ਅਪਨੇ ਗੁਰ ਊਪਰਿ ਕੁਰਬਾਨੁ ॥
अपने गुर ऊपरि कुरबानु ॥
मैं तो अपने गुरु पर कुर्बान जाता हूँ।
ਭਏ ਕਿਰਪਾਲ ਪੂਰਨ ਪ੍ਰਭ ਦਾਤੇ ਜੀਅ ਹੋਏ ਮਿਹਰਵਾਨ ॥ ਰਹਾਉ ॥
भए किरपाल पूरन प्रभ दाते जीअ होए मिहरवान ॥ रहाउ ॥
जब से, पूर्ण प्रभु मुझ पर कृपालु हुआ है, तब से लोग भी मुझ पर मेहरबान हो गए हैं॥ रहाउ ॥
ਨਾਨਕ ਜਨ ਸਰਨਾਈ ॥
नानक जन सरनाई ॥
हे नानक ! मैं तो प्रभु की शरण में हैं,
ਜਿਨਿ ਪੂਰਨ ਪੈਜ ਰਖਾਈ ॥
जिनि पूरन पैज रखाई ॥
जिसने उसकी पूर्ण लाज प्रतिष्ठा बचा ली है।
ਸਗਲੇ ਦੂਖ ਮਿਟਾਈ ॥
सगले दूख मिटाई ॥
उसने सभी दुःख मिटा दिए हैं,
ਸੁਖੁ ਭੁੰਚਹੁ ਮੇਰੇ ਭਾਈ ॥੨॥੨੮॥੯੨॥
सुखु भुंचहु मेरे भाई ॥२॥२८॥९२॥
अतः हे मेरे भाई! प्रभु शरण में आकर सुख भोगो ॥२॥२८॥९२॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सोरठि महला ५ ॥
ਸੁਨਹੁ ਬਿਨੰਤੀ ਠਾਕੁਰ ਮੇਰੇ ਜੀਅ ਜੰਤ ਤੇਰੇ ਧਾਰੇ ॥
सुनहु बिनंती ठाकुर मेरे जीअ जंत तेरे धारे ॥
हे मेरे ठाकुर जी ! मेरी विनम्र प्रार्थना सुनो, ये जितने भी जीव-जन्तु तूने उत्पन्न किए हैं, वे तेरे ही सहारे हैं।
ਰਾਖੁ ਪੈਜ ਨਾਮ ਅਪੁਨੇ ਕੀ ਕਰਨ ਕਰਾਵਨਹਾਰੇ ॥੧॥
राखु पैज नाम अपुने की करन करावनहारे ॥१॥
हे करने एवं कराने वाले प्रभु! अपने नाम की लाज रखो॥ १॥
ਪ੍ਰਭ ਜੀਉ ਖਸਮਾਨਾ ਕਰਿ ਪਿਆਰੇ ॥
प्रभ जीउ खसमाना करि पिआरे ॥
हे प्यारे प्रभु जी ! हमें अपना बनाकर अपने स्वामी होने का फर्ज निभाओ,
ਬੁਰੇ ਭਲੇ ਹਮ ਥਾਰੇ ॥ ਰਹਾਉ ॥
बुरे भले हम थारे ॥ रहाउ ॥
चूंकि चाहे हम बुरे अथवा भले हैं, किन्तु तेरे ही हैं।॥ रहाउ॥
ਸੁਣੀ ਪੁਕਾਰ ਸਮਰਥ ਸੁਆਮੀ ਬੰਧਨ ਕਾਟਿ ਸਵਾਰੇ ॥
सुणी पुकार समरथ सुआमी बंधन काटि सवारे ॥
सर्वशक्तिमान मालिक ने हमारी प्रार्थना सुन ली है और बंधनों को काटकर शोभायमान कर दिया है।
ਪਹਿਰਿ ਸਿਰਪਾਉ ਸੇਵਕ ਜਨ ਮੇਲੇ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਗਟ ਪਹਾਰੇ ॥੨॥੨੯॥੯੩॥
पहिरि सिरपाउ सेवक जन मेले नानक प्रगट पहारे ॥२॥२९॥९३॥
नानक का कथन है कि उस प्रभु ने शोभा का वस्त्र पहना कर अपने सेवक को अपने साथ विलीन कर लिया है और समूचे जगत में लोकप्रिय कर दिया है ॥२॥२९॥९३॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सोरठि महला ५ ॥
ਜੀਅ ਜੰਤ ਸਭਿ ਵਸਿ ਕਰਿ ਦੀਨੇ ਸੇਵਕ ਸਭਿ ਦਰਬਾਰੇ ॥
जीअ जंत सभि वसि करि दीने सेवक सभि दरबारे ॥
सभी सेवक भक्ति के फलस्वरूप भगवान के दरबार में बड़ी शोभा से रहते हैं और सभी जीव-जन्तु उनके वश में कर दिए हैं।
