ਰਾਗੁ ਮਲਾਰ ਬਾਣੀ ਭਗਤ ਨਾਮਦੇਵ ਜੀਉ ਕੀ ॥
रागु मलार बाणी भगत नामदेव जीउ की ॥
रागु मलार बाणी भगत नामदेव जीउ की ॥
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ਸੇਵੀਲੇ ਗੋਪਾਲ ਰਾਇ ਅਕੁਲ ਨਿਰੰਜਨ ॥
सेवीले गोपाल राइ अकुल निरंजन ॥
सृष्टि पालक, कुलातीत, माया की कालिमा से रहित प्रभु की उपासना करो।
ਭਗਤਿ ਦਾਨੁ ਦੀਜੈ ਜਾਚਹਿ ਸੰਤ ਜਨ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
भगति दानु दीजै जाचहि संत जन ॥१॥ रहाउ ॥
भक्तजन भक्ति का दान चाहते हैं, हे भक्तवत्सल ! अपनी भक्ति दीजिए॥१॥॥ रहाउ ॥
ਜਾਂ ਚੈ ਘਰਿ ਦਿਗ ਦਿਸੈ ਸਰਾਇਚਾ ਬੈਕੁੰਠ ਭਵਨ ਚਿਤ੍ਰਸਾਲਾ ਸਪਤ ਲੋਕ ਸਾਮਾਨਿ ਪੂਰੀਅਲੇ ॥
जां चै घरि दिग दिसै सराइचा बैकुंठ भवन चित्रसाला सपत लोक सामानि पूरीअले ॥
उसके घर में दस दिशाओं का शामियाना फैला हुआ है, समूचा वैकुण्ठ उसकी चित्रशाला है और वह समूचे विश्व में समान रूप से व्याप्त है।
ਜਾਂ ਚੈ ਘਰਿ ਲਛਿਮੀ ਕੁਆਰੀ ਚੰਦੁ ਸੂਰਜੁ ਦੀਵੜੇ ਕਉਤਕੁ ਕਾਲੁ ਬਪੁੜਾ ਕੋਟਵਾਲੁ ਸੁ ਕਰਾ ਸਿਰੀ ॥
जां चै घरि लछिमी कुआरी चंदु सूरजु दीवड़े कउतकु कालु बपुड़ा कोटवालु सु करा सिरी ॥
उसके घर में नवयुवती लक्ष्मी रह रही है, चाँद और सूर्य संसार को रोशनी देने वाले दीपक हैं। काल रूपी कोतवाल जिससे सब लोग डरते हैं, वह बेचारा उसके सामने कुछ भी नहीं।
ਸੁ ਐਸਾ ਰਾਜਾ ਸ੍ਰੀ ਨਰਹਰੀ ॥੧॥
सु ऐसा राजा स्री नरहरी ॥१॥
सो समूचे विश्व का राजा श्रीहरि पूज्य एवं वंदनीय है॥१॥
ਜਾਂ ਚੈ ਘਰਿ ਕੁਲਾਲੁ ਬ੍ਰਹਮਾ ਚਤੁਰ ਮੁਖੁ ਡਾਂਵੜਾ ਜਿਨਿ ਬਿਸ੍ਵ ਸੰਸਾਰੁ ਰਾਚੀਲੇ ॥
जां चै घरि कुलालु ब्रहमा चतुर मुखु डांवड़ा जिनि बिस्व संसारु राचीले ॥
उसके घर में चार मुखों वाला ब्रह्मा रूपी सर्जक है, जो पूरे विश्व एवं लोगों को बनाने वाला है।
ਜਾਂ ਕੈ ਘਰਿ ਈਸਰੁ ਬਾਵਲਾ ਜਗਤ ਗੁਰੂ ਤਤ ਸਾਰਖਾ ਗਿਆਨੁ ਭਾਖੀਲੇ ॥
जां कै घरि ईसरु बावला जगत गुरू तत सारखा गिआनु भाखीले ॥
उसके घर में जगदगुरु शिवशंकर है, जो मौत का ज्ञान देता है।
ਪਾਪੁ ਪੁੰਨੁ ਜਾਂ ਚੈ ਡਾਂਗੀਆ ਦੁਆਰੈ ਚਿਤ੍ਰ ਗੁਪਤੁ ਲੇਖੀਆ ॥
पापु पुंनु जां चै डांगीआ दुआरै चित्र गुपतु लेखीआ ॥
उसके द्वार में पाप-पुण्य कर्मों का हिसाब करने वाला छोटा-सा मुनीम चित्रगुप्त भी बैठा हुआ है और
ਧਰਮ ਰਾਇ ਪਰੁਲੀ ਪ੍ਰਤਿਹਾਰੁ ॥
धरम राइ परुली प्रतिहारु ॥
