुनकर निकृष्ट जीव भी देहाभिमान में अनुकरण करने की इच्छा रखते हैं।
Spiritually ignorant people, after listening about the spiritually awakened people, think that they can also rise to their level by just imitating those.
ਨਾਨਕ ਨਦਰੀ ਪਾਈਐ ਕੂੜੀ ਕੂੜੈ ਠੀਸ ॥੩੨॥
नानक नदरी पाईऐ कूड़ी कूड़ै ठीस ॥३२॥
परंतु गुरु नानक जी कहते हैं कि उस परमात्मा की प्राप्ति तो उसकी कृपा से ही होती है, वरन् ये तो मिथ्या लोगों की मिथ्या ही बातें है ॥ ३२ ॥
O’ Nanak, union with God can only be obtained by His Grace, all else is false bragging of liars.
ਆਖਣਿ ਜੋਰੁ ਚੁਪੈ ਨਹ ਜੋਰੁ ॥
आखणि जोरु चुपै नह जोरु ॥
अकाल पुरुष की कृपा-दृष्टि के बिना इस जीव में कुछ भी कहने व चुप रहने की शक्ति नहीं है अर्थात् रसना को चला पाना जीव के वश में नहीं है।
We do not have any power to speak or to remain silent
ਜੋਰੁ ਨ ਮੰਗਣਿ ਦੇਣਿ ਨ ਜੋਰੁ ॥
जोरु न मंगणि देणि न जोरु ॥
माँगने की भी इसमें ताकत नहीं है और न ही कुछ देने की समर्था है।
Even receiving or giving charity is beyond our power.
ਜੋਰੁ ਨ ਜੀਵਣਿ ਮਰਣਿ ਨਹ ਜੋਰੁ ॥
जोरु न जीवणि मरणि नह जोरु ॥
यदि जीव चाहे कि मैं जीवित रहूँ तो भी इसमें बल नहीं है, क्योंकि कई बार मनुष्य उपचाराधीन ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, मरना भी उसके वश में नहीं है।
Life and death too are not in our control.
ਜੋਰੁ ਨ ਰਾਜਿ ਮਾਲਿ ਮਨਿ ਸੋਰੁ ॥
जोरु न राजि मालि मनि सोरु ॥
धन, सम्पत्ति व वैभव प्राप्त करने में भी इस जीव का कोई बल है, जिन के लिए मन में जो जुनून होता है।
We have no power to control our mind from thoughts of greed and ego that comes from worldly wealth and power
ਜੋਰੁ ਨ ਸੁਰਤੀ ਗਿਆਨਿ ਵੀਚਾਰਿ ॥
जोरु न सुरती गिआनि वीचारि ॥
श्रुति वेदों के ज्ञान का विचार करने का भी इसमें बल नहीं है।
We have no power to achieve spiritual awakening, knowledge or thinking.
ਜੋਰੁ ਨ ਜੁਗਤੀ ਛੁਟੈ ਸੰਸਾਰੁ ॥
जोरु न जुगती छुटै संसारु ॥
संसार से मुक्त होने की षट्-शास्त्रों में दी गई युक्तियाँ धारण कर लेने की शक्ति भी इसमें नहीं है।
We have no power to escape from worldly temptations.
ਜਿਸੁ ਹਥਿ ਜੋਰੁ ਕਰਿ ਵੇਖੈ ਸੋਇ ॥
जिसु हथि जोरु करि वेखै सोइ ॥
जिस अकाल पुरुष के हाथ में ताकत है वही रचना करके देख रहा है।
He (God) alone has the Power in His Hands. He watches over all.
ਨਾਨਕ ਉਤਮੁ ਨੀਚੁ ਨ ਕੋਇ ॥੩੩॥
नानक उतमु नीचु न कोइ ॥३३॥
गुरु नानक जी कहते हैं कि फिर तो यही जानना चाहिए कि इस संसार में न कोई स्वेच्छा से नीच
है, न उत्तम है, वह प्रभु जिस को कर्मानुसार जैसा रखता है वैसा ही वह रहता है॥ ३३॥
O’ Nanak, nobody is superior or inferior (we become only what God decides)
ਰਾਤੀ ਰੁਤੀ ਥਿਤੀ ਵਾਰ ॥
राती रुती थिती वार ॥
रात्रियों, ऋतुओं, तिथियों, सप्ताह के वारों,
God created nights, days, weeks and seasons;
ਪਵਣ ਪਾਣੀ ਅਗਨੀ ਪਾਤਾਲ ॥
पवण पाणी अगनी पाताल ॥
वायु, जल, अग्नि व पाताल आदि यावत प्रपंच हैं।
wind, water, fire and the nether regions,
ਤਿਸੁ ਵਿਚਿ ਧਰਤੀ ਥਾਪਿ ਰਖੀ ਧਰਮ ਸਾਲ ॥
तिसु विचि धरती थापि रखी धरम साल ॥
स्रष्टा प्रभु ने उस में पृथ्वी रूपी धर्मशाला स्थापित करके रखी हुई है, इसी को कर्मभूमि कहते हैं।
-in the midst of all these, He established the earth as a stage for humans to perform righteous deeds for their spiritual growth.
