ਅਸਟਪਦੀ ॥
असटपदी ॥
अष्टपदी।
ਜਹ ਮਾਤ ਪਿਤਾ ਸੁਤ ਮੀਤ ਨ ਭਾਈ ॥
जह मात पिता सुत मीत न भाई ॥
जहाँ माता, पिता, पुत्र, मित्र एवं भाई, कोई (सहायक) नहीं,
ਮਨ ਊਹਾ ਨਾਮੁ ਤੇਰੈ ਸੰਗਿ ਸਹਾਈ ॥
मन ऊहा नामु तेरै संगि सहाई ॥
वहाँ हे मेरे मन ! ईश्वर का नाम तेरे साथ सहायक होगा।
ਜਹ ਮਹਾ ਭਇਆਨ ਦੂਤ ਜਮ ਦਲੈ ॥
जह महा भइआन दूत जम दलै ॥
जहाँ महा भयानक यमदूत तुझे कुचलेगा,
ਤਹ ਕੇਵਲ ਨਾਮੁ ਸੰਗਿ ਤੇਰੈ ਚਲੈ ॥
तह केवल नामु संगि तेरै चलै ॥
वहाँ केवल प्रभु का नाम ही तेरे साथ जाएगा।
ਜਹ ਮੁਸਕਲ ਹੋਵੈ ਅਤਿ ਭਾਰੀ ॥
जह मुसकल होवै अति भारी ॥
जहाँ बहुत भारी मुश्किल होगी ,
ਹਰਿ ਕੋ ਨਾਮੁ ਖਿਨ ਮਾਹਿ ਉਧਾਰੀ ॥
हरि को नामु खिन माहि उधारी ॥
वहाँ ईश्वर का नाम एक क्षण में ही तेरी रक्षा करेगा।
ਅਨਿਕ ਪੁਨਹਚਰਨ ਕਰਤ ਨਹੀ ਤਰੈ ॥
अनिक पुनहचरन करत नही तरै ॥
अनेकों धार्मिक कर्म करने से भी मनुष्य की पापों से मुक्ति नहीं होती,
ਹਰਿ ਕੋ ਨਾਮੁ ਕੋਟਿ ਪਾਪ ਪਰਹਰੈ ॥
हरि को नामु कोटि पाप परहरै ॥
परन्तु ईश्वर का नाम करोड़ों ही पापों का नाश कर देता है।
ਗੁਰਮੁਖਿ ਨਾਮੁ ਜਪਹੁ ਮਨ ਮੇਰੇ ॥
गुरमुखि नामु जपहु मन मेरे ॥
हे मेरे मन ! गुरु के सान्निध्य में रहकर प्रभु के नाम का जाप कर।
ਨਾਨਕ ਪਾਵਹੁ ਸੂਖ ਘਨੇਰੇ ॥੧॥
नानक पावहु सूख घनेरे ॥१॥
हे नानक ! ऐसे तुझे बहुत सुख प्राप्त होगा ॥१॥
ਸਗਲ ਸ੍ਰਿਸਟਿ ਕੋ ਰਾਜਾ ਦੁਖੀਆ ॥
सगल स्रिसटि को राजा दुखीआ ॥
सारे संसार का राजा (बनकर भी मनुष्य) दुखी होता है।
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਹੋਇ ਸੁਖੀਆ ॥
हरि का नामु जपत होइ सुखीआ ॥
लेकिन ईश्वर का नाम-स्मरण करने से सुखी हो जाता है।
ਲਾਖ ਕਰੋਰੀ ਬੰਧੁ ਨ ਪਰੈ ॥
लाख करोरी बंधु न परै ॥
चाहे मनुष्य लाखों-करोड़ बन्धनों में फँसा हो, (किन्तु)
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਨਿਸਤਰੈ ॥
हरि का नामु जपत निसतरै ॥
प्रभु के नाम का जाप करने से वह मुक्त हो जाता है।
ਅਨਿਕ ਮਾਇਆ ਰੰਗ ਤਿਖ ਨ ਬੁਝਾਵੈ ॥
अनिक माइआ रंग तिख न बुझावै ॥
धन-दौलत की अत्याधिक खुशियाँ मनुष्य की तृष्णा को नहीं मिटा सकते। (लेकिन)
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਆਘਾਵੈ ॥
हरि का नामु जपत आघावै ॥
ईश्वर का नाम-स्मरण करने से वह तृप्त हो जाता है।
ਜਿਹ ਮਾਰਗਿ ਇਹੁ ਜਾਤ ਇਕੇਲਾ ॥
जिह मारगि इहु जात इकेला ॥
जिस (यम) मार्ग पर प्राणी अकेला जाता है,
ਤਹ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਸੰਗਿ ਹੋਤ ਸੁਹੇਲਾ ॥
तह हरि नामु संगि होत सुहेला ॥
वहाँ ईश्वर का नाम सुखदायक होता है।
ਐਸਾ ਨਾਮੁ ਮਨ ਸਦਾ ਧਿਆਈਐ ॥
ऐसा नामु मन सदा धिआईऐ ॥
हे मेरे मन ! ऐसा नाम सदा स्मरण करो,
ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਰਮ ਗਤਿ ਪਾਈਐ ॥੨॥
नानक गुरमुखि परम गति पाईऐ ॥२॥
