ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
रामकली महला ५ ॥
रामकली महला ५ ॥
ਅੰਗੀਕਾਰੁ ਕੀਆ ਪ੍ਰਭਿ ਅਪਨੈ ਬੈਰੀ ਸਗਲੇ ਸਾਧੇ ॥
अंगीकारु कीआ प्रभि अपनै बैरी सगले साधे ॥
प्रभु ने मेरा साथ दिया है तथा उसने मेरे सारे वैरी (काम, क्रोध इत्यादि) वशीभूत कर दिए हैं।
ਜਿਨਿ ਬੈਰੀ ਹੈ ਇਹੁ ਜਗੁ ਲੂਟਿਆ ਤੇ ਬੈਰੀ ਲੈ ਬਾਧੇ ॥੧॥
जिनि बैरी है इहु जगु लूटिआ ते बैरी लै बाधे ॥१॥
जिन वैरियों ने यह सारा जग लूट लिया है, उसने वे वैरी पकड़ कर बांध दिए हैं।॥ १॥
ਸਤਿਗੁਰੁ ਪਰਮੇਸਰੁ ਮੇਰਾ ॥
सतिगुरु परमेसरु मेरा ॥
सतगुरु ही मेरा परमेश्वर है।
ਅਨਿਕ ਰਾਜ ਭੋਗ ਰਸ ਮਾਣੀ ਨਾਉ ਜਪੀ ਭਰਵਾਸਾ ਤੇਰਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
अनिक राज भोग रस माणी नाउ जपी भरवासा तेरा ॥१॥ रहाउ ॥
मैं अनेक राज सुख एवं खुशियाँ प्राप्त करता हूँ। हे ईश्वर ! मुझे तेरा ही भरोसा है और तेरा ही नाम जपता हूँ॥ १॥ रहाउ॥
ਚੀਤਿ ਨ ਆਵਸਿ ਦੂਜੀ ਬਾਤਾ ਸਿਰ ਊਪਰਿ ਰਖਵਾਰਾ ॥
चीति न आवसि दूजी बाता सिर ऊपरि रखवारा ॥
मुझे कोई अन्य बात याद नहीं आती, क्योंकि परमेश्वर ही मेरा रखवाला है।
ਬੇਪਰਵਾਹੁ ਰਹਤ ਹੈ ਸੁਆਮੀ ਇਕ ਨਾਮ ਕੈ ਆਧਾਰਾ ॥੨॥
बेपरवाहु रहत है सुआमी इक नाम कै आधारा ॥२॥
हे स्वामी ! एक तेरे नाम के आधार से मैं बेपरवाह रहता हूँ॥ २॥
ਪੂਰਨ ਹੋਇ ਮਿਲਿਓ ਸੁਖਦਾਈ ਊਨ ਨ ਕਾਈ ਬਾਤਾ ॥
पूरन होइ मिलिओ सुखदाई ऊन न काई बाता ॥
मुझे सुखदायक प्रभु मिल गया है, जिससे मैं पूर्ण सुखी हो गया हूँ तथा मुझे किसी बात की कोई कमी नहीं रही।
ਤਤੁ ਸਾਰੁ ਪਰਮ ਪਦੁ ਪਾਇਆ ਛੋਡਿ ਨ ਕਤਹੂ ਜਾਤਾ ॥੩॥
ततु सारु परम पदु पाइआ छोडि न कतहू जाता ॥३॥
तत्व सार रूपी परमपद पा लिया है और उसे छोड़कर कहीं नहीं जाता॥ ३॥
ਬਰਨਿ ਨ ਸਾਕਉ ਜੈਸਾ ਤੂ ਹੈ ਸਾਚੇ ਅਲਖ ਅਪਾਰਾ ॥
बरनि न साकउ जैसा तू है साचे अलख अपारा ॥
हे सच्चे अलक्ष्य अपरंपार ! जैसा तू है, मैं वर्णन नहीं कर सकता।
ਅਤੁਲ ਅਥਾਹ ਅਡੋਲ ਸੁਆਮੀ ਨਾਨਕ ਖਸਮੁ ਹਮਾਰਾ ॥੪॥੫॥
अतुल अथाह अडोल सुआमी नानक खसमु हमारा ॥४॥५॥
हे नानक ! मेरा मालिक अतुलनीय, अथाह, अडोल एवं सारे जगत् का स्वामी है॥ ४॥ ५ ॥
ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
रामकली महला ५ ॥
रामकली महला ५ ॥
ਤੂ ਦਾਨਾ ਤੂ ਅਬਿਚਲੁ ਤੂਹੀ ਤੂ ਜਾਤਿ ਮੇਰੀ ਪਾਤੀ ॥
तू दाना तू अबिचलु तूही तू जाति मेरी पाती ॥
हे परमेश्वर ! तू बड़ा बुद्धिमान है, तू ही अटल है और तू ही मेरी जाती – पाती है।
ਤੂ ਅਡੋਲੁ ਕਦੇ ਡੋਲਹਿ ਨਾਹੀ ਤਾ ਹਮ ਕੈਸੀ ਤਾਤੀ ॥੧॥
तू अडोलु कदे डोलहि नाही ता हम कैसी ताती ॥१॥
