ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਮੇਰੇ ਬਾਬੁਲਾ ਹਰਿ ਦੇਵਹੁ ਦਾਨੁ ਮੈ ਦਾਜੋ ॥
हरि प्रभु मेरे बाबुला हरि देवहु दानु मै दाजो ॥
हे मेरे बाबुल ! मुझे दहेज में हरि-प्रभु के नाम का दान दो।
ਹਰਿ ਕਪੜੋ ਹਰਿ ਸੋਭਾ ਦੇਵਹੁ ਜਿਤੁ ਸਵਰੈ ਮੇਰਾ ਕਾਜੋ ॥
हरि कपड़ो हरि सोभा देवहु जितु सवरै मेरा काजो ॥
वस्त्रों के स्थान पर हरि का नाम दो और शोभा बढ़ाने वाले आभूषणों इत्यादि के स्थान पर भगवान का नाम ही दो। भगवान के नाम से मेरा विवाह कार्य संवर जाएगा।
ਹਰਿ ਹਰਿ ਭਗਤੀ ਕਾਜੁ ਸੁਹੇਲਾ ਗੁਰਿ ਸਤਿਗੁਰਿ ਦਾਨੁ ਦਿਵਾਇਆ ॥
हरि हरि भगती काजु सुहेला गुरि सतिगुरि दानु दिवाइआ ॥
भगवान की भक्ति से ही विवाह-कार्य सुखदायक होता है। सतिगुरु ने मुझे भगवान की भक्ति का ही दान दिलवाया है।
ਖੰਡਿ ਵਰਭੰਡਿ ਹਰਿ ਸੋਭਾ ਹੋਈ ਇਹੁ ਦਾਨੁ ਨ ਰਲੈ ਰਲਾਇਆ ॥
खंडि वरभंडि हरि सोभा होई इहु दानु न रलै रलाइआ ॥
इस दान से समूचे ब्रह्माण्ड एवं समस्त खण्डों में मेरी शोभा हो गई है। कोई अन्य दान इस दान की बराबरी नहीं कर सकता।
ਹੋਰਿ ਮਨਮੁਖ ਦਾਜੁ ਜਿ ਰਖਿ ਦਿਖਾਲਹਿ ਸੁ ਕੂੜੁ ਅਹੰਕਾਰੁ ਕਚੁ ਪਾਜੋ ॥
होरि मनमुख दाजु जि रखि दिखालहि सु कूड़ु अहंकारु कचु पाजो ॥
हरिनाम के दहेज के अतिरिक्त जो लोग दान-दहेज का प्रदर्शन करते हैं, वे मिथ्या डम्बरी और अहंकारी हैं।
ਹਰਿ ਪ੍ਰਭ ਮੇਰੇ ਬਾਬੁਲਾ ਹਰਿ ਦੇਵਹੁ ਦਾਨੁ ਮੈ ਦਾਜੋ ॥੪॥
हरि प्रभ मेरे बाबुला हरि देवहु दानु मै दाजो ॥४॥
हे मेरे बाबुल ! मुझे दहेज में केवल हरि-नाम का ही दान व दहेज प्रदान करो॥४॥
ਹਰਿ ਰਾਮ ਰਾਮ ਮੇਰੇ ਬਾਬੋਲਾ ਪਿਰ ਮਿਲਿ ਧਨ ਵੇਲ ਵਧੰਦੀ ॥
हरि राम राम मेरे बाबोला पिर मिलि धन वेल वधंदी ॥
हे मेरे बाबुल ! प्रभु-परमेश्वर सर्वव्यापक है। हे मेरे बाबुल ! हरि प्रभु को मिलकर जीव-स्त्री की लता विकसित होती है।
ਹਰਿ ਜੁਗਹ ਜੁਗੋ ਜੁਗ ਜੁਗਹ ਜੁਗੋ ਸਦ ਪੀੜੀ ਗੁਰੂ ਚਲੰਦੀ ॥
हरि जुगह जुगो जुग जुगह जुगो सद पीड़ी गुरू चलंदी ॥
अनेक युगों से गुरु वंश सदैव चला आता है।
ਜੁਗਿ ਜੁਗਿ ਪੀੜੀ ਚਲੈ ਸਤਿਗੁਰ ਕੀ ਜਿਨੀ ਗੁਰਮੁਖਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਆ ॥
जुगि जुगि पीड़ी चलै सतिगुर की जिनी गुरमुखि नामु धिआइआ ॥
जो गुरु के माध्यम से नाम-सिमरन करते हैं वहीं गुरु का वंश होता है। सतिगुरु का वंश प्रत्येक युग में चलता है।
ਹਰਿ ਪੁਰਖੁ ਨ ਕਬ ਹੀ ਬਿਨਸੈ ਜਾਵੈ ਨਿਤ ਦੇਵੈ ਚੜੈ ਸਵਾਇਆ ॥
हरि पुरखु न कब ही बिनसै जावै नित देवै चड़ै सवाइआ ॥
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कदापि मरता या जन्मता नहीं। वह जो कुछ देता है सदैव ही बढ़ता जाता है।