ਤਿਸੁ ਵਿਚਿ ਜੀਅ ਜੁਗਤਿ ਕੇ ਰੰਗ ॥
तिसु विचि जीअ जुगति के रंग ॥
उस धर्मशाला में नाना प्रकार के जीव हैं, जिनकी अनेक भांति की धर्म-कर्म की उपासना की युक्ति है और उनके श्वेत-श्यामादि अनेक प्रकार के वर्ण हैं।
Upon it (earth), He created various species of beings.
ਤਿਨ ਕੇ ਨਾਮ ਅਨੇਕ ਅਨੰਤ ॥
तिन के नाम अनेक अनंत ॥
उनके अनेक प्रकार के अनंत नाम हैं।
Their names are uncounted and endless.
ਕਰਮੀ ਕਰਮੀ ਹੋਇ ਵੀਚਾਰੁ ॥
करमी करमी होइ वीचारु ॥
संसार में विचरन कर रहे उन अनेकानेक जीवों को अपने शुभाशुभ कर्मों के अनुसार ही उन पर विचार किया जाता है।
By their deeds and their actions, they shall be judged.
ਸਚਾ ਆਪਿ ਸਚਾ ਦਰਬਾਰੁ ॥
सचा आपि सचा दरबारु ॥
विचार करने वाला वह निरंकार स्वयं भी सत्य है और उसका दरबार भी सत्य है।
God Himself is True, and True is His court.
ਤਿਥੈ ਸੋਹਨਿ ਪੰਚ ਪਰਵਾਣੁ ॥
तिथै सोहनि पंच परवाणु ॥
वही उसके दरबार में शोभायमान होते हैं जो प्रामाणिक संत हैं,
The honored and chosen ones (spiritually advanced), grace that court.
ਨਦਰੀ ਕਰਮਿ ਪਵੈ ਨੀਸਾਣੁ ॥
नदरी करमि पवै नीसाणु ॥
जिनके माथे पर कृपालु परमात्मा की कृपा का चिन्ह अंकित होता है।
They receive the Mark of Grace from the Merciful God.
ਕਚ ਪਕਾਈ ਓਥੈ ਪਾਇ ॥
कच पकाई ओथै पाइ ॥
प्रभु के दरबार में कच्चे-पक्के होने का परीक्षण होता है।
Success or failure is in terms of spiritual growth and it is judged in God’s presence.
ਨਾਨਕ ਗਇਆ ਜਾਪੈ ਜਾਇ ॥੩੪॥
नानक गइआ जापै जाइ ॥३४॥
हे नानक ! इस तथ्य का निर्णय वहाँ जाकर ही होता है ॥ ३४ ॥
O’ Nanak, it is only upon reaching God’s Presence that one discovers if one succeeded or failed.
ਧਰਮ ਖੰਡ ਕਾ ਏਹੋ ਧਰਮੁ ॥
धरम खंड का एहो धरमु ॥
(कर्मकाण्ड में) धर्मखण्ड का यही नियम है; जो पूर्व पंक्तियों में कथन किया गया है l
The moral duty of a person in Dharam khand (first stage of spiritual development) is the righteous living.
ਗਿਆਨ ਖੰਡ ਕਾ ਆਖਹੁ ਕਰਮੁ ॥
गिआन खंड का आखहु करमु ॥
(गुरु नानक जी) अब ज्ञान खण्ड का व्यवहार वर्णन करते हैं।
Now understand the working of Giaan Khand, the second stage (stage of learning of divine knowledge).
ਕੇਤੇ ਪਵਣ ਪਾਣੀ ਵੈਸੰਤਰ ਕੇਤੇ ਕਾਨ ਮਹੇਸ ॥
केते पवण पाणी वैसंतर केते कान महेस ॥
(इस संसार में) कितने प्रकार के पवन, जल, अग्नि हैं, और कितने ही रूप कृष्ण व रुद्र (शिव) के हैं।
In God’s creation, there are so many forms of winds, waters and fires; so many Krishnas and Shivas.
