Hindi Page 778

ਹਰਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤਿ ਭਰੇ ਭੰਡਾਰ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਹੈ ਘਰਿ ਤਿਸ ਕੈ ਬਲਿ ਰਾਮ ਜੀਉ ॥
हरि अम्रिति भरे भंडार सभु किछु है घरि तिस कै बलि राम जीउ ॥
हरि के भण्डार नाम-अमृत से भरे हुए हैं और उसके घर में सबकुछ उपलब्ध है।

ਬਾਬੁਲੁ ਮੇਰਾ ਵਡ ਸਮਰਥਾ ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਪ੍ਰਭੁ ਹਾਰਾ ॥
बाबुलु मेरा वड समरथा करण कारण प्रभु हारा ॥
मेरा पिता-प्रभु सर्वशक्तिमान है, सब का रचयिता है।

ਜਿਸੁ ਸਿਮਰਤ ਦੁਖੁ ਕੋਈ ਨ ਲਾਗੈ ਭਉਜਲੁ ਪਾਰਿ ਉਤਾਰਾ ॥
जिसु सिमरत दुखु कोई न लागै भउजलु पारि उतारा ॥
जिसका नाम-सिमरन करने से कोई दुख नहीं लगता और भवसागर से पार उतारा हो जाता है।

ਆਦਿ ਜੁਗਾਦਿ ਭਗਤਨ ਕਾ ਰਾਖਾ ਉਸਤਤਿ ਕਰਿ ਕਰਿ ਜੀਵਾ ॥
आदि जुगादि भगतन का राखा उसतति करि करि जीवा ॥
सृष्टि के प्रारंभ एवं युगों-युगांतरों से ही वह अपने भक्तों का रखवाला है, मैं उसकी स्तुति करके ही जीता हूँ।

ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਮਹਾ ਰਸੁ ਮੀਠਾ ਅਨਦਿਨੁ ਮਨਿ ਤਨਿ ਪੀਵਾ ॥੧॥
नानक नामु महा रसु मीठा अनदिनु मनि तनि पीवा ॥१॥
हे नानक ! उसका नाम महारस मीठा है और तन एवं मन द्वारा दिन-रात उसका पान करता रहता हूँ॥ १॥

ਹਰਿ ਆਪੇ ਲਏ ਮਿਲਾਇ ਕਿਉ ਵੇਛੋੜਾ ਥੀਵਈ ਬਲਿ ਰਾਮ ਜੀਉ ॥
हरि आपे लए मिलाइ किउ वेछोड़ा थीवई बलि राम जीउ ॥
जिस व्यक्ति को परमात्मा अपने साथ मिला लेता है, उसका उससे बिछोड़ा कैसे होगा ?

ਜਿਸ ਨੋ ਤੇਰੀ ਟੇਕ ਸੋ ਸਦਾ ਸਦ ਜੀਵਈ ਬਲਿ ਰਾਮ ਜੀਉ ॥
जिस नो तेरी टेक सो सदा सद जीवई बलि राम जीउ ॥
हे प्रभु ! जिसे तेरा सहारा है, वह सदैव जीता है।

ਤੇਰੀ ਟੇਕ ਤੁਝੈ ਤੇ ਪਾਈ ਸਾਚੇ ਸਿਰਜਣਹਾਰਾ ॥
तेरी टेक तुझै ते पाई साचे सिरजणहारा ॥
हे सच्चे सृजनहार ! मैंने तेरा सहारा तुझसे ही पाया है।

ਜਿਸ ਤੇ ਖਾਲੀ ਕੋਈ ਨਾਹੀ ਐਸਾ ਪ੍ਰਭੂ ਹਮਾਰਾ ॥
जिस ते खाली कोई नाही ऐसा प्रभू हमारा ॥
हमारा प्रभु ऐसा है जिसके द्वार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता।

ਸੰਤ ਜਨਾ ਮਿਲਿ ਮੰਗਲੁ ਗਾਇਆ ਦਿਨੁ ਰੈਨਿ ਆਸ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰੀ ॥
संत जना मिलि मंगलु गाइआ दिनु रैनि आस तुम्हारी ॥
हे स्वामी ! संतजनों ने मिलकर तेरा यशोगान किया है, उन्हें दिन-रात तेरे मिलन की आशा रहती है।

ਸਫਲੁ ਦਰਸੁ ਭੇਟਿਆ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਨਾਨਕ ਸਦ ਬਲਿਹਾਰੀ ॥੨॥
सफलु दरसु भेटिआ गुरु पूरा नानक सद बलिहारी ॥२॥
हे नानक ! मुझे पूर्ण गुरु मिल गया है, जिसके दर्शन फलदायक हैं, मैं उस पर सदैव बलिहारी हूँ॥ २॥

