Hindi Page 479

ਨਾਰਦ ਸਾਰਦ ਕਰਹਿ ਖਵਾਸੀ ॥
नारद सारद करहि खवासी ॥
नारद मुनि हो अथवा सरस्वती देवी, सभी उस हरि की सेवा-भक्ति में लीन हैं।

ਪਾਸਿ ਬੈਠੀ ਬੀਬੀ ਕਵਲਾ ਦਾਸੀ ॥੨॥
पासि बैठी बीबी कवला दासी ॥२॥
हरि के पास उसकी दासी देवी लक्ष्मी भी विराजमान है। २ ॥

ਕੰਠੇ ਮਾਲਾ ਜਿਹਵਾ ਰਾਮੁ ॥
कंठे माला जिहवा रामु ॥
जिव्हा में राम का नाम ही मेरी गले की माला है,

ਸਹੰਸ ਨਾਮੁ ਲੈ ਲੈ ਕਰਉ ਸਲਾਮੁ ॥੩॥
सहंस नामु लै लै करउ सलामु ॥३॥
जिससे मैं उसके हजारों ही नाम उच्चरित करके उसे प्रणाम करता हूँ॥ ३॥

ਕਹਤ ਕਬੀਰ ਰਾਮ ਗੁਨ ਗਾਵਉ ॥
कहत कबीर राम गुन गावउ ॥
कबीर जी कहते हैं कि मैं राम का गुणगान करता हूँ एवं

ਹਿੰਦੂ ਤੁਰਕ ਦੋਊ ਸਮਝਾਵਉ ॥੪॥੪॥੧੩॥
हिंदू तुरक दोऊ समझावउ ॥४॥४॥१३॥
हिन्दू-मुसलमान दोनों को भी यही उपदेश देता हूँ॥४॥४॥१३॥

ਆਸਾ ਸ੍ਰੀ ਕਬੀਰ ਜੀਉ ਕੇ ਪੰਚਪਦੇ ੯ ਦੁਤੁਕੇ ੫
आसा स्री कबीर जीउ के पंचपदे ९ दुतुके ५
आसा श्री कबीर जीउ के पंचपदे ९ दुतुके ५

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।

ਪਾਤੀ ਤੋਰੈ ਮਾਲਿਨੀ ਪਾਤੀ ਪਾਤੀ ਜੀਉ ॥
पाती तोरै मालिनी पाती पाती जीउ ॥
हे मालिन ! तू पूजा-अर्चना हेतु पते तोड़ती है लेकिन समस्त फूल-पत्तों में प्राण हैं।

ਜਿਸੁ ਪਾਹਨ ਕਉ ਪਾਤੀ ਤੋਰੈ ਸੋ ਪਾਹਨ ਨਿਰਜੀਉ ॥੧॥
जिसु पाहन कउ पाती तोरै सो पाहन निरजीउ ॥१॥
किन्तु जिस पत्थर की मूर्ति हेतु तू पत्ते तोड़ती है वह पत्थर की मूर्ति तो निर्जीव है॥ १॥

ਭੂਲੀ ਮਾਲਨੀ ਹੈ ਏਉ ॥
भूली मालनी है एउ ॥
हे मालिन ! इस तरह तू भूल कर रही है

ਸਤਿਗੁਰੁ ਜਾਗਤਾ ਹੈ ਦੇਉ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
सतिगुरु जागता है देउ ॥१॥ रहाउ ॥
क्योंकि सच्चा गुरु ही सजीव देव है॥ ॥१॥रहाउ ॥

ਬ੍ਰਹਮੁ ਪਾਤੀ ਬਿਸਨੁ ਡਾਰੀ ਫੂਲ ਸੰਕਰਦੇਉ ॥
ब्रहमु पाती बिसनु डारी फूल संकरदेउ ॥
हे मालिन ! पूजा-अर्चना हेतु जो तू पते, डाली एवं फल तोड़ती है वह पते ब्रह्मा, विष्णु डालियाँ एवं शंकर देव फूल हैं।

