ਹਸਤੀ ਘੋੜੇ ਦੇਖਿ ਵਿਗਾਸਾ ॥
हसती घोड़े देखि विगासा ॥
मनुष्य अपने हाथी और घोड़े देखकर बड़ा प्रसन्न होता है।
ਲਸਕਰ ਜੋੜੇ ਨੇਬ ਖਵਾਸਾ ॥
लसकर जोड़े नेब खवासा ॥
वह भारी भरकम फौज इकट्ठी करता है और मंत्री तथा शाही नौकर रखता है
ਗਲਿ ਜੇਵੜੀ ਹਉਮੈ ਕੇ ਫਾਸਾ ॥੨॥
गलि जेवड़ी हउमै के फासा ॥२॥
लेकिन यह सबकुछ अहंकार की फाँसी रूपी रस्सी है जो उसके गले में पड़ जाती है॥ २॥
ਰਾਜੁ ਕਮਾਵੈ ਦਹ ਦਿਸ ਸਾਰੀ ॥
राजु कमावै दह दिस सारी ॥
दसों दिशाओं में शासन करना,
ਮਾਣੈ ਰੰਗ ਭੋਗ ਬਹੁ ਨਾਰੀ ॥
माणै रंग भोग बहु नारी ॥
अनेक भोगों में आनंद प्राप्त करना अधिकतर नारियों से भोग विलास करना
ਜਿਉ ਨਰਪਤਿ ਸੁਪਨੈ ਭੇਖਾਰੀ ॥੩॥
जिउ नरपति सुपनै भेखारी ॥३॥
एक भिखारी के स्वप्न में राजा बनने के सामान है। ॥३॥
ਏਕੁ ਕੁਸਲੁ ਮੋ ਕਉ ਸਤਿਗੁਰੂ ਬਤਾਇਆ ॥
एकु कुसलु मो कउ सतिगुरू बताइआ ॥
सतिगुरु ने मुझे सुखी होने की एक विधि बताई है।
ਹਰਿ ਜੋ ਕਿਛੁ ਕਰੇ ਸੁ ਹਰਿ ਕਿਆ ਭਗਤਾ ਭਾਇਆ ॥
हरि जो किछु करे सु हरि किआ भगता भाइआ ॥
वह विधि यह है कि जो कुछ भी ईश्वर करता है, वह प्रभु के भक्तों को अच्छा लगता है।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਹਉਮੈ ਮਾਰਿ ਸਮਾਇਆ ॥੪॥
जन नानक हउमै मारि समाइआ ॥४॥
हे नानक ! गुरमुख अपने अहंकार को मिटा कर प्रभु में समा जाता है। ॥४ ॥
ਇਨਿ ਬਿਧਿ ਕੁਸਲ ਹੋਤ ਮੇਰੇ ਭਾਈ ॥
इनि बिधि कुसल होत मेरे भाई ॥
हे मेरे भाई! इस विधि से सुखी हुआ जाता है
ਇਉ ਪਾਈਐ ਹਰਿ ਰਾਮ ਸਹਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ਦੂਜਾ ॥
इउ पाईऐ हरि राम सहाई ॥१॥ रहाउ दूजा ॥
और इस तरह सहायक प्रभु पाया जाता है॥ १॥ रहाउ दूजा ॥
ਗਉੜੀ ਗੁਆਰੇਰੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
गउड़ी गुआरेरी महला ५ ॥
गउड़ी गुआरेरी महला ५ ॥
ਕਿਉ ਭ੍ਰਮੀਐ ਭ੍ਰਮੁ ਕਿਸ ਕਾ ਹੋਈ ॥
किउ भ्रमीऐ भ्रमु किस का होई ॥
हम क्यों भ्रम करें ? किस बात का भ्रम करना है?
