ਮਲੁ ਕੂੜੀ ਨਾਮਿ ਉਤਾਰੀਅਨੁ ਜਪਿ ਨਾਮੁ ਹੋਆ ਸਚਿਆਰੁ ॥
मलु कूड़ी नामि उतारीअनु जपि नामु होआ सचिआरु ॥
जब नाम ने झूठ की मैल उतार दी तो वह भी नाम जपकर सत्यवादी बन गया।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਜਿਸ ਦੇ ਏਹਿ ਚਲਤ ਹਹਿ ਸੋ ਜੀਵਉ ਦੇਵਣਹਾਰੁ ॥੨॥
जन नानक जिस दे एहि चलत हहि सो जीवउ देवणहारु ॥२॥
हे नानक ! जिसकी यह अद्भुत लीला हो रही है, वह दातार अमर है॥ २ ॥
ਪਉੜੀ ॥
पउड़ी ॥
पउड़ी॥
ਤੁਧੁ ਜੇਵਡੁ ਦਾਤਾ ਨਾਹਿ ਕਿਸੁ ਆਖਿ ਸੁਣਾਈਐ ॥
तुधु जेवडु दाता नाहि किसु आखि सुणाईऐ ॥
हे परमेश्वर ! तेरे जैसा बड़ा अन्य कोई दाता नहीं है, फिर तेरे अलावा किसे अपना दुख-दर्द सुनाया जाए।
ਗੁਰ ਪਰਸਾਦੀ ਪਾਇ ਜਿਥਹੁ ਹਉਮੈ ਜਾਈਐ ॥
गुर परसादी पाइ जिथहु हउमै जाईऐ ॥
जब मन का अहंकार दूर हो जाता है तो गुरु की कृपा से ही सत्य की प्राप्ति होती है।
ਰਸ ਕਸ ਸਾਦਾ ਬਾਹਰਾ ਸਚੀ ਵਡਿਆਈਐ ॥
रस कस सादा बाहरा सची वडिआईऐ ॥
तू दुनिया के सभी रसों-भोगों से दूर रहने वाला है और तेरी महिमा सत्य है।
ਜਿਸ ਨੋ ਬਖਸੇ ਤਿਸੁ ਦੇਇ ਆਪਿ ਲਏ ਮਿਲਾਈਐ ॥
जिस नो बखसे तिसु देइ आपि लए मिलाईऐ ॥
जिस पर तू करुणा करता है, उसे ही नाम की देन देता है और फिर स्वयं ही अपने साथ मिला लेता है।
ਘਟ ਅੰਤਰਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਰਖਿਓਨੁ ਗੁਰਮੁਖਿ ਕਿਸੈ ਪਿਆਈ ॥੯॥
घट अंतरि अम्रितु रखिओनु गुरमुखि किसै पिआई ॥९॥
जीव के हृदय में ही अमृत रखा हुआ है परन्तु गुरु के माध्यम से किसी विरले को ही नामामृत का पान करवाता है॥ ६ ॥
ਸਲੋਕ ਮਃ ੩ ॥
सलोक मः ३ ॥
श्लोक महला ३॥
ਬਾਬਾਣੀਆ ਕਹਾਣੀਆ ਪੁਤ ਸਪੁਤ ਕਰੇਨਿ ॥
बाबाणीआ कहाणीआ पुत सपुत करेनि ॥
अपने पूर्वजों की कहानियाँ उनके पुत्र को सुपुत्र करते रहते हैं।
ਜਿ ਸਤਿਗੁਰ ਭਾਵੈ ਸੁ ਮੰਨਿ ਲੈਨਿ ਸੇਈ ਕਰਮ ਕਰੇਨਿ ॥
जि सतिगुर भावै सु मंनि लैनि सेई करम करेनि ॥
जो सतगुरु को उपयुक्त लगता है, उसे वे मान लेते हैं और फिर वही कर्म वे स्वयं भी करते हैं।
ਜਾਇ ਪੁਛਹੁ ਸਿਮ੍ਰਿਤਿ ਸਾਸਤ ਬਿਆਸ ਸੁਕ ਨਾਰਦ ਬਚਨ ਸਭ ਸ੍ਰਿਸਟਿ ਕਰੇਨਿ ॥