ਤੀਨਿ ਦੇਵ ਪ੍ਰਤਖਿ ਤੋਰਹਿ ਕਰਹਿ ਕਿਸ ਕੀ ਸੇਉ ॥੨॥
तीनि देव प्रतखि तोरहि करहि किस की सेउ ॥२॥
इस तरह तू प्रत्यक्ष तौर पर त्रिदेवों-ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर को तोड़ती है। फिर तू किस की सेवा करती है ? ॥ २॥

ਪਾਖਾਨ ਗਢਿ ਕੈ ਮੂਰਤਿ ਕੀਨੑੀ ਦੇ ਕੈ ਛਾਤੀ ਪਾਉ ॥
पाखान गढि कै मूरति कीन्ही दे कै छाती पाउ ॥
पत्थर को गढ़कर मूर्तिकार-मूर्ति बनाता है और गढ़ते हुए वह उसकी छाती पर अपने पांव भी रख देता है।

ਜੇ ਏਹ ਮੂਰਤਿ ਸਾਚੀ ਹੈ ਤਉ ਗੜ੍ਹਣਹਾਰੇ ਖਾਉ ॥੩॥
जे एह मूरति साची है तउ गड़्हणहारे खाउ ॥३॥
यदि यह मूर्ति सच्ची है तो उसे पहले गढ़नेवाले मूर्तिकार को खाना चाहिए॥ ३॥

ਭਾਤੁ ਪਹਿਤਿ ਅਰੁ ਲਾਪਸੀ ਕਰਕਰਾ ਕਾਸਾਰੁ ॥
भातु पहिति अरु लापसी करकरा कासारु ॥
भात (चावल), दाल, हलवा, माल-पूडे एवं पंजीरी इत्यादि स्वादिष्ट पदार्थों का भोग तो

ਭੋਗਨਹਾਰੇ ਭੋਗਿਆ ਇਸੁ ਮੂਰਤਿ ਕੇ ਮੁਖ ਛਾਰੁ ॥੪॥
भोगनहारे भोगिआ इसु मूरति के मुख छारु ॥४॥
मूर्ति का सहारा लेकर भोगने वाला पुजारी ही कर लेता है तथा इस मूर्ति के मुख में तो कुछ भी नहीं जाता॥ ४॥

ਮਾਲਿਨਿ ਭੂਲੀ ਜਗੁ ਭੁਲਾਨਾ ਹਮ ਭੁਲਾਨੇ ਨਾਹਿ ॥
मालिनि भूली जगु भुलाना हम भुलाने नाहि ॥
मालिन भूली हुई है और समूचा जगत भी भूला हुआ है लेकिन हम भूले हुए नहीं।

ਕਹੁ ਕਬੀਰ ਹਮ ਰਾਮ ਰਾਖੇ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰਿ ਹਰਿ ਰਾਇ ॥੫॥੧॥੧੪॥
कहु कबीर हम राम राखे क्रिपा करि हरि राइ ॥५॥१॥१४॥
कबीर जी कहते हैं कि अपनी कृपा धारण करके भगवान ने हमें सन्मार्ग दिखाकर भ्रम से बचा लिया है॥ ५ ॥ १॥ १४ ॥

ਆਸਾ ॥
आसा ॥
आसा ॥

ਬਾਰਹ ਬਰਸ ਬਾਲਪਨ ਬੀਤੇ ਬੀਸ ਬਰਸ ਕਛੁ ਤਪੁ ਨ ਕੀਓ ॥
बारह बरस बालपन बीते बीस बरस कछु तपु न कीओ ॥
इन्सान की आयु के पहले बारह वर्ष तो बाल्यावस्था में ही बीत जाते हैं तथा अगले बीस वर्ष कोई तपस्या नहीं करता।

