Hindi Page 628

ਸੰਤਹੁ ਸੁਖੁ ਹੋਆ ਸਭ ਥਾਈ ॥
संतहु सुखु होआ सभ थाई ॥
हे संतो! अब हर जगह सुख ही सुख हो गया है।

ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਪੂਰਨ ਪਰਮੇਸਰੁ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਸਭਨੀ ਜਾਈ ॥ ਰਹਾਉ ॥
पारब्रहमु पूरन परमेसरु रवि रहिआ सभनी जाई ॥ रहाउ ॥
मेरा पूर्ण परब्रह्म परमेश्वर सब में समा रहा है॥ रहाउ॥

ਧੁਰ ਕੀ ਬਾਣੀ ਆਈ ॥
धुर की बाणी आई ॥
यह वाणी परमात्मा से आई है,

ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਚਿੰਤ ਮਿਟਾਈ ॥
तिनि सगली चिंत मिटाई ॥
जिसने सारी चिंता मिटा दी है।

ਦਇਆਲ ਪੁਰਖ ਮਿਹਰਵਾਨਾ ॥ ਹਰਿ ਨਾਨਕ ਸਾਚੁ ਵਖਾਨਾ ॥੨॥੧੩॥੭੭॥
दइआल पुरख मिहरवाना ॥ हरि नानक साचु वखाना ॥२॥१३॥७७॥
दयालु परमपुरुष प्रभु मुझ पर बड़ा मेहरबान है। नानक तो सत्य (परमेश्वर) की ही बात करता है॥ २॥१३॥७७॥

ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सोरठि महला ५ ॥

ਐਥੈ ਓਥੈ ਰਖਵਾਲਾ ॥ ਪ੍ਰਭ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ ॥
ऐथै ओथै रखवाला ॥ प्रभ सतिगुर दीन दइआला ॥
प्रभु ही लोक-परलोक में हमारा रक्षक है, वह सतगुरु दीनदयालु है

ਦਾਸ ਅਪਨੇ ਆਪਿ ਰਾਖੇ ॥
दास अपने आपि राखे ॥
वह स्वयं ही अपने सेवकों की रक्षा करता है और

ਘਟਿ ਘਟਿ ਸਬਦੁ ਸੁਭਾਖੇ ॥੧॥
घटि घटि सबदु सुभाखे ॥१॥
सुन्दर शब्द प्रत्येक हृदय में गूंज रहा है॥ १॥

ਗੁਰ ਕੇ ਚਰਣ ਊਪਰਿ ਬਲਿ ਜਾਈ ॥
गुर के चरण ऊपरि बलि जाई ॥
मैं अपने गुरु के चरणों पर कुर्बान जाता हूँ और

ਦਿਨਸੁ ਰੈਨਿ ਸਾਸਿ ਸਾਸਿ ਸਮਾਲੀ ਪੂਰਨੁ ਸਭਨੀ ਥਾਈ ॥ ਰਹਾਉ ॥
दिनसु रैनि सासि सासि समाली पूरनु सभनी थाई ॥ रहाउ ॥
दिन-रात, श्वास-श्वास से उसका ही सिमरन करता हूँ जो (पूर्ण परमेश्वर) सर्वव्यापक है॥ रहाउ॥

ਆਪਿ ਸਹਾਈ ਹੋਆ ॥
आपि सहाई होआ ॥
प्रभु स्वयं ही मेरा सहायक बन गया है।

ਸਚੇ ਦਾ ਸਚਾ ਢੋਆ ॥
सचे दा सचा ढोआ ॥
मुझे उस सच्चे प्रभु का सच्चा सहारा प्राप्त है।

ਤੇਰੀ ਭਗਤਿ ਵਡਿਆਈ ॥ ਪਾਈ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸਰਣਾਈ ॥੨॥੧੪॥੭੮॥
तेरी भगति वडिआई ॥ पाई नानक प्रभ सरणाई ॥२॥१४॥७८॥
नानक का कथन है कि हे प्रभु ! यह तेरी भक्ति की ही बड़ाई है, जो उसने तेरी शरण प्राप्त कर ली है॥ २॥ १४ ॥ ७८॥

ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सोरठि महला ५ ॥

ਸਤਿਗੁਰ ਪੂਰੇ ਭਾਣਾ ॥
सतिगुर पूरे भाणा ॥
जब पूर्ण सतगुरु को भला लगा तो ही

ਤਾ ਜਪਿਆ ਨਾਮੁ ਰਮਾਣਾ ॥
ता जपिआ नामु रमाणा ॥
मैंने सर्वव्यापी राम-नाम का जाप किया।

ਗੋਬਿੰਦ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥ ਪ੍ਰਭਿ ਰਾਖੀ ਪੈਜ ਹਮਾਰੀ ॥੧॥
गोबिंद किरपा धारी ॥ प्रभि राखी पैज हमारी ॥१॥
गोविन्द ने जब मुझ पर कृपा की तो उसने हमारी लाज बचा ली॥ १॥

