ਸੁਣਿ ਗਲਾ ਗੁਰ ਪਹਿ ਆਇਆ ॥
सुणि गला गुर पहि आइआ ॥
गुरु के शिष्यों से बातें सुनकर मैं गुरु के पास आया हूँ।
ਨਾਮੁ ਦਾਨੁ ਇਸਨਾਨੁ ਦਿੜਾਇਆ ॥
नामु दानु इसनानु दिड़ाइआ ॥
गुरु ने मुझे नाम, दान-पुण्य और स्नान निश्चित करवा दिया है।.
ਸਭੁ ਮੁਕਤੁ ਹੋਆ ਸੈਸਾਰੜਾ ਨਾਨਕ ਸਚੀ ਬੇੜੀ ਚਾੜਿ ਜੀਉ ॥੧੧॥
सभु मुकतु होआ सैसारड़ा नानक सची बेड़ी चाड़ि जीउ ॥११॥
हे नानक ! नाम रूपी सच्ची नाव पर सवार होने के कारण सारा संसार बच गया है। ११॥
ਸਭ ਸ੍ਰਿਸਟਿ ਸੇਵੇ ਦਿਨੁ ਰਾਤਿ ਜੀਉ ॥
सभ स्रिसटि सेवे दिनु राति जीउ ॥
हे प्रभु ! सारी सृष्टि दिन-रात तेरी सेवा का फल पाती है।
ਦੇ ਕੰਨੁ ਸੁਣਹੁ ਅਰਦਾਸਿ ਜੀਉ ॥
दे कंनु सुणहु अरदासि जीउ ॥
हे स्वामी ! अपना कान देकर मेरी प्रार्थना सुनो।
ਠੋਕਿ ਵਜਾਇ ਸਭ ਡਿਠੀਆ ਤੁਸਿ ਆਪੇ ਲਇਅਨੁ ਛਡਾਇ ਜੀਉ ॥੧੨॥
ठोकि वजाइ सभ डिठीआ तुसि आपे लइअनु छडाइ जीउ ॥१२॥
मैंने सभी को भली भांति निर्णय करके देख लिया है। केवल तुम ही अपनी प्रसन्नता द्वारा प्राणियों को मोक्ष प्रदान करते हो ॥१२॥
ਹੁਣਿ ਹੁਕਮੁ ਹੋਆ ਮਿਹਰਵਾਣ ਦਾ ॥
हुणि हुकमु होआ मिहरवाण दा ॥
अब मेहरबान परमात्मा का आदेश जारी हो गया है।
ਪੈ ਕੋਇ ਨ ਕਿਸੈ ਰਞਾਣਦਾ ॥
पै कोइ न किसै रञाणदा ॥
कोई भी किसी को दुखी नहीं करता।
ਸਭ ਸੁਖਾਲੀ ਵੁਠੀਆ ਇਹੁ ਹੋਆ ਹਲੇਮੀ ਰਾਜੁ ਜੀਉ ॥੧੩॥
सभ सुखाली वुठीआ इहु होआ हलेमी राजु जीउ ॥१३॥
सारी दुनिया सुखपूर्वक रहती है। क्योंकि अब यहाँ सात्विक का राज्य स्थापित हो गया है॥१३॥
ਝਿੰਮਿ ਝਿੰਮਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਵਰਸਦਾ ॥
झिमि झिमि अम्रितु वरसदा ॥
सतिगुरु मेघ की भाँति अमृत बरसा रहे हैं।
ਬੋਲਾਇਆ ਬੋਲੀ ਖਸਮ ਦਾ ॥
बोलाइआ बोली खसम दा ॥
मैं उस तरह बोलता हूँ, जिस तरह भगवान मुझे बुलाता है।
ਬਹੁ ਮਾਣੁ ਕੀਆ ਤੁਧੁ ਉਪਰੇ ਤੂੰ ਆਪੇ ਪਾਇਹਿ ਥਾਇ ਜੀਉ ॥੧੪॥
बहु माणु कीआ तुधु उपरे तूं आपे पाइहि थाइ जीउ ॥१४॥
हे दाता ! मुझे तुम पर बड़ा गर्व है। | तुम स्वयं ही मेरे कर्मों को निर्दिष्ट कर सफल बनाते हो ॥१४॥
ਤੇਰਿਆ ਭਗਤਾ ਭੁਖ ਸਦ ਤੇਰੀਆ ॥
तेरिआ भगता भुख सद तेरीआ ॥
हे प्रभु ! तुम्हारे भक्तों को सदा तुम्हारे दर्शनों की लालसा है।
ਹਰਿ ਲੋਚਾ ਪੂਰਨ ਮੇਰੀਆ ॥
हरि लोचा पूरन मेरीआ ॥
हे प्रभु! मेरी मनोवांछित कामनाओं को सफल करो।
ਦੇਹੁ ਦਰਸੁ ਸੁਖਦਾਤਿਆ ਮੈ ਗਲ ਵਿਚਿ ਲੈਹੁ ਮਿਲਾਇ ਜੀਉ ॥੧੫॥
देहु दरसु सुखदातिआ मै गल विचि लैहु मिलाइ जीउ ॥१५॥
