ਆਗਿਆ ਤੁਮਰੀ ਮੀਠੀ ਲਾਗਉ ਕੀਓ ਤੁਹਾਰੋ ਭਾਵਉ ॥
आगिआ तुमरी मीठी लागउ कीओ तुहारो भावउ ॥
तुम्हारी आज्ञा मुझे बड़ी मीठी लगती है एवं तुम जो भी करते हो, वह सब मुझे अच्छा लगता है।
ਜੋ ਤੂ ਦੇਹਿ ਤਹੀ ਇਹੁ ਤ੍ਰਿਪਤੈ ਆਨ ਨ ਕਤਹੂ ਧਾਵਉ ॥੨॥
जो तू देहि तही इहु त्रिपतै आन न कतहू धावउ ॥२॥
तुम जो कुछ भी मुझे देते हो, उससे ही मेरा मन प्रसन्न हो जाता है और मैं किसी अन्य के पीछे नहीं दौड़ता ॥२॥
ਸਦ ਹੀ ਨਿਕਟਿ ਜਾਨਉ ਪ੍ਰਭ ਸੁਆਮੀ ਸਗਲ ਰੇਣ ਹੋਇ ਰਹੀਐ ॥
सद ही निकटि जानउ प्रभ सुआमी सगल रेण होइ रहीऐ ॥
उस मालिक-प्रभु को मैं हमेशा ही अपने निकट समझता हूँ और उसकी चरण-धूलि बना रहता हूँ।
ਸਾਧੂ ਸੰਗਤਿ ਹੋਇ ਪਰਾਪਤਿ ਤਾ ਪ੍ਰਭੁ ਅਪੁਨਾ ਲਹੀਐ ॥੩॥
साधू संगति होइ परापति ता प्रभु अपुना लहीऐ ॥३॥
यदि संतों की संगति प्राप्त हो जाए तो सहज ही प्रभु को प्राप्त किया जा सकता है ॥३॥
ਸਦਾ ਸਦਾ ਹਮ ਛੋਹਰੇ ਤੁਮਰੇ ਤੂ ਪ੍ਰਭ ਹਮਰੋ ਮੀਰਾ ॥
सदा सदा हम छोहरे तुमरे तू प्रभ हमरो मीरा ॥
हे प्रभु ! तू हमारा मालिक है और हम प्राणी हमेशा ही तेरी सन्तान है।
ਨਾਨਕ ਬਾਰਿਕ ਤੁਮ ਮਾਤ ਪਿਤਾ ਮੁਖਿ ਨਾਮੁ ਤੁਮਾਰੋ ਖੀਰਾ ॥੪॥੩॥੫॥
नानक बारिक तुम मात पिता मुखि नामु तुमारो खीरा ॥४॥३॥५॥
नानक का कथन है कि हे प्रभु ! मैं तुम्हारा बालक हूँ और तुम मेरे माता-पिता हो। तेरा नाम रूपी दूध हमेशा ही मेरे मुख में पीने के लिए है ॥ ४॥ ३॥ ५॥
ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ਘਰੁ ੨ ਦੁਪਦੇ
टोडी महला ५ घरु २ दुपदे
टोडी महला ५ घरु २ दुपदे
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਮਾਗਉ ਦਾਨੁ ਠਾਕੁਰ ਨਾਮ ॥
मागउ दानु ठाकुर नाम ॥
हे परमेश्वर ! मैं तो तुझसे नाम का दान ही माँगता हूँ,
ਅਵਰੁ ਕਛੂ ਮੇਰੈ ਸੰਗਿ ਨ ਚਾਲੈ ਮਿਲੈ ਕ੍ਰਿਪਾ ਗੁਣ ਗਾਮ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
अवरु कछू मेरै संगि न चालै मिलै क्रिपा गुण गाम ॥१॥ रहाउ ॥
चूंकि इस दुनिया से नाम के सिवाय अन्य कुछ भी मेरे साथ नहीं जाना। अतः ऐसी कृपा करो कि मुझे तेरे गुणगान का दान प्राप्त हो जाए॥ १॥ रहाउ॥
