Hindi Page 976

ਗੁਰ ਪਰਸਾਦੀ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਓ ਹਮ ਸਤਿਗੁਰ ਚਰਨ ਪਖੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
गुर परसादी हरि नामु धिआइओ हम सतिगुर चरन पखे ॥१॥ रहाउ ॥
गुरु की कृपा से हरि-नाम का ध्यान किया है, अब तो हम सतगुरु की चरण-सेवा में ही लीन रहते हैं।॥ १॥ रहाउ॥

ਊਤਮ ਜਗੰਨਾਥ ਜਗਦੀਸੁਰ ਹਮ ਪਾਪੀ ਸਰਨਿ ਰਖੇ ॥
ऊतम जगंनाथ जगदीसुर हम पापी सरनि रखे ॥
हे जगन्नाथ, हे जगदीश्वर ! तू महान् है, जो मुझ पापी को अपनी शरण में रखा है।

ਤੁਮ ਵਡ ਪੁਰਖ ਦੀਨ ਦੁਖ ਭੰਜਨ ਹਰਿ ਦੀਓ ਨਾਮੁ ਮੁਖੇ ॥੧॥
तुम वड पुरख दीन दुख भंजन हरि दीओ नामु मुखे ॥१॥
तू परमपुरुष एवं दीनों के दुख नाश करने वाला है। हे हरि ! तूने ही मेरे मुख में नाम-सिमरन की समर्था प्रदान की है॥ १॥

ਹਰਿ ਗੁਨ ਊਚ ਨੀਚ ਹਮ ਗਾਏ ਗੁਰ ਸਤਿਗੁਰ ਸੰਗਿ ਸਖੇ ॥
हरि गुन ऊच नीच हम गाए गुर सतिगुर संगि सखे ॥
हरि की महिमा सर्वोपरि है, अतः गुरु-सतगुरु के संग मिलकर मुझ नीच ने उसका ही गुणगान किया है।

ਜਿਉ ਚੰਦਨ ਸੰਗਿ ਬਸੈ ਨਿੰਮੁ ਬਿਰਖਾ ਗੁਨ ਚੰਦਨ ਕੇ ਬਸਖੇ ॥੨॥
जिउ चंदन संगि बसै निमु बिरखा गुन चंदन के बसखे ॥२॥
जैसे चंदन के संग नीम के वृक्ष में चंदन के गुण आ बसते हैं, वैसे ही हमारी दशा हो चुकी है॥ २॥

ਹਮਰੇ ਅਵਗਨ ਬਿਖਿਆ ਬਿਖੈ ਕੇ ਬਹੁ ਬਾਰ ਬਾਰ ਨਿਮਖੇ ॥
हमरे अवगन बिखिआ बिखै के बहु बार बार निमखे ॥
मुझ में विषय विकारों के अनेक अवगुण हैं, जिन्हें मैं बार-बार हर क्षण करता रहता हूँ।

ਅਵਗਨਿਆਰੇ ਪਾਥਰ ਭਾਰੇ ਹਰਿ ਤਾਰੇ ਸੰਗਿ ਜਨਖੇ ॥੩॥
अवगनिआरे पाथर भारे हरि तारे संगि जनखे ॥३॥
मैं अवगुणी एवं भारी पत्थर बन गया हूँ परन्तु हरि ने अपने भक्तजनों की संगति द्वारा उद्धार कर दिया है॥ ३॥

ਜਿਨ ਕਉ ਤੁਮ ਹਰਿ ਰਾਖਹੁ ਸੁਆਮੀ ਸਭ ਤਿਨ ਕੇ ਪਾਪ ਕ੍ਰਿਖੇ ॥
जिन कउ तुम हरि राखहु सुआमी सभ तिन के पाप क्रिखे ॥
हे हरेि ! जिन भक्तों की तू रक्षा करता है, उनके सब पाप नष्ट हो जाते हैं।

ਜਨ ਨਾਨਕ ਕੇ ਦਇਆਲ ਪ੍ਰਭ ਸੁਆਮੀ ਤੁਮ ਦੁਸਟ ਤਾਰੇ ਹਰਣਖੇ ॥੪॥੩॥
जन नानक के दइआल प्रभ सुआमी तुम दुसट तारे हरणखे ॥४॥३॥
हे नानक के दयालु प्रभु स्वामी ! तूने हिरण्यकशिपु जैसे दुष्टों का भी निस्तारा कर दिया॥ ४॥ ३॥

ਨਟ ਮਹਲਾ ੪ ॥
नट महला ४ ॥
नट महला ४॥

ਮੇਰੇ ਮਨ ਜਪਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਰਾਮ ਰੰਗੇ ॥
मेरे मन जपि हरि हरि राम रंगे ॥
हे मेरे मन ! प्रेमपूर्वक ‘हरि-हरि’ नाम जपो।

