ਆਲ ਜਾਲ ਬਿਕਾਰ ਤਜਿ ਸਭਿ ਹਰਿ ਗੁਨਾ ਨਿਤਿ ਗਾਉ ॥
आल जाल बिकार तजि सभि हरि गुना निति गाउ ॥
व्यर्थ के जंजाल एवं सब विकारों को तजकर नित्य भगवान का गुणगान करो।
ਕਰ ਜੋੜਿ ਨਾਨਕੁ ਦਾਨੁ ਮਾਂਗੈ ਦੇਹੁ ਅਪਨਾ ਨਾਉ ॥੨॥੧॥੬॥
कर जोड़ि नानकु दानु मांगै देहु अपना नाउ ॥२॥१॥६॥
नानक दोनों हाथ जोड़कर परमात्मा से यही दान माँगता है कि मुझे अपना नाम प्रदान करो॥ २॥ १॥ ६॥
ਮਾਲੀ ਗਉੜਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥
माली गउड़ा महला ५ ॥
माली गउड़ा महला ५ ॥
ਪ੍ਰਭ ਸਮਰਥ ਦੇਵ ਅਪਾਰ ॥
प्रभ समरथ देव अपार ॥
हे देवाधिदेव, तू सबकुछ करने में समर्थ व अपरम्पार है।
ਕਉਨੁ ਜਾਨੈ ਚਲਿਤ ਤੇਰੇ ਕਿਛੁ ਅੰਤੁ ਨਾਹੀ ਪਾਰ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
कउनु जानै चलित तेरे किछु अंतु नाही पार ॥१॥ रहाउ ॥
तेरी अद्भुत लीलाएं कोई भी नहीं जानता और तेरी महिमा का कोई आर-पार नहीं है॥ १॥ रहाउ॥
ਇਕ ਖਿਨਹਿ ਥਾਪਿ ਉਥਾਪਦਾ ਘੜਿ ਭੰਨਿ ਕਰਨੈਹਾਰੁ ॥
इक खिनहि थापि उथापदा घड़ि भंनि करनैहारु ॥
एक क्षण में पैदा करने एवं नष्ट करने वाला रचयिता परमेश्वर ही है और वही दुनिया को बनाने एवं मिटाने वाला है।
ਜੇਤ ਕੀਨ ਉਪਾਰਜਨਾ ਪ੍ਰਭੁ ਦਾਨੁ ਦੇਇ ਦਾਤਾਰ ॥੧॥
जेत कीन उपारजना प्रभु दानु देइ दातार ॥१॥
उसने जितने भी जीव पैदा किए हैं, वह दातार सबको दान देता है॥ १॥
ਹਰਿ ਸਰਨਿ ਆਇਓ ਦਾਸੁ ਤੇਰਾ ਪ੍ਰਭ ਊਚ ਅਗਮ ਮੁਰਾਰ ॥
हरि सरनि आइओ दासु तेरा प्रभ ऊच अगम मुरार ॥
हे महान्-अपरंपार परमेश्वर! तेरा दास तेरी शरण में आया है
ਕਢਿ ਲੇਹੁ ਭਉਜਲ ਬਿਖਮ ਤੇ ਜਨੁ ਨਾਨਕੁ ਸਦ ਬਲਿਹਾਰ ॥੨॥੨॥੭॥
कढि लेहु भउजल बिखम ते जनु नानकु सद बलिहार ॥२॥२॥७॥
उसे विषम भवसागर से निकल लो दास नानक सदा तुझ पर न्यौछावर है।॥२॥२॥७॥
ਮਾਲੀ ਗਉੜਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥
माली गउड़ा महला ५ ॥
माली गउड़ा महला ५ ॥
ਮਨਿ ਤਨਿ ਬਸਿ ਰਹੇ ਗੋਪਾਲ ॥
मनि तनि बसि रहे गोपाल ॥
मेरे मन-तन में परमात्मा ही बस रहा है,
ਦੀਨ ਬਾਂਧਵ ਭਗਤਿ ਵਛਲ ਸਦਾ ਸਦਾ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
दीन बांधव भगति वछल सदा सदा क्रिपाल ॥१॥ रहाउ ॥
वह दीनबंधु, भक्तवत्सल सर्वदा कृपा का भण्डार है॥ १॥ रहाउ॥
ਆਦਿ ਅੰਤੇ ਮਧਿ ਤੂਹੈ ਪ੍ਰਭ ਬਿਨਾ ਨਾਹੀ ਕੋਇ ॥
आदि अंते मधि तूहै प्रभ बिना नाही कोइ ॥
