Hindi Page 1298

ਤੇਰੇ ਜਨ ਧਿਆਵਹਿ ਇਕ ਮਨਿ ਇਕ ਚਿਤਿ ਤੇ ਸਾਧੂ ਸੁਖ ਪਾਵਹਿ ਜਪਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਨਿਧਾਨ ॥
तेरे जन धिआवहि इक मनि इक चिति ते साधू सुख पावहि जपि हरि हरि नामु निधान ॥
हे प्रभु ! भक्तजन एकाग्रचित होकर तेरा ध्यान करते हैं। परमात्मा का नाम सुखों का घर है, इस तरह साधु-महात्मा जन नाम जपकर सुख ही पाते हैं।

ਉਸਤਤਿ ਕਰਹਿ ਪ੍ਰਭ ਤੇਰੀਆ ਮਿਲਿ ਸਾਧੂ ਸਾਧ ਜਨਾ ਗੁਰ ਸਤਿਗੁਰੂ ਭਗਵਾਨ ॥੧॥
उसतति करहि प्रभ तेरीआ मिलि साधू साध जना गुर सतिगुरू भगवान ॥१॥
हे प्रभु ! गुरु-सतगुरु के साथ मिलकर साधुजन तेरी उस्तति करते हैं॥१॥

ਜਿਨ ਕੈ ਹਿਰਦੈ ਤੂ ਸੁਆਮੀ ਤੇ ਸੁਖ ਫਲ ਪਾਵਹਿ ਤੇ ਤਰੇ ਭਵ ਸਿੰਧੁ ਤੇ ਭਗਤ ਹਰਿ ਜਾਨ ॥
जिन कै हिरदै तू सुआमी ते सुख फल पावहि ते तरे भव सिंधु ते भगत हरि जान ॥
हे स्वामी ! जिनके हृदय में तू रहता है, वे सर्व सुख एवं फल पाते हैं और भक्तों के साथ संसार-समुद्र से पार हो जाते हैं।

ਤਿਨ ਸੇਵਾ ਹਮ ਲਾਇ ਹਰੇ ਹਮ ਲਾਇ ਹਰੇ ਜਨ ਨਾਨਕ ਕੇ ਹਰਿ ਤੂ ਤੂ ਤੂ ਤੂ ਤੂ ਭਗਵਾਨ ॥੨॥੬॥੧੨॥
तिन सेवा हम लाइ हरे हम लाइ हरे जन नानक के हरि तू तू तू तू तू भगवान ॥२॥६॥१२॥
उनकी सेवा में हमें लगाए रखना, हे नानक के प्रभु ! तू ही तू तू ही हमारा सर्वस्व है॥२॥६॥१२॥

ਕਾਨੜਾ ਮਹਲਾ ੫ ਘਰੁ ੨
कानड़ा महला ५ घरु २
कानड़ा महला ५ घरु २

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ਗਾਈਐ ਗੁਣ ਗੋਪਾਲ ਕ੍ਰਿਪਾ ਨਿਧਿ ॥
गाईऐ गुण गोपाल क्रिपा निधि ॥
कृपानिधि ईश्वर का गुणानुवाद करो।

ਦੁਖ ਬਿਦਾਰਨ ਸੁਖਦਾਤੇ ਸਤਿਗੁਰ ਜਾ ਕਉ ਭੇਟਤ ਹੋਇ ਸਗਲ ਸਿਧਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
दुख बिदारन सुखदाते सतिगुर जा कउ भेटत होइ सगल सिधि ॥१॥ रहाउ ॥
वह सब दुख नष्ट करने वाला है, सुखों का दाता है, वही सच्चा गुरु है, जिससे साक्षात्कार होते ही सर्व सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।॥१॥रहाउ॥

ਸਿਮਰਤ ਨਾਮੁ ਮਨਹਿ ਸਾਧਾਰੈ ॥
सिमरत नामु मनहि साधारै ॥
प्रभु का नाम स्मरण करने से मन को शान्ति प्राप्त होती है,

ਕੋਟਿ ਪਰਾਧੀ ਖਿਨ ਮਹਿ ਤਾਰੈ ॥੧॥
कोटि पराधी खिन महि तारै ॥१॥
(नाम स्मरण से) करोड़ों अपराधी पल में तिर गए हैं।॥१॥

