ਮੇਰਾ ਪ੍ਰਭੁ ਵੇਪਰਵਾਹੁ ਹੈ ਨਾ ਤਿਸੁ ਤਿਲੁ ਨ ਤਮਾਇ ॥
मेरा प्रभु वेपरवाहु है ना तिसु तिलु न तमाइ ॥
मेरा प्रभु बेपरवाह है, जिसे तिल भर कोई लालच नहीं।
ਨਾਨਕ ਤਿਸੁ ਸਰਣਾਈ ਭਜਿ ਪਉ ਆਪੇ ਬਖਸਿ ਮਿਲਾਇ ॥੪॥੫॥
नानक तिसु सरणाई भजि पउ आपे बखसि मिलाइ ॥४॥५॥
हे नानक ! उसकी शरण में आ जाओ, वह स्वयं ही क्षमा करके अपने साथ मिला लेगा॥ ४॥ ५॥
ਮਾਰੂ ਮਹਲਾ ੪ ਘਰੁ ੨
मारू महला ४ घरु २
मारू महला ४ घरु २
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि॥
ਜਪਿਓ ਨਾਮੁ ਸੁਕ ਜਨਕ ਗੁਰ ਬਚਨੀ ਹਰਿ ਹਰਿ ਸਰਣਿ ਪਰੇ ॥
जपिओ नामु सुक जनक गुर बचनी हरि हरि सरणि परे ॥
गुरु के वचन द्वारा शुकदेव एवं राजा जनक भी नाम जपकर भगवान् की शरण में पड़े।
ਦਾਲਦੁ ਭੰਜਿ ਸੁਦਾਮੇ ਮਿਲਿਓ ਭਗਤੀ ਭਾਇ ਤਰੇ ॥
दालदु भंजि सुदामे मिलिओ भगती भाइ तरे ॥
सुदामा का दारिद्र नष्ट हुआ और भक्ति-भाव से उसका भी कल्याण हुआ।
ਭਗਤਿ ਵਛਲੁ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਕ੍ਰਿਤਾਰਥੁ ਗੁਰਮੁਖਿ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੇ ॥੧॥
भगति वछलु हरि नामु क्रितारथु गुरमुखि क्रिपा करे ॥१॥
हरि का नाम भक्तवत्सल एवं कृतार्थ करने वाला है, वह गुरमुख पर ही कृपा करता है॥ १॥
ਮੇਰੇ ਮਨ ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਉਧਰੇ ॥
मेरे मन नामु जपत उधरे ॥
हे मेरे मन ! नाम जपकर कितने ही भक्तजनों का उद्धार हो गया है।
ਧ੍ਰੂ ਪ੍ਰਹਿਲਾਦੁ ਬਿਦਰੁ ਦਾਸੀ ਸੁਤੁ ਗੁਰਮੁਖਿ ਨਾਮਿ ਤਰੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
ध्रू प्रहिलादु बिदरु दासी सुतु गुरमुखि नामि तरे ॥१॥ रहाउ ॥
भक्त धुव, भक्त प्रहलाद, दासी पुत्र विदुर (गुरु के माध्यम से) नाम जपकर भवसागर से पार हो गए॥ १॥ रहाउ॥
ਕਲਜੁਗਿ ਨਾਮੁ ਪ੍ਰਧਾਨੁ ਪਦਾਰਥੁ ਭਗਤ ਜਨਾ ਉਧਰੇ ॥
कलजुगि नामु प्रधानु पदारथु भगत जना उधरे ॥
कलियुग में परमात्मा का नाम ही प्रधान है, जिससे भक्तजनों का उद्धार हुआ है।
ਨਾਮਾ ਜੈਦੇਉ ਕਬੀਰੁ ਤ੍ਰਿਲੋਚਨੁ ਸਭਿ ਦੋਖ ਗਏ ਚਮਰੇ ॥
नामा जैदेउ कबीरु त्रिलोचनु सभि दोख गए चमरे ॥
भक्त नामदेव, भक्त जयदेव, भक्त कबीर एवं भक्त रविदास सबके दोष निवृत्त हो गए।
ਗੁਰਮੁਖਿ ਨਾਮਿ ਲਗੇ ਸੇ ਉਧਰੇ ਸਭਿ ਕਿਲਬਿਖ ਪਾਪ ਟਰੇ ॥੨॥
गुरमुखि नामि लगे से उधरे सभि किलबिख पाप टरे ॥२॥
जो गुरुमुख नाम-स्मरण में प्रवृत्त हुए, उनका कल्याण हुआ और उनके सब किल्विष पाप नष्ट हो गए।२॥
ਜੋ ਜੋ ਨਾਮੁ ਜਪੈ ਅਪਰਾਧੀ ਸਭਿ ਤਿਨ ਕੇ ਦੋਖ ਪਰਹਰੇ ॥
जो जो नामु जपै अपराधी सभि तिन के दोख परहरे ॥