ਹਰਿ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੀ ਜਗਦੀਸੁਰਿ ਹਰਿ ਧਿਆਇਓ ਜਨ ਪਗਿ ਲਗੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
हरि हरि क्रिपा करी जगदीसुरि हरि धिआइओ जन पगि लगे ॥१॥ रहाउ ॥
जगदीश्वर हरि ने जब कृपा की तो संतों के चरणों में लगकर उसका ही भजन किया॥ १॥ रहाउ॥

ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੇ ਭੂਲ ਚੂਕ ਹਮ ਅਬ ਆਏ ਪ੍ਰਭ ਸਰਨਗੇ ॥
जनम जनम के भूल चूक हम अब आए प्रभ सरनगे ॥
हम जन्म-जन्मांतर से भूले हुए थे किन्तु अब प्रभु की शरण में आ गए हैं।

ਤੁਮ ਸਰਣਾਗਤਿ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲਕ ਸੁਆਮੀ ਹਮ ਰਾਖਹੁ ਵਡ ਪਾਪਗੇ ॥੧॥
तुम सरणागति प्रतिपालक सुआमी हम राखहु वड पापगे ॥१॥
हे मेरे स्वामी ! तू सबका प्रतिपालक एवं शरणागत पर दया करने वाला है, मुझ सरीखे बड़े पापी की भी रक्षा करो।॥ १॥

ਤੁਮਰੀ ਸੰਗਤਿ ਹਰਿ ਕੋ ਕੋ ਨ ਉਧਰਿਓ ਪ੍ਰਭ ਕੀਏ ਪਤਿਤ ਪਵਗੇ ॥
तुमरी संगति हरि को को न उधरिओ प्रभ कीए पतित पवगे ॥
हे हरि ! संगति में आने वाले किस-किस का उद्धार नहीं हुआ ? तूने तो पतित जीवों को भी पावन कर दिया है।

ਗੁਨ ਗਾਵਤ ਛੀਪਾ ਦੁਸਟਾਰਿਓ ਪ੍ਰਭਿ ਰਾਖੀ ਪੈਜ ਜਨਗੇ ॥੨॥
गुन गावत छीपा दुसटारिओ प्रभि राखी पैज जनगे ॥२॥
ब्राह्मणों ने ईश्वर का स्तुतिगान कर रहे भक्त नामदेव को दुष्ट-दुष्ट’ कहकर निंदा की थी परन्तु प्रभु ने उसकी भी लाज रख ली थी॥ २॥

ਜੋ ਤੁਮਰੇ ਗੁਨ ਗਾਵਹਿ ਸੁਆਮੀ ਹਉ ਬਲਿ ਬਲਿ ਬਲਿ ਤਿਨਗੇ ॥
जो तुमरे गुन गावहि सुआमी हउ बलि बलि बलि तिनगे ॥
हे स्वामी ! जो तुम्हारे गुण गाते हैं, मैं उन पर सदा न्यौछावर हूँ।

ਭਵਨ ਭਵਨ ਪਵਿਤ੍ਰ ਸਭਿ ਕੀਏ ਜਹ ਧੂਰਿ ਪਰੀ ਜਨ ਪਗੇ ॥੩॥
भवन भवन पवित्र सभि कीए जह धूरि परी जन पगे ॥३॥
जहाँ-जहाँ भक्तजनों की चरण-धूलि पड़ी है, वे सभी घर पवित्र हो गए हैं।॥ ३॥

ਤੁਮਰੇ ਗੁਨ ਪ੍ਰਭ ਕਹਿ ਨ ਸਕਹਿ ਹਮ ਤੁਮ ਵਡ ਵਡ ਪੁਰਖ ਵਡਗੇ ॥
तुमरे गुन प्रभ कहि न सकहि हम तुम वड वड पुरख वडगे ॥
हे प्रभु! हम तुम्हारे गुण व्यक्त नहीं कर सकते चूंकि तू महान् एवं परमपुरुष है।

ਜਨ ਨਾਨਕ ਕਉ ਦਇਆ ਪ੍ਰਭ ਧਾਰਹੁ ਹਮ ਸੇਵਹ ਤੁਮ ਜਨ ਪਗੇ ॥੪॥੪॥
जन नानक कउ दइआ प्रभ धारहु हम सेवह तुम जन पगे ॥४॥४॥
नानक कहते हैं कि हे परमेश्वर ! हम पर ऐसी दया करो, ताकेि तेरे भक्तों की चरण-सेवा में रत रहें॥ ४॥ ४॥

ਨਟ ਮਹਲਾ ੪ ॥
नट महला ४ ॥
नट महला ४॥

ਮੇਰੇ ਮਨ ਜਪਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਮਨੇ ॥
मेरे मन जपि हरि हरि नामु मने ॥
हे मेरे मन ! एकाग्रचित होकर हरि-नाम की उपासना करो।

ਜਗੰਨਾਥਿ ਕਿਰਪਾ ਪ੍ਰਭਿ ਧਾਰੀ ਮਤਿ ਗੁਰਮਤਿ ਨਾਮ ਬਨੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जगंनाथि किरपा प्रभि धारी मति गुरमति नाम बने ॥१॥ रहाउ ॥
जब जगन्नाथ प्रभु ने कृपा की तो मेरी मति गुरु-मतानुसार नाम में प्रवृत्त हो गई॥ १॥

