Hindi Page 452

ਨਿਤ ਜੋਬਨੁ ਜਾਵੈ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਜਮੁ ਸਾਸ ਹਿਰੇ ॥
नित जोबनु जावै मेरे पिआरे जमु सास हिरे ॥
नित्य यौवन बीतता जा रहा है और मृत्यु मेरी सांसे चुरा रही है।

ਭਾਗ ਮਣੀ ਸੋਹਾਗਣਿ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਉਰਿ ਧਾਰੇ ॥੨॥
भाग मणी सोहागणि मेरे पिआरे नानक हरि उरि धारे ॥२॥
नानक का कथन है कि हे मेरे प्यारे ! वही जीव-स्त्री भाग्यवान प्रभु को अपने हृदय में बसाए रखती है॥ २॥

ਪਿਰ ਰਤਿਅੜੇ ਮੈਡੇ ਲੋਇਣ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਚਾਤ੍ਰਿਕ ਬੂੰਦ ਜਿਵੈ ॥
पिर रतिअड़े मैडे लोइण मेरे पिआरे चात्रिक बूंद जिवै ॥
हे मेरे प्यारे ! मेरी आँखे अपने प्रियतम के प्रेम में यूँ रंगी हुई है जैसे पपीहा स्वाति बूंद हेतु उत्सुक होता देखता है।

ਮਨੁ ਸੀਤਲੁ ਹੋਆ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਹਰਿ ਬੂੰਦ ਪੀਵੈ ॥
मनु सीतलु होआ मेरे पिआरे हरि बूंद पीवै ॥
हे प्यारे ! हरी नाम रूपी स्वाति बूंदो का पान करने से मेरा मन शीतल हो गया है।

ਤਨਿ ਬਿਰਹੁ ਜਗਾਵੈ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਨੀਦ ਨ ਪਵੈ ਕਿਵੈ ॥
तनि बिरहु जगावै मेरे पिआरे नीद न पवै किवै ॥
हे मेरे प्यारे ! मेरे तन में उपजा हुआ जुदाई का दर्द मुझे जगाये रखता है और किसी तरह भी मुझे नींद नहीं आती।

ਹਰਿ ਸਜਣੁ ਲਧਾ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਨਾਨਕ ਗੁਰੂ ਲਿਵੈ ॥੩॥
हरि सजणु लधा मेरे पिआरे नानक गुरू लिवै ॥३॥
हे मेरे प्यारे ! नानक की गुरु प्रेम से प्रभु प्राप्त हो गया है।

ਚੜਿ ਚੇਤੁ ਬਸੰਤੁ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਭਲੀਅ ਰੁਤੇ ॥
चड़ि चेतु बसंतु मेरे पिआरे भलीअ रुते ॥
हे मेरे प्यारे ! चैत्र के माह में बसंत की सुहावनी ऋतू आ गयी है।

ਪਿਰ ਬਾਝੜਿਅਹੁ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਆਂਗਣਿ ਧੂੜਿ ਲੁਤੇ ॥
पिर बाझड़िअहु मेरे पिआरे आंगणि धूड़ि लुते ॥
लेकिन प्रियतम प्रभु के बिना मेरे हृदय आँगन में धूल ही उड़ती है।

ਮਨਿ ਆਸ ਉਡੀਣੀ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਦੁਇ ਨੈਨ ਜੁਤੇ ॥
मनि आस उडीणी मेरे पिआरे दुइ नैन जुते ॥
मेरे उदास मन में अभी भी आशा कायम है और मेरे दोनों नेत्र उस प्रियतम का इंतजार कर रहे है।

ਗੁਰੁ ਨਾਨਕੁ ਦੇਖਿ ਵਿਗਸੀ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਜਿਉ ਮਾਤ ਸੁਤੇ ॥੪॥
गुरु नानकु देखि विगसी मेरे पिआरे जिउ मात सुते ॥४॥
नानक का कथन है कि हे मेरे प्यारे ! अब गुरु को देखकर मेरा मन यूँ प्रसन्न हो गया है जैसे बालक अपनी माता को देखकर खिल जाता है॥ ४॥