ਨਾਨਕ ਸੰਤ ਸੰਤ ਹਰਿ ਏਕੋ ਜਪਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਸੋਹੰਦੀ ॥
नानक संत संत हरि एको जपि हरि हरि नामु सोहंदी ॥
हे नानक ! अद्वितीय प्रभु संतों का संत है। ईश्वर के नाम का उच्चारण करने से पत्नी सुशोभित हो जाती है।
ਹਰਿ ਰਾਮ ਰਾਮ ਮੇਰੇ ਬਾਬੁਲਾ ਪਿਰ ਮਿਲਿ ਧਨ ਵੇਲ ਵਧੰਦੀ ॥੫॥੧॥
हरि राम राम मेरे बाबुला पिर मिलि धन वेल वधंदी ॥५॥१॥
हे मेरे बाबुल ! मुझे हरि-रूप पति मिला है, हरि सर्वव्यापक है। अपने पति से मिलकर पत्नी की अपने परिवार में अभिवृद्धि हुई है ॥५॥१॥
ਸਿਰੀਰਾਗੁ ਮਹਲਾ ੫ ਛੰਤ
सिरीरागु महला ५ छंत
श्रीरागु महला ५ छंत
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਮਨ ਪਿਆਰਿਆ ਜੀਉ ਮਿਤ੍ਰਾ ਗੋਬਿੰਦ ਨਾਮੁ ਸਮਾਲੇ ॥
मन पिआरिआ जीउ मित्रा गोबिंद नामु समाले ॥
हे मेरे प्रिय मित्र मन ! भगवान का नाम-सिमरन करो। हे मेरे प्रिय मित्र मन !
ਮਨ ਪਿਆਰਿਆ ਜੀ ਮਿਤ੍ਰਾ ਹਰਿ ਨਿਬਹੈ ਤੇਰੈ ਨਾਲੇ ॥
मन पिआरिआ जी मित्रा हरि निबहै तेरै नाले ॥
भगवान का नाम हमेशा तेरे साथ रहेगा। अतः भगवान के नाम का ध्यान करो !
ਸੰਗਿ ਸਹਾਈ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ਬਿਰਥਾ ਕੋਇ ਨ ਜਾਏ ॥
संगि सहाई हरि नामु धिआई बिरथा कोइ न जाए ॥
यह तेरे साथ रहेगा और तेरी सहायता करेगा। नाम-सिमरन करने वाला कोई भी दुनिया से खाली हाथ नहीं जाता।
ਮਨ ਚਿੰਦੇ ਸੇਈ ਫਲ ਪਾਵਹਿ ਚਰਣ ਕਮਲ ਚਿਤੁ ਲਾਏ ॥
मन चिंदे सेई फल पावहि चरण कमल चितु लाए ॥
जो भगवान के चरण-कमलों में अपना चित लगाता है, उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
ਜਲਿ ਥਲਿ ਪੂਰਿ ਰਹਿਆ ਬਨਵਾਰੀ ਘਟਿ ਘਟਿ ਨਦਰਿ ਨਿਹਾਲੇ ॥
जलि थलि पूरि रहिआ बनवारी घटि घटि नदरि निहाले ॥
यह प्रभु जल एवं थल में सर्वव्यापक है। वह समस्त जीवों के हृदय में विद्यमान है और सबको अपनी कृपा-दृष्टि से देखता हैं।
ਨਾਨਕੁ ਸਿਖ ਦੇਇ ਮਨ ਪ੍ਰੀਤਮ ਸਾਧਸੰਗਿ ਭ੍ਰਮੁ ਜਾਲੇ ॥੧॥
नानकु सिख देइ मन प्रीतम साधसंगि भ्रमु जाले ॥१॥
नानक शिक्षा देते हैं कि हे मेरे प्रिय मन ! संतों की संगति करके माया के भ्रम-जाल को नष्ट कर दो ॥१॥
ਮਨ ਪਿਆਰਿਆ ਜੀ ਮਿਤ੍ਰਾ ਹਰਿ ਬਿਨੁ ਝੂਠੁ ਪਸਾਰੇ ॥
मन पिआरिआ जी मित्रा हरि बिनु झूठु पसारे ॥
हे मेरे प्रिय मित्र मन ! भगवान के बिना माया का जगत् रूप प्रसार झूठा है।
ਮਨ ਪਿਆਰਿਆ ਜੀਉ ਮਿਤ੍ਰਾ ਬਿਖੁ ਸਾਗਰੁ ਸੰਸਾਰੇ ॥
मन पिआरिआ जीउ मित्रा बिखु सागरु संसारे ॥
यह संसार विष से भरा हुआ सागर है।
ਚਰਣ ਕਮਲ ਕਰਿ ਬੋਹਿਥੁ ਕਰਤੇ ਸਹਸਾ ਦੂਖੁ ਨ ਬਿਆਪੈ ॥
चरण कमल करि बोहिथु करते सहसा दूखु न बिआपै ॥
अतः ईश्वर के चरणों को अपना जहाज बनाओ फिर तुझे कोई दुःख एवं भय नहीं लगेगा।
ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਭੇਟੈ ਵਡਭਾਗੀ ਆਠ ਪਹਰ ਪ੍ਰਭੁ ਜਾਪੈ ॥
गुरु पूरा भेटै वडभागी आठ पहर प्रभु जापै ॥
जिस भाग्यशाली को पूर्ण गुरु मिल जाता है, वह आठ प्रहर प्रभु नाम का भजन करता रहता है।
ਆਦਿ ਜੁਗਾਦੀ ਸੇਵਕ ਸੁਆਮੀ ਭਗਤਾ ਨਾਮੁ ਅਧਾਰੇ ॥
आदि जुगादी सेवक सुआमी भगता नामु अधारे ॥
हे प्रभु ! तू सृष्टि के आदि एवं युगों से ही अपने सेवकों का स्वामी है। तेरा नाम भक्तों का आधार है।
ਨਾਨਕੁ ਸਿਖ ਦੇਇ ਮਨ ਪ੍ਰੀਤਮ ਬਿਨੁ ਹਰਿ ਝੂਠ ਪਸਾਰੇ ॥੨॥
नानकु सिख देइ मन प्रीतम बिनु हरि झूठ पसारे ॥२॥
नानक शिक्षा देते हैं किं हे मेरे प्रिय मित्र मन ! भगवान के बिना जगत् का यह माया-प्रसार झूठा है ॥२॥
ਮਨ ਪਿਆਰਿਆ ਜੀਉ ਮਿਤ੍ਰਾ ਹਰਿ ਲਦੇ ਖੇਪ ਸਵਲੀ ॥
मन पिआरिआ जीउ मित्रा हरि लदे खेप सवली ॥
हे मेरे प्रिय मित्र मन ! हरिनाम के व्यापार में ही लाभ है।
ਮਨ ਪਿਆਰਿਆ ਜੀਉ ਮਿਤ੍ਰਾ ਹਰਿ ਦਰੁ ਨਿਹਚਲੁ ਮਲੀ ॥
मन पिआरिआ जीउ मित्रा हरि दरु निहचलु मली ॥
हे मेरे मित्र मन ! ईश्वर के द्वार पर आसन जमा ले।
ਹਰਿ ਦਰੁ ਸੇਵੇ ਅਲਖ ਅਭੇਵੇ ਨਿਹਚਲੁ ਆਸਣੁ ਪਾਇਆ ॥
हरि दरु सेवे अलख अभेवे निहचलु आसणु पाइआ ॥
जिन प्राणियों ने अगाध व भेद-रहित ईश्वर का द्वार पकड़ा है, वे वहीं समाधिस्थ हो गए हैं।
ਤਹ ਜਨਮ ਨ ਮਰਣੁ ਨ ਆਵਣ ਜਾਣਾ ਸੰਸਾ ਦੂਖੁ ਮਿਟਾਇਆ ॥
तह जनम न मरणु न आवण जाणा संसा दूखु मिटाइआ ॥
वे जन्म-मरण तथा आवागमन से मुक्त हो गए हैं, उनके संशयों एवं दुःखों का नाश हो जाता है।
ਚਿਤ੍ਰ ਗੁਪਤ ਕਾ ਕਾਗਦੁ ਫਾਰਿਆ ਜਮਦੂਤਾ ਕਛੂ ਨ ਚਲੀ ॥
चित्र गुपत का कागदु फारिआ जमदूता कछू न चली ॥
चित्रगुप्त द्वारा उनके कर्मों का लेखा-जोखा भी मिट जाता है और यमदूत विवश हो जाते हैं।
ਨਾਨਕੁ ਸਿਖ ਦੇਇ ਮਨ ਪ੍ਰੀਤਮ ਹਰਿ ਲਦੇ ਖੇਪ ਸਵਲੀ ॥੩॥
नानकु सिख देइ मन प्रीतम हरि लदे खेप सवली ॥३॥
नानक शिक्षा देते हैं कि हरि नाम रूपी व्यापार लाभदायक है। अत: इस व्यापार को लेकर अपने साथ ले जाओ ॥३॥
ਮਨ ਪਿਆਰਿਆ ਜੀਉ ਮਿਤ੍ਰਾ ਕਰਿ ਸੰਤਾ ਸੰਗਿ ਨਿਵਾਸੋ ॥
मन पिआरिआ जीउ मित्रा करि संता संगि निवासो ॥
हे मेरे प्रिय मित्र मन ! संतों की संगति में निवास करो।
ਮਨ ਪਿਆਰਿਆ ਜੀਉ ਮਿਤ੍ਰਾ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਪਰਗਾਸੋ ॥
मन पिआरिआ जीउ मित्रा हरि नामु जपत परगासो ॥
हे मेरे मित्र मन ! ईश्वर का नाम जपने से ज्ञान का प्रकाश उज्ज्वल होता है।
ਸਿਮਰਿ ਸੁਆਮੀ ਸੁਖਹ ਗਾਮੀ ਇਛ ਸਗਲੀ ਪੁੰਨੀਆ ॥
सिमरि सुआमी सुखह गामी इछ सगली पुंनीआ ॥
प्रभु जगत् का स्वामी है और जीवों को सुख देने वाला है। उसकी आराधना करने से समस्त कामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।