हे सुखदाता ! मुझे अपने दर्शन देकर अपने गले से लगा लो॥१५॥
ਤੁਧੁ ਜੇਵਡੁ ਅਵਰੁ ਨ ਭਾਲਿਆ ॥
तुधु जेवडु अवरु न भालिआ ॥
तेरे जैसा महान् मुझे अन्य कोई नहीं मिला।
ਤੂੰ ਦੀਪ ਲੋਅ ਪਇਆਲਿਆ ॥
तूं दीप लोअ पइआलिआ ॥
तुम धरती, आकाश व पाताल में व्यापक हो।
ਤੂੰ ਥਾਨਿ ਥਨੰਤਰਿ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਨਾਨਕ ਭਗਤਾ ਸਚੁ ਅਧਾਰੁ ਜੀਉ ॥੧੬॥
तूं थानि थनंतरि रवि रहिआ नानक भगता सचु अधारु जीउ ॥१६॥
सातों द्वीपों और पाताल लोकों में तुम्हारा ही आलोक प्रसारित है। हे नानक ! भक्तों को परमात्मा का ही सहारा है ॥१६॥
ਹਉ ਗੋਸਾਈ ਦਾ ਪਹਿਲਵਾਨੜਾ ॥
हउ गोसाई दा पहिलवानड़ा ॥
मैं अपने मालिक प्रभु का एक छोटा-सा पहलवान हूँ।
ਮੈ ਗੁਰ ਮਿਲਿ ਉਚ ਦੁਮਾਲੜਾ ॥
मै गुर मिलि उच दुमालड़ा ॥
गुरु से मिलकर मैंने ऊँची दस्तार सजा ली है।
ਸਭ ਹੋਈ ਛਿੰਝ ਇਕਠੀਆ ਦਯੁ ਬੈਠਾ ਵੇਖੈ ਆਪਿ ਜੀਉ ॥੧੭॥
सभ होई छिंझ इकठीआ दयु बैठा वेखै आपि जीउ ॥१७॥
मेरी कुश्ती देखने के लिए तमाशा देखने वालों की भीड़ एकत्र हो गई है और दयालु परमात्मा स्वयं बैठ कर देख रहा है॥१७॥
ਵਾਤ ਵਜਨਿ ਟੰਮਕ ਭੇਰੀਆ ॥
वात वजनि टमक भेरीआ ॥
अखाड़े में वाजे, नगाड़े और तूतीयाँ बज रहे हैं।
ਮਲ ਲਥੇ ਲੈਦੇ ਫੇਰੀਆ ॥
मल लथे लैदे फेरीआ ॥
पहलवान अखाड़े के अन्दर प्रवेश करते हैं और इसके आसपास चक्कर काट रहे हैं।
ਨਿਹਤੇ ਪੰਜਿ ਜੁਆਨ ਮੈ ਗੁਰ ਥਾਪੀ ਦਿਤੀ ਕੰਡਿ ਜੀਉ ॥੧੮॥
निहते पंजि जुआन मै गुर थापी दिती कंडि जीउ ॥१८॥
मैंने अकेले ही पाँच जवानों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) को पराजित कर दिया है और गुरु ने मेरी पीठ पर शाबाश (आशीर्वाद) दी है ॥१८॥
ਸਭ ਇਕਠੇ ਹੋਇ ਆਇਆ ॥
सभ इकठे होइ आइआ ॥
समस्त जीव जन्म लेकर दुनिया में इकट्ठे हुए हैं।
ਘਰਿ ਜਾਸਨਿ ਵਾਟ ਵਟਾਇਆ ॥
घरि जासनि वाट वटाइआ ॥
ये विभिन्न योनियों में पड़कर अपने घर परलोक में चले जाएँगे।
ਗੁਰਮੁਖਿ ਲਾਹਾ ਲੈ ਗਏ ਮਨਮੁਖ ਚਲੇ ਮੂਲੁ ਗਵਾਇ ਜੀਉ ॥੧੯॥
गुरमुखि लाहा लै गए मनमुख चले मूलु गवाइ जीउ ॥१९॥
गुरमुख नाम रूपी पूंजी का लाभ प्राप्त करके जाएँगे, जबकि मनमुख अपना मूल भी गंवा देंगे ॥१९॥
ਤੂੰ ਵਰਨਾ ਚਿਹਨਾ ਬਾਹਰਾ ॥
तूं वरना चिहना बाहरा ॥
हे प्रभु ! तेरा कोई वर्ण अथवा चिन्ह नहीं।
ਹਰਿ ਦਿਸਹਿ ਹਾਜਰੁ ਜਾਹਰਾ ॥
हरि दिसहि हाजरु जाहरा ॥
परमात्मा प्रत्यक्ष ही सबको दर्शन देता है।
ਸੁਣਿ ਸੁਣਿ ਤੁਝੈ ਧਿਆਇਦੇ ਤੇਰੇ ਭਗਤ ਰਤੇ ਗੁਣਤਾਸੁ ਜੀਉ ॥੨੦॥