ਸੰਮ੍ਹ੍ਹਲਿਆ ਸਚੁ ਥਾਨੁ ਮਾਨੁ ਮਹਤੁ ਸਚੁ ਪਾਇਆ ਬਲਿ ਰਾਮ ਜੀਉ ॥
सम्हलिआ सचु थानु मानु महतु सचु पाइआ बलि राम जीउ ॥
परमात्मा के सच्चे स्थान का ध्यान करने से मुझे मान-सम्मान एवं सत्य की प्राप्ति हुई है।

ਸਤਿਗੁਰੁ ਮਿਲਿਆ ਦਇਆਲੁ ਗੁਣ ਅਬਿਨਾਸੀ ਗਾਇਆ ਬਲਿ ਰਾਮ ਜੀਉ ॥
सतिगुरु मिलिआ दइआलु गुण अबिनासी गाइआ बलि राम जीउ ॥
जब मुझे दयालु सतगुरु मिल गया तो मैंने अविनाशी परमात्मा का ही गुणानुवाद किया।

ਗੁਣ ਗੋਵਿੰਦ ਗਾਉ ਨਿਤ ਨਿਤ ਪ੍ਰਾਣ ਪ੍ਰੀਤਮ ਸੁਆਮੀਆ ॥
गुण गोविंद गाउ नित नित प्राण प्रीतम सुआमीआ ॥
मैं नित्य गोविंद का गुणगान करता रहता हूँ, जो मुझे प्राणों से भी प्रिय है और मेरा स्वामी है।

ਸੁਭ ਦਿਵਸ ਆਏ ਗਹਿ ਕੰਠਿ ਲਾਏ ਮਿਲੇ ਅੰਤਰਜਾਮੀਆ ॥
सुभ दिवस आए गहि कंठि लाए मिले अंतरजामीआ ॥
अब मेरे शुभ दिवस आ गए हैं, क्योंकि अन्तर्यामी प्रभु मुझे मिल गया है, उसने पकड़ कर मुझे गले से लगा लिया है।

ਸਤੁ ਸੰਤੋਖੁ ਵਜਹਿ ਵਾਜੇ ਅਨਹਦਾ ਝੁਣਕਾਰੇ ॥
सतु संतोखु वजहि वाजे अनहदा झुणकारे ॥
मन में सत्य एवं संतोष की मधुर ध्वनियाँ गूंज रही हैं और अनहद शब्द की झंकार हो रही है।

ਸੁਣਿ ਭੈ ਬਿਨਾਸੇ ਸਗਲ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਪੁਰਖ ਕਰਣੈਹਾਰੇ ॥੩॥
सुणि भै बिनासे सगल नानक प्रभ पुरख करणैहारे ॥३॥
हे नानक ! सर्वकर्ता परमपुरुष प्रभु का यश सुनकर मेरे सारे भय नाश हो गए हैं।३॥

ਉਪਜਿਆ ਤਤੁ ਗਿਆਨੁ ਸਾਹੁਰੈ ਪੇਈਐ ਇਕੁ ਹਰਿ ਬਲਿ ਰਾਮ ਜੀਉ ॥
उपजिआ ततु गिआनु साहुरै पेईऐ इकु हरि बलि राम जीउ ॥
जब मेरे मन में परम तत्व ज्ञान पैदा हो गया तो पता लगा कि ससुराल एवं पीहर अर्थात् लोक-परलोक दोनों में एक परमात्मा ही मौजूद है।

ਬ੍ਰਹਮੈ ਬ੍ਰਹਮੁ ਮਿਲਿਆ ਕੋਇ ਨ ਸਾਕੈ ਭਿੰਨ ਕਰਿ ਬਲਿ ਰਾਮ ਜੀਉ ॥
ब्रहमै ब्रहमु मिलिआ कोइ न साकै भिंन करि बलि राम जीउ ॥
आत्मा परमात्मा में मिल गई है और अब कोई उसे उससे भिन्न नहीं कर सकता।

ਬਿਸਮੁ ਪੇਖੈ ਬਿਸਮੁ ਸੁਣੀਐ ਬਿਸਮਾਦੁ ਨਦਰੀ ਆਇਆ ॥
बिसमु पेखै बिसमु सुणीऐ बिसमादु नदरी आइआ ॥
अब मुझे अद्भुत रूप ब्रह्म ही दिखाई देता, सुनाई देता एवं अद्भुत रूप ब्रह्म ही नजर आया है।

ਜਲਿ ਥਲਿ ਮਹੀਅਲਿ ਪੂਰਨ ਸੁਆਮੀ ਘਟਿ ਘਟਿ ਰਹਿਆ ਸਮਾਇਆ ॥
जलि थलि महीअलि पूरन सुआमी घटि घटि रहिआ समाइआ ॥
जगत् का स्वामी प्रभु जल, धरती एवं आकाश में भरपूर है और प्रत्येक हृदय में समाया हुआ है।

