ਅਜਾਮਲ ਕਉ ਅੰਤ ਕਾਲ ਮਹਿ ਨਾਰਾਇਨ ਸੁਧਿ ਆਈ ॥
अजामल कउ अंत काल महि नाराइन सुधि आई ॥
जब अन्तिम समय पापी अजामल को नारायण की याद आई तो
ਜਾਂ ਗਤਿ ਕਉ ਜੋਗੀਸੁਰ ਬਾਛਤ ਸੋ ਗਤਿ ਛਿਨ ਮਹਿ ਪਾਈ ॥੨॥
जां गति कउ जोगीसुर बाछत सो गति छिन महि पाई ॥२॥
उसने एक क्षण में ही ऐसी गति प्राप्त कर ली, जिस गति के बड़े-बड़े योगीश्वर भी अभिलाषी हैं।२॥
ਨਾਹਿਨ ਗੁਨੁ ਨਾਹਿਨ ਕਛੁ ਬਿਦਿਆ ਧਰਮੁ ਕਉਨੁ ਗਜਿ ਕੀਨਾ ॥
नाहिन गुनु नाहिन कछु बिदिआ धरमु कउनु गजि कीना ॥
गजिन्द्र हाथी में न कोई गुण था, न उसने कुछ विद्या पढ़ी थी, फिर उसने कौन-सा धर्म-कर्म किया था ?
ਨਾਨਕ ਬਿਰਦੁ ਰਾਮ ਕਾ ਦੇਖਹੁ ਅਭੈ ਦਾਨੁ ਤਿਹ ਦੀਨਾ ॥੩॥੧॥
नानक बिरदु राम का देखहु अभै दानु तिह दीना ॥३॥१॥
हे नानक ! राम जी का विरद देखो, उसने मगरमच्छ के मुँह से बचाकर उसे भी अभयदान दिया था।॥ ३॥१॥
ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੯ ॥
रामकली महला ९ ॥
रामकली महला ९ ॥
ਸਾਧੋ ਕਉਨ ਜੁਗਤਿ ਅਬ ਕੀਜੈ ॥
साधो कउन जुगति अब कीजै ॥
हे साधुजनो ! अब कौन-सी युक्ति की जाए,
ਜਾ ਤੇ ਦੁਰਮਤਿ ਸਗਲ ਬਿਨਾਸੈ ਰਾਮ ਭਗਤਿ ਮਨੁ ਭੀਜੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जा ते दुरमति सगल बिनासै राम भगति मनु भीजै ॥१॥ रहाउ ॥
जिससे सारी दुर्मति नाश हो जाए और मन राम की भक्ति में भीग जाए॥ १॥ रहाउ॥
ਮਨੁ ਮਾਇਆ ਮਹਿ ਉਰਝਿ ਰਹਿਓ ਹੈ ਬੂਝੈ ਨਹ ਕਛੁ ਗਿਆਨਾ ॥
मनु माइआ महि उरझि रहिओ है बूझै नह कछु गिआना ॥
यह मन तो माया में उलझा रहता है और ज्ञान को बिल्कुल नहीं जानता।
ਕਉਨੁ ਨਾਮੁ ਜਗੁ ਜਾ ਕੈ ਸਿਮਰੈ ਪਾਵੈ ਪਦੁ ਨਿਰਬਾਨਾ ॥੧॥
कउनु नामु जगु जा कै सिमरै पावै पदु निरबाना ॥१॥
जगत में ऐसा कोन-सा नाम है, जिसका सिमरन करने से निर्वाण पद प्राप्त हो जाता है॥ १ ॥
ਭਏ ਦਇਆਲ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਸੰਤ ਜਨ ਤਬ ਇਹ ਬਾਤ ਬਤਾਈ ॥
भए दइआल क्रिपाल संत जन तब इह बात बताई ॥
जब संतजन दयालु कृपालु हो गए तो उन्होंने यह ज्ञान की बात बताई है कि
ਸਰਬ ਧਰਮ ਮਾਨੋ ਤਿਹ ਕੀਏ ਜਿਹ ਪ੍ਰਭ ਕੀਰਤਿ ਗਾਈ ॥੨॥
सरब धरम मानो तिह कीए जिह प्रभ कीरति गाई ॥२॥
जिसने प्रभु का कीर्तिगान किया है, समझ लो उसने सब धर्म-कर्म कर लिए हैं।२ ।
ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਨਰੁ ਨਿਸਿ ਬਾਸੁਰ ਮਹਿ ਨਿਮਖ ਏਕ ਉਰਿ ਧਾਰੈ ॥