ਹਰਿ ਕੀਆ ਕਥਾ ਕਹਾਣੀਆ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਸਤਿਗੁਰੂ ਸੁਣਾਈਆ ॥
हरि कीआ कथा कहाणीआ मेरे पिआरे सतिगुरू सुणाईआ ॥
हे मेरे प्यारे ! मेरे सच्चे गुरु ने मुझे हरि की कथा-कहानियाँ सुनाई हैं।

ਗੁਰ ਵਿਟੜਿਅਹੁ ਹਉ ਘੋਲੀ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਜਿਨਿ ਹਰਿ ਮੇਲਾਈਆ ॥
गुर विटड़िअहु हउ घोली मेरे पिआरे जिनि हरि मेलाईआ ॥
हे मेरे प्यारे ! मैं अपने गुरु पर कुर्बान जाता हूँ, जिन्होंने मुझे प्रभु से मिला दिया है।

ਸਭਿ ਆਸਾ ਹਰਿ ਪੂਰੀਆ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਮਨਿ ਚਿੰਦਿਅੜਾ ਫਲੁ ਪਾਇਆ ॥
सभि आसा हरि पूरीआ मेरे पिआरे मनि चिंदिअड़ा फलु पाइआ ॥
हे मेरे प्यारे ! प्रभु ने मेरी सभी आशाएँ पूरी कर दी हैं और मुझे मनोवांछित फल प्राप्त हो गया है।

ਹਰਿ ਤੁਠੜਾ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਜਨੁ ਨਾਨਕੁ ਨਾਮਿ ਸਮਾਇਆ ॥੫॥
हरि तुठड़ा मेरे पिआरे जनु नानकु नामि समाइआ ॥५॥
हे मेरे प्यारे ! जब प्रभु प्रसन्न हुआ तो नानक उसके नाम में समा गया है॥ ५॥

ਪਿਆਰੇ ਹਰਿ ਬਿਨੁ ਪ੍ਰੇਮੁ ਨ ਖੇਲਸਾ ॥
पिआरे हरि बिनु प्रेमु न खेलसा ॥
हे प्यारे ! अपने प्रियतम प्रभु के अलावा में किसी दूसरे से प्रेम की खेल नहीं खेलूंगा।

ਕਿਉ ਪਾਈ ਗੁਰੁ ਜਿਤੁ ਲਗਿ ਪਿਆਰਾ ਦੇਖਸਾ ॥
किउ पाई गुरु जितु लगि पिआरा देखसा ॥
मैं गुरु को कैसे प्राप्त करूँ, जिसके द्वारा प्रभु के दर्शन कर सकता हूँ?

ਹਰਿ ਦਾਤੜੇ ਮੇਲਿ ਗੁਰੂ ਮੁਖਿ ਗੁਰਮੁਖਿ ਮੇਲਸਾ ॥
हरि दातड़े मेलि गुरू मुखि गुरमुखि मेलसा ॥
हे दाता हरि ! मुझे गुरु से मिला दे। केवल गुरु के द्वारा ही मैं तुझसे मिल सकता हूँ।

ਗੁਰੁ ਨਾਨਕੁ ਪਾਇਆ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਧੁਰਿ ਮਸਤਕਿ ਲੇਖੁ ਸਾ ॥੬॥੧੪॥੨੧॥
गुरु नानकु पाइआ मेरे पिआरे धुरि मसतकि लेखु सा ॥६॥१४॥२१॥
नानक का कथन है कि हे मेरे प्यारे ! मुझे गुरु प्राप्त हो गया है, क्योंकि आदि से ही माथे पर ऐसा लेख लिखा हुआ था॥ ६॥ १४॥ २१॥

