Hindi Page 710

ਭਾਹਿ ਬਲੰਦੜੀ ਬੁਝਿ ਗਈ ਰਖੰਦੜੋ ਪ੍ਰਭੁ ਆਪਿ ॥

भाहि बलंदड़ी बुझि गई रखंदड़ो प्रभु आपि ॥

मेरे मन में प्रज्वलित तृष्णा की अग्नि बुझ गई है तथा प्रभु स्वयं ही मेरा रखवाला बना है।

The fire-like painful anguish of the worldly desires of a person is put out, because God Himself becomes the savior of the one who remembers Him.

ਜਿਨਿ ਉਪਾਈ ਮੇਦਨੀ ਨਾਨਕ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਜਾਪਿ ॥੨॥

जिनि उपाई मेदनी नानक सो प्रभु जापि ॥२॥

हे नानक ! जिसने यह पृथ्वी उत्पन्न की है, उस प्रभु का जाप करो ॥ २॥

O’ Nanak, meditate on that God who has created this universe. ||2||

ਪਉੜੀ ॥

पउड़ी ॥

पउड़ी ॥

Pauree:

ਜਾ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਦਇਆਲ ਨ ਬਿਆਪੈ ਮਾਇਆ ॥

जा प्रभ भए दइआल न बिआपै माइआ ॥

जब प्रभु दयालु हो गया तो माया मुझे प्रभावित नहीं करती।

When God becomes merciful then Maya does not afflict a person.

ਕੋਟਿ ਅਘਾ ਗਏ ਨਾਸ ਹਰਿ ਇਕੁ ਧਿਆਇਆ ॥

कोटि अघा गए नास हरि इकु धिआइआ ॥

एक परमेश्वर का ध्यान करने से करोड़ों पाप नाश हो गए हैं।

Millions of sins are destroyed by meditating on the one God with loving devotion.

ਨਿਰਮਲ ਭਏ ਸਰੀਰ ਜਨ ਧੂਰੀ ਨਾਇਆ ॥

निरमल भए सरीर जन धूरी नाइआ ॥

संतजनों की चरण-धूलि में स्नान करने से शरीर शुद्ध हो गया है।

Our body becomes immaculate by humbly serving the devotees of God.

ਮਨ ਤਨ ਭਏ ਸੰਤੋਖ ਪੂਰਨ ਪ੍ਰਭੁ ਪਾਇਆ ॥

मन तन भए संतोख पूरन प्रभु पाइआ ॥

जब पूर्ण प्रभु प्राप्त हुआ तो मन एवं तन सन्तुष्ट हो गए।

In the company of holy persons, one realizes the Perfect God, and his mind and heart become contented.

ਤਰੇ ਕੁਟੰਬ ਸੰਗਿ ਲੋਗ ਕੁਲ ਸਬਾਇਆ ॥੧੮॥

तरे कुट्मब संगि लोग कुल सबाइआ ॥१८॥

फिर मेरे परिवार के सदस्य एवं वंशावली मेरे साथ भवसागर से पार हो गए॥ १८ ॥

He is saved along with his family and all his ancestors. ||18||

ਸਲੋਕ ॥

सलोक ॥

श्लोक॥

Shalok:

ਗੁਰ ਗੋਬਿੰਦ ਗੋਪਾਲ ਗੁਰ ਗੁਰ ਪੂਰਨ ਨਾਰਾਇਣਹ ॥

गुर गोबिंद गोपाल गुर गुर पूरन नाराइणह ॥

गुरु ही गोविंद एवं गुरु ही गोपाल है और गुरु ही पूर्ण नारायण का रूप है।

The Guru is the embodiment of God, the Master of the universe; Guru is the embodiment of the all pervading God.

ਗੁਰ ਦਇਆਲ ਸਮਰਥ ਗੁਰ ਗੁਰ ਨਾਨਕ ਪਤਿਤ ਉਧਾਰਣਹ ॥੧॥

गुर दइआल समरथ गुर गुर नानक पतित उधारणह ॥१॥

हे नानक ! गुरु ही दया का सागर है, वह सर्वकला समर्थ है और वही पतितों का उद्धार करने वाला है॥ १॥

O’ Nanak, the Guru is compassionate, all-powerful and the savior of sinners. ||1||

ਭਉਜਲੁ ਬਿਖਮੁ ਅਸਗਾਹੁ ਗੁਰਿ ਬੋਹਿਥੈ ਤਾਰਿਅਮੁ ॥

भउजलु बिखमु असगाहु गुरि बोहिथै तारिअमु ॥

यह भवसागर बड़ा विषम एवं भयानक है किन्तु गुरु रूपी जहाज के द्वारा मैं इस भवसागर से पार हो गया हूँ।

The Guru is like a ship to cross over the dangerous, treacherous and unfathomable world-ocean of vices.