ਜਿਸ ਤੇ ਉਪਜਿਆ ਤਿਸੁ ਮਾਹਿ ਸਮਾਇਆ ਕੀਮਤਿ ਕਹਣੁ ਨ ਜਾਏ ॥
जिस ते उपजिआ तिसु माहि समाइआ कीमति कहणु न जाए ॥
यह दुनिया जिससे उत्पन्न होती है, अंततः उस में ही समा जाती है और उसका मूल्यांकन नहीं किया जा सकता।

ਜਿਸ ਕੇ ਚਲਤ ਨ ਜਾਹੀ ਲਖਣੇ ਨਾਨਕ ਤਿਸਹਿ ਧਿਆਏ ॥੪॥੨॥
जिस के चलत न जाही लखणे नानक तिसहि धिआए ॥४॥२॥
हे नानक ! जिस परमेश्वर के कौतुक जाने नहीं जा सकते, उसका भजन करो।॥४॥२॥

ਰਾਗੁ ਸੂਹੀ ਛੰਤ ਮਹਲਾ ੫ ਘਰੁ ੨
रागु सूही छंत महला ५ घरु २
रागु सूही छंत महला ५ घरु २

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ਗੋਬਿੰਦ ਗੁਣ ਗਾਵਣ ਲਾਗੇ ॥
गोबिंद गुण गावण लागे ॥
हे भाई ! मैं गोविंद का गुणगान करने लग गया हूँ।

ਹਰਿ ਰੰਗਿ ਅਨਦਿਨੁ ਜਾਗੇ ॥
हरि रंगि अनदिनु जागे ॥
मैं हर वक्त हरि के रंग में जागता रहता हूँ।

ਹਰਿ ਰੰਗਿ ਜਾਗੇ ਪਾਪ ਭਾਗੇ ਮਿਲੇ ਸੰਤ ਪਿਆਰਿਆ ॥
हरि रंगि जागे पाप भागे मिले संत पिआरिआ ॥
हरि के रंग में जागने से सारे पाप भाग गए हैं और मुझे प्यारा संत मिल गया है।

ਗੁਰ ਚਰਣ ਲਾਗੇ ਭਰਮ ਭਾਗੇ ਕਾਜ ਸਗਲ ਸਵਾਰਿਆ ॥
गुर चरण लागे भरम भागे काज सगल सवारिआ ॥
गुरु के चरणों में लगने से मेरे सारे भ्रम दूर हो गए हैं और उसने सारे कार्य संवार दिए हैं।

ਸੁਣਿ ਸ੍ਰਵਣ ਬਾਣੀ ਸਹਜਿ ਜਾਣੀ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਜਪਿ ਵਡਭਾਗੈ ॥
सुणि स्रवण बाणी सहजि जाणी हरि नामु जपि वडभागै ॥
सौभाग्य से हरि नाम जपकर और अपने कानों से वाणी सुनकर सहजावस्था को जान लिया है।

ਬਿਨਵੰਤਿ ਨਾਨਕ ਸਰਣਿ ਸੁਆਮੀ ਜੀਉ ਪਿੰਡੁ ਪ੍ਰਭ ਆਗੈ ॥੧॥
बिनवंति नानक सरणि सुआमी जीउ पिंडु प्रभ आगै ॥१॥
नानक की प्रार्थना है कि हे स्वामी ! मैं तेरी शरण में आया हूँ, मेरे प्राण एवं शरीर तुझे अर्पण हैं।१॥

ਅਨਹਤ ਸਬਦੁ ਸੁਹਾਵਾ ॥
अनहत सबदु सुहावा ॥
हे भाई ! तब मन में सुरीला अनहद शब्द गूंजने लग गया,”

ਸਚੁ ਮੰਗਲੁ ਹਰਿ ਜਸੁ ਗਾਵਾ ॥
सचु मंगलु हरि जसु गावा ॥
जब मैंने सच्चा मंगल हरि यश गाया ।

ਗੁਣ ਗਾਇ ਹਰਿ ਹਰਿ ਦੂਖ ਨਾਸੇ ਰਹਸੁ ਉਪਜੈ ਮਨਿ ਘਣਾ ॥
गुण गाइ हरि हरि दूख नासे रहसु उपजै मनि घणा ॥
हरि का गुणगान करने से मेरे सारे दुख नाश हो गए हैं और मन में बड़ा आनंद उत्पन्न हुआ है।

ਮਨੁ ਤੰਨੁ ਨਿਰਮਲੁ ਦੇਖਿ ਦਰਸਨੁ ਨਾਮੁ ਪ੍ਰਭ ਕਾ ਮੁਖਿ ਭਣਾ ॥
मनु तंनु निरमलु देखि दरसनु नामु प्रभ का मुखि भणा ॥
प्रभु के दर्शन करके मेरा मन एवं तन निर्मल हो गया है और अब मैं अपने मुख से प्रभु का नाम हो उच्चरित करता रहता हूँ।

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