ਜਾ ਜਲਿ ਥਲਿ ਮਹੀਅਲਿ ਰਵਿਆ ਸੋਈ ॥
जा जलि थलि महीअलि रविआ सोई ॥
जब वह प्रभु जल, थल, धरती और आकाश में विद्यमान हो रहा है।
ਗੁਰਮੁਖਿ ਉਬਰੇ ਮਨਮੁਖ ਪਤਿ ਖੋਈ ॥੧॥
गुरमुखि उबरे मनमुख पति खोई ॥१॥
गुरमुख भवसागर से बच जाते हैं परन्तु स्वेच्छाचारी अपनी प्रतिष्ठा गंवा लेते हैं। ॥१॥
ਜਿਸੁ ਰਾਖੈ ਆਪਿ ਰਾਮੁ ਦਇਆਰਾ ॥
जिसु राखै आपि रामु दइआरा ॥
जिसकी दया का घर राम स्वयं रक्षा करता है,
ਤਿਸੁ ਨਹੀ ਦੂਜਾ ਕੋ ਪਹੁਚਨਹਾਰਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ
तिसु नही दूजा को पहुचनहारा ॥१॥ रहाउ ॥
उसकी समानता कोई दूसरा नहीं कर सकता १॥ रहाउ ॥
ਸਭ ਮਹਿ ਵਰਤੈ ਏਕੁ ਅਨੰਤਾ ॥
सभ महि वरतै एकु अनंता ॥
समस्त जीवों में एक अनन्त परमेश्वर व्यापक हो रहा है।
ਤਾ ਤੂੰ ਸੁਖਿ ਸੋਉ ਹੋਇ ਅਚਿੰਤਾ ॥
ता तूं सुखि सोउ होइ अचिंता ॥
इसलिए तू निश्चिंत होकर सुख से सो जा।
ਓਹੁ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਜਾਣੈ ਜੋ ਵਰਤੰਤਾ ॥੨॥
ओहु सभु किछु जाणै जो वरतंता ॥२॥
संसार में जो कुछ हो रहा है प्रभु सब कुछ जानता है। ॥२॥
ਮਨਮੁਖ ਮੁਏ ਜਿਨ ਦੂਜੀ ਪਿਆਸਾ ॥
मनमुख मुए जिन दूजी पिआसा ॥
जिन स्वेच्छाचारी जीवों को माया की तृष्णा लग जाती है, वे माया के मोह में फंसकर मरते हैं।
ਬਹੁ ਜੋਨੀ ਭਵਹਿ ਧੁਰਿ ਕਿਰਤਿ ਲਿਖਿਆਸਾ ॥
बहु जोनी भवहि धुरि किरति लिखिआसा ॥
वह अनेक योनियों में भटकते रहते हैं। उनकी किस्मत में प्रारम्भ से ही ऐसा कर्म-लेख लिखा होता है।
ਜੈਸਾ ਬੀਜਹਿ ਤੈਸਾ ਖਾਸਾ ॥੩॥
जैसा बीजहि तैसा खासा ॥३॥
जैसा वह बोते हैं (कर्म करते हैं), वैसा ही वह खाते हैं। ॥३ ॥
ਦੇਖਿ ਦਰਸੁ ਮਨਿ ਭਇਆ ਵਿਗਾਸਾ ॥
देखि दरसु मनि भइआ विगासा ॥
प्रभु के दर्शन प्राप्त करके मेरा हृदय प्रसन्न हो गया है।
ਸਭੁ ਨਦਰੀ ਆਇਆ ਬ੍ਰਹਮੁ ਪਰਗਾਸਾ ॥
सभु नदरी आइआ ब्रहमु परगासा ॥
अब में सर्वत्र परमेश्वर का प्रकाश देखता हूँ।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਕੀ ਹਰਿ ਪੂਰਨ ਆਸਾ ॥੪॥੨॥੭੧॥
जन नानक की हरि पूरन आसा ॥४॥२॥७१॥
नानक की प्रभु ने अभिलाषा पूर्ण कर दी है। ॥४॥२॥७१॥
ਗਉੜੀ ਗੁਆਰੇਰੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
गउड़ी गुआरेरी महला ५ ॥
गउड़ी गुआरेरी महला ५ ॥
ਕਈ ਜਨਮ ਭਏ ਕੀਟ ਪਤੰਗਾ ॥
कई जनम भए कीट पतंगा ॥
हे प्राणी ! तू अनेकों जन्मों में कीड़ा और पतंगा बना हुआ था।
ਕਈ ਜਨਮ ਗਜ ਮੀਨ ਕੁਰੰਗਾ ॥
कई जनम गज मीन कुरंगा ॥
अनेकों जन्मों में तू हाथी, मछली एवं मृग था।
ਕਈ ਜਨਮ ਪੰਖੀ ਸਰਪ ਹੋਇਓ ॥
कई जनम पंखी सरप होइओ ॥
अनेक योनियों में तू पक्षी एवं सर्प बना था।
ਕਈ ਜਨਮ ਹੈਵਰ ਬ੍ਰਿਖ ਜੋਇਓ ॥੧॥
कई जनम हैवर ब्रिख जोइओ ॥१॥
अनेक योनियों में तू घोड़ा और बैल बनकर जोता गया था। १ ॥
ਮਿਲੁ ਜਗਦੀਸ ਮਿਲਨ ਕੀ ਬਰੀਆ ॥
मिलु जगदीस मिलन की बरीआ ॥
अब तुझे मानव-जन्म में जगत् के ईश्वर को मिलने का समय मिला है,
ਚਿਰੰਕਾਲ ਇਹ ਦੇਹ ਸੰਜਰੀਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
चिरंकाल इह देह संजरीआ ॥१॥ रहाउ ॥
अतः तू उसे मिल, चिरकाल पश्चात् यह मानव-जन्म तुझे प्राप्त हुआ है। १॥ रहाउ॥
ਕਈ ਜਨਮ ਸੈਲ ਗਿਰਿ ਕਰਿਆ ॥