मौत लाने वाला यमराज रूपी दरबान भी है।
ਸੋੁ ਐਸਾ ਰਾਜਾ ਸ੍ਰੀ ਗੋਪਾਲੁ ॥੨॥
सो ऐसा राजा स्री गोपालु ॥२॥
संसार का पालनहार ऐसा राजा ही बड़ा है, पूजनीय है॥२॥
ਜਾਂ ਚੈ ਘਰਿ ਗਣ ਗੰਧਰਬ ਰਿਖੀ ਬਪੁੜੇ ਢਾਢੀਆ ਗਾਵੰਤ ਆਛੈ ॥
जां चै घरि गण गंधरब रिखी बपुड़े ढाढीआ गावंत आछै ॥
उस घर पर गण-गंधर्व, ऋषि एवं वादक ईश्वर का यश गा रहे हैं।
ਸਰਬ ਸਾਸਤ੍ਰ ਬਹੁ ਰੂਪੀਆ ਅਨਗਰੂਆ ਆਖਾੜਾ ਮੰਡਲੀਕ ਬੋਲ ਬੋਲਹਿ ਕਾਛੇ ॥
सरब सासत्र बहु रूपीआ अनगरूआ आखाड़ा मंडलीक बोल बोलहि काछे ॥
सब शास्त्र स्वांग भर रहे हैं अर्थात् शास्त्रानुसार लोग कर्मकाण्ड कर रहे हैं, दुनिया छोटा-सा अखाड़ा है, दुनिया के लोग उसी के गुण गा रहे हैं।
ਚਉਰ ਢੂਲ ਜਾਂ ਚੈ ਹੈ ਪਵਣੁ ॥
चउर ढूल जां चै है पवणु ॥
उसके घर में चंवर रूप में वायु बह रही है,
ਚੇਰੀ ਸਕਤਿ ਜੀਤਿ ਲੇ ਭਵਣੁ ॥
चेरी सकति जीति ले भवणु ॥
उसकी दासी माया ने समूचे संसार को जीत लिया है,
ਅੰਡ ਟੂਕ ਜਾ ਚੈ ਭਸਮਤੀ ॥
अंड टूक जा चै भसमती ॥
पृथ्वी-नभ उसका चूल्हा है।
ਸੋੁ ਐਸਾ ਰਾਜਾ ਤ੍ਰਿਭਵਣ ਪਤੀ ॥੩॥
सो ऐसा राजा त्रिभवण पती ॥३॥
सो तीनों लोकों का स्वामी प्रभु महान् है॥३॥
ਜਾਂ ਚੈ ਘਰਿ ਕੂਰਮਾ ਪਾਲੁ ਸਹਸ੍ਰ ਫਨੀ ਬਾਸਕੁ ਸੇਜ ਵਾਲੂਆ ॥
जां चै घरि कूरमा पालु सहस्र फनी बासकु सेज वालूआ ॥
उसके घर में विष्णुवतार कूर्म पलंग समान है, हजार फनों वाला शेषनाग सेज की रस्सियां हैं।
ਅਠਾਰਹ ਭਾਰ ਬਨਾਸਪਤੀ ਮਾਲਣੀ ਛਿਨਵੈ ਕਰੋੜੀ ਮੇਘ ਮਾਲਾ ਪਾਣੀਹਾਰੀਆ ॥
अठारह भार बनासपती मालणी छिनवै करोड़ी मेघ माला पाणीहारीआ ॥
अठारह भार वाली वनस्पति मालिन है, छियान्वे करोड़ मेघमाला उसका पानी भरने वाले हैं।
ਨਖ ਪ੍ਰਸੇਵ ਜਾ ਚੈ ਸੁਰਸਰੀ ॥
नख प्रसेव जा चै सुरसरी ॥
गंगा उसके नाखुनों का रक्त मात्र है,
ਸਪਤ ਸਮੁੰਦ ਜਾਂ ਚੈ ਘੜਥਲੀ ॥
सपत समुंद जां चै घड़थली ॥
सात समुद्र घड़थली है।
ਏਤੇ ਜੀਅ ਜਾਂ ਚੈ ਵਰਤਣੀ ॥
एते जीअ जां चै वरतणी ॥
दुनिया के सब जीव उसके बर्तन हैं।
ਸੋੁ ਐਸਾ ਰਾਜਾ ਤ੍ਰਿਭਵਣ ਧਣੀ ॥੪॥
सो ऐसा राजा त्रिभवण धणी ॥४॥
सो तीनों लोकों का मालिक वह राजा प्रभु महान् है॥४॥
ਜਾਂ ਚੈ ਘਰਿ ਨਿਕਟ ਵਰਤੀ ਅਰਜਨੁ ਧ੍ਰੂ ਪ੍ਰਹਲਾਦੁ ਅੰਬਰੀਕੁ ਨਾਰਦੁ ਨੇਜੈ ਸਿਧ ਬੁਧ ਗਣ ਗੰਧਰਬ ਬਾਨਵੈ ਹੇਲਾ ॥
जां चै घरि निकट वरती अरजनु ध्रू प्रहलादु अ्मबरीकु नारदु नेजै सिध बुध गण गंधरब बानवै हेला ॥