ਰਾਜੁ ਮਾਲੁ ਅਨੇਕ ਭੋਗ ਰਸ ਸਗਲ ਤਰਵਰ ਕੀ ਛਾਮ ॥
राजु मालु अनेक भोग रस सगल तरवर की छाम ॥
तमाम राजसुख, धन-दौलत, अनेक प्रकार के भोग रस सभी पेड़ की छाया के समान लुप्त होने वाले हैं।
ਧਾਇ ਧਾਇ ਬਹੁ ਬਿਧਿ ਕਉ ਧਾਵੈ ਸਗਲ ਨਿਰਾਰਥ ਕਾਮ ॥੧॥
धाइ धाइ बहु बिधि कउ धावै सगल निरारथ काम ॥१॥
मनुष्य अपने जीवन में सांसारिक सुखों की उपलब्धि हेतु अनेक विधियों द्वारा चारों ओर भागदौड़ करता है परन्तु ये सभी कार्य निष्फल हैं॥ १॥
ਬਿਨੁ ਗੋਵਿੰਦ ਅਵਰੁ ਜੇ ਚਾਹਉ ਦੀਸੈ ਸਗਲ ਬਾਤ ਹੈ ਖਾਮ ॥
बिनु गोविंद अवरु जे चाहउ दीसै सगल बात है खाम ॥
गोविन्द के सिवाय किसी अन्य पदार्थ की लालसा करना निरर्थक बात ही नजर आती है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੰਤ ਰੇਨ ਮਾਗਉ ਮੇਰੋ ਮਨੁ ਪਾਵੈ ਬਿਸ੍ਰਾਮ ॥੨॥੧॥੬॥
कहु नानक संत रेन मागउ मेरो मनु पावै बिस्राम ॥२॥१॥६॥
हे नानक ! मैं तो संत-महापुरुषों की चरण-धूलि की ही कामना करता हूँ, जिससे मेरे मन को सुख की उपलब्धि हो जाए॥ २॥ १॥ ६॥
ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
टोडी महला ५ ॥
टोडी महला ५ ॥
ਪ੍ਰਭ ਜੀ ਕੋ ਨਾਮੁ ਮਨਹਿ ਸਾਧਾਰੈ ॥
प्रभ जी को नामु मनहि साधारै ॥
प्रभु का नाम ही मेरे मन का एकमात्र सहारा है।
ਜੀਅ ਪ੍ਰਾਨ ਸੂਖ ਇਸੁ ਮਨ ਕਉ ਬਰਤਨਿ ਏਹ ਹਮਾਰੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जीअ प्रान सूख इसु मन कउ बरतनि एह हमारै ॥१॥ रहाउ ॥
नाम ही इस मन की आत्मा, प्राण एवं सुख है और यही हमारे लिए नित्य उपयोग में आता है॥ १॥ रहाउ॥
ਨਾਮੁ ਜਾਤਿ ਨਾਮੁ ਮੇਰੀ ਪਤਿ ਹੈ ਨਾਮੁ ਮੇਰੈ ਪਰਵਾਰੈ ॥
नामु जाति नामु मेरी पति है नामु मेरै परवारै ॥
प्रभु का नाम ही मेरी जाति, मेरा मान-सम्मान एवं मेरा परिवार है।
ਨਾਮੁ ਸਖਾਈ ਸਦਾ ਮੇਰੈ ਸੰਗਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਮੋ ਕਉ ਨਿਸਤਾਰੈ ॥੧॥
नामु सखाई सदा मेरै संगि हरि नामु मो कउ निसतारै ॥१॥
नाम मेरा सखा बनकर सदैव ही मेरे साथ है और परमेश्वर का नाम ही मेरा भवसागर से उद्धार करता है॥ १॥