राम नामु नरु निसि बासुर महि निमख एक उरि धारै ॥
हे नानक ! जो व्यक्ति रात-दिन एक पल भर के लिए राम नाम को अपने हृदय में धारण करता है,
ਜਮ ਕੋ ਤ੍ਰਾਸੁ ਮਿਟੈ ਨਾਨਕ ਤਿਹ ਅਪੁਨੋ ਜਨਮੁ ਸਵਾਰੈ ॥੩॥੨॥
जम को त्रासु मिटै नानक तिह अपुनो जनमु सवारै ॥३॥२॥
उसका मृत्यु का भय मिट जाता है और वह अपना जन्म संवार लेता है॥ ३ ॥ २ ॥
ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੯ ॥
रामकली महला ९ ॥
रामकली महला ९ ॥
ਪ੍ਰਾਨੀ ਨਾਰਾਇਨ ਸੁਧਿ ਲੇਹਿ ॥
प्रानी नाराइन सुधि लेहि ॥
हे प्राणी ! नारायण का ध्यान करो; चूंकि
ਛਿਨੁ ਛਿਨੁ ਅਉਧ ਘਟੈ ਨਿਸਿ ਬਾਸੁਰ ਬ੍ਰਿਥਾ ਜਾਤੁ ਹੈ ਦੇਹ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
छिनु छिनु अउध घटै निसि बासुर ब्रिथा जातु है देह ॥१॥ रहाउ ॥
क्षण-क्षण तेरी आयु कम होती जा रही है और रात-दिन तेरा शरीर व्यर्थ जा रहा है॥ १॥
ਤਰਨਾਪੋ ਬਿਖਿਅਨ ਸਿਉ ਖੋਇਓ ਬਾਲਪਨੁ ਅਗਿਆਨਾ ॥
तरनापो बिखिअन सिउ खोइओ बालपनु अगिआना ॥
तेरा बचपन अज्ञानता में बीत गया और तरुणावस्था विषय-विकारों में गंवा दी।
ਬਿਰਧਿ ਭਇਓ ਅਜਹੂ ਨਹੀ ਸਮਝੈ ਕਉਨ ਕੁਮਤਿ ਉਰਝਾਨਾ ॥੧॥
बिरधि भइओ अजहू नही समझै कउन कुमति उरझाना ॥१॥
अब तू बूढ़ा हो गया है, पर अभी भी तू नहीं समझ रहा, फिर कौन-सी खोटी बुद्धि में उलझा हुआ है।॥ १॥
ਮਾਨਸ ਜਨਮੁ ਦੀਓ ਜਿਹ ਠਾਕੁਰਿ ਸੋ ਤੈ ਕਿਉ ਬਿਸਰਾਇਓ ॥
मानस जनमु दीओ जिह ठाकुरि सो तै किउ बिसराइओ ॥
जिस ठाकुर जी ने तुझे मनुष्य-जन्म दिया है, तूने उसे क्यों भुला दिया है ?”
ਮੁਕਤੁ ਹੋਤ ਨਰ ਜਾ ਕੈ ਸਿਮਰੈ ਨਿਮਖ ਨ ਤਾ ਕਉ ਗਾਇਓ ॥੨॥
मुकतु होत नर जा कै सिमरै निमख न ता कउ गाइओ ॥२॥
जिसका सिमरन करने से मुक्ति हो जाती है, तूने क्षण भर भी उसका यशगान नहीं किया।॥ २॥
ਮਾਇਆ ਕੋ ਮਦੁ ਕਹਾ ਕਰਤੁ ਹੈ ਸੰਗਿ ਨ ਕਾਹੂ ਜਾਈ ॥
माइआ को मदु कहा करतु है संगि न काहू जाई ॥
तू धन-दौलत का इतना अभिमान क्यों करता है ? अंतिम समय यह किसी के साथ नहीं जाती।
ਨਾਨਕੁ ਕਹਤੁ ਚੇਤਿ ਚਿੰਤਾਮਨਿ ਹੋਇ ਹੈ ਅੰਤਿ ਸਹਾਈ ॥੩॥੩॥੮੧॥
नानकु कहतु चेति चिंतामनि होइ है अंति सहाई ॥३॥३॥८१॥
नानक कहते हैं कि अरे भाई ! चिंतामणि परमेश्वर का स्मरण करो; अन्त में वही तेरा मददगार होगा ॥३॥३॥८१॥
ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੧ ਅਸਟਪਦੀਆ
रामकली महला १ असटपदीआ
रामकली महला १ असटपदीआ