ਅੰਗੀਕਾਰੁ ਕੀਓ ਪ੍ਰਭ ਅਪੁਨੇ ਭਵ ਨਿਧਿ ਪਾਰਿ ਉਤਾਰੇ ॥੧॥
अंगीकारु कीओ प्रभ अपुने भव निधि पारि उतारे ॥१॥
भगवान ने तो हमेशा अपने सेवकों का साथ निभाया है और उन्हें भवसागर से पार कर दिया है ॥१॥
ਸੰਤਨ ਕੇ ਕਾਰਜ ਸਗਲ ਸਵਾਰੇ ॥
संतन के कारज सगल सवारे ॥
उसने अपने संतों के सभी कार्य संवार दिए हैं
ਦੀਨ ਦਇਆਲ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਕ੍ਰਿਪਾ ਨਿਧਿ ਪੂਰਨ ਖਸਮ ਹਮਾਰੇ ॥ ਰਹਾਉ ॥
दीन दइआल क्रिपाल क्रिपा निधि पूरन खसम हमारे ॥ रहाउ ॥
हमारा सर्वव्यापी मालिक बड़ा दीनदयालु, मेहरबान एवं कृपा का भण्डार है।॥ रहाउ ॥
ਆਉ ਬੈਠੁ ਆਦਰੁ ਸਭ ਥਾਈ ਊਨ ਨ ਕਤਹੂੰ ਬਾਤਾ ॥
आउ बैठु आदरु सभ थाई ऊन न कतहूं बाता ॥
हर जगह पर हमारा आदर-सत्कार एवं अभिनन्दन होता है और हमें किसी बात की कोई कमी नहीं।
ਭਗਤਿ ਸਿਰਪਾਉ ਦੀਓ ਜਨ ਅਪੁਨੇ ਪ੍ਰਤਾਪੁ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਜਾਤਾ ॥੨॥੩੦॥੯੪॥
भगति सिरपाउ दीओ जन अपुने प्रतापु नानक प्रभ जाता ॥२॥३०॥९४॥
नानक का कथन है कि भगवान अपने भक्तों को भक्ति का शोभायुक्त वस्त्र प्रदान करता है और ऐसे भगवान का तेज-प्रताप दुनिया में जान लिया है ॥२॥३०॥६४॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੯
सोरठि महला ९
सोरठि महला ९
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਰੇ ਮਨ ਰਾਮ ਸਿਉ ਕਰਿ ਪ੍ਰੀਤਿ ॥
रे मन राम सिउ करि प्रीति ॥
हे मन ! राम से प्रेम करो।
ਸ੍ਰਵਨ ਗੋਬਿੰਦ ਗੁਨੁ ਸੁਨਉ ਅਰੁ ਗਾਉ ਰਸਨਾ ਗੀਤਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
स्रवन गोबिंद गुनु सुनउ अरु गाउ रसना गीति ॥१॥ रहाउ ॥
अपने कानों से गोविन्द के गुण सुनो और जिह्म से उसकी स्तुति के गीत गाओ। १॥ रहाउ ॥
ਕਰਿ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਸਿਮਰੁ ਮਾਧੋ ਹੋਹਿ ਪਤਿਤ ਪੁਨੀਤ ॥
करि साधसंगति सिमरु माधो होहि पतित पुनीत ॥
सत्संगति में सम्मिलित होकर भगवान का सिमरन करो, सिमरन से पतित भी पावन हो जाता है।
ਕਾਲੁ ਬਿਆਲੁ ਜਿਉ ਪਰਿਓ ਡੋਲੈ ਮੁਖੁ ਪਸਾਰੇ ਮੀਤ ॥੧॥
कालु बिआलु जिउ परिओ डोलै मुखु पसारे मीत ॥१॥
हे सज्जन ! काल (मृत्यु) सर्प की भांति मुँह खोलकर चारों ओर भ्रमण कर रहा है ॥१॥
ਆਜੁ ਕਾਲਿ ਫੁਨਿ ਤੋਹਿ ਗ੍ਰਸਿ ਹੈ ਸਮਝਿ ਰਾਖਉ ਚੀਤਿ ॥
आजु कालि फुनि तोहि ग्रसि है समझि राखउ चीति ॥
इस बात को समझ कर अपने मन में याद रखो कि यह काल आज अथवा कल अंतः तुझे अपना ग्रास अवश्य बना लेगा।
ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਰਾਮੁ ਭਜਿ ਲੈ ਜਾਤੁ ਅਉਸਰੁ ਬੀਤ ॥੨॥੧॥
कहै नानकु रामु भजि लै जातु अउसरु बीत ॥२॥१॥
नानक का कथन है कि भगवान का भजन अवश्य कर ले, चूंकि यह सुनहरी अवसर व्यतीत होता जा रहा है ॥२॥१॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੯ ॥
सोरठि महला ९ ॥
सोरठि महला ९ ॥
ਮਨ ਕੀ ਮਨ ਹੀ ਮਾਹਿ ਰਹੀ ॥
मन की मन ही माहि रही ॥
मनुष्य के मन की अभिलाषा मन में ही अधूरी रह गई है,
ਨਾ ਹਰਿ ਭਜੇ ਨ ਤੀਰਥ ਸੇਵੇ ਚੋਟੀ ਕਾਲਿ ਗਹੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
ना हरि भजे न तीरथ सेवे चोटी कालि गही ॥१॥ रहाउ ॥
चूंकि न ही उसने भगवान का भजन किया है, न ही तीर्थ-स्थान पर जाकर सेवा की है, जिसके परिणामस्वरूप काल (मृत्यु) ने उसे चोटी से पकड़ लिया है॥ १॥ रहाउ॥
ਦਾਰਾ ਮੀਤ ਪੂਤ ਰਥ ਸੰਪਤਿ ਧਨ ਪੂਰਨ ਸਭ ਮਹੀ ॥
दारा मीत पूत रथ स्मपति धन पूरन सभ मही ॥
पत्नी, दोस्त, पुत्र, रथ, संपति, बेशुमार धन-दौलत एवं सारा विश्व
ਅਵਰ ਸਗਲ ਮਿਥਿਆ ਏ ਜਾਨਉ ਭਜਨੁ ਰਾਮੁ ਕੋ ਸਹੀ ॥੧॥
अवर सगल मिथिआ ए जानउ भजनु रामु को सही ॥१॥
समझ लो नाशवान ही है और भगवान का भजन ही सत्य एवं सही है॥ १॥
ਫਿਰਤ ਫਿਰਤ ਬਹੁਤੇ ਜੁਗ ਹਾਰਿਓ ਮਾਨਸ ਦੇਹ ਲਹੀ ॥
फिरत फिरत बहुते जुग हारिओ मानस देह लही ॥
अनेक युगों तक भटकते-भटकते हार कर अंतः जीव को दुर्लभ मानव शरीर प्राप्त हुआ है।
ਨਾਨਕ ਕਹਤ ਮਿਲਨ ਕੀ ਬਰੀਆ ਸਿਮਰਤ ਕਹਾ ਨਹੀ ॥੨॥੨॥
नानक कहत मिलन की बरीआ सिमरत कहा नही ॥२॥२॥
नानक का कथन है कि हे मानव ! भगवान से मिलाप का यह सुनहरी अवसर है, फिर तू उसका सिमरन क्यों नहीं करता ? ॥ २ ॥ २ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੯ ॥
सोरठि महला ९ ॥
सोरठि महला ९ ॥
ਮਨ ਰੇ ਕਉਨੁ ਕੁਮਤਿ ਤੈ ਲੀਨੀ ॥
मन रे कउनु कुमति तै लीनी ॥
हे मन ! तूने कैसी कुमति धारण की हुई है?
ਪਰ ਦਾਰਾ ਨਿੰਦਿਆ ਰਸ ਰਚਿਓ ਰਾਮ ਭਗਤਿ ਨਹਿ ਕੀਨੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
पर दारा निंदिआ रस रचिओ राम भगति नहि कीनी ॥१॥ रहाउ ॥
तूने राम की भक्ति नहीं की और तू पराई नारी एवं निन्दा के स्वाद में मग्न है॥ १॥ रहाउ॥
ਮੁਕਤਿ ਪੰਥੁ ਜਾਨਿਓ ਤੈ ਨਾਹਨਿ ਧਨ ਜੋਰਨ ਕਉ ਧਾਇਆ ॥
मुकति पंथु जानिओ तै नाहनि धन जोरन कउ धाइआ ॥
तूने मुक्ति के मार्ग को नहीं जाना लेकिन धन-दौलत संचित करने के लिए इधर-उधर दौड़ रहा है।