ਤੀਸ ਬਰਸ ਕਛੁ ਦੇਵ ਨ ਪੂਜਾ ਫਿਰਿ ਪਛੁਤਾਨਾ ਬਿਰਧਿ ਭਇਓ ॥੧॥
तीस बरस कछु देव न पूजा फिरि पछुताना बिरधि भइओ ॥१॥
अन्य तीस वर्ष वह कोई देव-पूजा भी नहीं करता तथा जब वृद्धावस्था आ जाती है तो वह पश्चाताप करता है।॥ १॥

ਮੇਰੀ ਮੇਰੀ ਕਰਤੇ ਜਨਮੁ ਗਇਓ ॥
मेरी मेरी करते जनमु गइओ ॥
उसका सारा जीवन मेरी-मेरी करते ही व्यतीत हो जाता है और

ਸਾਇਰੁ ਸੋਖਿ ਭੁਜੰ ਬਲਇਓ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
साइरु सोखि भुजं बलइओ ॥१॥ रहाउ ॥
शरीर रूपी सरोवर सूखने पर भुजबल भी नाश हो जाता है॥ १॥ रहाउ॥

ਸੂਕੇ ਸਰਵਰਿ ਪਾਲਿ ਬੰਧਾਵੈ ਲੂਣੈ ਖੇਤਿ ਹਥ ਵਾਰਿ ਕਰੈ ॥|
सूके सरवरि पालि बंधावै लूणै खेति हथ वारि करै ॥
इस अवस्था में पहुँचने पर वह अपने हाथों से सूखे हुए सरोवर के इर्द-गिर्द बांध बनाता है और कटे खेत के पास बाड़ करता है।

ਆਇਓ ਚੋਰੁ ਤੁਰੰਤਹ ਲੇ ਗਇਓ ਮੇਰੀ ਰਾਖਤ ਮੁਗਧੁ ਫਿਰੈ ॥੨॥
आइओ चोरु तुरंतह ले गइओ मेरी राखत मुगधु फिरै ॥२॥
जब मृत्यु रूपी चोर आता है तो वह तुरंत ही उसे ले जाता है, जिसे मूर्ख मनुष्य अपने प्राण समझकर सँभालता फिरता था॥ २॥

ਚਰਨ ਸੀਸੁ ਕਰ ਕੰਪਨ ਲਾਗੇ ਨੈਨੀ ਨੀਰੁ ਅਸਾਰ ਬਹੈ ॥
चरन सीसु कर क्मपन लागे नैनी नीरु असार बहै ॥
बुढ़ापे में पैर, सिर एवं हाथ कांपने लग जाते हैं और नयनों से असार जल बहता है।

ਜਿਹਵਾ ਬਚਨੁ ਸੁਧੁ ਨਹੀ ਨਿਕਸੈ ਤਬ ਰੇ ਧਰਮ ਕੀ ਆਸ ਕਰੈ ॥੩॥
जिहवा बचनु सुधु नही निकसै तब रे धरम की आस करै ॥३॥
जीभ से शुद्ध वचन नहीं निकलते। हे मूर्ख जीव ! तब तुम धर्म की आशा करते हो॥ ३॥

ਹਰਿ ਜੀਉ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੈ ਲਿਵ ਲਾਵੈ ਲਾਹਾ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਲੀਓ ॥
हरि जीउ क्रिपा करै लिव लावै लाहा हरि हरि नामु लीओ ॥
यदि पूज्य परमेश्वर कृपा धारण करे तो मनुष्य की उससे वृत्ति लग जाती है और वह हरि-नाम का लाभ प्राप्त कर लेता है।

ਗੁਰ ਪਰਸਾਦੀ ਹਰਿ ਧਨੁ ਪਾਇਓ ਅੰਤੇ ਚਲਦਿਆ ਨਾਲਿ ਚਲਿਓ ॥੪॥
गुर परसादी हरि धनु पाइओ अंते चलदिआ नालि चलिओ ॥४॥
गुरु की कृपा से उसे हरि-नाम का धन मिल जाता है, जो अंततः परलोक को जाते समय उसके साथ जाता है॥ ४॥

