Hindi Page 443

ਗੁਰਮੁਖੇ ਗੁਰਮੁਖਿ ਨਦਰੀ ਰਾਮੁ ਪਿਆਰਾ ਰਾਮ ॥
गुरमुखे गुरमुखि नदरी रामु पिआरा राम ॥
गुरुमुख की जीभ पर हर पल यह अमृत की धारा पड़ती रहती है। गुरु की कृपा-दृष्टि से गुरुमुख को राम नाम बहुत प्यारा लगता है।

ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਪਿਆਰਾ ਜਗਤ ਨਿਸਤਾਰਾ ਰਾਮ ਨਾਮਿ ਵਡਿਆਈ ॥
राम नामु पिआरा जगत निसतारा राम नामि वडिआई ॥
जगत का उद्धार करने वाला राम का नाम उसे प्रिय लगता है। संसार में राम नाम की ही शोभा है।

ਕਲਿਜੁਗਿ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਬੋਹਿਥਾ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਾਰਿ ਲਘਾਈ ॥
कलिजुगि राम नामु बोहिथा गुरमुखि पारि लघाई ॥
कलियुग में राम का नाम जहाज है और गुरु के सान्निध्य में रहने से मनुष्य पार हो जाता है।

ਹਲਤਿ ਪਲਤਿ ਰਾਮ ਨਾਮਿ ਸੁਹੇਲੇ ਗੁਰਮੁਖਿ ਕਰਣੀ ਸਾਰੀ ॥
हलति पलति राम नामि सुहेले गुरमुखि करणी सारी ॥
यह लोक एवं परलोक राम के नाम से सुखी हो जाते हैं और गुरुमुख का जीवन-आचरण उत्तम हो जाता है।

ਨਾਨਕ ਦਾਤਿ ਦਇਆ ਕਰਿ ਦੇਵੈ ਰਾਮ ਨਾਮਿ ਨਿਸਤਾਰੀ ॥੧॥
नानक दाति दइआ करि देवै राम नामि निसतारी ॥१॥
हे नानक ! जिस मनुष्य को प्रभु कृपा धारण करके अपने नाम का दान देता है, उसे राम नाम द्वारा भवसागर से पार कर देता है॥ १॥

ਰਾਮੋ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਜਪਿਆ ਦੁਖ ਕਿਲਵਿਖ ਨਾਸ ਗਵਾਇਆ ਰਾਮ ॥
रामो राम नामु जपिआ दुख किलविख नास गवाइआ राम ॥
मैंने राम-नाम का जाप किया है जिसने मेरे दुःख एवं पाप नाश कर दिए हैं।

ਗੁਰ ਪਰਚੈ ਗੁਰ ਪਰਚੈ ਧਿਆਇਆ ਮੈ ਹਿਰਦੈ ਰਾਮੁ ਰਵਾਇਆ ਰਾਮ ॥
गुर परचै गुर परचै धिआइआ मै हिरदै रामु रवाइआ राम ॥
गुरु से मिलन द्वारा मैंने परमात्मा का ध्यान किया है और राम को अपने हृदय में बसाया है।

ਰਵਿਆ ਰਾਮੁ ਹਿਰਦੈ ਪਰਮ ਗਤਿ ਪਾਈ ਜਾ ਗੁਰ ਸਰਣਾਈ ਆਏ ॥
रविआ रामु हिरदै परम गति पाई जा गुर सरणाई आए ॥
जब मैंने गुरु की शरण ली तो राम का नाम मेरे हृदय में बस गया और मुझे परमगति प्राप्त हो गई।

ਲੋਭ ਵਿਕਾਰ ਨਾਵ ਡੁਬਦੀ ਨਿਕਲੀ ਜਾ ਸਤਿਗੁਰਿ ਨਾਮੁ ਦਿੜਾਏ ॥
लोभ विकार नाव डुबदी निकली जा सतिगुरि नामु दिड़ाए ॥
जब सच्चे गुरु ने मेरे भीतर राम का नाम दृढ़ कर दिया तो लोभ-विकारों से भरी हुई मेरी डूबती नैया बाहर निकल आई।

ਜੀਅ ਦਾਨੁ ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਦੀਆ ਰਾਮ ਨਾਮਿ ਚਿਤੁ ਲਾਏ ॥
जीअ दानु गुरि पूरै दीआ राम नामि चितु लाए ॥
पूर्ण गुरुदेव ने मुझे जीवन दान प्रदान किया और मैंने अपना चित राम नाम के साथ लगाया हुआ है।

ਆਪਿ ਕ੍ਰਿਪਾਲੁ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰਿ ਦੇਵੈ ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਸਰਣਾਏ ॥੨॥
आपि क्रिपालु क्रिपा करि देवै नानक गुर सरणाए ॥२॥
हे नानक ! जो मनुष्य गुरु की शरण लेता है, कृपालु प्रभु आप ही नाम की देन देता है॥ २॥