ਹਰਿ ਕੇ ਚਰਨ ਸਦਾ ਸੁਖਦਾਈ ॥
हरि के चरन सदा सुखदाई ॥
भगवान के सुन्दर चरण हमेशा ही सुखदायक हैं।

ਜੋ ਇਛਹਿ ਸੋਈ ਫਲੁ ਪਾਵਹਿ ਬਿਰਥੀ ਆਸ ਨ ਜਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जो इछहि सोई फलु पावहि बिरथी आस न जाई ॥१॥ रहाउ ॥
प्राणी जैसी भी इच्छा करता है, उसे वही फल मिल जाता है और उसकी आशा निष्फल नहीं जाती ॥१॥ रहाउ ॥

ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੇ ਜਿਸੁ ਪ੍ਰਾਨਪਤਿ ਦਾਤਾ ਸੋਈ ਸੰਤੁ ਗੁਣ ਗਾਵੈ ॥
क्रिपा करे जिसु प्रानपति दाता सोई संतु गुण गावै ॥
जिस पर प्राणपति दाता अपनी कृपा करता है वही संत उसका गुणगान करता है।

ਪ੍ਰੇਮ ਭਗਤਿ ਤਾ ਕਾ ਮਨੁ ਲੀਣਾ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਮਨਿ ਭਾਵੈ ॥੨॥
प्रेम भगति ता का मनु लीणा पारब्रहम मनि भावै ॥२॥
जब परब्रह्म प्रभु के मन को अच्छा लगता है तो ही मन प्रेम-भक्ति में लीन होता है॥ २॥

ਆਠ ਪਹਰ ਹਰਿ ਕਾ ਜਸੁ ਰਵਣਾ ਬਿਖੈ ਠਗਉਰੀ ਲਾਥੀ ॥
आठ पहर हरि का जसु रवणा बिखै ठगउरी लाथी ॥
आठ प्रहर भगवान का यशगान करने से माया की विषैली ठगौरी का असर नष्ट हो गया है।

ਸੰਗਿ ਮਿਲਾਇ ਲੀਆ ਮੇਰੈ ਕਰਤੈ ਸੰਤ ਸਾਧ ਭਏ ਸਾਥੀ ॥੩॥
संगि मिलाइ लीआ मेरै करतै संत साध भए साथी ॥३॥
मेरे कर्तार-प्रभु ने मुझे अपने साथ मिला लिया है एवं साधु-संत मेरे साथी बन गए हैं।॥ ३॥

ਕਰੁ ਗਹਿ ਲੀਨੇ ਸਰਬਸੁ ਦੀਨੇ ਆਪਹਿ ਆਪੁ ਮਿਲਾਇਆ ॥
करु गहि लीने सरबसु दीने आपहि आपु मिलाइआ ॥
प्रभु ने मुझे हाथ से पकड़ कर सर्वस्व प्रदान करके अपने साथ विलीन कर लिया है।

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸਰਬ ਥੋਕ ਪੂਰਨ ਪੂਰਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪਾਇਆ ॥੪॥੧੫॥੭੯॥
कहु नानक सरब थोक पूरन पूरा सतिगुरु पाइआ ॥४॥१५॥७९॥
हे नानक ! मैंने पूर्ण सतगुरु को पा लिया है, जिनके द्वारा मेरे सभी कार्य सम्पूर्ण हो गए हैं।॥ ४॥ १५॥ ७६ ॥

ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सोरठि महला ५ ॥

ਗਰੀਬੀ ਗਦਾ ਹਮਾਰੀ ॥
गरीबी गदा हमारी ॥
नम्रता हमारी गदा है और

ਖੰਨਾ ਸਗਲ ਰੇਨੁ ਛਾਰੀ ॥
खंना सगल रेनु छारी ॥
सबके चरणों की धूल बनना हमारा खण्डा है।

ਇਸੁ ਆਗੈ ਕੋ ਨ ਟਿਕੈ ਵੇਕਾਰੀ ॥
इसु आगै को न टिकै वेकारी ॥
इन शस्त्रों के समक्ष कोई विकारों से ग्रस्त दुराचारी टिक नहीं सकता,”