तू अडोल है और कभी नहीं डोलता, फिर मुझे कैसी चिंता हो सकती है ? ॥ १॥
ਏਕੈ ਏਕੈ ਏਕ ਤੂਹੀ ॥
एकै एकै एक तूही ॥
हे ईश्वर ! केवल एक तू ही हैं,
ਏਕੈ ਏਕੈ ਤੂ ਰਾਇਆ ॥
एकै एकै तू राइआ ॥
एक तू ही सम्पूर्ण विश्व का बादशाह है।
ਤਉ ਕਿਰਪਾ ਤੇ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
तउ किरपा ते सुखु पाइआ ॥१॥ रहाउ ॥
तेरी कृपा से ही मुझे सुख प्राप्त हुआ है ॥रहाउ ॥
ਤੂ ਸਾਗਰੁ ਹਮ ਹੰਸ ਤੁਮਾਰੇ ਤੁਮ ਮਹਿ ਮਾਣਕ ਲਾਲਾ ॥
तू सागरु हम हंस तुमारे तुम महि माणक लाला ॥
तू गुणों का गहरा सागर है और हम तुम्हारे हंस हैं और तुझ में ही माणिक एवं लाल है।
ਤੁਮ ਦੇਵਹੁ ਤਿਲੁ ਸੰਕ ਨ ਮਾਨਹੁ ਹਮ ਭੁੰਚਹ ਸਦਾ ਨਿਹਾਲਾ ॥੨॥
तुम देवहु तिलु संक न मानहु हम भुंचह सदा निहाला ॥२॥
देते वक्त तिल मात्र भी शंका नहीं करता और हम तुझ से दान पाकर सदा निहाल रहते है २॥
ਹਮ ਬਾਰਿਕ ਤੁਮ ਪਿਤਾ ਹਮਾਰੇ ਤੁਮ ਮੁਖਿ ਦੇਵਹੁ ਖੀਰਾ ॥
हम बारिक तुम पिता हमारे तुम मुखि देवहु खीरा ॥
हम तेरी संतान हैं, तुम हमारे पिता हो और तुम ही हमारे मुँह में दूध डालते हो।
ਹਮ ਖੇਲਹ ਸਭਿ ਲਾਡ ਲਡਾਵਹ ਤੁਮ ਸਦ ਗੁਣੀ ਗਹੀਰਾ ॥੩॥
हम खेलह सभि लाड लडावह तुम सद गुणी गहीरा ॥३॥
हम तेरे साथ खेलते हैं, तुम लाड लडाते रहते हो, तुम सदा ही गुणों के गहरे सागर हो।॥ ३॥
ਤੁਮ ਪੂਰਨ ਪੂਰਿ ਰਹੇ ਸੰਪੂਰਨ ਹਮ ਭੀ ਸੰਗਿ ਅਘਾਏ ॥
तुम पूरन पूरि रहे स्मपूरन हम भी संगि अघाए ॥
तू पूर्ण है, सर्वव्यापक है, तेरे संग लगकर हम तृप्त हो चुके हैं।
ਮਿਲਤ ਮਿਲਤ ਮਿਲਤ ਮਿਲਿ ਰਹਿਆ ਨਾਨਕ ਕਹਣੁ ਨ ਜਾਏ ॥੪॥੬॥
मिलत मिलत मिलत मिलि रहिआ नानक कहणु न जाए ॥४॥६॥
हे प्रभु ! हम तेरे साथ मिलते-मिलते पूर्णतया मिल चुके हैं, हे नानक ! इस मिलाप को व्यक्त नहीं किया जा सकता ॥ ४॥ ६॥
ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
रामकली महला ५ ॥
रामकली महला ५ ॥
ਕਰ ਕਰਿ ਤਾਲ ਪਖਾਵਜੁ ਨੈਨਹੁ ਮਾਥੈ ਵਜਹਿ ਰਬਾਬਾ ॥
कर करि ताल पखावजु नैनहु माथै वजहि रबाबा ॥
हाथों से ताल, नयनों से पखावज और माथे पर रबाब बजता है।
ਕਰਨਹੁ ਮਧੁ ਬਾਸੁਰੀ ਬਾਜੈ ਜਿਹਵਾ ਧੁਨਿ ਆਗਾਜਾ ॥
करनहु मधु बासुरी बाजै जिहवा धुनि आगाजा ॥
कानों से मधुर बांसुरी एवं जिव्हा द्वारा रागों की धुन गूंजती है।
ਨਿਰਤਿ ਕਰੇ ਕਰਿ ਮਨੂਆ ਨਾਚੈ ਆਣੇ ਘੂਘਰ ਸਾਜਾ ॥੧॥
निरति करे करि मनूआ नाचै आणे घूघर साजा ॥१॥
घुंघरू एवं अन्य साजों सहित मन नृत्य करके नाचता है॥ १॥
ਰਾਮ ਕੋ ਨਿਰਤਿਕਾਰੀ ॥
राम को निरतिकारी ॥
यह राम की रचना का नाच हो रहा है।