हे नानक ! गुरु की शरण में नाम-स्मरण करने से परमगति प्राप्त हो जाती है॥ २॥
ਛੂਟਤ ਨਹੀ ਕੋਟਿ ਲਖ ਬਾਹੀ ॥
छूटत नही कोटि लख बाही ॥
जहाँ लाखों-करोड़ों भुजाओं के होते हुए भी मनुष्य की मुक्ति नहीं हो सकती,
ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਤਹ ਪਾਰਿ ਪਰਾਹੀ ॥
नामु जपत तह पारि पराही ॥
वहाँ नाम-स्मरण करने से मनुष्य का उद्धार हो जाता है।
ਅਨਿਕ ਬਿਘਨ ਜਹ ਆਇ ਸੰਘਾਰੈ ॥
अनिक बिघन जह आइ संघारै ॥
जहाँ अनेक विघ्न (विपत्तियाँ) आकर मनुष्य को नष्ट करती हैं,
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਤਤਕਾਲ ਉਧਾਰੈ ॥
हरि का नामु ततकाल उधारै ॥
वहाँ प्रभु का नाम तत्काल उसकी रक्षा करता है।
ਅਨਿਕ ਜੋਨਿ ਜਨਮੈ ਮਰਿ ਜਾਮ ॥
अनिक जोनि जनमै मरि जाम ॥
जो व्यक्ति अनेक योनियों में जन्मता-मरता रहता है,
ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਪਾਵੈ ਬਿਸ੍ਰਾਮ ॥
नामु जपत पावै बिस्राम ॥
वह प्रभु के नाम का जाप करने से सुख प्राप्त कर लेता है।
ਹਉ ਮੈਲਾ ਮਲੁ ਕਬਹੁ ਨ ਧੋਵੈ ॥
हउ मैला मलु कबहु न धोवै ॥
अहंकार से मैला हुआ प्राणी कभी यह मैल धो नहीं सकता,
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਕੋਟਿ ਪਾਪ ਖੋਵੈ ॥
हरि का नामु कोटि पाप खोवै ॥
(परन्तु) ईश्वर का नाम करोड़ों पापों को नाश कर देता है।
ਐਸਾ ਨਾਮੁ ਜਪਹੁ ਮਨ ਰੰਗਿ ॥
ऐसा नामु जपहु मन रंगि ॥
हे मेरे मन ! ईश्वर के ऐसे नाम को प्रेमपूर्वक स्मरण करो।
ਨਾਨਕ ਪਾਈਐ ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ॥੩॥
नानक पाईऐ साध कै संगि ॥३॥
हे नानक ! ईश्वर का नाम संतों की संगति में ही प्राप्त होता है॥ ३॥
ਜਿਹ ਮਾਰਗ ਕੇ ਗਨੇ ਜਾਹਿ ਨ ਕੋਸਾ ॥
जिह मारग के गने जाहि न कोसा ॥
जिस (जीवन रूपी) मार्ग के कोस इत्यादि गिने नहीं जा सकते,
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਊਹਾ ਸੰਗਿ ਤੋਸਾ ॥
हरि का नामु ऊहा संगि तोसा ॥
ईश्वर का नाम वहाँ तेरे साथ राशि-पूंजी होगा।
ਜਿਹ ਪੈਡੈ ਮਹਾ ਅੰਧ ਗੁਬਾਰਾ ॥
जिह पैडै महा अंध गुबारा ॥
जिस मार्ग में घोर-अंधकार है,
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਸੰਗਿ ਉਜੀਆਰਾ ॥
हरि का नामु संगि उजीआरा ॥
यहाँ ईश्वर का नाम तेरे साथ प्रकाश होगा।
ਜਹਾ ਪੰਥਿ ਤੇਰਾ ਕੋ ਨ ਸਿਞਾਨੂ ॥
जहा पंथि तेरा को न सिञानू ॥
जिस मार्ग पर तेरा कोई जानकार नहीं,
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਤਹ ਨਾਲਿ ਪਛਾਨੂ ॥
हरि का नामु तह नालि पछानू ॥
वहाँ ईश्वर का नाम तेरे साथ जानने वाला (जानकार) होगा।
ਜਹ ਮਹਾ ਭਇਆਨ ਤਪਤਿ ਬਹੁ ਘਾਮ ॥
जह महा भइआन तपति बहु घाम ॥
जहाँ अत्याधिक भयानक गर्मी एवं अत्याधिक धूप है,
ਤਹ ਹਰਿ ਕੇ ਨਾਮ ਕੀ ਤੁਮ ਊਪਰਿ ਛਾਮ ॥
तह हरि के नाम की तुम ऊपरि छाम ॥
वहाँ ईश्वर के नाम की तुझ पर छाया होगी।
ਜਹਾ ਤ੍ਰਿਖਾ ਮਨ ਤੁਝੁ ਆਕਰਖੈ ॥
