ਅਪਰਾਧੀ ਮਤਿਹੀਨੁ ਨਿਰਗੁਨੁ ਅਨਾਥੁ ਨੀਚੁ ॥
अपराधी मतिहीनु निरगुनु अनाथु नीचु ॥
हे भगवान ! मैं अपराधी, बुद्धिहीन, गुणहीन, अनाथ तथा नीच हूँ।
ਸਠ ਕਠੋਰੁ ਕੁਲਹੀਨੁ ਬਿਆਪਤ ਮੋਹ ਕੀਚੁ ॥
सठ कठोरु कुलहीनु बिआपत मोह कीचु ॥
हे ठाकुर ! मैं मूर्ख, कठोर, कुलहीन मोह के कीचड़ में फँसा हुआ हूँ।
ਮਲ ਭਰਮ ਕਰਮ ਅਹੰ ਮਮਤਾ ਮਰਣੁ ਚੀਤਿ ਨ ਆਵਏ ॥
मल भरम करम अहं ममता मरणु चीति न आवए ॥
भ्रम रूपी कर्मों की मैल एवं अहंत्व की ममता के कारण मृत्यु का ख्याल मेरे मन में याद नहीं आता।
ਬਨਿਤਾ ਬਿਨੋਦ ਅਨੰਦ ਮਾਇਆ ਅਗਿਆਨਤਾ ਲਪਟਾਵਏ ॥
बनिता बिनोद अनंद माइआ अगिआनता लपटावए ॥
अज्ञानता के कारण में स्त्री के विनोद एवं माया के आनंद में लिपटा हुआ हूँ।
ਖਿਸੈ ਜੋਬਨੁ ਬਧੈ ਜਰੂਆ ਦਿਨ ਨਿਹਾਰੇ ਸੰਗਿ ਮੀਚੁ ॥
खिसै जोबनु बधै जरूआ दिन निहारे संगि मीचु ॥
मेरा यौवन खत्म होता जा रहा है और बुढ़ापा बढ़ता जा रहा है। मेरी साथी मृत्यु मेरे जीवन के दिन देख रही है।
ਬਿਨਵੰਤਿ ਨਾਨਕ ਆਸ ਤੇਰੀ ਸਰਣਿ ਸਾਧੂ ਰਾਖੁ ਨੀਚੁ ॥੨॥
बिनवंति नानक आस तेरी सरणि साधू राखु नीचु ॥२॥
नानक प्रार्थना करता है, हे प्रभु ! मुझे तेरी ही आशा है इसलिए मुझ नीच को साधु की शरण में रखो ॥ २॥
ਭਰਮੇ ਜਨਮ ਅਨੇਕ ਸੰਕਟ ਮਹਾ ਜੋਨ ॥
भरमे जनम अनेक संकट महा जोन ॥
हे नाथ ! मैं अनेक जन्मों में भटका हूँ और योनियों में बहुत संकट उठाए हैं।
ਲਪਟਿ ਰਹਿਓ ਤਿਹ ਸੰਗਿ ਮੀਠੇ ਭੋਗ ਸੋਨ ॥
लपटि रहिओ तिह संगि मीठे भोग सोन ॥
धन-दौलत एवं पदार्थों के भोग को मीठा समझते हुए मैं उन से लिपटा रहा हूँ।
ਭ੍ਰਮਤ ਭਾਰ ਅਗਨਤ ਆਇਓ ਬਹੁ ਪ੍ਰਦੇਸਹ ਧਾਇਓ ॥
भ्रमत भार अगनत आइओ बहु प्रदेसह धाइओ ॥
पापों के बेअंत भार से मैं योनियों में भटकता हुआ संसार में आया हूँ और बहुत सारे प्रदेशों में भाग-दौड़ कर चुका हूँ।
ਅਬ ਓਟ ਧਾਰੀ ਪ੍ਰਭ ਮੁਰਾਰੀ ਸਰਬ ਸੁਖ ਹਰਿ ਨਾਇਓ ॥
अब ओट धारी प्रभ मुरारी सरब सुख हरि नाइओ ॥
अब मैंने मुरारि प्रभु की शरण ली है और हरि के नाम द्वारा सर्व सुख प्राप्त कर लिए हैं।
ਰਾਖਨਹਾਰੇ ਪ੍ਰਭ ਪਿਆਰੇ ਮੁਝ ਤੇ ਕਛੂ ਨ ਹੋਆ ਹੋਨ ॥