ਕਹਤ ਕਬੀਰ ਸੁਨਹੁ ਰੇ ਸੰਤਹੁ ਅਨੁ ਧਨੁ ਕਛੂਐ ਲੈ ਨ ਗਇਓ ॥
कहत कबीर सुनहु रे संतहु अनु धनु कछूऐ लै न गइओ ॥
कबीर जी कहते हैं कि हे संतजनो ! सुनो, कोई भी मनुष्य मृत्यु के समय अपना अन्न-धन साथ नहीं लेकर गया।

ਆਈ ਤਲਬ ਗੋਪਾਲ ਰਾਇ ਕੀ ਮਾਇਆ ਮੰਦਰ ਛੋਡਿ ਚਲਿਓ ॥੫॥੨॥੧੫॥
आई तलब गोपाल राइ की माइआ मंदर छोडि चलिओ ॥५॥२॥१५॥
जब भगवान का बुलावा आ जाता है तो वह धन-दौलत एवं मंदिरों को छोड़कर चला जाता ॥५॥२॥१५॥

ਆਸਾ ॥
आसा ॥
आसा ॥

ਕਾਹੂ ਦੀਨੑੇ ਪਾਟ ਪਟੰਬਰ ਕਾਹੂ ਪਲਘ ਨਿਵਾਰਾ ॥
काहू दीन्हे पाट पट्मबर काहू पलघ निवारा ॥
भगवान ने किसी को रेशमी वस्त्र प्रदान किए हुए हैं तथा किसी को निवार वाले पलंग दिए हुए हैं।

ਕਾਹੂ ਗਰੀ ਗੋਦਰੀ ਨਾਹੀ ਕਾਹੂ ਖਾਨ ਪਰਾਰਾ ॥੧॥
काहू गरी गोदरी नाही काहू खान परारा ॥१॥
लेकिन किसी को जीर्ण गुदड़ी भी नहीं मिली तथा किसी के पास घास-फूस की झोंपड़ी है॥ १॥

ਅਹਿਰਖ ਵਾਦੁ ਨ ਕੀਜੈ ਰੇ ਮਨ ॥
अहिरख वादु न कीजै रे मन ॥
हे मेरे मन ! किसी से ईर्ष्या एवं विवाद मत करो।

ਸੁਕ੍ਰਿਤੁ ਕਰਿ ਕਰਿ ਲੀਜੈ ਰੇ ਮਨ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
सुक्रितु करि करि लीजै रे मन ॥१॥ रहाउ ॥
शुभ कर्म करने से ही कुछ (सुख) प्राप्त होता है॥ १॥ रहाउ॥

ਕੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰੈ ਏਕ ਜੁ ਮਾਟੀ ਗੂੰਧੀ ਬਹੁ ਬਿਧਿ ਬਾਨੀ ਲਾਈ ॥
कुम्हारै एक जु माटी गूंधी बहु बिधि बानी लाई ॥
कुम्हार एक जैसी मिट्टी गूंधता है और अनेक विधियों से बर्तनों को रंग देता है।

ਕਾਹੂ ਮਹਿ ਮੋਤੀ ਮੁਕਤਾਹਲ ਕਾਹੂ ਬਿਆਧਿ ਲਗਾਈ ॥੨॥
काहू महि मोती मुकताहल काहू बिआधि लगाई ॥२॥
किसी में वह मोती एवं मोतियों की माला डाल देता है और दूसरों में वह व्याधि वाली शराब डाल देता है॥ २॥

ਸੂਮਹਿ ਧਨੁ ਰਾਖਨ ਕਉ ਦੀਆ ਮੁਗਧੁ ਕਹੈ ਧਨੁ ਮੇਰਾ ॥
सूमहि धनु राखन कउ दीआ मुगधु कहै धनु मेरा ॥
कंजूस आदमी को प्रभु ने धन संभालने हेतु अमानत के तौर पर दिया है परन्तु वह मूर्ख कहता है कि यह धन तो मेरा अपना है।

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