जहा त्रिखा मन तुझु आकरखै ॥
हे प्राणी ! जहाँ (माया की) प्यास तुझे खींचती है,
ਤਹ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਹਰਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਬਰਖੈ ॥੪॥
तह नानक हरि हरि अम्रितु बरखै ॥४॥
वहाँ हे नानक ! हरि-परमेश्वर के नाम के अमृत की वर्षा होती है॥ ४ ॥
ਭਗਤ ਜਨਾ ਕੀ ਬਰਤਨਿ ਨਾਮੁ ॥
भगत जना की बरतनि नामु ॥
ईश्वर का नाम भक्तजनों हेतु व्यावहारिक सामग्री है।
ਸੰਤ ਜਨਾ ਕੈ ਮਨਿ ਬਿਸ੍ਰਾਮੁ ॥
संत जना कै मनि बिस्रामु ॥
ईश्वर का नाम संतजनों के मन को सुख विश्राम देता है।
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਦਾਸ ਕੀ ਓਟ ॥
हरि का नामु दास की ओट ॥
ईश्वर का नाम उसके सेवक का सहारा है।
ਹਰਿ ਕੈ ਨਾਮਿ ਉਧਰੇ ਜਨ ਕੋਟਿ ॥
हरि कै नामि उधरे जन कोटि ॥
ईश्वर के नाम द्वारा करोड़ों ही प्राणियों का कल्याण हो गया है।
ਹਰਿ ਜਸੁ ਕਰਤ ਸੰਤ ਦਿਨੁ ਰਾਤਿ ॥
हरि जसु करत संत दिनु राति ॥
संतजन दिन-रात हरि का यशोगान करते रहते हैं।
ਹਰਿ ਹਰਿ ਅਉਖਧੁ ਸਾਧ ਕਮਾਤਿ ॥
हरि हरि अउखधु साध कमाति ॥
संत हरि-परमेश्वर के नाम को अपनी औषधि के रूप में उपयोग करते हैं।
ਹਰਿ ਜਨ ਕੈ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਨਿਧਾਨੁ ॥
हरि जन कै हरि नामु निधानु ॥
ईश्वर का नाम ईश्वर के सेवक का खजाना है।
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਜਨ ਕੀਨੋ ਦਾਨ ॥
पारब्रहमि जन कीनो दान ॥
पारब्रह्म ने उसे यह दान किया है।
ਮਨ ਤਨ ਰੰਗਿ ਰਤੇ ਰੰਗ ਏਕੈ ॥
मन तन रंगि रते रंग एकै ॥
जो मन एवं तन से एक ईश्वर के प्रेम में रंगे हुए हैं।
ਨਾਨਕ ਜਨ ਕੈ ਬਿਰਤਿ ਬਿਬੇਕੈ ॥੫॥
नानक जन कै बिरति बिबेकै ॥५॥
हे नानक ! उन दासों की वृत्ति ज्ञान वाली हुई है॥ ५ ॥
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਨ ਕਉ ਮੁਕਤਿ ਜੁਗਤਿ ॥
हरि का नामु जन कउ मुकति जुगति ॥
भगवान का नाम ही भक्त हेतु मुक्ति का साधन है।
ਹਰਿ ਕੈ ਨਾਮਿ ਜਨ ਕਉ ਤ੍ਰਿਪਤਿ ਭੁਗਤਿ ॥
हरि कै नामि जन कउ त्रिपति भुगति ॥
भगवान का भक्त उसके नाम-भोजन से तृप्त हो जाता है।
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਨ ਕਾ ਰੂਪ ਰੰਗੁ ॥
हरि का नामु जन का रूप रंगु ॥
भगवान का नाम उसके भक्त का सौन्दर्य एवं हर्ष है।
ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਕਬ ਪਰੈ ਨ ਭੰਗੁ ॥
हरि नामु जपत कब परै न भंगु ॥
भगवान के नाम का जाप करने से मनुष्य को कभी बाधा नहीं पड़ती।
ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਨ ਕੀ ਵਡਿਆਈ ॥
हरि का नामु जन की वडिआई ॥
भगवान का नाम उसके भक्त की मान-प्रतिष्ठा है।
ਹਰਿ ਕੈ ਨਾਮਿ ਜਨ ਸੋਭਾ ਪਾਈ ॥
हरि कै नामि जन सोभा पाई ॥
भगवान के नाम द्वारा उसके भक्त को दुनिया में शोभा प्राप्त होती है।