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।

ਰਾਗੁ ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ਛੰਤ ਘਰੁ ੧ ॥
रागु आसा महला ५ छंत घरु १ ॥
रागु आसा महला ५ छंत घरु १ ॥

ਅਨਦੋ ਅਨਦੁ ਘਣਾ ਮੈ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਡੀਠਾ ਰਾਮ ॥
अनदो अनदु घणा मै सो प्रभु डीठा राम ॥
मेरी अन्तरात्मा में आनंद ही आनंद हो गया है क्योंकि मैंने भगवान के दर्शन कर लिए हैं।

ਚਾਖਿਅੜਾ ਚਾਖਿਅੜਾ ਮੈ ਹਰਿ ਰਸੁ ਮੀਠਾ ਰਾਮ ॥
चाखिअड़ा चाखिअड़ा मै हरि रसु मीठा राम ॥
मैंने भीठा हरि रस चख लिया है।

ਹਰਿ ਰਸੁ ਮੀਠਾ ਮਨ ਮਹਿ ਵੂਠਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਤੂਠਾ ਸਹਜੁ ਭਇਆ ॥
हरि रसु मीठा मन महि वूठा सतिगुरु तूठा सहजु भइआ ॥
मीठा हरि रस मेरे मन में बरसा है जिससे सतिगुरु की प्रसन्नता द्वारा सहज भाव शांति मिल गई है।

ਗ੍ਰਿਹੁ ਵਸਿ ਆਇਆ ਮੰਗਲੁ ਗਾਇਆ ਪੰਚ ਦੁਸਟ ਓਇ ਭਾਗਿ ਗਇਆ ॥
ग्रिहु वसि आइआ मंगलु गाइआ पंच दुसट ओइ भागि गइआ ॥
मेरा हृदय-घर अब बस गया है और मेरी ज्ञानेन्द्रियाँ मंगल गीत गा रही हैं क्योंकि काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार – पाँचों ही दुष्ट विकार भाग गए हैं।

ਸੀਤਲ ਆਘਾਣੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਬਾਣੇ ਸਾਜਨ ਸੰਤ ਬਸੀਠਾ ॥
सीतल आघाणे अम्रित बाणे साजन संत बसीठा ॥
अमृतमयी वाणी से मैं शीतल एवं तृप्त हो गया हूँ, साजन संत गुरुदेव मेरे वकील बने हैं।

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਸਿਉ ਮਨੁ ਮਾਨਿਆ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਨੈਣੀ ਡੀਠਾ ॥੧॥
कहु नानक हरि सिउ मनु मानिआ सो प्रभु नैणी डीठा ॥१॥
हे नानक ! मेरा मन ईश्वर के साथ लीन हो गया है और अपने नयनों से उसके दर्शन कर लिए हैं॥ १॥

ਸੋਹਿਅੜੇ ਸੋਹਿਅੜੇ ਮੇਰੇ ਬੰਕ ਦੁਆਰੇ ਰਾਮ ॥
सोहिअड़े सोहिअड़े मेरे बंक दुआरे राम ॥
हे राम ! मेरे मन के सुन्दर द्वार शोभायमान हो गए हैं।

ਪਾਹੁਨੜੇ ਪਾਹੁਨੜੇ ਮੇਰੇ ਸੰਤ ਪਿਆਰੇ ਰਾਮ ॥
पाहुनड़े पाहुनड़े मेरे संत पिआरे राम ॥
मेरे प्यारे संत अतिथि बने हुए हैं।

ਸੰਤ ਪਿਆਰੇ ਕਾਰਜ ਸਾਰੇ ਨਮਸਕਾਰ ਕਰਿ ਲਗੇ ਸੇਵਾ ॥
संत पिआरे कारज सारे नमसकार करि लगे सेवा ॥
जब मैं उन्हें प्रणाम करके उनकी सेवा में जुट गया तो उन्होंने मेरा विवाह कार्य सम्पूर्ण कर दिया।