हे परमेश्वर ! सृष्टि के आदि, अन्त एवं मध्य में तू ही है।
ਪੂਰਿ ਰਹਿਆ ਸਗਲ ਮੰਡਲ ਏਕੁ ਸੁਆਮੀ ਸੋਇ ॥੧॥
पूरि रहिआ सगल मंडल एकु सुआमी सोइ ॥१॥
“(भूत, वर्तमान एवं भविष्य में) तेरे सिवा अन्य कोई नहीं है। एक स्वामी ही समूचे ब्रह्माण्ड में रमण कर रहा है॥ १॥
ਕਰਨਿ ਹਰਿ ਜਸੁ ਨੇਤ੍ਰ ਦਰਸਨੁ ਰਸਨਿ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਉ ॥
करनि हरि जसु नेत्र दरसनु रसनि हरि गुन गाउ ॥
में अपने कानों से हरि यश सुनता, नेत्रों से उसके ही दर्शन करता और रसना से हरि का गुणानुवाद करता हूँ।
ਬਲਿਹਾਰਿ ਜਾਏ ਸਦਾ ਨਾਨਕੁ ਦੇਹੁ ਅਪਣਾ ਨਾਉ ॥੨॥੩॥੮॥੬॥੧੪॥
बलिहारि जाए सदा नानकु देहु अपणा नाउ ॥२॥३॥८॥६॥१४॥
नानक तुझ पर सदा बलिहारी जाता है, मुझे अपना नाम प्रदान करो ॥२॥३॥८॥६॥१४॥
ਮਾਲੀ ਗਉੜਾ ਬਾਣੀ ਭਗਤ ਨਾਮਦੇਵ ਜੀ ਕੀ
माली गउड़ा बाणी भगत नामदेव जी की
माली गउड़ा बाणी भगत नामदेव जी की
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि॥
ਧਨਿ ਧੰਨਿ ਓ ਰਾਮ ਬੇਨੁ ਬਾਜੈ ॥
धनि धंनि ओ राम बेनु बाजै ॥
प्रभु की बजने वाली बाँसुरी धन्य है,
ਮਧੁਰ ਮਧੁਰ ਧੁਨਿ ਅਨਹਤ ਗਾਜੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
मधुर मधुर धुनि अनहत गाजै ॥१॥ रहाउ ॥
जिससे बहुत ही मधुर-मधुर अनाहत ध्वनि प्रकट हो रही है॥ १॥ रहाउ॥
ਧਨਿ ਧਨਿ ਮੇਘਾ ਰੋਮਾਵਲੀ ॥
धनि धनि मेघा रोमावली ॥
भेड़ की वह ऊन धन्य है,
ਧਨਿ ਧਨਿ ਕ੍ਰਿਸਨ ਓਢੈ ਕਾਂਬਲੀ ॥੧॥
धनि धनि क्रिसन ओढै कांबली ॥१॥
वह कामरी धन्य है, जो श्रीकृष्ण जी ने ओढ़ी है॥ १॥
ਧਨਿ ਧਨਿ ਤੂ ਮਾਤਾ ਦੇਵਕੀ ॥
धनि धनि तू माता देवकी ॥
हे माता देवकी ! तू धन्य है,”
ਜਿਹ ਗ੍ਰਿਹ ਰਮਈਆ ਕਵਲਾਪਤੀ ॥੨॥
जिह ग्रिह रमईआ कवलापती ॥२॥
जिसके घर में कमलापति प्रभु हुआ है॥ २॥
ਧਨਿ ਧਨਿ ਬਨ ਖੰਡ ਬਿੰਦ੍ਰਾਬਨਾ ॥
धनि धनि बन खंड बिंद्राबना ॥
वृंदावन का वह वन स्थल भाग्यवान् है,
ਜਹ ਖੇਲੈ ਸ੍ਰੀ ਨਾਰਾਇਨਾ ॥੩॥
जह खेलै स्री नाराइना ॥३॥
जहाँ श्री नारायण खेलते रहे॥ ३॥
ਬੇਨੁ ਬਜਾਵੈ ਗੋਧਨੁ ਚਰੈ ॥ ਨਾਮੇ ਕਾ ਸੁਆਮੀ ਆਨਦ ਕਰੈ ॥੪॥੧॥
बेनु बजावै गोधनु चरै ॥ नामे का सुआमी आनद करै ॥४॥१॥
वह बाँसुरी बजाता और गायें चराता रहता है, नामदेव का स्वामी आनंद करता रहता है॥ ४॥ १॥
ਮੇਰੋ ਬਾਪੁ ਮਾਧਉ ਤੂ ਧਨੁ ਕੇਸੌ ਸਾਂਵਲੀਓ ਬੀਠੁਲਾਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ
मेरो बापु माधउ तू धनु केसौ सांवलीओ बीठुलाइ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे पिता माधव, हे केशव, हे साँवले बीठल ! तू धन्य है॥ १॥ रहाउ॥
ਕਰ ਧਰੇ ਚਕ੍ਰ ਬੈਕੁੰਠ ਤੇ ਆਏ ਗਜ ਹਸਤੀ ਕੇ ਪ੍ਰਾਨ ਉਧਾਰੀਅਲੇ ॥
कर धरे चक्र बैकुंठ ते आए गज हसती के प्रान उधारीअले ॥
तू हाथ में सुदर्शन चक्र धारण करके वैकुण्ठ से आया था और तूने ग्राह से हाथी के प्राणों का उद्धार किया था।
ਦੁਹਸਾਸਨ ਕੀ ਸਭਾ ਦ੍ਰੋਪਤੀ ਅੰਬਰ ਲੇਤ ਉਬਾਰੀਅਲੇ ॥੧॥
दुहसासन की सभा द्रोपती अ्मबर लेत उबारीअले ॥१॥
दुःशासन की सभा में द्रौपदी को निर्वस्त्र होने से तूने ही बचाया था॥ १॥
ਗੋਤਮ ਨਾਰਿ ਅਹਲਿਆ ਤਾਰੀ ਪਾਵਨ ਕੇਤਕ ਤਾਰੀਅਲੇ ॥
गोतम नारि अहलिआ तारी पावन केतक तारीअले ॥
तूने ही गौतम ऋषि की पत्नी अहल्या का उद्धार किया था जो अभिशाप के कारण शिला बन गई थी। तूने कितने ही पतितों का कल्याण करके उन्हें पावन किया।
ਐਸਾ ਅਧਮੁ ਅਜਾਤਿ ਨਾਮਦੇਉ ਤਉ ਸਰਨਾਗਤਿ ਆਈਅਲੇ ॥੨॥੨॥
ऐसा अधमु अजाति नामदेउ तउ सरनागति आईअले ॥२॥२॥
इसलिए अधम एवं निम्न जाति वाला नामदेव तेरी ही शरण में आया है॥ २॥ २॥
ਸਭੈ ਘਟ ਰਾਮੁ ਬੋਲੈ ਰਾਮਾ ਬੋਲੈ ॥
सभै घट रामु बोलै रामा बोलै ॥
सब के शरीर में राम ही बोलता है,
ਰਾਮ ਬਿਨਾ ਕੋ ਬੋਲੈ ਰੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
राम बिना को बोलै रे ॥१॥ रहाउ ॥
राम के अलावा अन्य कौन बोलता है॥ १॥ रहाउ॥
ਏਕਲ ਮਾਟੀ ਕੁੰਜਰ ਚੀਟੀ ਭਾਜਨ ਹੈਂ ਬਹੁ ਨਾਨਾ ਰੇ ॥
एकल माटी कुंजर चीटी भाजन हैं बहु नाना रे ॥
मिट्टी एक ही है परन्तु उस मिट्टी से हाथी एवं चींटी रूपी अनेक प्रकार के जीव रूपी बर्तन हुए हैं।
ਅਸਥਾਵਰ ਜੰਗਮ ਕੀਟ ਪਤੰਗਮ ਘਟਿ ਘਟਿ ਰਾਮੁ ਸਮਾਨਾ ਰੇ ॥੧॥
असथावर जंगम कीट पतंगम घटि घटि रामु समाना रे ॥१॥
वृक्ष, पहाड़, मनुष्य, पशु-पक्षी, कीट-पतंगों सबमें राम ही समाया हुआ है। १॥
ਏਕਲ ਚਿੰਤਾ ਰਾਖੁ ਅਨੰਤਾ ਅਉਰ ਤਜਹੁ ਸਭ ਆਸਾ ਰੇ ॥
एकल चिंता राखु अनंता अउर तजहु सभ आसा रे ॥
अन्य सब आशाएँ त्यागकर एक परमेश्वर का ही चिंतन करो।
ਪ੍ਰਣਵੈ ਨਾਮਾ ਭਏ ਨਿਹਕਾਮਾ ਕੋ ਠਾਕੁਰੁ ਕੋ ਦਾਸਾ ਰੇ ॥੨॥੩॥
प्रणवै नामा भए निहकामा को ठाकुरु को दासा रे ॥२॥३॥
नामदेव विनती करता है कि अब वह निष्काम हो गया है, इसलिए मालिक एवं दास में कोई भेद नहीं है ॥२॥३॥