Hindi Page 716

ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ਘਰੁ ੫ ਦੁਪਦੇ
टोडी महला ५ घरु ५ दुपदे
टोडी महला ५ घरु ५ दुपदे

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ਐਸੋ ਗੁਨੁ ਮੇਰੋ ਪ੍ਰਭ ਜੀ ਕੀਨ ॥
ऐसो गुनु मेरो प्रभ जी कीन ॥
मेरे प्रभु ने मुझ पर ऐसा उपकार किया है कि

ਪੰਚ ਦੋਖ ਅਰੁ ਅਹੰ ਰੋਗ ਇਹ ਤਨ ਤੇ ਸਗਲ ਦੂਰਿ ਕੀਨ ॥ ਰਹਾਉ ॥
पंच दोख अरु अहं रोग इह तन ते सगल दूरि कीन ॥ रहाउ ॥
मेरे पाँच दोष-काम, क्रोध, लोभ, मोह, घमण्ड तथा अहंकार की बीमारी को इस शरीर से दूर कर दिया है॥रहाउ॥

ਬੰਧਨ ਤੋਰਿ ਛੋਰਿ ਬਿਖਿਆ ਤੇ ਗੁਰ ਕੋ ਸਬਦੁ ਮੇਰੈ ਹੀਅਰੈ ਦੀਨ ॥
बंधन तोरि छोरि बिखिआ ते गुर को सबदु मेरै हीअरै दीन ॥
उसने मेरे बन्धनों को तोड़कर, विषय-विकारों से स्वतंत्र करवा कर मेरे हृदय में गुरु के शब्द को स्थापित कर दिया है।

ਰੂਪੁ ਅਨਰੂਪੁ ਮੋਰੋ ਕਛੁ ਨ ਬੀਚਾਰਿਓ ਪ੍ਰੇਮ ਗਹਿਓ ਮੋਹਿ ਹਰਿ ਰੰਗ ਭੀਨ ॥੧॥
रूपु अनरूपु मोरो कछु न बीचारिओ प्रेम गहिओ मोहि हरि रंग भीन ॥१॥
उसने मेरे रूप एवं कुरूपता की ओर बिल्कुल विचार नहीं किया और मुझे प्रेम से पकड़कर अपने हरि-रंग में भिगो दिया है॥ १॥

ਪੇਖਿਓ ਲਾਲਨੁ ਪਾਟ ਬੀਚ ਖੋਏ ਅਨਦ ਚਿਤਾ ਹਰਖੇ ਪਤੀਨ ॥
पेखिओ लालनु पाट बीच खोए अनद चिता हरखे पतीन ॥
अब बीच का भ्रम का पर्दा दूर होने से प्रियवर के दर्शन हो गए हैं, जिससे मेरा चित्त बड़ा आनंदित एवं हर्ष से तृप्त हो चुका है।

ਤਿਸ ਹੀ ਕੋ ਗ੍ਰਿਹੁ ਸੋਈ ਪ੍ਰਭੁ ਨਾਨਕ ਸੋ ਠਾਕੁਰੁ ਤਿਸ ਹੀ ਕੋ ਧੀਨ ॥੨॥੧॥੨੦॥
तिस ही को ग्रिहु सोई प्रभु नानक सो ठाकुरु तिस ही को धीन ॥२॥१॥२०॥
हे नानक ! यह शरीर रूपी घर उस प्रभु का ही है, वही हमारा ठाकुर है और हम उसके अधीनस्थ हैं। २ ॥ १ ॥ २०॥

ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
टोडी महला ५ ॥
टोडी महला ५ ॥

ਮਾਈ ਮੇਰੇ ਮਨ ਕੀ ਪ੍ਰੀਤਿ ॥
माई मेरे मन की प्रीति ॥
हे मेरी माँ ! मेरे मन की प्रीति परमात्मा से लग गई है।

ਏਹੀ ਕਰਮ ਧਰਮ ਜਪ ਏਹੀ ਰਾਮ ਨਾਮ ਨਿਰਮਲ ਹੈ ਰੀਤਿ ॥ ਰਹਾਉ ॥
एही करम धरम जप एही राम नाम निरमल है रीति ॥ रहाउ ॥
यह प्रीति ही मेरा कर्म, धर्म एवं पूजा है और राम-नाम का भजन ही मेरा निर्मल आचरण है॥रहाउ॥

ਪ੍ਰਾਨ ਅਧਾਰ ਜੀਵਨ ਧਨ ਮੋਰੈ ਦੇਖਨ ਕਉ ਦਰਸਨ ਪ੍ਰਭ ਨੀਤਿ ॥
प्रान अधार जीवन धन मोरै देखन कउ दरसन प्रभ नीति ॥
सर्वदा ही उस प्रभु के दर्शन प्राप्त करना मेरे जीवन का अमूल्य धन एवं प्राणों का आधार है।