जिस-जिस अपराधी ने नाम का जाप किया, उसके सब दोष समाप्त हो गए।
ਬੇਸੁਆ ਰਵਤ ਅਜਾਮਲੁ ਉਧਰਿਓ ਮੁਖਿ ਬੋਲੈ ਨਾਰਾਇਣੁ ਨਰਹਰੇ ॥
बेसुआ रवत अजामलु उधरिओ मुखि बोलै नाराइणु नरहरे ॥
वेश्या के संग भोग करने वाले पापी अजामल का मुँह से नारायण नाम बोलने से ही उद्धार हो गया।
ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਉਗ੍ਰਸੈਣਿ ਗਤਿ ਪਾਈ ਤੋੜਿ ਬੰਧਨ ਮੁਕਤਿ ਕਰੇ ॥੩॥
नामु जपत उग्रसैणि गति पाई तोड़ि बंधन मुकति करे ॥३॥
राजा उग्रसेन ने नाम जपकर गति प्राप्त की, ईश्वर ने उसके सब बन्धन तोड़कर उसकी मुक्ति कर दी।॥ ३॥
ਜਨ ਕਉ ਆਪਿ ਅਨੁਗ੍ਰਹੁ ਕੀਆ ਹਰਿ ਅੰਗੀਕਾਰੁ ਕਰੇ ॥
जन कउ आपि अनुग्रहु कीआ हरि अंगीकारु करे ॥
प्रभु ने स्वयं ही अपने भक्त पर कृपा की है और उसका ही साथ दिया है।
ਸੇਵਕ ਪੈਜ ਰਖੈ ਮੇਰਾ ਗੋਵਿਦੁ ਸਰਣਿ ਪਰੇ ਉਧਰੇ ॥
सेवक पैज रखै मेरा गोविदु सरणि परे उधरे ॥
मेरा प्रभु सदा अपने सेवक की लाज रखता है और उसकी शरण में आने वाले का उद्धार हुआ है।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ਉਰ ਧਰਿਓ ਨਾਮੁ ਹਰੇ ॥੪॥੧॥
जन नानक हरि किरपा धारी उर धरिओ नामु हरे ॥४॥१॥
हे नानक ! जिसने हरि-नाम को अपने हृदय में धारण किया है, उस पर उसने कृपा की है॥ ४॥ १॥
ਮਾਰੂ ਮਹਲਾ ੪ ॥
मारू महला ४ ॥
मारू महला ४॥
ਸਿਧ ਸਮਾਧਿ ਜਪਿਓ ਲਿਵ ਲਾਈ ਸਾਧਿਕ ਮੁਨਿ ਜਪਿਆ ॥
सिध समाधि जपिओ लिव लाई साधिक मुनि जपिआ ॥
सिद्धों ने समाधि लगाकर और साधक-मुनियों ने ध्यान लगाकर भगवान् का ही जाप किया है।
ਜਤੀ ਸਤੀ ਸੰਤੋਖੀ ਧਿਆਇਆ ਮੁਖਿ ਇੰਦ੍ਰਾਦਿਕ ਰਵਿਆ ॥
जती सती संतोखी धिआइआ मुखि इंद्रादिक रविआ ॥
यति, सत्यवादी, संतोषवान जीवों ने ईश्वर का मनन किया और देवराज इन्द्र इत्यादि देवगणों ने भी उसे ही स्मरण किया।
ਸਰਣਿ ਪਰੇ ਜਪਿਓ ਤੇ ਭਾਏ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਾਰਿ ਪਇਆ ॥੧॥
सरणि परे जपिओ ते भाए गुरमुखि पारि पइआ ॥१॥
शरण में आए जिन जीवों ने जाप किया, वही परमात्मा को प्रेिय लगे हैं और उन गुरुमुखों का उद्धार हुआ है॥ १॥
ਮੇਰੇ ਮਨ ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਤਰਿਆ ॥
मेरे मन नामु जपत तरिआ ॥
हे मेरे मन ! नाम का जाप करके अनेक जीवों की मुक्ति हुई।
ਧੰਨਾ ਜਟੁ ਬਾਲਮੀਕੁ ਬਟਵਾਰਾ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਾਰਿ ਪਇਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
धंना जटु बालमीकु बटवारा गुरमुखि पारि पइआ ॥१॥ रहाउ ॥