ਜਾ ਕਉ ਚੀਤਿ ਆਵੈ ਗੁਰੁ ਅਪਨਾ ॥
जा कउ चीति आवै गुरु अपना ॥
जिसे अपना गुरु याद आता है,

ਤਾ ਕਉ ਦੂਖੁ ਨਹੀ ਤਿਲੁ ਸੁਪਨਾ ॥੨॥
ता कउ दूखु नही तिलु सुपना ॥२॥
उसे सपने में भी कोई दुख नहीं छूता॥२॥

ਜਾ ਕਉ ਸਤਿਗੁਰੁ ਅਪਨਾ ਰਾਖੈ ॥
जा कउ सतिगुरु अपना राखै ॥
जिसे अपना सतिगुरु बचाता है,

ਸੋ ਜਨੁ ਹਰਿ ਰਸੁ ਰਸਨਾ ਚਾਖੈ ॥੩॥
सो जनु हरि रसु रसना चाखै ॥३॥
वह भक्त अपनी जिव्हा से ईश्वर का जाप करता है॥३॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰਿ ਕੀਨੀ ਮਇਆ ॥
कहु नानक गुरि कीनी मइआ ॥
नानक फुरमाते हैं कि गुरु ने कृपा की है,

ਹਲਤਿ ਪਲਤਿ ਮੁਖ ਊਜਲ ਭਇਆ ॥੪॥੧॥
हलति पलति मुख ऊजल भइआ ॥४॥१॥
लोक-परलोक में मुख उज्ज्वल हो गया है॥४॥१॥

ਕਾਨੜਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥
कानड़ा महला ५ ॥
कानड़ा महला ५ ॥

ਆਰਾਧਉ ਤੁਝਹਿ ਸੁਆਮੀ ਅਪਨੇ ॥
आराधउ तुझहि सुआमी अपने ॥
हे स्वामी ! मैं तेरी ही आराधना करता हूँ,

ਊਠਤ ਬੈਠਤ ਸੋਵਤ ਜਾਗਤ ਸਾਸਿ ਸਾਸਿ ਸਾਸਿ ਹਰਿ ਜਪਨੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
ऊठत बैठत सोवत जागत सासि सासि सासि हरि जपने ॥१॥ रहाउ ॥
उठते-बैठते, सोते-जागते, श्वास-श्वास तेरा ही जाप करता हूँ॥१॥रहाउ॥

ਤਾ ਕੈ ਹਿਰਦੈ ਬਸਿਓ ਨਾਮੁ ॥
ता कै हिरदै बसिओ नामु ॥
उसी के हृदय में हरिनाम बसता है,

ਜਾ ਕਉ ਸੁਆਮੀ ਕੀਨੋ ਦਾਨੁ ॥੧॥
जा कउ सुआमी कीनो दानु ॥१॥
जिसे स्वामी दान करता है।१॥

ਤਾ ਕੈ ਹਿਰਦੈ ਆਈ ਸਾਂਤਿ ॥
ता कै हिरदै आई सांति ॥
उसी के हृदय को शान्ति प्राप्त होती है,

ਠਾਕੁਰ ਭੇਟੇ ਗੁਰ ਬਚਨਾਂਤਿ ॥੨॥
ठाकुर भेटे गुर बचनांति ॥२॥
जिसकी गुरु के वचनों से ठाकुर जी से भेंट होती है॥२॥

ਸਰਬ ਕਲਾ ਸੋਈ ਪਰਬੀਨ ॥
सरब कला सोई परबीन ॥
वही सर्व कलाओं में प्रवीण होता है,

ਨਾਮ ਮੰਤ੍ਰੁ ਜਾ ਕਉ ਗੁਰਿ ਦੀਨ ॥੩॥
नाम मंत्रु जा कउ गुरि दीन ॥३॥
जिसे गुरु हरिनाम मंत्र देता है।॥३॥

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਤਾ ਕੈ ਬਲਿ ਜਾਉ ॥
कहु नानक ता कै बलि जाउ ॥
हे नानक ! मैं उस पर बलिहारी जाता हूँ,

ਕਲਿਜੁਗ ਮਹਿ ਪਾਇਆ ਜਿਨਿ ਨਾਉ ॥੪॥੨॥
कलिजुग महि पाइआ जिनि नाउ ॥४॥२॥
जिसने कलियुग में हरिनाम पाया है॥४॥२॥

ਕਾਨੜਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥
कानड़ा महला ५ ॥
कानड़ा महला ५ ॥