ਹਰਿ ਜਨ ਹਰਿ ਜਸੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਗਾਇਓ ਉਪਦੇਸਿ ਗੁਰੂ ਗੁਰ ਸੁਨੇ ॥
हरि जन हरि जसु हरि हरि गाइओ उपदेसि गुरू गुर सुने ॥
गुरु से उपदेश सुनकर हरि-भक्तों ने हरि का ही यशोगान किया है।

ਕਿਲਬਿਖ ਪਾਪ ਨਾਮ ਹਰਿ ਕਾਟੇ ਜਿਵ ਖੇਤ ਕ੍ਰਿਸਾਨਿ ਲੁਨੇ ॥੧॥
किलबिख पाप नाम हरि काटे जिव खेत क्रिसानि लुने ॥१॥
हरि-नाम ने उनके सब किल्विष-पाप ऐसे काट दिए हैं, जैसे कृषक खेतों को काट देता है॥ १॥

ਤੁਮਰੀ ਉਪਮਾ ਤੁਮ ਹੀ ਪ੍ਰਭ ਜਾਨਹੁ ਹਮ ਕਹਿ ਨ ਸਕਹਿ ਹਰਿ ਗੁਨੇ ॥
तुमरी उपमा तुम ही प्रभ जानहु हम कहि न सकहि हरि गुने ॥
हे परमेश्वर ! तेरी उपमा तू स्वयं ही जानता है, हम तेरे गुण व्यक्त नहीं कर सकते।

ਜੈਸੇ ਤੁਮ ਤੈਸੇ ਪ੍ਰਭ ਤੁਮ ਹੀ ਗੁਨ ਜਾਨਹੁ ਪ੍ਰਭ ਅਪੁਨੇ ॥੨॥
जैसे तुम तैसे प्रभ तुम ही गुन जानहु प्रभ अपुने ॥२॥
हे प्रभु ! जैसे तुम हो, वैसे ही अपने गुणों को तुम्हीं जानते हो॥ २॥

ਮਾਇਆ ਫਾਸ ਬੰਧ ਬਹੁ ਬੰਧੇ ਹਰਿ ਜਪਿਓ ਖੁਲ ਖੁਲਨੇ ॥
माइआ फास बंध बहु बंधे हरि जपिओ खुल खुलने ॥
जीव माया के अनेक बन्धनों में फँसा हुआ है परन्तु हरि का जाप करने से ही बन्धनों से छूट सकता है।

ਜਿਉ ਜਲ ਕੁੰਚਰੁ ਤਦੂਐ ਬਾਂਧਿਓ ਹਰਿ ਚੇਤਿਓ ਮੋਖ ਮੁਖਨੇ ॥੩॥
जिउ जल कुंचरु तदूऐ बांधिओ हरि चेतिओ मोख मुखने ॥३॥
जैसे जल में मगरमच्छ ने हाथी को बांध लिया था परन्तु हरि को याद करने से उसका छुटकारा हो गया था॥ ३॥

ਸੁਆਮੀ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪਰਮੇਸਰੁ ਤੁਮ ਖੋਜਹੁ ਜੁਗ ਜੁਗਨੇ ॥
सुआमी पारब्रहम परमेसरु तुम खोजहु जुग जुगने ॥
हे स्वामी, परब्रह्म-परमेश्वर ! युग-युगान्तरों से हम तुझे ही खोजते आ रहे हैं।

ਤੁਮਰੀ ਥਾਹ ਪਾਈ ਨਹੀ ਪਾਵੈ ਜਨ ਨਾਨਕ ਕੇ ਪ੍ਰਭ ਵਡਨੇ ॥੪॥੫॥
तुमरी थाह पाई नही पावै जन नानक के प्रभ वडने ॥४॥५॥
हे नानक के प्रभु ! तेरी महिमा का अन्त नहीं पाया जा सकता॥ ४॥ ५॥

ਨਟ ਮਹਲਾ ੪ ॥
नट महला ४ ॥
नट महला ४॥

ਮੇਰੇ ਮਨ ਕਲਿ ਕੀਰਤਿ ਹਰਿ ਪ੍ਰਵਣੇ ॥
मेरे मन कलि कीरति हरि प्रवणे ॥
हे मेरे मन ! कलियुग में परमेश्वर का कीर्ति-गान ही मंजूर होता है।

ਹਰਿ ਹਰਿ ਦਇਆਲਿ ਦਇਆ ਪ੍ਰਭ ਧਾਰੀ ਲਗਿ ਸਤਿਗੁਰ ਹਰਿ ਜਪਣੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
हरि हरि दइआलि दइआ प्रभ धारी लगि सतिगुर हरि जपणे ॥१॥ रहाउ ॥
दयालु प्रभु ने जब दया की तो गुरु-चरणों में लगकर हरि का ही जाप किया।॥१॥ रहाउ ॥

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