सुणि सुणि तुझै धिआइदे तेरे भगत रते गुणतासु जीउ ॥२०॥
हे गुणों के भण्डार ! हे पारब्रह्म-परमेश्वर ! तुम्हारे भक्त तुम्हारा यशोगान निरन्तर सुनते, तेरा सुमिरन करते और तेरे ही रंग में मग्न हैं ॥२०॥
ਮੈ ਜੁਗਿ ਜੁਗਿ ਦਯੈ ਸੇਵੜੀ ॥
मै जुगि जुगि दयै सेवड़ी ॥
मैं समस्त युगों में भगवान की भक्ति करता रहा हूँ।
ਗੁਰਿ ਕਟੀ ਮਿਹਡੀ ਜੇਵੜੀ ॥
गुरि कटी मिहडी जेवड़ी ॥
गुरु ने माया-बन्धन की बेड़ियों काट फेंकी है।
ਹਉ ਬਾਹੁੜਿ ਛਿੰਝ ਨ ਨਚਊ ਨਾਨਕ ਅਉਸਰੁ ਲਧਾ ਭਾਲਿ ਜੀਉ ॥੨੧॥੨॥੨੯॥
हउ बाहुड़ि छिंझ न नचऊ नानक अउसरु लधा भालि जीउ ॥२१॥२॥२९॥
मैं संसार के अखाड़े में पुनः पुनः दंगल करने नहीं जाऊँगा, क्योंकि हे नानक ! मैंने मनुष्य-जीवन का सही मूल्य जानकर उसे सार्थक कर लिया है ॥२१॥२॥२९॥
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਸਿਰੀਰਾਗੁ ਮਹਲਾ ੧ ਪਹਰੇ ਘਰੁ ੧ ॥
सिरीरागु महला १ पहरे घरु १ ॥
श्रीरागु महला १ पहरे घरु १ ॥
ਪਹਿਲੈ ਪਹਰੈ ਰੈਣਿ ਕੈ ਵਣਜਾਰਿਆ ਮਿਤ੍ਰਾ ਹੁਕਮਿ ਪਇਆ ਗਰਭਾਸਿ ॥
पहिलै पहरै रैणि कै वणजारिआ मित्रा हुकमि पइआ गरभासि ॥
हे मेरे वणजारे मित्र ! जीवन रूपी रात्रि के प्रथम प्रहर में ईश्वर के आदेशानुसार प्राणी माता के गर्भ में आता है।
ਉਰਧ ਤਪੁ ਅੰਤਰਿ ਕਰੇ ਵਣਜਾਰਿਆ ਮਿਤ੍ਰਾ ਖਸਮ ਸੇਤੀ ਅਰਦਾਸਿ ॥
उरध तपु अंतरि करे वणजारिआ मित्रा खसम सेती अरदासि ॥
हे मेरे वणजारे मित्र ! वह गर्भ में उल्टा लटका हुआ तपस्या करता है और भगवान के समक्ष प्रार्थना करता रहता है।
ਖਸਮ ਸੇਤੀ ਅਰਦਾਸਿ ਵਖਾਣੈ ਉਰਧ ਧਿਆਨਿ ਲਿਵ ਲਾਗਾ ॥
खसम सेती अरदासि वखाणै उरध धिआनि लिव लागा ॥
वह उलटा लटका हुआ भगवान के ध्यान में सुरति लगाता है।
ਨਾ ਮਰਜਾਦੁ ਆਇਆ ਕਲਿ ਭੀਤਰਿ ਬਾਹੁੜਿ ਜਾਸੀ ਨਾਗਾ ॥
ना मरजादु आइआ कलि भीतरि बाहुड़ि जासी नागा ॥
वह रस्मों की मर्यादा के बिना दुनिया में नग्न आता है और मरणोपरांत नग्न ही जाता है।
ਜੈਸੀ ਕਲਮ ਵੁੜੀ ਹੈ ਮਸਤਕਿ ਤੈਸੀ ਜੀਅੜੇ ਪਾਸਿ ॥
जैसी कलम वुड़ी है मसतकि तैसी जीअड़े पासि ॥
विधाता ने प्राणी के कर्मानुसार उसके मस्तक पर जो भाग्य रेखाएँ खींच दी हैं, उसी के अनुसार उसे सुख-दुख उपलब्ध होते हैं।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਾਣੀ ਪਹਿਲੈ ਪਹਰੈ ਹੁਕਮਿ ਪਇਆ ਗਰਭਾਸਿ ॥੧॥
कहु नानक प्राणी पहिलै पहरै हुकमि पइआ गरभासि ॥१॥
गुरु नानक देव जी कहते हैं कि रात्रि के प्रथम-प्रहर में ईश्वर की इच्छानुसार प्राणी गर्भ में प्रवेश करता है।॥१॥