ਨਾਨਕ ਪੂਰ ਕਰੰਮ ਸਤਿਗੁਰ ਚਰਣੀ ਲਗਿਆ ॥੨॥

नानक पूर करम सतिगुर चरणी लगिआ ॥२॥

हे नानक ! पूर्ण भाग्य से ही सतगुरु के चरणों में लगा हूँ॥ २॥

O’ Nanak, perfect is the destiny of those who have sought the refuge of the true Guru and have humbly followed his teachings. ||2||

ਪਉੜੀ ॥

पउड़ी ॥

पउड़ी ॥

Pauree:

ਧੰਨੁ ਧੰਨੁ ਗੁਰਦੇਵ ਜਿਸੁ ਸੰਗਿ ਹਰਿ ਜਪੇ ॥

धंनु धंनु गुरदेव जिसु संगि हरि जपे ॥

वह गुरुदेव धन्य-धन्य है, जिसकी संगति में भगवान का सिमरन किया जाता है।

Blessed is the Divine Guru in whose company one can remember God.

ਗੁਰ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਜਬ ਭਏ ਤ ਅਵਗੁਣ ਸਭਿ ਛਪੇ ॥

गुर क्रिपाल जब भए त अवगुण सभि छपे ॥

जब गुरु कृपा के घर में आया तो तमाम अवगुण लुप्त हो गए।

When the Guru becomes merciful, then all of one’s vices are dispelled.

ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਗੁਰਦੇਵ ਨੀਚਹੁ ਉਚ ਥਪੇ ॥

पारब्रहम गुरदेव नीचहु उच थपे ॥

परब्रह्म गुरुदेव ने मुझे निम्न से उच्च बना दिया है।

Guru, the embodiment of God, uplifts and exalts the lowly.

ਕਾਟਿ ਸਿਲਕ ਦੁਖ ਮਾਇਆ ਕਰਿ ਲੀਨੇ ਅਪ ਦਸੇ ॥

काटि सिलक दुख माइआ करि लीने अप दसे ॥

उसने माया के दुखों के बन्धन को काटकर हमें अपना दास बनाया है।

Cutting away the painful noose of Maya, He makes us His devotees,

ਗੁਣ ਗਾਏ ਬੇਅੰਤ ਰਸਨਾ ਹਰਿ ਜਸੇ ॥੧੯॥

गुण गाए बेअंत रसना हरि जसे ॥१९॥

अब हमारी रसना भगवान का यश एवं उसका गुणगान करती रहती है।॥ १६ ॥

and now, with our tongue, we can sing the virtues and praises of the infinite God. ||19||

ਸਲੋਕ ॥

सलोक ॥

श्लोक॥

Shalok:

ਦ੍ਰਿਸਟੰਤ ਏਕੋ ਸੁਨੀਅੰਤ ਏਕੋ ਵਰਤੰਤ ਏਕੋ ਨਰਹਰਹ ॥

द्रिसटंत एको सुनीअंत एको वरतंत एको नरहरह ॥

एक परमेश्वर ही सर्वत्र दिखाई दे रहा है, एक वही सब जगह सुना जा रहा है और एक वही सारी सृष्टि में व्यापक हो रहा है।

They behold only One God, hear only one God, and for them only one God is pervading everywhere.

ਨਾਮ ਦਾਨੁ ਜਾਚੰਤਿ ਨਾਨਕ ਦਇਆਲ ਪੁਰਖ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰਹ ॥੧॥

नाम दानु जाचंति नानक दइआल पुरख क्रिपा करह ॥१॥

हे दयालु परमेश्वर ! कृपा करो, क्योंकि नानक तो तुझसे नाम-दान की ही याचना कर रहा है॥ १॥

O’ Nanak, on whom the merciful God bestows grace, they beg from Him the gift of His Naam. ||1||

ਹਿਕੁ ਸੇਵੀ ਹਿਕੁ ਸੰਮਲਾ ਹਰਿ ਇਕਸੁ ਪਹਿ ਅਰਦਾਸਿ ॥

हिकु सेवी हिकु समला हरि इकसु पहि अरदासि ॥

मैं तो उस एक परमेश्वर की ही उपासना करता हूँ, उस एक को ही स्मरण करता हूँ तथा एक के समक्ष ही प्रार्थना करता हूँ।

This is my prayer before the one God, that I may always remember Him and enshrine Him in my heart.