ਬਾਣੀ ਰਾਮ ਨਾਮ ਸੁਣੀ ਸਿਧਿ ਕਾਰਜ ਸਭਿ ਸੁਹਾਏ ਰਾਮ ॥
बाणी राम नाम सुणी सिधि कारज सभि सुहाए राम ॥
मैंने राम नाम की वाणी सुनी, जिससे सभी कार्य सुखद ही सम्पूर्ण हो गए हैं और सिद्धि प्राप्त हो गई है।

ਰੋਮੇ ਰੋਮਿ ਰੋਮਿ ਰੋਮੇ ਮੈ ਗੁਰਮੁਖਿ ਰਾਮੁ ਧਿਆਏ ਰਾਮ ॥
रोमे रोमि रोमि रोमे मै गुरमुखि रामु धिआए राम ॥
गुरुमुख बनकर अपने रोम-रोम से मैं राम का ध्यान करता हूँ।

ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਧਿਆਏ ਪਵਿਤੁ ਹੋਇ ਆਏ ਤਿਸੁ ਰੂਪੁ ਨ ਰੇਖਿਆ ਕਾਈ ॥
राम नामु धिआए पवितु होइ आए तिसु रूपु न रेखिआ काई ॥
राम नाम का ध्यान करने से मैं पवित्र हो गया हूँ, राम का कोई रूप एवं रेखा नहीं,”

ਰਾਮੋ ਰਾਮੁ ਰਵਿਆ ਘਟ ਅੰਤਰਿ ਸਭ ਤ੍ਰਿਸਨਾ ਭੂਖ ਗਵਾਈ ॥
रामो रामु रविआ घट अंतरि सभ त्रिसना भूख गवाई ॥
राम का नाम मेरे अन्तर्मन में समाया हुआ है और मेरी तृष्णा एवं भूख सभी दूर हो गए हैं।

ਮਨੁ ਤਨੁ ਸੀਤਲੁ ਸੀਗਾਰੁ ਸਭੁ ਹੋਆ ਗੁਰਮਤਿ ਰਾਮੁ ਪ੍ਰਗਾਸਾ ॥
मनु तनु सीतलु सीगारु सभु होआ गुरमति रामु प्रगासा ॥
गुरु की मति द्वारा राम मेरे भीतर प्रकाशमान हो गया है और मेरा मन-तन शीतल एवं सारा श्रृंगार हो गया है।

ਨਾਨਕ ਆਪਿ ਅਨੁਗ੍ਰਹੁ ਕੀਆ ਹਮ ਦਾਸਨਿ ਦਾਸਨਿ ਦਾਸਾ ॥੩॥
नानक आपि अनुग्रहु कीआ हम दासनि दासनि दासा ॥३॥
हे नानक ! भगवान ने मुझ पर स्वयं अनुकंपा की है और तब से उसके दासों का दास बन गया हूँ॥ ३॥

ਜਿਨੀ ਰਾਮੋ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਵਿਸਾਰਿਆ ਸੇ ਮਨਮੁਖ ਮੂੜ ਅਭਾਗੀ ਰਾਮ ॥
जिनी रामो राम नामु विसारिआ से मनमुख मूड़ अभागी राम ॥
जिन्होंने राम और राम नाम को भुला दिया है, वे मनमुख मूर्ख एवं भाग्यहीन हैं।

ਤਿਨ ਅੰਤਰੇ ਮੋਹੁ ਵਿਆਪੈ ਖਿਨੁ ਖਿਨੁ ਮਾਇਆ ਲਾਗੀ ਰਾਮ ॥
तिन अंतरे मोहु विआपै खिनु खिनु माइआ लागी राम ॥
उनके अन्तर्मन में मोह व्याप्त हुआ है और क्षण-क्षण उन्हें माया लगी रहती है।

ਮਾਇਆ ਮਲੁ ਲਾਗੀ ਮੂੜ ਭਏ ਅਭਾਗੀ ਜਿਨ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਨਹ ਭਾਇਆ ॥
माइआ मलु लागी मूड़ भए अभागी जिन राम नामु नह भाइआ ॥
जिन्हें राम का नाम अच्छा नहीं लगता, उन्हें माया की मैल लगी रहती है, ऐसे मूर्ख भाग्यहीन हैं।

ਅਨੇਕ ਕਰਮ ਕਰਹਿ ਅਭਿਮਾਨੀ ਹਰਿ ਰਾਮੋ ਨਾਮੁ ਚੋਰਾਇਆ ॥
अनेक करम करहि अभिमानी हरि रामो नामु चोराइआ ॥
अभिमानी मनुष्य अनेक कर्मकाण्ड करते हैं परन्तु वह राम नाम का जाप करने से अपना मन चुराते हैं।

ਮਹਾ ਬਿਖਮੁ ਜਮ ਪੰਥੁ ਦੁਹੇਲਾ ਕਾਲੂਖਤ ਮੋਹ ਅੰਧਿਆਰਾ ॥
महा बिखमु जम पंथु दुहेला कालूखत मोह अंधिआरा ॥
मोह के अंधेरे की कालिमा के कारण यम (मृत्यु) का मार्ग महा विषम एवं दुःखदायक है।

ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਆ ਤਾ ਪਾਏ ਮੋਖ ਦੁਆਰਾ ॥੪॥
नानक गुरमुखि नामु धिआइआ ता पाए मोख दुआरा ॥४॥
हे नानक ! यदि मनुष्य गुरुमुख बनकर प्रभु-नाम की आराधना कर ले तो उसे मोक्ष का द्वार प्राप्त हो सकता है॥ ४॥

ਰਾਮੋ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਗੁਰੂ ਰਾਮੁ ਗੁਰਮੁਖੇ ਜਾਣੈ ਰਾਮ ॥
रामो राम नामु गुरू रामु गुरमुखे जाणै राम ॥
राम का नाम ही गुरु है और गुरुमुख बनकर ही राम को जाना जाता है।

ਇਹੁ ਮਨੂਆ ਖਿਨੁ ਊਭ ਪਇਆਲੀ ਭਰਮਦਾ ਇਕਤੁ ਘਰਿ ਆਣੈ ਰਾਮ ॥
इहु मनूआ खिनु ऊभ पइआली भरमदा इकतु घरि आणै राम ॥
यह मन क्षण भर में आकाश में होता है और क्षण भर में पाताल में भटकता है। गुरु भटकते हुए मन को एक घर (प्रभु के पास) ले आते हैं।

ਮਨੁ ਇਕਤੁ ਘਰਿ ਆਣੈ ਸਭ ਗਤਿ ਮਿਤਿ ਜਾਣੈ ਹਰਿ ਰਾਮੋ ਨਾਮੁ ਰਸਾਏ ॥
मनु इकतु घरि आणै सभ गति मिति जाणै हरि रामो नामु रसाए ॥
जब मन एक घर (प्रभु के पास) में आता है तो मनुष्य अपनी गति एवं जीवन-मर्यादा को समझ लेता है और हरि-राम के नाम रस का पान करता है।

ਜਨ ਕੀ ਪੈਜ ਰਖੈ ਰਾਮ ਨਾਮਾ ਪ੍ਰਹਿਲਾਦ ਉਧਾਰਿ ਤਰਾਏ ॥
जन की पैज रखै राम नामा प्रहिलाद उधारि तराए ॥
राम का नाम उसके भक्त की लाज रखता है जैसे उसने भक्त प्रहलाद की रक्षा करके उसका उद्धार किया था।

ਰਾਮੋ ਰਾਮੁ ਰਮੋ ਰਮੁ ਊਚਾ ਗੁਣ ਕਹਤਿਆ ਅੰਤੁ ਨ ਪਾਇਆ ॥
रामो रामु रमो रमु ऊचा गुण कहतिआ अंतु न पाइआ ॥
राम का नाम ही दुनिया में ऊँचा है, इसलिए बार-बार राम को याद करते रहो। उसके गुणों का वर्णन करने से उसका अन्त नहीं पाया जा सकता।

ਨਾਨਕ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਸੁਣਿ ਭੀਨੇ ਰਾਮੈ ਨਾਮਿ ਸਮਾਇਆ ॥੫॥
नानक राम नामु सुणि भीने रामै नामि समाइआ ॥५॥
हे नानक ! राम का नाम सुनकर जिस व्यक्ति का मन आनंदित भाव-विभोर हो जाता है, वह राम के नाम में ही समा जाता है॥ ५ ॥

ਜਿਨ ਅੰਤਰੇ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਵਸੈ ਤਿਨ ਚਿੰਤਾ ਸਭ ਗਵਾਇਆ ਰਾਮ ॥
जिन अंतरे राम नामु वसै तिन चिंता सभ गवाइआ राम ॥
जिन मनुष्यों के अन्तर्मन में राम का नाम निवास करता है, उनकी तमाम चिन्ताएँ मिट जाती हैं।

ਸਭਿ ਅਰਥਾ ਸਭਿ ਧਰਮ ਮਿਲੇ ਮਨਿ ਚਿੰਦਿਆ ਸੋ ਫਲੁ ਪਾਇਆ ਰਾਮ ॥
सभि अरथा सभि धरम मिले मनि चिंदिआ सो फलु पाइआ राम ॥
उन्हें धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष सभी पदार्थ मिल जाते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त हो जाता है।

ਮਨ ਚਿੰਦਿਆ ਫਲੁ ਪਾਇਆ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਆ ਰਾਮ ਨਾਮ ਗੁਣ ਗਾਏ ॥
मन चिंदिआ फलु पाइआ राम नामु धिआइआ राम नाम गुण गाए ॥
जो मनुष्य राम नाम का ध्यान करता है एवं राम नाम का गुणगान करता है, उसे मनोवांछित फल मिल जाता है।

ਦੁਰਮਤਿ ਕਬੁਧਿ ਗਈ ਸੁਧਿ ਹੋਈ ਰਾਮ ਨਾਮਿ ਮਨੁ ਲਾਏ ॥
रमति कबुधि गई सुधि होई राम नामि मनु लाए ॥
फिर उसकी दुर्मति एवं कुबुद्धि दूर हो जाती है, उसे ज्ञान प्राप्त हो जाता है और वह राम नाम को अपने मन से लगा लेता है।

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