जाइ पुछहु सिम्रिति सासत बिआस सुक नारद बचन सभ स्रिसटि करेनि ॥
आप नि:संकोच स्मृतियों, शास्त्रों, व्यास, शुकदेव, देवर्षि नारद द्वारा इस बारे विश्लेषण कर लो, वे सारी सृष्टि को यही उपदेश करते हैं।
ਸਚੈ ਲਾਏ ਸਚਿ ਲਗੇ ਸਦਾ ਸਚੁ ਸਮਾਲੇਨਿ ॥
सचै लाए सचि लगे सदा सचु समालेनि ॥
सत्य में वही लगे हैं जिन्हें सच्चे परमेश्वर ने स्वयं लगाया है और चे सदा सत्य का ही ध्यान करते रहते हैं।
ਨਾਨਕ ਆਏ ਸੇ ਪਰਵਾਣੁ ਭਏ ਜਿ ਸਗਲੇ ਕੁਲ ਤਾਰੇਨਿ ॥੧॥
नानक आए से परवाणु भए जि सगले कुल तारेनि ॥१॥
हे नानक ! जगत् में आए वही मनुष्य स्वीकार हुए हैं, जिन्होंने अपनी समस्त वंशावलि को भवसागर से पार उतार दिया है।१॥
ਮਃ ੩ ॥
मः ३ ॥
महला ३॥
ਗੁਰੂ ਜਿਨਾ ਕਾ ਅੰਧੁਲਾ ਸਿਖ ਭੀ ਅੰਧੇ ਕਰਮ ਕਰੇਨਿ ॥
गुरू जिना का अंधुला सिख भी अंधे करम करेनि ॥
जिनका गुरु ही अन्धा अर्थात् ज्ञानहीन है, उसके शिष्य भी अन्धे कर्म करते हैं।
ਓਇ ਭਾਣੈ ਚਲਨਿ ਆਪਣੈ ਨਿਤ ਝੂਠੋ ਝੂਠੁ ਬੋਲੇਨਿ ॥
ओइ भाणै चलनि आपणै नित झूठो झूठु बोलेनि ॥
वे अपनी मर्जी से कार्य करते हैं और नित्य झूठ बोलते रहते हैं।
ਕੂੜੁ ਕੁਸਤੁ ਕਮਾਵਦੇ ਪਰ ਨਿੰਦਾ ਸਦਾ ਕਰੇਨਿ ॥
कूड़ु कुसतु कमावदे पर निंदा सदा करेनि ॥
वे झूठ एवं असत्य का व्यवहार करते हैं और सदा ही पराई निंदा करने में लीन रहते हैं।
ਓਇ ਆਪਿ ਡੁਬੇ ਪਰ ਨਿੰਦਕਾ ਸਗਲੇ ਕੁਲ ਡੋਬੇਨਿ ॥
ओइ आपि डुबे पर निंदका सगले कुल डोबेनि ॥
पराई निंदा करने वाले निंदक स्वयं तो डूबते ही हैं, अपनी समस्त कुल को भी डुबो देते हैं।
ਨਾਨਕ ਜਿਤੁ ਓਇ ਲਾਏ ਤਿਤੁ ਲਗੇ ਉਇ ਬਪੁੜੇ ਕਿਆ ਕਰੇਨਿ ॥੨॥
नानक जितु ओइ लाए तितु लगे उइ बपुड़े किआ करेनि ॥२॥
हे नानक ! वे बेचारे भी क्या करें ? उन्हें जिस तरफ लगाया है, वे उसी तरफ लगे हुए हैं।॥ २॥
ਪਉੜੀ ॥
पउड़ी ॥
पउड़ी॥
ਸਭ ਨਦਰੀ ਅੰਦਰਿ ਰਖਦਾ ਜੇਤੀ ਸਿਸਟਿ ਸਭ ਕੀਤੀ ॥
सभ नदरी अंदरि रखदा जेती सिसटि सभ कीती ॥
यह जितनी भी दुनिया ईश्वर ने पैदा की है, सबको अपनी नजर में रखता है।
ਇਕਿ ਕੂੜਿ ਕੁਸਤਿ ਲਾਇਅਨੁ ਮਨਮੁਖ ਵਿਗੂਤੀ ॥
इकि कूड़ि कुसति लाइअनु मनमुख विगूती ॥