ਬਾਟ ਘਾਟ ਤੋਸਾ ਸੰਗਿ ਮੋਰੈ ਮਨ ਅਪੁਨੇ ਕਉ ਮੈ ਹਰਿ ਸਖਾ ਕੀਤ ॥੧॥
बाट घाट तोसा संगि मोरै मन अपुने कउ मै हरि सखा कीत ॥१॥
मार्ग एवं किनारे पर प्रभु के प्रेम का यात्रा-व्यय मेरे साथ है चूंकि अपने मन को मैंने भगवान का साथी बना लिया है। १॥

ਸੰਤ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ਭਏ ਮਨ ਨਿਰਮਲ ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਅਪੁਨੇ ਕਰਿ ਲੀਤ ॥
संत प्रसादि भए मन निरमल करि किरपा अपुने करि लीत ॥
संतों के आशीर्वाद से मेरा मन शुद्ध हो गया है तथा भगवान ने कृपा करके मुझे अपना बना लिया है।

ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਨਾਨਕ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਆਦਿ ਜੁਗਾਦਿ ਭਗਤਨ ਕੇ ਮੀਤ ॥੨॥੨॥੨੧॥
सिमरि सिमरि नानक सुखु पाइआ आदि जुगादि भगतन के मीत ॥२॥२॥२१॥
हे नानक ! ईश्वर का भजन-सिमरन करने से ही सुख की उपलब्धि हुई है, सृष्टि-रचना एवं युगों के आरम्भ से ही वह अपने भक्तों का घनिष्ठ मित्र है। २॥ २ ॥ २१॥

ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
टोडी महला ५ ॥
टोडी महला ५ ॥

ਪ੍ਰਭ ਜੀ ਮਿਲੁ ਮੇਰੇ ਪ੍ਰਾਨ ॥
प्रभ जी मिलु मेरे प्रान ॥
हे प्रभु जी ! तुम ही मेरे प्राण हो, अत: मुझे मिलो।

ਬਿਸਰੁ ਨਹੀ ਨਿਮਖ ਹੀਅਰੇ ਤੇ ਅਪਨੇ ਭਗਤ ਕਉ ਪੂਰਨ ਦਾਨ ॥ ਰਹਾਉ ॥
बिसरु नही निमख हीअरे ते अपने भगत कउ पूरन दान ॥ रहाउ ॥
मेरे हृदय से एक पल भर के लिए भी विस्मृत मत होइए और अपने भक्त को पूर्ण नाम दान दीजिए। रहाउ॥

ਖੋਵਹੁ ਭਰਮੁ ਰਾਖੁ ਮੇਰੇ ਪ੍ਰੀਤਮ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ਸੁਘੜ ਸੁਜਾਨ ॥
खोवहु भरमु राखु मेरे प्रीतम अंतरजामी सुघड़ सुजान ॥
हे मेरे प्रियतम, हे अन्तर्यामी ! तू बड़ा चतुर एवं बुद्धिमान है, अत: मेरा भ्रम दूर करके मेरी रक्षा करो।

ਕੋਟਿ ਰਾਜ ਨਾਮ ਧਨੁ ਮੇਰੈ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਧਾਰਹੁ ਪ੍ਰਭ ਮਾਨ ॥੧॥
कोटि राज नाम धनु मेरै अम्रित द्रिसटि धारहु प्रभ मान ॥१॥
हे माननीय प्रभु! मुझ पर अपनी अमृत-दृष्टि धारण करो, चूंकि तेरा नाम ही मेरे लिए राज के करोड़ों सुखों एवं धन-दौलत के बराबर है॥१ ॥

ਆਠ ਪਹਰ ਰਸਨਾ ਗੁਨ ਗਾਵੈ ਜਸੁ ਪੂਰਿ ਅਘਾਵਹਿ ਸਮਰਥ ਕਾਨ ॥
आठ पहर रसना गुन गावै जसु पूरि अघावहि समरथ कान ॥
हे समर्थ प्रभु! मेरी रसना आठों प्रहर तेरा गुणगान करती है और तेरा यश सुनकर मेरे कान पूर्णतया तृप्त हो जाते हैं।

ਤੇਰੀ ਸਰਣਿ ਜੀਅਨ ਕੇ ਦਾਤੇ ਸਦਾ ਸਦਾ ਨਾਨਕ ਕੁਰਬਾਨ ॥੨॥੩॥੨੨॥
तेरी सरणि जीअन के दाते सदा सदा नानक कुरबान ॥२॥३॥२२॥
हे जीवों के दाता ! मैं तेरी ही शरण में आया हूँ और नानक तुझ पर सदा-सर्वदा ही कुर्बान जाता है। २॥ ३ ॥ २२॥

ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
टोडी महला ५ ॥
टोडी महला ५ ॥

ਪ੍ਰਭ ਤੇਰੇ ਪਗ ਕੀ ਧੂਰਿ ॥
प्रभ तेरे पग की धूरि ॥
हे प्रभु! मैं तेरे चरणों की धूल चाहता हूँ।