ਬਿਖੈ ਬਿਲਾਸ ਕਹੀਅਤ ਬਹੁਤੇਰੇ ਚਲਤ ਨ ਕਛੂ ਸੰਗਾਰੈ ॥
बिखै बिलास कहीअत बहुतेरे चलत न कछू संगारै ॥
जीवन में बहुत सारे विषय-विलास कहे जाते हैं परन्तु अन्तिम समय कुछ भी साथ नहीं चलता।
ਇਸਟੁ ਮੀਤੁ ਨਾਮੁ ਨਾਨਕ ਕੋ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਮੇਰੈ ਭੰਡਾਰੈ ॥੨॥੨॥੭॥
इसटु मीतु नामु नानक को हरि नामु मेरै भंडारै ॥२॥२॥७॥
हे नानक ! नाम ही मेरा इष्ट-मित्र है और परमेश्वर का नाम ही मेरा अक्षय भण्डार है॥ २॥ २॥ ७॥ l
ਟੋਡੀ ਮਃ ੫ ॥
टोडी मः ५ ॥
टोडी मः ५ ॥
ਨੀਕੇ ਗੁਣ ਗਾਉ ਮਿਟਹੀ ਰੋਗ ॥
नीके गुण गाउ मिटही रोग ॥
हे श्रद्धालुओं ! परमात्मा के सुन्दर गुण गाओ, जिसके फलस्वरूप तुम्हारे सर्व प्रकार के रोग मिटने वाले हैं।
ਮੁਖ ਊਜਲ ਮਨੁ ਨਿਰਮਲ ਹੋਈ ਹੈ ਤੇਰੋ ਰਹੈ ਈਹਾ ਊਹਾ ਲੋਗੁ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
मुख ऊजल मनु निरमल होई है तेरो रहै ईहा ऊहा लोगु ॥१॥ रहाउ ॥
गुणगान से ही तुम्हारा मुख उज्ज्वल एवं मन शुद्ध होता है और तुम्हारा लोक-परलोक संवरने वाला है॥ १॥ रहाउ॥
ਚਰਨ ਪਖਾਰਿ ਕਰਉ ਗੁਰ ਸੇਵਾ ਮਨਹਿ ਚਰਾਵਉ ਭੋਗ ॥
चरन पखारि करउ गुर सेवा मनहि चरावउ भोग ॥
मैं तो बड़ी श्रद्धा से अपने गुरु के चरण धोकर उनकी निष्काम सेवा करता हूँ और अपने मन को प्रसाद रूप में गुरु के समक्ष अर्पण करता हूँ।
ਛੋਡਿ ਆਪਤੁ ਬਾਦੁ ਅਹੰਕਾਰਾ ਮਾਨੁ ਸੋਈ ਜੋ ਹੋਗੁ ॥੧॥
छोडि आपतु बादु अहंकारा मानु सोई जो होगु ॥१॥
हे सज्जनो ! अपना अहंत्व, वाद-विवाद एवं अहंकार को त्याग कर भगवान की ओर से जो कुछ भी हो रहा है, उसे सहर्ष स्वीकार करो।॥ १॥
ਸੰਤ ਟਹਲ ਸੋਈ ਹੈ ਲਾਗਾ ਜਿਸੁ ਮਸਤਕਿ ਲਿਖਿਆ ਲਿਖੋਗੁ ॥
संत टहल सोई है लागा जिसु मसतकि लिखिआ लिखोगु ॥
संतों-महापुरुषों की सेवा में वही व्यक्ति लगता है, जिसके मस्तक पर ऐसा भाग्य लिखा होता है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਏਕ ਬਿਨੁ ਦੂਜਾ ਅਵਰੁ ਨ ਕਰਣੈ ਜੋਗੁ ॥੨॥੩॥੮॥
कहु नानक एक बिनु दूजा अवरु न करणै जोगु ॥२॥३॥८॥
हे नानक ! एक परमात्मा के सिवाय कोई अन्य कुछ भी करने योग्य नहीं है॥ २ ॥ ३ ॥ ८ ॥
ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
टोडी महला ५ ॥
टोडी महला ५ ॥
ਸਤਿਗੁਰ ਆਇਓ ਸਰਣਿ ਤੁਹਾਰੀ ॥
सतिगुर आइओ सरणि तुहारी ॥
हे मेरे सतगुरु ! मैं तो तुम्हारी शरण में ही आया हूँ।
ਮਿਲੈ ਸੂਖੁ ਨਾਮੁ ਹਰਿ ਸੋਭਾ ਚਿੰਤਾ ਲਾਹਿ ਹਮਾਰੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
मिलै सूखु नामु हरि सोभा चिंता लाहि हमारी ॥१॥ रहाउ ॥
तेरी दया से ही मुझे हरि-नाम का सुख एवं शोभा मिलेगी और हमारी चिन्ता दूर हो जाएगी॥ १॥ रहाउ॥
ਅਵਰ ਨ ਸੂਝੈ ਦੂਜੀ ਠਾਹਰ ਹਾਰਿ ਪਰਿਓ ਤਉ ਦੁਆਰੀ ॥
अवर न सूझै दूजी ठाहर हारि परिओ तउ दुआरी ॥
मुझे अन्य कोई शरणस्थल नजर नहीं आता, इसलिए मायूस होकर तेरे द्वार पर आ गया हूँ।
ਲੇਖਾ ਛੋਡਿ ਅਲੇਖੈ ਛੂਟਹ ਹਮ ਨਿਰਗੁਨ ਲੇਹੁ ਉਬਾਰੀ ॥੧॥
लेखा छोडि अलेखै छूटह हम निरगुन लेहु उबारी ॥१॥
तुम हमारे कर्मों का लेखा-जोखा छोड़कर यदि कर्मों के लेखे को नजर-अंदाज कर दोगे तो हमारा कल्याण हो जाएगा। मुझ निर्गुण को भवसागर से बचा लो॥ १॥
ਸਦ ਬਖਸਿੰਦੁ ਸਦਾ ਮਿਹਰਵਾਨਾ ਸਭਨਾ ਦੇਇ ਅਧਾਰੀ ॥
सद बखसिंदु सदा मिहरवाना सभना देइ अधारी ॥
तू सदैव क्षमाशील है, सदैव मेहरबान है और सभी को सहारा देता है।
ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਸੰਤ ਪਾਛੈ ਪਰਿਓ ਰਾਖਿ ਲੇਹੁ ਇਹ ਬਾਰੀ ॥੨॥੪॥੯॥
नानक दास संत पाछै परिओ राखि लेहु इह बारी ॥२॥४॥९॥
दास नानक तो संतों के पीछे पड़ा हुआ है, इसलिए इस बार जन्म-मरण से बचा लो॥ २॥ ४॥ ६॥
ਟੋਡੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
टोडी महला ५ ॥
टोडी महला ५ ॥
ਰਸਨਾ ਗੁਣ ਗੋਪਾਲ ਨਿਧਿ ਗਾਇਣ ॥
रसना गुण गोपाल निधि गाइण ॥
यदि रसना से गुणों के भण्डार परमेश्वर का गुणानुवाद किया जाए तो
ਸਾਂਤਿ ਸਹਜੁ ਰਹਸੁ ਮਨਿ ਉਪਜਿਓ ਸਗਲੇ ਦੂਖ ਪਲਾਇਣ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
सांति सहजु रहसु मनि उपजिओ सगले दूख पलाइण ॥१॥ रहाउ ॥
मन को बड़ी शांति, आत्मिक स्थिरता एवं आनंद प्राप्त होता है और सभी दुःख निवृत्त हो जाते हैं।॥ १॥ रहाउ॥