ਨਾਮ ਵਖਰੁ ਧਨੁ ਸੰਚਿਆ ਨਾਨਕ ਸਚੀ ਰਾਸਿ ॥੨॥

नाम वखरु धनु संचिआ नानक सची रासि ॥२॥

हे नानक ! मैंने तो नाम पदार्थ एवं नाम धन ही संचित किया है, क्योंकि यह नाम धन ही सच्ची पूंजी है॥ २॥

O’ Nanak, those who have amassed the commodity and wealth of Naam, this wealth of theirs is everlasting.||2||

ਪਉੜੀ ॥

पउड़ी ॥

पउड़ी॥

Pauree:

ਪ੍ਰਭ ਦਇਆਲ ਬੇਅੰਤ ਪੂਰਨ ਇਕੁ ਏਹੁ ॥

प्रभ दइआल बेअंत पूरन इकु एहु ॥

प्रभु बड़ा दयालु एवं बेअंत है और एक वही सर्वव्यापक है।

Only the merciful and infinite God is pervading everywhere.

ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਆਪੇ ਆਪਿ ਦੂਜਾ ਕਹਾ ਕੇਹੁ ॥

सभु किछु आपे आपि दूजा कहा केहु ॥

वह आप ही सबकुछ है, फिर उस जैसा मैं अन्य किसे कहूँ?

He by Himself is everything, who else can I speak of?

ਆਪਿ ਕਰਹੁ ਪ੍ਰਭ ਦਾਨੁ ਆਪੇ ਆਪਿ ਲੇਹੁ ॥

आपि करहु प्रभ दानु आपे आपि लेहु ॥

हे प्रभु ! तुम स्वयं ही दान करते हो और स्वयं ही दान लेते हो।

O’ God, You Yourself bestow gifts, and You Yourself receive them.

ਆਵਣ ਜਾਣਾ ਹੁਕਮੁ ਸਭੁ ਨਿਹਚਲੁ ਤੁਧੁ ਥੇਹੁ ॥

आवण जाणा हुकमु सभु निहचलु तुधु थेहु ॥

जन्म एवं मृत्यु सब तेरे हुक्म में ही है और तेरा पावन धाम सदा अटल है।

The cycles of birth and death of human beings is by Your command, but Your abode is eternal.

ਨਾਨਕੁ ਮੰਗੈ ਦਾਨੁ ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਨਾਮੁ ਦੇਹੁ ॥੨੦॥੧॥

नानकु मंगै दानु करि किरपा नामु देहु ॥२०॥१॥

नानक तो तुझसे नाम का दान ही माँगता है, इसलिए कृपा करके मुझे अपना नाम प्रदान करो॥ २०॥ १॥

Nanak begs of You, O’ God, bestow mercy and bless me with Naam ||20||1||

ਜੈਤਸਰੀ ਬਾਣੀ ਭਗਤਾ ਕੀ

जैतसरी बाणी भगता की

जैतसरी बाणी भगता की

Raag Jaitsree, The hymns of the Devotees:

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।

One eternal God, realized by the grace of the true Guru:

ਨਾਥ ਕਛੂਅ ਨ ਜਾਨਉ ॥

नाथ कछूअ न जानउ ॥

हे मालिक ! मैं कुछ भी नहीं जानता,

O my Master-God, I know nothing.

ਮਨੁ ਮਾਇਆ ਕੈ ਹਾਥਿ ਬਿਕਾਨਉ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥

मनु माइआ कै हाथि बिकानउ ॥१॥ रहाउ ॥

क्योंकि मेरा यह मन माया के हाथ बिक चुका है॥ १॥ रहाउ॥

My mind is so badly influenced by Maya, as if it is sold out to it.||1||Pause||

ਤੁਮ ਕਹੀਅਤ ਹੌ ਜਗਤ ਗੁਰ ਸੁਆਮੀ ॥

तुम कहीअत हौ जगत गुर सुआमी ॥

हे स्वामी ! तुझे सारे जगत का गुरु कहा जाता है,

O’ God, You are called the Master of the universe,

ਹਮ ਕਹੀਅਤ ਕਲਿਜੁਗ ਕੇ ਕਾਮੀ ॥੧॥

हम कहीअत कलिजुग के कामी ॥१॥

किन्तु मैं कलियुग का कामी कहलाता हूँ॥ १॥

but we are the lustful people of Kalyug. ||1||

ਇਨ ਪੰਚਨ ਮੇਰੋ ਮਨੁ ਜੁ ਬਿਗਾਰਿਓ ॥

इन पंचन मेरो मनु जु बिगारिओ ॥

इन कामादिक पाँच विकारों ने मेरा मन दूषित कर दिया है,

The five vices (lust, anger, greed, attachment and ego) have corrupted my mind so much,