ਕੇਤੇ ਬਰਮੇ ਘਾੜਤਿ ਘੜੀਅਹਿ ਰੂਪ ਰੰਗ ਕੇ ਵੇਸ ॥
केते बरमे घाड़ति घड़ीअहि रूप रंग के वेस ॥
कितने ही ब्रह्मा इस सृष्टि में अनेकानेक रूप-रंगों के भेष में जीव पैदा करते हैं।
So many Brahmas are being fashioned in countless forms and colors.
ਕੇਤੀਆ ਕਰਮ ਭੂਮੀ ਮੇਰ ਕੇਤੇ ਕੇਤੇ ਧੂ ਉਪਦੇਸ ॥
केतीआ करम भूमी मेर केते केते धू उपदेस ॥
कितनी ही कर्म भूमियों, सुमेर पर्वत, धुव भक्त व उनके उपदेष्टा हैं।
There are many earths and many mountains where people perform their duties, and there are many saints like Dhru and many are their teachings to learn.
ਕੇਤੇ ਇੰਦ ਚੰਦ ਸੂਰ ਕੇਤੇ ਕੇਤੇ ਮੰਡਲ ਦੇਸ ॥
केते इंद चंद सूर केते केते मंडल देस ॥
इन्द्र व चंद्रमा भी कितने हैं, कितने ही सूर्य, कितने ही मण्डल व मण्डलांतर्गत देश हैं।
There are many Indras, moons, suns and many planetary systems.
ਕੇਤੇ ਸਿਧ ਬੁਧ ਨਾਥ ਕੇਤੇ ਕੇਤੇ ਦੇਵੀ ਵੇਸ ॥
केते सिध बुध नाथ केते केते देवी वेस ॥
कितने ही सिद्ध, विद्वान व नाथ हैं, कितने ही देवियों के स्वरूप हैं।
There are many saints with spiritual powers, many wise people, many yogis and many goddess in different forms.
ਕੇਤੇ ਦੇਵ ਦਾਨਵ ਮੁਨਿ ਕੇਤੇ ਕੇਤੇ ਰਤਨ ਸਮੁੰਦ ॥
केते देव दानव मुनि केते केते रतन समुंद ॥
कितने ही देव, दैत्य व मुनि हैं और रत्नों से भरपूर कितने ही समुद्र हैं।
There are so many pious people, so many demons, so many silent sages and so many oceans of jewels.
ਕੇਤੀਆ ਖਾਣੀ ਕੇਤੀਆ ਬਾਣੀ ਕੇਤੇ ਪਾਤ ਨਰਿੰਦ ॥
केतीआ खाणी केतीआ बाणी केते पात नरिंद ॥
कितने ही उत्पत्ति के स्रोत हैं (अण्डज-जरायुजादि), कितनी प्रकार की वाणी है (परा, पश्यन्ती आदि) कितने ही बादशाह हैं और कितने ही राजा हैं।
There are so many sources of life, languages, and so many kings and emperors.
ਕੇਤੀਆ ਸੁਰਤੀ ਸੇਵਕ ਕੇਤੇ ਨਾਨਕ ਅੰਤੁ ਨ ਅੰਤੁ ॥੩੫॥
केतीआ सुरती सेवक केते नानक अंतु न अंतु ॥३५॥
कितनी ही वेद-श्रुतियाँ हैं, उनके सेवक भी कितने ही हैं, गुरु नानक जी कहते हैं कि उसकी रचना का कोई अन्त नहीं है; इन सबके अन्त का बोध ज्ञान-खण्ड में जाने से होता है, जहाँ पर जीव ज्ञानयान हो जाता है II ३५ II
There are so many intuitive people, so many selfless servants. O ‘ Nanak, there is no end to the creation of God.
ਗਿਆਨ ਖੰਡ ਮਹਿ ਗਿਆਨੁ ਪਰਚੰਡੁ ॥
गिआन खंड महि गिआनु परचंडु ॥
ज्ञान खण्ड में जो ज्ञान कथन किया है वह प्रबल है।
In the stage of Giaan Khand, the effect of divine knowledge is extremely powerful.
ਤਿਥੈ ਨਾਦ ਬਿਨੋਦ ਕੋਡ ਅਨੰਦੁ ॥
तिथै नाद बिनोद कोड अनंदु ॥
इस खण्ड में रागमयी, प्रसन्नतापूर्ण व कौतुकी आनंद विद्यमान है।
In this state, one feels bliss and joy as if one is listening to the music of many melodies and watching all sort of entertainment