कई जनम सैल गिरि करिआ ॥
अनेक योनियों में तू चट्टान एवं पहाड़ों में उत्पन्न किया गया था।
ਕਈ ਜਨਮ ਗਰਭ ਹਿਰਿ ਖਰਿਆ ॥
कई जनम गरभ हिरि खरिआ ॥
अनेक जन्मों में तेरी माँ का गर्भ ही गिर गया था।
ਕਈ ਜਨਮ ਸਾਖ ਕਰਿ ਉਪਾਇਆ ॥
कई जनम साख करि उपाइआ ॥
अनेक योनियों में तू वनस्पति बन कर उत्पन्न किया गया था।
ਲਖ ਚਉਰਾਸੀਹ ਜੋਨਿ ਭ੍ਰਮਾਇਆ ॥੨॥
लख चउरासीह जोनि भ्रमाइआ ॥२॥
इस तरह तू चौरासी लाख योनियों में भटकाया गया था। २॥
ਸਾਧਸੰਗਿ ਭਇਓ ਜਨਮੁ ਪਰਾਪਤਿ ॥
साधसंगि भइओ जनमु परापति ॥
अब तुझे अमूल्य मानव जीवन मिला है। अतः तू संतों की संगति किया कर।
ਕਰਿ ਸੇਵਾ ਭਜੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਗੁਰਮਤਿ ॥
करि सेवा भजु हरि हरि गुरमति ॥
तू संतों की निष्काम सेवा किया कर और गुरु की मति द्वारा हरि-परमेश्वर का भजन कर।
ਤਿਆਗਿ ਮਾਨੁ ਝੂਠੁ ਅਭਿਮਾਨੁ ॥
तिआगि मानु झूठु अभिमानु ॥
तू अपना अहंकार, झूठ एवं अभिमान त्याग दे।
ਜੀਵਤ ਮਰਹਿ ਦਰਗਹ ਪਰਵਾਨੁ ॥੩॥
जीवत मरहि दरगह परवानु ॥३॥
यदि तू अपने अहंकार को नष्ट कर देगा तो ही प्रभु के दरबार में स्वीकृत होगा। ॥३ ॥
ਜੋ ਕਿਛੁ ਹੋਆ ਸੁ ਤੁਝ ਤੇ ਹੋਗੁ ॥
जो किछु होआ सु तुझ ते होगु ॥
हे परमात्मा ! जो कुछ भी हुआ है अथवा होगा, वह तुझ पर निर्भर है।
ਅਵਰੁ ਨ ਦੂਜਾ ਕਰਣੈ ਜੋਗੁ ॥
अवरु न दूजा करणै जोगु ॥
दूसरा कोई उसको करने में समर्थ नहीं।
ਤਾ ਮਿਲੀਐ ਜਾ ਲੈਹਿ ਮਿਲਾਇ ॥
ता मिलीऐ जा लैहि मिलाइ ॥
हे प्रभु! यदि तू मिलाए तो केवल तभी मनुष्य तुझे मिलता है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਹਰਿ ਗੁਣ ਗਾਇ ॥੪॥੩॥੭੨॥
कहु नानक हरि हरि गुण गाइ ॥४॥३॥७२॥
हे नानक ! हे प्राणी ! तू हरि-परमेश्वर का यश-गायन कर ॥ ४॥ ३॥ ७२॥
ਗਉੜੀ ਗੁਆਰੇਰੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
गउड़ी गुआरेरी महला ५ ॥
गउड़ी गुआरेरी महला ५ ॥
ਕਰਮ ਭੂਮਿ ਮਹਿ ਬੋਅਹੁ ਨਾਮੁ ॥
करम भूमि महि बोअहु नामु ॥
हे प्राणी ! शरीर रूपी कर्म-भूमि में तू नाम का बीज बो।
ਪੂਰਨ ਹੋਇ ਤੁਮਾਰਾ ਕਾਮੁ ॥
पूरन होइ तुमारा कामु ॥
तेरा कर्म सफल हो जाएगा।
ਫਲ ਪਾਵਹਿ ਮਿਟੈ ਜਮ ਤ੍ਰਾਸ ॥
फल पावहि मिटै जम त्रास ॥
तुम फल (मोक्ष) प्राप्त कर लोगे और तेरा मृत्यु का भय दूर हो जाएगा।
ਨਿਤ ਗਾਵਹਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਗੁਣ ਜਾਸ ॥੧॥
नित गावहि हरि हरि गुण जास ॥१॥
इसलिए हमेशा प्रभु-परमेश्वर के गुण एवं उपमा गायन कर।
ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਅੰਤਰਿ ਉਰਿ ਧਾਰਿ ॥
हरि हरि नामु अंतरि उरि धारि ॥
हरि-परमेश्वर के नाम को तू अपने हृदय एवं मन से लगाकर रख और
ਸੀਘਰ ਕਾਰਜੁ ਲੇਹੁ ਸਵਾਰਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
सीघर कारजु लेहु सवारि ॥१॥ रहाउ ॥
शीघ्र ही अपने कार्य संवार लो। ॥१॥रहाउ ॥
ਅਪਨੇ ਪ੍ਰਭ ਸਿਉ ਹੋਹੁ ਸਾਵਧਾਨੁ ॥
अपने प्रभ सिउ होहु सावधानु ॥
अपने प्रभु की सेवा के लिए सदा सावधान रह।
ਤਾ ਤੂੰ ਦਰਗਹ ਪਾਵਹਿ ਮਾਨੁ ॥
ता तूं दरगह पावहि मानु ॥
तब तुझे उसके दरबार में प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।