ਪਲੁ ਪਲੁ ਹਰਿ ਜੀ ਤੇ ਅੰਤਰੁ ਪਾਰਿਓ ॥੨॥

पलु पलु हरि जी ते अंतरु पारिओ ॥२॥

क्योंकि ये हर क्षण प्रभु से मेरी अंतरात्मा को दूर करते रहते हैं।॥ २ ॥

that at every moment they lead me away from You.||2||

ਜਤ ਦੇਖਉ ਤਤ ਦੁਖ ਕੀ ਰਾਸੀ ॥

जत देखउ तत दुख की रासी ॥

मैं जिधर भी देखता हूँ, उधर ही दु:खों की राशि है।

Wherever I look, I see loads of pain and suffering.

ਅਜੌਂ ਨ ਪਤੵਾਇ ਨਿਗਮ ਭਏ ਸਾਖੀ ॥੩॥

अजौं न पत्याइ निगम भए साखी ॥३॥

चाहे वेद इस बात के साक्षी हैं, परन्तु अभी भी मेरा मन इस सत्य को स्वीकार नहीं कर रहा कि विकारों का फल दु:ख हैं।॥ ३॥

In spite of the fact that the scriptures like Vedas are testifying that infatuation with the vices have terrible consequences, my mind is still allured by these.||3||

ਗੋਤਮ ਨਾਰਿ ਉਮਾਪਤਿ ਸ੍ਵਾਮੀ ॥

गोतम नारि उमापति स्वामी ॥

गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या एवं पार्वती के स्वामी शिव का क्या हाल हुआ ? (गौतम ऋषि के शाप से अहिल्या पत्थर बन गई थी और अहल्या से देवराज इन्द्र द्वारा छलपूर्वक भोग करने के कारण उसके शरीर पर हजारों भग के चिन्ह बन गए थे।)

Gautam’s wife, Ahilya, and the god Shiva, the husband of Parvati,

ਸੀਸੁ ਧਰਨਿ ਸਹਸ ਭਗ ਗਾਂਮੀ ॥੪॥

सीसु धरनि सहस भग गांमी ॥४॥

ब्रह्मा का अपनी कन्या पर कुदृष्टि रखने के कारण उमापति शिव ने जब ब्रह्मा का पांचवां सिर काटा तो वह सिर शिव के हाथ से ही चिपक गया था॥ ४॥

God Brahma and god Indra, with thousands of womb marks on his body, were all ruined by these vices in various ways. ||4||

ਇਨ ਦੂਤਨ ਖਲੁ ਬਧੁ ਕਰਿ ਮਾਰਿਓ ॥

इन दूतन खलु बधु करि मारिओ ॥

इन कामादिक विकारों ने मेरे मूर्ख मन पर बड़े आक्रमण किए हैं किन्तु

These demons (vices) have so badly damaged my foolish mind,

ਬਡੋ ਨਿਲਾਜੁ ਅਜਹੂ ਨਹੀ ਹਾਰਿਓ ॥੫॥

बडो निलाजु अजहू नही हारिओ ॥५॥

यह मन बड़ा निर्लज्ज है, जो अभी भी इसकी संगति नहीं छोड़ रहा ॥ ५ ॥

that even now this extremely shameless mind hasn’t got tired of them.||5||

ਕਹਿ ਰਵਿਦਾਸ ਕਹਾ ਕੈਸੇ ਕੀਜੈ ॥

कहि रविदास कहा कैसे कीजै ॥

रविदास जी कहते हैं कि अब मैं कहाँ जाऊँ और क्या करूँ ?

Ravi Daas says: O’ God, where should I go and what should I do now?

ਬਿਨੁ ਰਘੁਨਾਥ ਸਰਨਿ ਕਾ ਕੀ ਲੀਜੈ ॥੬॥੧॥

बिनु रघुनाथ सरनि का की लीजै ॥६॥१॥

अब परमेश्वर के सिवाय किस की शरण ली जाए॥ ६॥ १ ॥

Instead of God’s protection, whose support should I seek? ||6||1||

error: Content is protected !!