धन्ना जाट एवं (द्वापर युग में) लुटेरा वाल्मीक गुरु से उपदेश लेकर मुक्त हुए॥ १॥ रहाउ॥
ਸੁਰਿ ਨਰ ਗਣ ਗੰਧਰਬੇ ਜਪਿਓ ਰਿਖਿ ਬਪੁਰੈ ਹਰਿ ਗਾਇਆ ॥
सुरि नर गण गंधरबे जपिओ रिखि बपुरै हरि गाइआ ॥
देवते, मनुष्य, गण-गंधर्व सबने जाप किया और बेचारे ऋषियों ने हरि का ही स्तुतिगान किया।
ਸੰਕਰਿ ਬ੍ਰਹਮੈ ਦੇਵੀ ਜਪਿਓ ਮੁਖਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਜਪਿਆ ॥
संकरि ब्रहमै देवी जपिओ मुखि हरि हरि नामु जपिआ ॥
शिवशंकर, ब्रह्मा एवं देवी पार्वती ने भी मुख से हरि-नाम ही जपा है।
ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮਿ ਜਿਨਾ ਮਨੁ ਭੀਨਾ ਤੇ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਾਰਿ ਪਇਆ ॥੨॥
हरि हरि नामि जिना मनु भीना ते गुरमुखि पारि पइआ ॥२॥
जिनका मन हरि-नाम में भीग गया, इनका गुरु के माध्यम से उद्धार हुआ॥ २॥
ਕੋਟਿ ਕੋਟਿ ਤੇਤੀਸ ਧਿਆਇਓ ਹਰਿ ਜਪਤਿਆ ਅੰਤੁ ਨ ਪਾਇਆ ॥
कोटि कोटि तेतीस धिआइओ हरि जपतिआ अंतु न पाइआ ॥
तेंतीस करोड़ देवी देवताओं ने परमात्मा का ही ध्यान किया परन्तु जाप करके भी उन्हें अन्त प्राप्त नहीं हुआ।
ਬੇਦ ਪੁਰਾਣ ਸਿਮ੍ਰਿਤਿ ਹਰਿ ਜਪਿਆ ਮੁਖਿ ਪੰਡਿਤ ਹਰਿ ਗਾਇਆ ॥
बेद पुराण सिम्रिति हरि जपिआ मुखि पंडित हरि गाइआ ॥
वेद, पुराण एवं स्मृतियों ने हरि का जाप किया और पण्डितों ने भी मुख से हरि का यशोगान किया।
ਨਾਮੁ ਰਸਾਲੁ ਜਿਨਾ ਮਨਿ ਵਸਿਆ ਤੇ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਾਰਿ ਪਇਆ ॥੩॥
नामु रसालु जिना मनि वसिआ ते गुरमुखि पारि पइआ ॥३॥
जिनके मन में मीठा प्रभु-नाम बस गया, गुरु-उपदेशानुसार उनकी मुक्ति हो गई॥ ३॥
ਅਨਤ ਤਰੰਗੀ ਨਾਮੁ ਜਿਨ ਜਪਿਆ ਮੈ ਗਣਤ ਨ ਕਰਿ ਸਕਿਆ ॥
अनत तरंगी नामु जिन जपिआ मै गणत न करि सकिआ ॥
जिन्होंने अनंत तरंगों वाले हरि-नाम का जाप किया है, में उनकी गणना नहीं कर सका।
ਗੋਬਿਦੁ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੇ ਥਾਇ ਪਾਏ ਜੋ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭ ਮਨਿ ਭਾਇਆ ॥
गोबिदु क्रिपा करे थाइ पाए जो हरि प्रभ मनि भाइआ ॥
जो परमात्मा के मन को भा गया है, गोविन्द ने कृपा करके उसका जीवन सफल कर दिया है।
ਗੁਰਿ ਧਾਰਿ ਕ੍ਰਿਪਾ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਦ੍ਰਿੜਾਇਓ ਜਨ ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਲਇਆ ॥੪॥੨॥
गुरि धारि क्रिपा हरि नामु द्रिड़ाइओ जन नानक नामु लइआ ॥४॥२॥
हे नानक ! नाम-स्मरण उसने ही किया है, जिसे गुरु ने कृपा करके मन में हरि-नाम दृढ़ करवाया है ॥४॥२॥