राखनहारे प्रभ पिआरे मुझ ते कछू न होआ होन ॥
हे रखवाले प्यारे प्रभु ! मुझ से न कुछ हुआ है और न ही होगा।
ਸੂਖ ਸਹਜ ਆਨੰਦ ਨਾਨਕ ਕ੍ਰਿਪਾ ਤੇਰੀ ਤਰੈ ਭਉਨ ॥੩॥
सूख सहज आनंद नानक क्रिपा तेरी तरै भउन ॥३॥
नानक का कथन है कि हे प्रभु ! अब मुझे सहज सुख एवं आनंद मिल गया है और तेरी कृपा से मैं भवसागरं से पार हो गया हूँ॥ ३॥
ਨਾਮ ਧਾਰੀਕ ਉਧਾਰੇ ਭਗਤਹ ਸੰਸਾ ਕਉਨ ॥
नाम धारीक उधारे भगतह संसा कउन ॥
जो लोग नाममात्र के ही भक्त हैं, भगवान ने उन्हें भी बचा लिया है। सच्चे भक्तों को क्या संशय होना चाहिए ?
ਜੇਨ ਕੇਨ ਪਰਕਾਰੇ ਹਰਿ ਹਰਿ ਜਸੁ ਸੁਨਹੁ ਸ੍ਰਵਨ ॥
जेन केन परकारे हरि हरि जसु सुनहु स्रवन ॥
प्रत्येक यथायोग्य विधि से जैसे भी संभव हो, अपने कानों से हरि-परमेश्वर का यश सुनो।
ਸੁਨਿ ਸ੍ਰਵਨ ਬਾਨੀ ਪੁਰਖ ਗਿਆਨੀ ਮਨਿ ਨਿਧਾਨਾ ਪਾਵਹੇ ॥
सुनि स्रवन बानी पुरख गिआनी मनि निधाना पावहे ॥
हे ज्ञानी पुरुष ! उस प्रभु की वाणी को अपने कानों से सुनो और अपने मन में नाम के भण्डार को प्राप्त कर लो।
ਹਰਿ ਰੰਗਿ ਰਾਤੇ ਪ੍ਰਭ ਬਿਧਾਤੇ ਰਾਮ ਕੇ ਗੁਣ ਗਾਵਹੇ ॥
हरि रंगि राते प्रभ बिधाते राम के गुण गावहे ॥
जो व्यवित हरि के रंग में रंग जाते हैं, वे विधाता प्रभु राम के ही गुण गाते रहते हैं।
ਬਸੁਧ ਕਾਗਦ ਬਨਰਾਜ ਕਲਮਾ ਲਿਖਣ ਕਉ ਜੇ ਹੋਇ ਪਵਨ ॥
बसुध कागद बनराज कलमा लिखण कउ जे होइ पवन ॥
यदि धरती कागज बन जाए, वनराज कलम बन जाए और पवन लिखने हेतु लेखक बन जाए
ਬੇਅੰਤ ਅੰਤੁ ਨ ਜਾਇ ਪਾਇਆ ਗਹੀ ਨਾਨਕ ਚਰਣ ਸਰਨ ॥੪॥੫॥੮॥
बेअंत अंतु न जाइ पाइआ गही नानक चरण सरन ॥४॥५॥८॥
तो भी बेअंत प्रभु का अन्त नहीं पाया जा सकता। हे नानक ! मैंने उस प्रभु के चरणों की शरण ली है॥ ४॥ ५ ॥ ८॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥
आसा महला ५ ॥
आसा महला ५ ॥
ਪੁਰਖ ਪਤੇ ਭਗਵਾਨ ਤਾ ਕੀ ਸਰਣਿ ਗਹੀ ॥
पुरख पते भगवान ता की सरणि गही ॥
भगवान सभी पुरुषों का मालिक है और मैंने उसकी शरण ली है।
ਨਿਰਭਉ ਭਏ ਪਰਾਨ ਚਿੰਤਾ ਸਗਲ ਲਹੀ ॥
निरभउ भए परान चिंता सगल लही ॥