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ਸੋਈ ਚੰਦੁ ਚੜਹਿ ਸੇ ਤਾਰੇ ਸੋਈ ਦਿਨੀਅਰੁ ਤਪਤ ਰਹੈ ॥
सोई चंदु चड़हि से तारे सोई दिनीअरु तपत रहै ॥
आसमान में वही चाँद और सितारे चमक रहे हैं तथा वही सूर्य तप रहा है।
ਸਾ ਧਰਤੀ ਸੋ ਪਉਣੁ ਝੁਲਾਰੇ ਜੁਗ ਜੀਅ ਖੇਲੇ ਥਾਵ ਕੈਸੇ ॥੧॥
सा धरती सो पउणु झुलारे जुग जीअ खेले थाव कैसे ॥१॥
वही धरती है और वही पवन झूल रही है। यह किस तरह माना जा सकता है कि कोई युग जीवों में क्रियाशील होता है ?॥ १॥
ਜੀਵਨ ਤਲਬ ਨਿਵਾਰਿ ॥
जीवन तलब निवारि ॥
अपने जीवन की लालसा छोड़ दो।
ਹੋਵੈ ਪਰਵਾਣਾ ਕਰਹਿ ਧਿਙਾਣਾ ਕਲਿ ਲਖਣ ਵੀਚਾਰਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
होवै परवाणा करहि धिङाणा कलि लखण वीचारि ॥१॥ रहाउ ॥
जो व्यक्ति मासूमों पर अत्याचार करता है, उसकी सत्ता को माना जाता है। इसे कलियुग के लक्षण समझो।॥ १॥ रहाउ॥
ਕਿਤੈ ਦੇਸਿ ਨ ਆਇਆ ਸੁਣੀਐ ਤੀਰਥ ਪਾਸਿ ਨ ਬੈਠਾ ॥
कितै देसि न आइआ सुणीऐ तीरथ पासि न बैठा ॥
किसी से ऐसा नहीं सुना कि कलियुग किसी देश में आया है और न ही यह केिसी तीर्थ के पास बैठा हुआ है।
ਦਾਤਾ ਦਾਨੁ ਕਰੇ ਤਹ ਨਾਹੀ ਮਹਲ ਉਸਾਰਿ ਨ ਬੈਠਾ ॥੨॥
दाता दानु करे तह नाही महल उसारि न बैठा ॥२॥
जिधर कोई दानी दान कर रहा है, उधर भी कलियुग नहीं और किसी विशेष स्थान पर महल का निर्माण करके भी नहीं बैठा हुआ ॥ २॥
ਜੇ ਕੋ ਸਤੁ ਕਰੇ ਸੋ ਛੀਜੈ ਤਪ ਘਰਿ ਤਪੁ ਨ ਹੋਈ ॥
जे को सतु करे सो छीजै तप घरि तपु न होई ॥
यदि कोई सत्य, धर्म या नेक आचरण करता है तो वह ख्वार होता है। यदि कोई तपस्या करता है तो उसकी तपस्या सफल नहीं होती।
ਜੇ ਕੋ ਨਾਉ ਲਏ ਬਦਨਾਵੀ ਕਲਿ ਕੇ ਲਖਣ ਏਈ ॥੩॥
जे को नाउ लए बदनावी कलि के लखण एई ॥३॥
यदि कोई परमात्मा का नाम लेता है तो लोगों में उसकी बदनामी होती है। यही कलियुग के लक्षण हैं।॥ ३॥
ਜਿਸੁ ਸਿਕਦਾਰੀ ਤਿਸਹਿ ਖੁਆਰੀ ਚਾਕਰ ਕੇਹੇ ਡਰਣਾ ॥
जिसु सिकदारी तिसहि खुआरी चाकर केहे डरणा ॥
जिस व्यक्ति को शासन मिलता है तो वह भी ख्वार होता है। नौकरों को केिसी प्रकार का कोई डर नहीं होता ?
ਜਾ ਸਿਕਦਾਰੈ ਪਵੈ ਜੰਜੀਰੀ ਤਾ ਚਾਕਰ ਹਥਹੁ ਮਰਣਾ ॥੪॥
जा सिकदारै पवै जंजीरी ता चाकर हथहु मरणा ॥४॥
जब शासक को जंजीरें पड़ती हैं तो नौकरों के हाथों ही उसकी मृत्यु होती है अर्थात् नौकर ही मालिक से धोखा करते हैं।॥ ४॥