ਆਪੇ ਜਾਞੀ ਆਪੇ ਮਾਞੀ ਆਪਿ ਸੁਆਮੀ ਆਪਿ ਦੇਵਾ ॥
आपे जाञी आपे माञी आपि सुआमी आपि देवा ॥
प्रभु स्वयं ही बराती है, स्वयं ही कन्या पक्ष, स्वयं ही स्वामी और स्वयं ही देवा है।

ਅਪਣਾ ਕਾਰਜੁ ਆਪਿ ਸਵਾਰੇ ਆਪੇ ਧਾਰਨ ਧਾਰੇ ॥
अपणा कारजु आपि सवारे आपे धारन धारे ॥
वह अपना कार्य स्वयं ही संवारता है और स्वयं ही सृष्टि को सहारा प्रदान करता है।

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸਹੁ ਘਰ ਮਹਿ ਬੈਠਾ ਸੋਹੇ ਬੰਕ ਦੁਆਰੇ ॥੨॥
कहु नानक सहु घर महि बैठा सोहे बंक दुआरे ॥२॥
हे नानक ! पति-परमेश्वर मेरे हृदय-घर में विराजमान हो गया है और हृदय-घर के सुन्दर द्वार शोभा से युक्त हुए हैं।॥ २॥

ਨਵ ਨਿਧੇ ਨਉ ਨਿਧੇ ਮੇਰੇ ਘਰ ਮਹਿ ਆਈ ਰਾਮ ॥
नव निधे नउ निधे मेरे घर महि आई राम ॥
हे राम ! मेरे हृदय घर में विश्व की नवनिधियों आ गई हैं।

ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਮੈ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਪਾਇਆ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ਰਾਮ ॥
सभु किछु मै सभु किछु पाइआ नामु धिआई राम ॥
राम नाम का ध्यान करने से मैंने सब कुछ प्राप्त कर लिया है।

ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ਸਦਾ ਸਖਾਈ ਸਹਜ ਸੁਭਾਈ ਗੋਵਿੰਦਾ ॥
नामु धिआई सदा सखाई सहज सुभाई गोविंदा ॥
सहज-स्वभाव से नाम का ध्यान करने से गोविन्द सदैव के लिए सखा बन गया है।

ਗਣਤ ਮਿਟਾਈ ਚੂਕੀ ਧਾਈ ਕਦੇ ਨ ਵਿਆਪੈ ਮਨ ਚਿੰਦਾ ॥
गणत मिटाई चूकी धाई कदे न विआपै मन चिंदा ॥
उसकी तमाम गणनाएँ मिट गई हैं, मन की दुविधा भी दूर हो गई है और उसके मन को कभी चिन्ता नहीं आती।

ਗੋਵਿੰਦ ਗਾਜੇ ਅਨਹਦ ਵਾਜੇ ਅਚਰਜ ਸੋਭ ਬਣਾਈ ॥
गोविंद गाजे अनहद वाजे अचरज सोभ बणाई ॥
जब गोविन्द प्रगट हो जाता है तो अनहद नाद बजता है और आश्चर्यजनक शोभा का दृश्य बन जाता है।

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਪਿਰੁ ਮੇਰੈ ਸੰਗੇ ਤਾ ਮੈ ਨਵ ਨਿਧਿ ਪਾਈ ॥੩॥
कहु नानक पिरु मेरै संगे ता मै नव निधि पाई ॥३॥
हे नानक ! जब मेरा प्रियतम-प्रभु मेरे साथ है तो मुझे विश्व की नवनिधियाँ प्राप्त हो गई हैं।॥ ३॥

ਸਰਸਿਅੜੇ ਸਰਸਿਅੜੇ ਮੇਰੇ ਭਾਈ ਸਭ ਮੀਤਾ ਰਾਮ ॥
सरसिअड़े सरसिअड़े मेरे भाई सभ मीता राम ॥
हे राम ! मेरे सभी भाई एवं मित्र सुप्रसन्न हो गए हैं।

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