ਗੁਰ ਪੂਰੇ ਏਹ ਗਲ ਸਾਰੀ ॥੧॥
गुर पूरे एह गल सारी ॥१॥
इस बात की सूझ पूर्ण गुरु ने प्रदान की है ॥ १॥

ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਸੰਤਨ ਕੀ ਓਟਾ ॥
हरि हरि नामु संतन की ओटा ॥
परमेश्वर का नाम संतों का सशक्त सहारा है।

ਜੋ ਸਿਮਰੈ ਤਿਸ ਕੀ ਗਤਿ ਹੋਵੈ ਉਧਰਹਿ ਸਗਲੇ ਕੋਟਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जो सिमरै तिस की गति होवै उधरहि सगले कोटा ॥१॥ रहाउ ॥
जो नाम-स्मरण करता है, उसकी मुक्ति हो जाती है और प्रभु का नाम-स्मरण करने से करोड़ों जीवों का उद्धार हो गया है॥ १॥ रहाउ॥

ਸੰਤ ਸੰਗਿ ਜਸੁ ਗਾਇਆ ॥
संत संगि जसु गाइआ ॥
संतों के संग भगवान का यशगान किया है और

ਇਹੁ ਪੂਰਨ ਹਰਿ ਧਨੁ ਪਾਇਆ ॥
इहु पूरन हरि धनु पाइआ ॥
हरि-नाम रूपी यह पूर्ण धन हमें प्राप्त हो गया है।

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਆਪੁ ਮਿਟਾਇਆ ॥
कहु नानक आपु मिटाइआ ॥
नानक का कथन है कि जब से हमने अपना आत्माभिमान मिटाया है तो

ਸਭੁ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਨਦਰੀ ਆਇਆ ॥੨॥੧੬॥੮੦॥
सभु पारब्रहमु नदरी आइआ ॥२॥१६॥८०॥
सर्वत्र परब्रह्म ही नजर आया है॥ २॥ १६ ॥ ८० ॥

ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सोरठि महला ५ ॥

ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਪੂਰੀ ਕੀਨੀ ॥
गुरि पूरै पूरी कीनी ॥
पूर्ण गुरु ने प्रत्येक कार्य पूर्ण किया है और

ਬਖਸ ਅਪੁਨੀ ਕਰਿ ਦੀਨੀ ॥
बखस अपुनी करि दीनी ॥
मुझ पर अपनी कृपा कर दी है।

ਨਿਤ ਅਨੰਦ ਸੁਖ ਪਾਇਆ ॥ ਥਾਵ ਸਗਲੇ ਸੁਖੀ ਵਸਾਇਆ ॥੧॥
नित अनंद सुख पाइआ ॥ थाव सगले सुखी वसाइआ ॥१॥
मैं हमेशा आनंद एवं सुख प्राप्त करता हूँ। गुरु ने मुझे समस्त स्थानों पर सुखी बसा दिया है॥ १॥

ਹਰਿ ਕੀ ਭਗਤਿ ਫਲ ਦਾਤੀ ॥
हरि की भगति फल दाती ॥
भगवान की भक्ति समस्त फल प्रदान करने वाली है।

ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਕਿਰਪਾ ਕਰਿ ਦੀਨੀ ਵਿਰਲੈ ਕਿਨ ਹੀ ਜਾਤੀ ॥ ਰਹਾਉ ॥
गुरि पूरै किरपा करि दीनी विरलै किन ही जाती ॥ रहाउ ॥
पूर्ण गुरु ने कृपा करके भक्ति की देन प्रदान की है और कोई विरला पुरुष ही भक्ति के महत्व को समझता है।॥ रहाउ ॥

ਗੁਰਬਾਣੀ ਗਾਵਹ ਭਾਈ ॥
गुरबाणी गावह भाई ॥
हे भाई ! मधुर गुरुद्राणी का गायन करो,

ਓਹ ਸਫਲ ਸਦਾ ਸੁਖਦਾਈ ॥
ओह सफल सदा सुखदाई ॥
क्योंकि यह हमेशा ही फलदायक एवं सुख देने वाली है।

ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਆ ॥ ਪੂਰਬਿ ਲਿਖਿਆ ਪਾਇਆ ॥੨॥੧੭॥੮੧॥
नानक नामु धिआइआ ॥ पूरबि लिखिआ पाइआ ॥२॥१७॥८१॥
हे नानक ! जिसने भगवान का नाम-सिमरन किया है, उसे वही प्राप्त हो गया है जो पूर्व ही उसके भाग्य में लिखा हुआ था॥२॥१७॥८१॥

ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सोरठि महला ५ ॥

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