ਪੇਖੈ ਪੇਖਨਹਾਰੁ ਦਇਆਲਾ ਜੇਤਾ ਸਾਜੁ ਸੀਗਾਰੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
पेखै पेखनहारु दइआला जेता साजु सीगारी ॥१॥ रहाउ ॥
यह जितना भी साज-श्रृंगार है, देखने वाला दयालु प्रभु इसे देख रहा है॥ १॥ रहाउ॥।
ਆਖਾਰ ਮੰਡਲੀ ਧਰਣਿ ਸਬਾਈ ਊਪਰਿ ਗਗਨੁ ਚੰਦੋਆ ॥
आखार मंडली धरणि सबाई ऊपरि गगनु चंदोआ ॥
यह सारी धरती नृत्य करने के लिए अखाड़े का मंच बनी हुई है और उसके ऊपर गगन रूपी चंदोया तना हुआ है।
ਪਵਨੁ ਵਿਚੋਲਾ ਕਰਤ ਇਕੇਲਾ ਜਲ ਤੇ ਓਪਤਿ ਹੋਆ ॥
पवनु विचोला करत इकेला जल ते ओपति होआ ॥
आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाने के लिए पवन बिचौला बना हुआ है और अकेला ही बिचौलगी कर रहा है। यह शरीर मनुष्य के वीर्य रूपी जल से उत्पन्न हुआ है।
ਪੰਚ ਤਤੁ ਕਰਿ ਪੁਤਰਾ ਕੀਨਾ ਕਿਰਤ ਮਿਲਾਵਾ ਹੋਆ ॥੨॥
पंच ततु करि पुतरा कीना किरत मिलावा होआ ॥२॥
परमात्मा ने पाँच तत्वों-आकाश, हवा, जल, अग्नि एवं पृथ्वी द्वारा मानव शरीर रूपी पुतला बनाया है और कर्मों से ही उसका परमेश्वर से मिलाप होता है॥ २॥
ਚੰਦੁ ਸੂਰਜੁ ਦੁਇ ਜਰੇ ਚਰਾਗਾ ਚਹੁ ਕੁੰਟ ਭੀਤਰਿ ਰਾਖੇ ॥
चंदु सूरजु दुइ जरे चरागा चहु कुंट भीतरि राखे ॥
चाँद एवं सूर्य रूपी दो दीपक जल रहे हैं, जिन्हें चारों दिशाओं में प्रकाश करने के लिए रखा हुआ है।
ਦਸ ਪਾਤਉ ਪੰਚ ਸੰਗੀਤਾ ਏਕੈ ਭੀਤਰਿ ਸਾਥੇ ॥
दस पातउ पंच संगीता एकै भीतरि साथे ॥
नृत्य करने वाली वेश्या रूपी दस ज्ञानेन्द्रियों और संगीत बजाने वाले पाँच विकार शरीर में एक ही स्थान पर इकट्ठे बैठे हुए हैं।
ਭਿੰਨ ਭਿੰਨ ਹੋਇ ਭਾਵ ਦਿਖਾਵਹਿ ਸਭਹੁ ਨਿਰਾਰੀ ਭਾਖੇ ॥੩॥
भिंन भिंन होइ भाव दिखावहि सभहु निरारी भाखे ॥३॥
ये सभी भिन्न-भिन्न होकर अपना-अपना कमाल दिखाते हैं और सभी अपनी-अपनी निराली भाषा बोलते हैं।॥ ३॥
ਘਰਿ ਘਰਿ ਨਿਰਤਿ ਹੋਵੈ ਦਿਨੁ ਰਾਤੀ ਘਟਿ ਘਟਿ ਵਾਜੈ ਤੂਰਾ ॥
घरि घरि निरति होवै दिनु राती घटि घटि वाजै तूरा ॥
शरीर रूपी घर-घर में दिन-रात नृत्य हो रहा है और हरेक हृदय में बाजा बज रहा है।
ਏਕਿ ਨਚਾਵਹਿ ਏਕਿ ਭਵਾਵਹਿ ਇਕਿ ਆਇ ਜਾਇ ਹੋਇ ਧੂਰਾ ॥
एकि नचावहि एकि भवावहि इकि आइ जाइ होइ धूरा ॥
परमात्मा किसी को नाच नचाता है, किसी को योनियों में है और कोई जन्म-मरण के चक्र में पड़कर खाक होता रहता है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੋ ਬਹੁਰਿ ਨ ਨਾਚੈ ਜਿਸੁ ਗੁਰੁ ਭੇਟੈ ਪੂਰਾ ॥੪॥੭॥
कहु नानक सो बहुरि न नाचै जिसु गुरु भेटै पूरा ॥४॥७॥
हे नानक ! जिसे पूर्ण गुरु मिल जाता है, उसे दुबारा नहीं नाचना पड़ता॥ ४॥ ७॥