अर्जुन, भक्त धुव, प्रहलाद, अंबरीक, नारद, सिद्ध, बुद्ध, गण-गंधर्व उसके सेवक हैं।
ਏਤੇ ਜੀਅ ਜਾਂ ਚੈ ਹਹਿ ਘਰੀ ॥
एते जीअ जां चै हहि घरी ॥
उसके घर में अनगिनत जीव हैं।
ਸਰਬ ਬਿਆਪਿਕ ਅੰਤਰ ਹਰੀ ॥
सरब बिआपिक अंतर हरी ॥
वह हरि सर्वव्यापक है।
ਪ੍ਰਣਵੈ ਨਾਮਦੇਉ ਤਾਂ ਚੀ ਆਣਿ ॥
प्रणवै नामदेउ तां ची आणि ॥
नामदेव विनती करते हैं कि हम उस परमेश्वर की शरण में हैं और
ਸਗਲ ਭਗਤ ਜਾ ਚੈ ਨੀਸਾਣਿ ॥੫॥੧॥
सगल भगत जा चै नीसाणि ॥५॥१॥
सब भक्तजन उसकी कीर्ति बताने वाले चिन्ह हैं।॥५॥१॥
ਮਲਾਰ ॥
मलार ॥
मलार ॥
ਮੋ ਕਉ ਤੂੰ ਨ ਬਿਸਾਰਿ ਤੂ ਨ ਬਿਸਾਰਿ ॥
मो कउ तूं न बिसारि तू न बिसारि ॥
हे ईश्वर ! तुम मुझे मत भुलाओ, मुझे न भूलना,”
ਤੂ ਨ ਬਿਸਾਰੇ ਰਾਮਈਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
तू न बिसारे रामईआ ॥१॥ रहाउ ॥
मुझे हरगिज न भुलाना॥१॥रहाउ॥
ਆਲਾਵੰਤੀ ਇਹੁ ਭ੍ਰਮੁ ਜੋ ਹੈ ਮੁਝ ਊਪਰਿ ਸਭ ਕੋਪਿਲਾ ॥
आलावंती इहु भ्रमु जो है मुझ ऊपरि सभ कोपिला ॥
इन पण्डितों को अपनी ऊँची जाति का भ्रम है, जिसकी वजह से मुझ पर सभी गुस्सा हो गए हैं।
ਸੂਦੁ ਸੂਦੁ ਕਰਿ ਮਾਰਿ ਉਠਾਇਓ ਕਹਾ ਕਰਉ ਬਾਪ ਬੀਠੁਲਾ ॥੧॥
सूदु सूदु करि मारि उठाइओ कहा करउ बाप बीठुला ॥१॥
शूद्र-शूद्र कह कर उन्होंने मारपीट कर मुझे मन्दिर से बाहर निकाल फॅका है। हे मेरे पिता प्रभु ! इनके आगे मैं अकेला क्या कर सकता हूँ॥१॥
ਮੂਏ ਹੂਏ ਜਉ ਮੁਕਤਿ ਦੇਹੁਗੇ ਮੁਕਤਿ ਨ ਜਾਨੈ ਕੋਇਲਾ ॥
मूए हूए जउ मुकति देहुगे मुकति न जानै कोइला ॥
यदि तूने मुझे मरने के बाद मुक्ति दे दी तो तेरी दी हुई मुक्ति का किसी को पता नहीं लगना।
ਏ ਪੰਡੀਆ ਮੋ ਕਉ ਢੇਢ ਕਹਤ ਤੇਰੀ ਪੈਜ ਪਿਛੰਉਡੀ ਹੋਇਲਾ ॥੨॥
ए पंडीआ मो कउ ढेढ कहत तेरी पैज पिछंउडी होइला ॥२॥
ये पण्डित मुझे नीच कह रहे हैं, इस से तेरी अपनी प्रतिष्ठा कम हो रही है (क्या तेरी भक्ति करने वाला कोई नीच रह सकता है?)॥२॥
ਤੂ ਜੁ ਦਇਆਲੁ ਕ੍ਰਿਪਾਲੁ ਕਹੀਅਤੁ ਹੈਂ ਅਤਿਭੁਜ ਭਇਓ ਅਪਾਰਲਾ ॥
तू जु दइआलु क्रिपालु कहीअतु हैं अतिभुज भइओ अपारला ॥
तू सब पर दयालु है, कृपा का घर कहलाता है, तू ही बाहुबली एवं सर्वशक्तिमान है।
ਫੇਰਿ ਦੀਆ ਦੇਹੁਰਾ ਨਾਮੇ ਕਉ ਪੰਡੀਅਨ ਕਉ ਪਿਛਵਾਰਲਾ ॥੩॥੨॥
फेरि दीआ देहुरा नामे कउ पंडीअन कउ पिछवारला ॥३॥२॥
भक्त नामदेव की प्रार्थना सुनकर ईश्वर ने मन्दिर का मुँह उसकी तरफ कर दिया और पण्डितों की तरफ पीठ कर दी॥३॥२॥