किसी स्वेच्छाचारी को झूठ एवं असत्य के कार्यों में लगाकर बर्बाद करता है।
ਗੁਰਮੁਖਿ ਸਦਾ ਧਿਆਈਐ ਅੰਦਰਿ ਹਰਿ ਪ੍ਰੀਤੀ ॥
गुरमुखि सदा धिआईऐ अंदरि हरि प्रीती ॥
कोई गुरुमुख सदा ही उसका ध्यान करता रहता है और उसके मन में प्रभु से प्रेम बना होता है।
ਜਿਨ ਕਉ ਪੋਤੈ ਪੁੰਨੁ ਹੈ ਤਿਨੑ ਵਾਤਿ ਸਿਪੀਤੀ ॥
जिन कउ पोतै पुंनु है तिन्ह वाति सिपीती ॥
जिनके कोष में पुण्य-कर्म है, उनके मुँह में हमेशा ही परमेश्वर का स्तुतिगान होता है।
ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈਐ ਸਚੁ ਸਿਫਤਿ ਸਨਾਈ ॥੧੦॥
नानक नामु धिआईऐ सचु सिफति सनाई ॥१०॥
हे नानक ! हमें हरदम नाम का ध्यान करते रहना चाहिए, सत्य की स्तुति करने से ही उस में लीन हुआ जा सकता है॥ १०॥
ਸਲੋਕੁ ਮਃ ੧ ॥
सलोकु मः १ ॥
श्लोक महला १॥
ਸਤੀ ਪਾਪੁ ਕਰਿ ਸਤੁ ਕਮਾਹਿ ॥
सती पापु करि सतु कमाहि ॥
धर्मी अथवा दानी व्यक्ति पाप कर के धर्म अथवा दान का दिखावा करता है और
ਗੁਰ ਦੀਖਿਆ ਘਰਿ ਦੇਵਣ ਜਾਹਿ ॥
गुर दीखिआ घरि देवण जाहि ॥
गुरु (धन खातिर) शिक्षा देने के लिए शिष्यों के घरों में जाता है।
ਇਸਤਰੀ ਪੁਰਖੈ ਖਟਿਐ ਭਾਉ ॥
इसतरी पुरखै खटिऐ भाउ ॥
स्त्री पुरुष का प्रेम मात्र कमाई दोलत के कारण ही है,
ਭਾਵੈ ਆਵਉ ਭਾਵੈ ਜਾਉ ॥
भावै आवउ भावै जाउ ॥
अगर धन नहीं तो स्त्री को कोई परवाह नहीं चाहे उसका पति घर आए या कहीं चला जाए।
ਸਾਸਤੁ ਬੇਦੁ ਨ ਮਾਨੈ ਕੋਇ ॥
सासतु बेदु न मानै कोइ ॥
अब कोई भी शास्त्रों एवं वेदों को नहीं मानता और
ਆਪੋ ਆਪੈ ਪੂਜਾ ਹੋਇ ॥
आपो आपै पूजा होइ ॥
अपने-अपने (इष्ट देव) की पूजा हो रही है।
ਕਾਜੀ ਹੋਇ ਕੈ ਬਹੈ ਨਿਆਇ ॥
काजी होइ कै बहै निआइ ॥
काजी न्यायाधीश बनकर न्याय करने के लिए बैठता है,
ਫੇਰੇ ਤਸਬੀ ਕਰੇ ਖੁਦਾਇ ॥
फेरे तसबी करे खुदाइ ॥
वह लोक-दिखावे के लिए माला फेरता है और खुदा-खुदा बोलता रहता है।
ਵਢੀ ਲੈ ਕੈ ਹਕੁ ਗਵਾਏ ॥
वढी लै कै हकु गवाए ॥
परन्तु वह रिश्वत लेकर दूसरों का हक छीनकर नाइंसाफी करता है।
ਜੇ ਕੋ ਪੁਛੈ ਤਾ ਪੜਿ ਸੁਣਾਏ ॥
जे को पुछै ता पड़ि सुणाए ॥