ਕੀਰਤਿ ਪ੍ਰਭ ਕੀ ਗਾਉ ਮੇਰੀ ਰਸਨਾਂ ॥
कीरति प्रभ की गाउ मेरी रसनां ॥
हे मेरी रसना ! प्रभु की कीर्ति-गान करो,

ਅਨਿਕ ਬਾਰ ਕਰਿ ਬੰਦਨ ਸੰਤਨ ਊਹਾਂ ਚਰਨ ਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਕੇ ਬਸਨਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
अनिक बार करि बंदन संतन ऊहां चरन गोबिंद जी के बसना ॥१॥ रहाउ ॥
अनेक बार संत पुरुषों की वन्दना करो, क्योंकि प्रभु जी के चरण यहाँ बसते हैं।॥१॥रहाउ॥

ਅਨਿਕ ਭਾਂਤਿ ਕਰਿ ਦੁਆਰੁ ਨ ਪਾਵਉ ॥
अनिक भांति करि दुआरु न पावउ ॥
अनेक कोशिशें करने पर भी द्वार प्राप्त नहीं होता,

ਹੋਇ ਕ੍ਰਿਪਾਲੁ ਤ ਹਰਿ ਹਰਿ ਧਿਆਵਉ ॥੧॥
होइ क्रिपालु त हरि हरि धिआवउ ॥१॥
जब कृपालु होता है तो व्यक्ति परमात्मा का ध्यान करने लगता है।॥१॥

ਕੋਟਿ ਕਰਮ ਕਰਿ ਦੇਹ ਨ ਸੋਧਾ ॥
कोटि करम करि देह न सोधा ॥
करोड़ों कर्मकाण्ड करने पर भी शरीर शुद्ध नहीं होता,

ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਮਹਿ ਮਨੁ ਪਰਬੋਧਾ ॥੨॥
साधसंगति महि मनु परबोधा ॥२॥
मगर साधु-पुरुषों की संगत में मन को ज्ञान प्राप्त होता है।॥२॥

ਤ੍ਰਿਸਨ ਨ ਬੂਝੀ ਬਹੁ ਰੰਗ ਮਾਇਆ ॥
त्रिसन न बूझी बहु रंग माइआ ॥
माया के अनेक रंगों में तृष्णा नहीं बुझती,

ਨਾਮੁ ਲੈਤ ਸਰਬ ਸੁਖ ਪਾਇਆ ॥੩॥
नामु लैत सरब सुख पाइआ ॥३॥
प्रभु का नाम लेते ही सर्व सुख प्राप्त हो जाते हैं।॥३॥

ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਜਬ ਭਏ ਦਇਆਲ ॥
पारब्रहम जब भए दइआल ॥
हे नानक ! जब परब्रह्म दयालु होता है तो

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਤਉ ਛੂਟੇ ਜੰਜਾਲ ॥੪॥੩॥
कहु नानक तउ छूटे जंजाल ॥४॥३॥
संसार के झंझटों से छुटकारा हो जाता है।॥४॥३॥

ਕਾਨੜਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥
कानड़ा महला ५ ॥
कानड़ा महला ५ ॥

ਐਸੀ ਮਾਂਗੁ ਗੋਬਿਦ ਤੇ ॥
ऐसी मांगु गोबिद ते ॥
ईश्वर से हमारी यही कामना है कि

ਟਹਲ ਸੰਤਨ ਕੀ ਸੰਗੁ ਸਾਧੂ ਕਾ ਹਰਿ ਨਾਮਾਂ ਜਪਿ ਪਰਮ ਗਤੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
टहल संतन की संगु साधू का हरि नामां जपि परम गते ॥१॥ रहाउ ॥
संतों की सेवा में तल्लीन रहकर हरिनाम जपता रहूँ और इस तरह परमगति प्राप्त हो जाए॥१॥

ਪੂਜਾ ਚਰਨਾ ਠਾਕੁਰ ਸਰਨਾ ॥
पूजा चरना ठाकुर सरना ॥
ठाकुर जी की चरण-शरण में पूजा-अर्चना करता रहूँ।

ਸੋਈ ਕੁਸਲੁ ਜੁ ਪ੍ਰਭ ਜੀਉ ਕਰਨਾ ॥੧॥
सोई कुसलु जु प्रभ जीउ करना ॥१॥
जो प्रभु करता है, वही अच्छा होता है।॥१॥

ਸਫਲ ਹੋਤ ਇਹ ਦੁਰਲਭ ਦੇਹੀ ॥
सफल होत इह दुरलभ देही ॥
उसका दुर्लभ शरीर सफल हो जाता है,

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