ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
ਅਪਨੇ ਸੇਵਕ ਕਉ ਕਬਹੁ ਨ ਬਿਸਾਰਹੁ ॥
अपने सेवक कउ कबहु न बिसारहु ॥
हे स्वामी प्रभु ! अपने सेवक को कभी न भुलाओ,
ਉਰਿ ਲਾਗਹੁ ਸੁਆਮੀ ਪ੍ਰਭ ਮੇਰੇ ਪੂਰਬ ਪ੍ਰੀਤਿ ਗੋਬਿੰਦ ਬੀਚਾਰਹੁ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
उरि लागहु सुआमी प्रभ मेरे पूरब प्रीति गोबिंद बीचारहु ॥१॥ रहाउ ॥
मेरे हृदय से लगे रहो। हे गोविन्द ! मेरी पूर्व प्रीति का ख्याल करो।॥ १॥ रहाउ॥
ਪਤਿਤ ਪਾਵਨ ਪ੍ਰਭ ਬਿਰਦੁ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰੋ ਹਮਰੇ ਦੋਖ ਰਿਦੈ ਮਤ ਧਾਰਹੁ ॥
पतित पावन प्रभ बिरदु तुम्हारो हमरे दोख रिदै मत धारहु ॥
हे प्रभु ! तेरा विरद् पतितों को पावन करना है, इसलिए मेरे दोषों को हृदय में मत रखना।
ਜੀਵਨ ਪ੍ਰਾਨ ਹਰਿ ਧਨੁ ਸੁਖੁ ਤੁਮ ਹੀ ਹਉਮੈ ਪਟਲੁ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰਿ ਜਾਰਹੁ ॥੧॥
जीवन प्रान हरि धनु सुखु तुम ही हउमै पटलु क्रिपा करि जारहु ॥१॥
हे श्री हरि ! तू ही मेरा जीवन, प्राण, धन एवं सुख है, कृपा करके मेरे अहंत्व का पद जला दो ॥ १॥
ਜਲ ਬਿਹੂਨ ਮੀਨ ਕਤ ਜੀਵਨ ਦੂਧ ਬਿਨਾ ਰਹਨੁ ਕਤ ਬਾਰੋ ॥
जल बिहून मीन कत जीवन दूध बिना रहनु कत बारो ॥
जैसे जल के बिना मछली एवं दूध के बिना शिशु का जीना असंभव है।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਪਿਆਸ ਚਰਨ ਕਮਲਨੑ ਕੀ ਪੇਖਿ ਦਰਸੁ ਸੁਆਮੀ ਸੁਖ ਸਾਰੋ ॥੨॥੭॥੧੨੩॥
जन नानक पिआस चरन कमलन्ह की पेखि दरसु सुआमी सुख सारो ॥२॥७॥१२३॥
हे स्वामी ! वैसे ही नानक को तेरे चरणों की प्यास लगी हुई हैं और तेरे दर्शन करके ही उसे परम सुख उपलब्ध होता है॥ २॥ ७ ॥ १२३॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
ਆਗੈ ਪਾਛੈ ਕੁਸਲੁ ਭਇਆ ॥
आगै पाछै कुसलु भइआ ॥
मेरा परलोक एवं इहलोक सुखदायक हो गया है,
ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਪੂਰੀ ਸਭ ਰਾਖੀ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕੀਨੀ ਮਇਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
गुरि पूरै पूरी सभ राखी पारब्रहमि प्रभि कीनी मइआ ॥१॥ रहाउ ॥
परब्रह्म-प्रभु ने मुझ पर दया की है और पूर्ण गुरु ने पूर्णतया मेरी लाज रख ली है॥ १॥ रहाउ॥
ਮਨਿ ਤਨਿ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਹਰਿ ਪ੍ਰੀਤਮੁ ਦੂਖ ਦਰਦ ਸਗਲਾ ਮਿਟਿ ਗਇਆ ॥