अब मेरे प्राण निडर हो गए हैं और मेरी सारी चिन्ता मिट गई है।
ਮਾਤ ਪਿਤਾ ਸੁਤ ਮੀਤ ਸੁਰਿਜਨ ਇਸਟ ਬੰਧਪ ਜਾਣਿਆ ॥
मात पिता सुत मीत सुरिजन इसट बंधप जाणिआ ॥
मैं भगवान को ही अपना माता-पिता, पुत्र, मित्र, शुभ-चिन्तक, इष्ट एवं बंधु जानता हूँ।
ਗਹਿ ਕੰਠਿ ਲਾਇਆ ਗੁਰਿ ਮਿਲਾਇਆ ਜਸੁ ਬਿਮਲ ਸੰਤ ਵਖਾਣਿਆ ॥
गहि कंठि लाइआ गुरि मिलाइआ जसु बिमल संत वखाणिआ ॥
गुरु ने मुझे उससे मिलाया है और उसने मुझे बांह से पकड़ कर गले से लगा लिया है, जिसका निर्मल यश संतजन उच्चरित करते हैं।
ਬੇਅੰਤ ਗੁਣ ਅਨੇਕ ਮਹਿਮਾ ਕੀਮਤਿ ਕਛੂ ਨ ਜਾਇ ਕਹੀ ॥
बेअंत गुण अनेक महिमा कीमति कछू न जाइ कही ॥
वह बेअंत है और उसमें अनेक गुण हैं, उसकी महिमा की कीमत आंकी नहीं जा सकती।
ਪ੍ਰਭ ਏਕ ਅਨਿਕ ਅਲਖ ਠਾਕੁਰ ਓਟ ਨਾਨਕ ਤਿਸੁ ਗਹੀ ॥੧॥
प्रभ एक अनिक अलख ठाकुर ओट नानक तिसु गही ॥१॥
प्रभु एक है, जिसे अनेक प्रकार से अलक्ष्य ठाकुर कहा जाता है तथा नानक ने उसकी शरण ली है॥ १॥
ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਬਨੁ ਸੰਸਾਰੁ ਸਹਾਈ ਆਪਿ ਭਏ ॥
अम्रित बनु संसारु सहाई आपि भए ॥
जब भगवान स्वयं मेरा मददगार बन गया है तो संसार मेरे लिए अमृत का कुण्ड बन गया।
ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਉਰ ਹਾਰੁ ਬਿਖੁ ਕੇ ਦਿਵਸ ਗਏ ॥
राम नामु उर हारु बिखु के दिवस गए ॥
राम के नाम की गले में पुष्पमाला पहनने से मेरे दु:ख के दिवस मिट गए हैं।
ਗਤੁ ਭਰਮ ਮੋਹ ਬਿਕਾਰ ਬਿਨਸੇ ਜੋਨਿ ਆਵਣ ਸਭ ਰਹੇ ॥
गतु भरम मोह बिकार बिनसे जोनि आवण सभ रहे ॥
मेरे मन में से भ्रम चला गया है, काम, क्रोध, लोभ, अहंकार एवं मोह रूपी विकार नष्ट हो गए हैं। मेरे योनियों के चक्र भी समाप्त हो गए हैं।
ਅਗਨਿ ਸਾਗਰ ਭਏ ਸੀਤਲ ਸਾਧ ਅੰਚਲ ਗਹਿ ਰਹੇ ॥
अगनि सागर भए सीतल साध अंचल गहि रहे ॥
साधु का आंचल पकड़ने से तृष्णा रूपी अग्नि सागर शीतल हो गया है।
ਗੋਵਿੰਦ ਗੁਪਾਲ ਦਇਆਲ ਸੰਮ੍ਰਿਥ ਬੋਲਿ ਸਾਧੂ ਹਰਿ ਜੈ ਜਏ ॥
गोविंद गुपाल दइआल सम्रिथ बोलि साधू हरि जै जए ॥
हे साधुओ ! गोविन्द, गोपाल, दयालु समर्थ हरि की जय-जयकार करो।
ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇ ਪੂਰਨ ਸਾਧਸੰਗਿ ਪਾਈ ਪਰਮ ਗਤੇ ॥੨॥
नानक नामु धिआइ पूरन साधसंगि पाई परम गते ॥२॥
हे नानक ! साधु की संगति में मिलकर पूर्ण परमात्मा के नाम का ध्यान करके मैंने परमगति पा ली है॥ २॥
ਜਹ ਦੇਖਉ ਤਹ ਸੰਗਿ ਏਕੋ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ॥
जह देखउ तह संगि एको रवि रहिआ ॥
मैं जहाँ कहीं भी देखता हूँ मैं वहाँ ही उसे अपने साथ व्यापक पाता हूँ।
ਘਟ ਘਟ ਵਾਸੀ ਆਪਿ ਵਿਰਲੈ ਕਿਨੈ ਲਹਿਆ ॥
घट घट वासी आपि विरलै किनै लहिआ ॥
एक परमात्मा ही सब जीवों में बसा हुआ है। वह स्वयं ही प्रत्येक हृदय में मौजूद है लेकिन कोई विरला पुरुष ही इसे अनुभव करता है।
ਜਲਿ ਥਲਿ ਮਹੀਅਲਿ ਪੂਰਿ ਪੂਰਨ ਕੀਟ ਹਸਤਿ ਸਮਾਨਿਆ ॥
जलि थलि महीअलि पूरि पूरन कीट हसति समानिआ ॥
वह जल, धरती, गगन में हर जगह मौजूद है और चींटी एवं हाथी में भी एक समान समाया हुआ है।
ਆਦਿ ਅੰਤੇ ਮਧਿ ਸੋਈ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦੀ ਜਾਨਿਆ ॥
आदि अंते मधि सोई गुर प्रसादी जानिआ ॥
परमात्मा जगत-रचना के प्रारम्भ में भी था, जगत के अन्त में भी होगा और वह अब भी मौजूद है और गुरु की दया से ही वह जाना जाता है।
ਬ੍ਰਹਮੁ ਪਸਰਿਆ ਬ੍ਰਹਮ ਲੀਲਾ ਗੋਵਿੰਦ ਗੁਣ ਨਿਧਿ ਜਨਿ ਕਹਿਆ ॥
ब्रहमु पसरिआ ब्रहम लीला गोविंद गुण निधि जनि कहिआ ॥
हर तरफ ब्रह्म का ही प्रसार है और यह जगत प्रसार ब्रह्म की रचित लीला हो रही है। भक्तजन उस गोविंद को गुणों का भण्डार कहते हैं।
ਸਿਮਰਿ ਸੁਆਮੀ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ਹਰਿ ਏਕੁ ਨਾਨਕ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ॥੩॥
सिमरि सुआमी अंतरजामी हरि एकु नानक रवि रहिआ ॥३॥
हे नानक ! अन्तर्यामी स्वामी की आराधना करो; एक प्रभु ही सर्वव्यापी है॥ ३॥
ਦਿਨੁ ਰੈਣਿ ਸੁਹਾਵੜੀ ਆਈ ਸਿਮਰਤ ਨਾਮੁ ਹਰੇ ॥
दिनु रैणि सुहावड़ी आई सिमरत नामु हरे ॥
हरि का नाम-सिमरन करने से दिन-रात सुहावने आ गए हैं।