ਦੀਨ ਦਇਆਲ ਪ੍ਰੀਤਮ ਮਨਮੋਹਨ ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਮੇਰੀ ਲੋਚਾ ਪੂਰਿ ॥ ਰਹਾਉ ॥
दीन दइआल प्रीतम मनमोहन करि किरपा मेरी लोचा पूरि ॥ रहाउ ॥
हे दीनदयाल ! हे प्रियतम ! हे मनमोहन ! कृपा करके मेरी अभिलाषा पूरी करो ॥ रहाउ ॥

ਦਹ ਦਿਸ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਜਸੁ ਤੁਮਰਾ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ਸਦਾ ਹਜੂਰਿ ॥
दह दिस रवि रहिआ जसु तुमरा अंतरजामी सदा हजूरि ॥
हे अन्तर्यामी प्रभु! तू सदैव ही मेरे साथ रहता है और तेरा यश दसों दिशाओं में फैला हुआ है।

ਜੋ ਤੁਮਰਾ ਜਸੁ ਗਾਵਹਿ ਕਰਤੇ ਸੇ ਜਨ ਕਬਹੁ ਨ ਮਰਤੇ ਝੂਰਿ ॥੧॥
जो तुमरा जसु गावहि करते से जन कबहु न मरते झूरि ॥१॥
हे सृष्टिकर्ता ! जो व्यक्ति तेरा यशोगान करते हैं, वे कभी भी दु:खी होकर नहीं मरते।१॥

ਧੰਧ ਬੰਧ ਬਿਨਸੇ ਮਾਇਆ ਕੇ ਸਾਧੂ ਸੰਗਤਿ ਮਿਟੇ ਬਿਸੂਰ ॥
धंध बंध बिनसे माइआ के साधू संगति मिटे बिसूर ॥
संतों-महापुरुषों की संगति करने से उनके माया के बन्धन धंधे एवं समस्त चिन्ताएँ मिट जाती हैं।

ਸੁਖ ਸੰਪਤਿ ਭੋਗ ਇਸੁ ਜੀਅ ਕੇ ਬਿਨੁ ਹਰਿ ਨਾਨਕ ਜਾਨੇ ਕੂਰ ॥੨॥੪॥੨੩॥
सुख स्मपति भोग इसु जीअ के बिनु हरि नानक जाने कूर ॥२॥४॥२३॥
हे नानक ! इस मन की जितनी भी सुख-संपति एवं भोग इत्यादि है, वे सभी भगवान के नाम के बिना क्षणभंगुर ही समझो। २॥ ४ ॥ २३॥

ਟੋਡੀ ਮਃ ੫ ॥
टोडी मः ५ ॥
टोडी महला ५ ॥

ਮਾਈ ਮੇਰੇ ਮਨ ਕੀ ਪਿਆਸ ॥
माई मेरे मन की पिआस ॥
हे मेरी माई! मेरे मन की प्यास बुझती नहीं अर्थात् प्रभु-दर्शनों की प्यास बनी हुई है।

ਇਕੁ ਖਿਨੁ ਰਹਿ ਨ ਸਕਉ ਬਿਨੁ ਪ੍ਰੀਤਮ ਦਰਸਨ ਦੇਖਨ ਕਉ ਧਾਰੀ ਮਨਿ ਆਸ ॥ ਰਹਾਉ ॥
इकु खिनु रहि न सकउ बिनु प्रीतम दरसन देखन कउ धारी मनि आस ॥ रहाउ ॥
मैं तो अपने प्रियतम-प्रभु के बिना एक क्षण भर के लिए भी रह नहीं सकता और मेरे मन में उसके दर्शन करने की आशा ही बनी हुई है॥रहाउ॥

ਸਿਮਰਉ ਨਾਮੁ ਨਿਰੰਜਨ ਕਰਤੇ ਮਨ ਤਨ ਤੇ ਸਭਿ ਕਿਲਵਿਖ ਨਾਸ ॥
सिमरउ नामु निरंजन करते मन तन ते सभि किलविख नास ॥
मैं तो उस निरंजन सृष्टिकर्ता का ही नाम सिमरन करता हूँ, जिससे मेरे मन एवं तन के सभी पाप नाश हो गए हैं।

ਪੂਰਨ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਸੁਖਦਾਤੇ ਅਬਿਨਾਸੀ ਬਿਮਲ ਜਾ ਕੋ ਜਾਸ ॥੧॥
पूरन पारब्रहम सुखदाते अबिनासी बिमल जा को जास ॥१॥
वह पूर्ण परब्रह्म सदा सुख देने वाला और अनश्वर है, जिसका यश बड़ा पवित्र है॥१॥

ਸੰਤ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ਮੇਰੇ ਪੂਰ ਮਨੋਰਥ ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਭੇਟੇ ਗੁਣਤਾਸ ॥
संत प्रसादि मेरे पूर मनोरथ करि किरपा भेटे गुणतास ॥
संतों की अपार कृपा से मेरे सभी मनोरथ पूरे हो गए हैं और गुणों का भण्डार परमात्मा अपनी कृपा करके मुझे मिल गया है।

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