मनि तनि रवि रहिआ हरि प्रीतमु दूख दरद सगला मिटि गइआ ॥
मेरा प्रियतम हरि मेरे मन-तन में वास कर रहा है, इसलिए सारा दुख-दर्द मिट गया है।
ਸਾਂਤਿ ਸਹਜ ਆਨਦ ਗੁਣ ਗਾਏ ਦੂਤ ਦੁਸਟ ਸਭਿ ਹੋਏ ਖਇਆ ॥੧॥
सांति सहज आनद गुण गाए दूत दुसट सभि होए खइआ ॥१॥
भगवान् का गुणगान करने से मन में शांति एवं सहज आनंद हो गया है और काम, क्रोध इत्यादि सारे दुष्ट दूत नाश हो गए हैं। १॥
ਗੁਨੁ ਅਵਗੁਨੁ ਪ੍ਰਭਿ ਕਛੁ ਨ ਬੀਚਾਰਿਓ ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਅਪੁਨਾ ਕਰਿ ਲਇਆ ॥
गुनु अवगुनु प्रभि कछु न बीचारिओ करि किरपा अपुना करि लइआ ॥
प्रभु ने मेरे गुण अवगुण का कुछ भी विचार नहीं किया और कृपा कर मुझे अपना बना लिया है।
ਅਤੁਲ ਬਡਾਈ ਅਚੁਤ ਅਬਿਨਾਸੀ ਨਾਨਕੁ ਉਚਰੈ ਹਰਿ ਕੀ ਜਇਆ ॥੨॥੮॥੧੨੪॥
अतुल बडाई अचुत अबिनासी नानकु उचरै हरि की जइआ ॥२॥८॥१२४॥
अटल, अविनाशी परमात्मा की महिमा अतुलनीय है और नानक तो उस हरि की जय-जयकार करता रहता है ॥२॥८॥१२४॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
ਬਿਨੁ ਭੈ ਭਗਤੀ ਤਰਨੁ ਕੈਸੇ ॥
बिनु भै भगती तरनु कैसे ॥
निष्ठा रूपी भय एवं भक्ति के बिना कैसे भवसागर से पार हुआ जा सकता है ?
ਕਰਹੁ ਅਨੁਗ੍ਰਹੁ ਪਤਿਤ ਉਧਾਰਨ ਰਾਖੁ ਸੁਆਮੀ ਆਪ ਭਰੋਸੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
करहु अनुग्रहु पतित उधारन राखु सुआमी आप भरोसे ॥१॥ रहाउ ॥
हे पतितों के उद्धारक ! अनुग्रह करो; हे स्वामी ! मुझे तुझ पर ही भरोसा है॥ १॥ रहाउ ॥
ਸਿਮਰਨੁ ਨਹੀ ਆਵਤ ਫਿਰਤ ਮਦ ਮਾਵਤ ਬਿਖਿਆ ਰਾਤਾ ਸੁਆਨ ਜੈਸੇ ॥
सिमरनु नही आवत फिरत मद मावत बिखिआ राता सुआन जैसे ॥
जिस जीव को तेरा सिमरन करना नहीं आता, वह विकारों के नशे में ऐसे फिरता है, जैसे लोभी कुत्ता फिरता रहता है।
ਅਉਧ ਬਿਹਾਵਤ ਅਧਿਕ ਮੋਹਾਵਤ ਪਾਪ ਕਮਾਵਤ ਬੁਡੇ ਐਸੇ ॥੧॥
अउध बिहावत अधिक मोहावत पाप कमावत बुडे ऐसे ॥१॥
उसकी जीवन-अवधि अधिकतर मोह में ही बीतती जा रही है और पाप करते ही वह डूबता जा रहा है। १॥
ਸਰਨਿ ਦੁਖ ਭੰਜਨ ਪੁਰਖ ਨਿਰੰਜਨ ਸਾਧੂ ਸੰਗਤਿ ਰਵਣੁ ਜੈਸੇ ॥
सरनि दुख भंजन पुरख निरंजन साधू संगति रवणु जैसे ॥
हे दुखनाशक, हे निरंजन ! मैं तेरी शरण में आया हूँ, जैसे हो सके साधुओं की संगति में मिला दो।
ਕੇਸਵ ਕਲੇਸ ਨਾਸ ਅਘ ਖੰਡਨ ਨਾਨਕ ਜੀਵਤ ਦਰਸ ਦਿਸੇ ॥੨॥੯॥੧੨੫॥
केसव कलेस नास अघ खंडन नानक जीवत दरस दिसे ॥२॥९॥१२५॥
हे प्रभु ! तू सब क्लेश नाश करने वाला एवं सब पाप मिटाने वाला है। नानक तेरे दर्शन करके ही जीवन पा रहा है॥ २ ॥ ६ ॥ १२५ ॥
