ਮਿਟੇ ਅੰਧਾਰੇ ਤਜੇ ਬਿਕਾਰੇ ਠਾਕੁਰ ਸਿਉ ਮਨੁ ਮਾਨਾ ॥
मिटे अंधारे तजे बिकारे ठाकुर सिउ मनु माना ॥
मेरा अज्ञानता रूपी अंधेरा मिट गया है और मैंने सारे विकार त्याग दिए हैं।अब मेरा मन ठाकुर जी के साथ संतुष्ट हो गया है।
ਪ੍ਰਭ ਜੀ ਭਾਣੀ ਭਈ ਨਿਕਾਣੀ ਸਫਲ ਜਨਮੁ ਪਰਵਾਨਾ ॥
प्रभ जी भाणी भई निकाणी सफल जनमु परवाना ॥
मैं प्रभु जी को भा गई हूँ और बेपरवाह हो गई हूँ। मेरा जन्म सफल हो गया है और प्रभु को स्वीकार हो गया है।
ਭਈ ਅਮੋਲੀ ਭਾਰਾ ਤੋਲੀ ਮੁਕਤਿ ਜੁਗਤਿ ਦਰੁ ਖੋਲ੍ਹ੍ਹਾ ॥
भई अमोली भारा तोली मुकति जुगति दरु खोल्हा ॥
मैं अमूल्य एवं अतुलनीय हो गयी हूँ, मेरे लिए मुक्ति का द्वार खुल गया है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਹਉ ਨਿਰਭਉ ਹੋਈ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਮੇਰਾ ਓਲ੍ਹ੍ਹਾ ॥੪॥੧॥੪॥
कहु नानक हउ निरभउ होई सो प्रभु मेरा ओल्हा ॥४॥१॥४॥
है नानक में निडर हो गयी हूँ क्योकि वह प्रभु ही मेरा सहारा है॥ ४॥ १॥ ४॥
ਸੂਹੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सूही महला ५ ॥
सूही महला ५ ॥
ਸਾਜਨੁ ਪੁਰਖੁ ਸਤਿਗੁਰੁ ਮੇਰਾ ਪੂਰਾ ਤਿਸੁ ਬਿਨੁ ਅਵਰੁ ਨ ਜਾਣਾ ਰਾਮ ॥
साजनु पुरखु सतिगुरु मेरा पूरा तिसु बिनु अवरु न जाणा राम ॥
परमपुरुष परमेश्वर ही मेरा प्यारा सज्जन है, उस परिपूर्ण के अतिरिक्त मैं किसी को नहीं जानता।
ਮਾਤ ਪਿਤਾ ਭਾਈ ਸੁਤ ਬੰਧਪ ਜੀਅ ਪ੍ਰਾਣ ਮਨਿ ਭਾਣਾ ਰਾਮ ॥
मात पिता भाई सुत बंधप जीअ प्राण मनि भाणा राम ॥
सच तो यही है कि वही मेरा माता-पिता, भाई, पुत्र, संबंधी, आत्मा एवं प्राण है और वही मेरे मन को भाता है ।
ਜੀਉ ਪਿੰਡੁ ਸਭੁ ਤਿਸ ਕਾ ਦੀਆ ਸਰਬ ਗੁਣਾ ਭਰਪੂਰੇ ॥
जीउ पिंडु सभु तिस का दीआ सरब गुणा भरपूरे ॥
यह जीवन एवं शरीर सब उसका दिया हुआ है, वह सर्वगुण भरपूर है।
ਅੰਤਰਜਾਮੀ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਮੇਰਾ ਸਰਬ ਰਹਿਆ ਭਰਪੂਰੇ ॥
अंतरजामी सो प्रभु मेरा सरब रहिआ भरपूरे ॥
मन की भावनाओं को जानने वाला मेरा प्रभु सब में व्याप्त है।
ਤਾ ਕੀ ਸਰਣਿ ਸਰਬ ਸੁਖ ਪਾਏ ਹੋਏ ਸਰਬ ਕਲਿਆਣਾ ॥
ता की सरणि सरब सुख पाए होए सरब कलिआणा ॥
उसकी शरण में आकर मैंने सारे सुख हासिल कर लिए हैं और सर्वकल्याण हुआ है।
ਸਦਾ ਸਦਾ ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਬਲਿਹਾਰੈ ਨਾਨਕ ਸਦ ਕੁਰਬਾਣਾ ॥੧॥
सदा सदा प्रभ कउ बलिहारै नानक सद कुरबाणा ॥१॥
हे नानक ! मैं ऐसे प्रभु पर सदैव ही बलिहारी जाता हूँ॥ १॥
ਐਸਾ ਗੁਰੁ ਵਡਭਾਗੀ ਪਾਈਐ ਜਿਤੁ ਮਿਲਿਐ ਪ੍ਰਭੁ ਜਾਪੈ ਰਾਮ ॥
ऐसा गुरु वडभागी पाईऐ जितु मिलिऐ प्रभु जापै राम ॥
ऐसा गुरु बड़े भाग्य से ही मिलता है, जिसे मिलने से प्रभु का बोध होता है।
ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੇ ਕਿਲਵਿਖ ਉਤਰਹਿ ਹਰਿ ਸੰਤ ਧੂੜੀ ਨਿਤ ਨਾਪੈ ਰਾਮ ॥
जनम जनम के किलविख उतरहि हरि संत धूड़ी नित नापै राम ॥
जो नित्य संतों की चरण-धूलि में स्नान करता है, उसके जन्म-जन्मांतर के सब पाप दूर हो जाते हैं।
ਹਰਿ ਧੂੜੀ ਨਾਈਐ ਪ੍ਰਭੂ ਧਿਆਈਐ ਬਾਹੁੜਿ ਜੋਨਿ ਨ ਆਈਐ ॥
हरि धूड़ी नाईऐ प्रभू धिआईऐ बाहुड़ि जोनि न आईऐ ॥
हरि की चरण-धूलि में स्नान करने से, प्रभु का ध्यान-मनन करने से, दोबारा योनियों में नहीं आना पड़ता।
ਗੁਰ ਚਰਣੀ ਲਾਗੇ ਭ੍ਰਮ ਭਉ ਭਾਗੇ ਮਨਿ ਚਿੰਦਿਆ ਫਲੁ ਪਾਈਐ ॥
गुर चरणी लागे भ्रम भउ भागे मनि चिंदिआ फलु पाईऐ ॥
जो व्यक्ति गुरु के चरणों में लग गए हैं, उनके भ्रम एवं भय भाग गए हैं और उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति हो गई है।
ਹਰਿ ਗੁਣ ਨਿਤ ਗਾਏ ਨਾਮੁ ਧਿਆਏ ਫਿਰਿ ਸੋਗੁ ਨਾਹੀ ਸੰਤਾਪੈ ॥
हरि गुण नित गाए नामु धिआए फिरि सोगु नाही संतापै ॥
जो नित्य हरि के गुण गाता है, नाम का मनन करता है, उसे कोई चिंता एवं दुख स्पर्श नहीं करता।
ਨਾਨਕ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਜੀਅ ਕਾ ਦਾਤਾ ਪੂਰਾ ਜਿਸੁ ਪਰਤਾਪੈ ॥੨॥
नानक सो प्रभु जीअ का दाता पूरा जिसु परतापै ॥२॥
हे नानक ! जिसका सारी दुनिया में पूर्ण प्रताप है, वह प्रभु ही जीवन देने वाला है॥ २॥
ਹਰਿ ਹਰੇ ਹਰਿ ਗੁਣ ਨਿਧੇ ਹਰਿ ਸੰਤਨ ਕੈ ਵਸਿ ਆਏ ਰਾਮ ॥
हरि हरे हरि गुण निधे हरि संतन कै वसि आए राम ॥
श्री हरि गुणों का भण्डार है और वह अपने संतों के ही वश में आता है।
ਸੰਤ ਚਰਣ ਗੁਰ ਸੇਵਾ ਲਾਗੇ ਤਿਨੀ ਪਰਮ ਪਦ ਪਾਏ ਰਾਮ ॥
संत चरण गुर सेवा लागे तिनी परम पद पाए राम ॥
जो व्यक्ति संतों के चरणों में लगे हैं, गुरु सेवा में प्रवृत्त हुए हैं, उन्हें ही मुक्ति मिली है।
ਪਰਮ ਪਦੁ ਪਾਇਆ ਆਪੁ ਮਿਟਾਇਆ ਹਰਿ ਪੂਰਨ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥
परम पदु पाइआ आपु मिटाइआ हरि पूरन किरपा धारी ॥
जिस पर श्री हरि ने पूर्ण कृपा की है, उसने अपने अहंत्व को मिटाकर परमपद पा लिया है।
ਸਫਲ ਜਨਮੁ ਹੋਆ ਭਉ ਭਾਗਾ ਹਰਿ ਭੇਟਿਆ ਏਕੁ ਮੁਰਾਰੀ ॥
सफल जनमु होआ भउ भागा हरि भेटिआ एकु मुरारी ॥
उसे प्रभु मिल गया है, जिससे उसका जन्म सफल हो गया है और सारा भय भाग गया है।
ਜਿਸ ਕਾ ਸਾ ਤਿਨ ਹੀ ਮੇਲਿ ਲੀਆ ਜੋਤੀ ਜੋਤਿ ਸਮਾਇਆ ॥
जिस का सा तिन ही मेलि लीआ जोती जोति समाइआ ॥
जिस ईश्वर का वह अंश था, उसने उसे अपने साथ मिला लिया है। उसकी ज्योति परम ज्योति में विलीन हो गई है।
ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਨਿਰੰਜਨ ਜਪੀਐ ਮਿਲਿ ਸਤਿਗੁਰ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ॥੩॥
नानक नामु निरंजन जपीऐ मिलि सतिगुर सुखु पाइआ ॥३॥
हे नानक ! जिसने पावन स्वरूप नाम स्मरण किया है, उसने सतिगुरु से मिलकर सुख ही पाया है॥ ३॥