यदि कोई उसको पूछता है तो वह कोई शरह की धात पढ़कर सुना देता है।
ਤੁਰਕ ਮੰਤ੍ਰੁ ਕਨਿ ਰਿਦੈ ਸਮਾਹਿ ॥
तुरक मंत्रु कनि रिदै समाहि ॥
मुसलमानों का मंत्र अर्थात् कलमा हिन्दू अफसरों के कानों एवं हृदय में बस गया है।
ਲੋਕ ਮੁਹਾਵਹਿ ਚਾੜੀ ਖਾਹਿ ॥
लोक मुहावहि चाड़ी खाहि ॥
लोगों को लूटते हैं और मुसलमान हाकिमों के पास हिन्दू धर्म के नेताओं की चुगली-निंदा करते रहते हैं।
ਚਉਕਾ ਦੇ ਕੈ ਸੁਚਾ ਹੋਇ ॥ ਐਸਾ ਹਿੰਦੂ ਵੇਖਹੁ ਕੋਇ ॥
चउका दे कै सुचा होइ ॥ ऐसा हिंदू वेखहु कोइ ॥
हिन्दू चौंका देकर ही पवित्र बना रहता है। कोई देख लो, ऐसा हिन्दू है,
ਜੋਗੀ ਗਿਰਹੀ ਜਟਾ ਬਿਭੂਤ ॥
जोगी गिरही जटा बिभूत ॥
जिस गृहस्थी ने योगी बनकर जटाएं रख ली हैं और विभूति लगा ली है।
ਆਗੈ ਪਾਛੈ ਰੋਵਹਿ ਪੂਤ ॥
आगै पाछै रोवहि पूत ॥
उसके पुत्र उसके आगे-पीछे रोते हैं।
ਜੋਗੁ ਨ ਪਾਇਆ ਜੁਗਤਿ ਗਵਾਈ ॥
जोगु न पाइआ जुगति गवाई ॥
उसने योग की युक्ति गंवा ली है और उसका सत्य से मिलाप नहीं हुआ।
ਕਿਤੁ ਕਾਰਣਿ ਸਿਰਿ ਛਾਈ ਪਾਈ ॥
कितु कारणि सिरि छाई पाई ॥
उसने अपने सिर पर किस कारण राख डाली हुई है ?
ਨਾਨਕ ਕਲਿ ਕਾ ਏਹੁ ਪਰਵਾਣੁ ॥
नानक कलि का एहु परवाणु ॥
हे नानक ! कलियुग का यही लक्षण एवं परम्परा है कि
ਆਪੇ ਆਖਣੁ ਆਪੇ ਜਾਣੁ ॥੧॥
आपे आखणु आपे जाणु ॥१॥
हर कोई अपनी प्रशंसा स्वयं करने वाला है और वह स्वयं ही दूसरों से बड़ा मानने वाला है॥ १॥
ਮਃ ੧ ॥
मः १ ॥
महला १ ॥
ਹਿੰਦੂ ਕੈ ਘਰਿ ਹਿੰਦੂ ਆਵੈ ॥
हिंदू कै घरि हिंदू आवै ॥
जब किसी हिन्दू के घर में कोई हिन्दू ब्राह्मण आता है
ਸੂਤੁ ਜਨੇਊ ਪੜਿ ਗਲਿ ਪਾਵੈ ॥
सूतु जनेऊ पड़ि गलि पावै ॥
तो वह मंत्र पढ़कर उसके गले में सूत्र का जनेऊ डाल देता है।
ਸੂਤੁ ਪਾਇ ਕਰੇ ਬੁਰਿਆਈ ॥
सूतु पाइ करे बुरिआई ॥
यदि ऐसा व्यक्ति जनेऊ डालकर बुराई करे तो
ਨਾਤਾ ਧੋਤਾ ਥਾਇ ਨ ਪਾਈ ॥
नाता धोता थाइ न पाई ॥
उसे नहाने धोने की शुद्धता से भी कहीं स्थान नहीं मिलता।
ਮੁਸਲਮਾਨੁ ਕਰੇ ਵਡਿਆਈ ॥
मुसलमानु करे वडिआई ॥
यदि कोई मुसलमान खुदा की प्रशंसा करता रहे तो भी