ਰਾਗੁ ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ਦੁਪਦੇ ਘਰੁ ੯
रागु बिलावलु महला ५ दुपदे घरु ९
रागु बिलावलु महला ५ दुपदे घरु ९
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ਆਪਹਿ ਮੇਲਿ ਲਏ ॥
आपहि मेलि लए ॥
हे ईश्वर ! तूने स्वयं ही हमें अपने साथ मिला लिया है
ਜਬ ਤੇ ਸਰਨਿ ਤੁਮਾਰੀ ਆਏ ਤਬ ਤੇ ਦੋਖ ਗਏ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जब ते सरनि तुमारी आए तब ते दोख गए ॥१॥ रहाउ ॥
जब से हम तेरी शरण में आए हैं, तब से हमारे सब दोष दूर हो गए हैं और ॥ १ ॥ रहाउ ॥
ਤਜਿ ਅਭਿਮਾਨੁ ਅਰੁ ਚਿੰਤ ਬਿਰਾਨੀ ਸਾਧਹ ਸਰਨ ਪਏ ॥
तजि अभिमानु अरु चिंत बिरानी साधह सरन पए ॥
अपना अभिमान और पराई चिंता को तजकर साधुओं की शरण में आ गए हैं।
ਜਪਿ ਜਪਿ ਨਾਮੁ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰੋ ਪ੍ਰੀਤਮ ਤਨ ਤੇ ਰੋਗ ਖਏ ॥੧॥
जपि जपि नामु तुम्हारो प्रीतम तन ते रोग खए ॥१॥
हे मेरे प्रियतम ! तेरा नाम जप-जपकर तन से सब रोग नष्ट हो गए हैं।॥ १॥
ਮਹਾ ਮੁਗਧ ਅਜਾਨ ਅਗਿਆਨੀ ਰਾਖੇ ਧਾਰਿ ਦਏ ॥
महा मुगध अजान अगिआनी राखे धारि दए ॥
तूने अपनी कृपा करके बड़े-बड़े महामूर्खों, नासमझ एवं अज्ञानियों को भी बचा लिया है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਭੇਟਿਓ ਆਵਨ ਜਾਨ ਰਹੇ ॥੨॥੧॥੧੨੬॥
कहु नानक गुरु पूरा भेटिओ आवन जान रहे ॥२॥१॥१२६॥
हे नानक ! पूर्ण गुरु से साक्षात्कार होने से हमारा आवागमन मिट गया है॥ २॥ १॥ १२६॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
ਜੀਵਉ ਨਾਮੁ ਸੁਨੀ ॥
जीवउ नामु सुनी ॥
मैं तो नाम सुनकर ही जीता हूँ।
ਜਉ ਸੁਪ੍ਰਸੰਨ ਭਏ ਗੁਰ ਪੂਰੇ ਤਬ ਮੇਰੀ ਆਸ ਪੁਨੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जउ सुप्रसंन भए गुर पूरे तब मेरी आस पुनी ॥१॥ रहाउ ॥
जब पूर्ण गुरु सुप्रसन्न हो गया तो मेरी सब कामनाएँ पूरी हो गई॥ १॥ रहाउ ॥
ਪੀਰ ਗਈ ਬਾਧੀ ਮਨਿ ਧੀਰਾ ਮੋਹਿਓ ਅਨਦ ਧੁਨੀ ॥
पीर गई बाधी मनि धीरा मोहिओ अनद धुनी ॥
मेरी पीड़ा दूर हो गई है, मन को धीरज हो गया है और अनहद ध्वनि ने मुझे मोह लिया है।
ਉਪਜਿਓ ਚਾਉ ਮਿਲਨ ਪ੍ਰਭ ਪ੍ਰੀਤਮ ਰਹਨੁ ਨ ਜਾਇ ਖਿਨੀ ॥੧॥
उपजिओ चाउ मिलन प्रभ प्रीतम रहनु न जाइ खिनी ॥१॥
मेरे मन में प्रियतम प्रभु के मिलन का चाव उत्पन्न हो गया है और उसके बिना एक क्षण के लिए भी मुझसे रहा नहीं जाता॥ १॥