ਗਾਉ ਮੰਗਲੋ ਨਿਤ ਹਰਿ ਜਨਹੁ ਪੁੰਨੀ ਇਛ ਸਬਾਈ ਰਾਮ ॥
गाउ मंगलो नित हरि जनहु पुंनी इछ सबाई राम ॥
हे भक्तजनों ! नित्य भगवान् का यशगान करो, इससे तुम्हारी सब कामनाएँ पूरी हो जाएँगी।
ਰੰਗਿ ਰਤੇ ਅਪੁਨੇ ਸੁਆਮੀ ਸੇਤੀ ਮਰੈ ਨ ਆਵੈ ਜਾਈ ਰਾਮ ॥
रंगि रते अपुने सुआमी सेती मरै न आवै जाई राम ॥
जो अपने स्वामी के रंग में मग्न रहते हैं, वे जन्म-मरण से मुक्त हो जाते हैं।
ਅਬਿਨਾਸੀ ਪਾਇਆ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਆ ਸਗਲ ਮਨੋਰਥ ਪਾਏ ॥
अबिनासी पाइआ नामु धिआइआ सगल मनोरथ पाए ॥
जिसने नाम का चिंतन किया है, उसे ही अविनाशी प्रभु मिला है और उसके सारे मनोरथ पूरे हो गए हैं।
ਸਾਂਤਿ ਸਹਜ ਆਨੰਦ ਘਨੇਰੇ ਗੁਰ ਚਰਣੀ ਮਨੁ ਲਾਏ ॥
सांति सहज आनंद घनेरे गुर चरणी मनु लाए ॥
गुरु के चरणों में मन लगाने से बड़ी शान्ति, सहजावस्था एवं आनंद मिलता है।
ਪੂਰਿ ਰਹਿਆ ਘਟਿ ਘਟਿ ਅਬਿਨਾਸੀ ਥਾਨ ਥਨੰਤਰਿ ਸਾਈ ॥
पूरि रहिआ घटि घटि अबिनासी थान थनंतरि साई ॥
अनश्वर परमात्मा प्रत्येक हृदय में विद्यमान है और देश-देशांतर हर जगह वही बसा हुआ है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਕਾਰਜ ਸਗਲੇ ਪੂਰੇ ਗੁਰ ਚਰਣੀ ਮਨੁ ਲਾਈ ॥੪॥੨॥੫॥
कहु नानक कारज सगले पूरे गुर चरणी मनु लाई ॥४॥२॥५॥
हे नानक ! गुरु के चरणों में मन लगाने से सब कार्य पूरे हो जाते हैं। ४॥ २॥ ५ ॥
ਸੂਹੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सूही महला ५ ॥
सूही महला ५ ॥
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਮੇਰੇ ਪ੍ਰੀਤਮ ਸੁਆਮੀ ਨੇਤ੍ਰ ਦੇਖਹਿ ਦਰਸੁ ਤੇਰਾ ਰਾਮ ॥
करि किरपा मेरे प्रीतम सुआमी नेत्र देखहि दरसु तेरा राम ॥
हे मेरे प्रियतम स्वामी ! ऐसी कृपा करो ताकि मेरे नेत्र तेरे दर्शन कर सकें।
ਲਾਖ ਜਿਹਵਾ ਦੇਹੁ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਮੁਖੁ ਹਰਿ ਆਰਾਧੇ ਮੇਰਾ ਰਾਮ ॥
लाख जिहवा देहु मेरे पिआरे मुखु हरि आराधे मेरा राम ॥
हे प्यारे प्रभु ! मुझे लाखों जिव्हाएं दीजिए जिन से मेरा मुख तेरे नाम की आराधना ही करता रहे।
ਹਰਿ ਆਰਾਧੇ ਜਮ ਪੰਥੁ ਸਾਧੇ ਦੂਖੁ ਨ ਵਿਆਪੈ ਕੋਈ ॥
हरि आराधे जम पंथु साधे दूखु न विआपै कोई ॥
प्रभु की आराधना करके यम-मार्ग पर विजय पा लूं और कोई भी दुख प्रभावित न कर सके।
ਜਲਿ ਥਲਿ ਮਹੀਅਲਿ ਪੂਰਨ ਸੁਆਮੀ ਜਤ ਦੇਖਾ ਤਤ ਸੋਈ ॥
जलि थलि महीअलि पूरन सुआमी जत देखा तत सोई ॥
मेरा स्वामी समुद्र, पृथ्वी एवं गगन में भी विद्यमान है, मैं जहाँ भी देखता हूँ उधर वही नजर आता है।
ਭਰਮ ਮੋਹ ਬਿਕਾਰ ਨਾਠੇ ਪ੍ਰਭੁ ਨੇਰ ਹੂ ਤੇ ਨੇਰਾ ॥
भरम मोह बिकार नाठे प्रभु नेर हू ते नेरा ॥
मेरे सारे भ्रम, मोह एवं विकार दूर हो गए हैं और प्रभु मुझे निकट से भी निकट दिखाई देता है।