Hindi Page 1124

ਚਲਤ ਕਤ ਟੇਢੇ ਟੇਢੇ ਟੇਢੇ ॥
चलत कत टेढे टेढे टेढे ॥
वे भला टेढ़े क्यों चलते हैं?

ਅਸਤਿ ਚਰਮ ਬਿਸਟਾ ਕੇ ਮੂੰਦੇ ਦੁਰਗੰਧ ਹੀ ਕੇ ਬੇਢੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
असति चरम बिसटा के मूंदे दुरगंध ही के बेढे ॥१॥ रहाउ ॥
वे तो हड्डी, चमड़ा और विष्ठा के बंधे हुए दुर्गन्ध में लिपटे हुए हैं।॥१॥ रहाउ॥

ਰਾਮ ਨ ਜਪਹੁ ਕਵਨ ਭ੍ਰਮ ਭੂਲੇ ਤੁਮ ਤੇ ਕਾਲੁ ਨ ਦੂਰੇ ॥
राम न जपहु कवन भ्रम भूले तुम ते कालु न दूरे ॥
अरे भाई ! राम का जाप कर नहीं रहे हो, किस भ्रम में भूले हुए हो, तुम से मौत दूर नहीं है।

ਅਨਿਕ ਜਤਨ ਕਰਿ ਇਹੁ ਤਨੁ ਰਾਖਹੁ ਰਹੈ ਅਵਸਥਾ ਪੂਰੇ ॥੨॥
अनिक जतन करि इहु तनु राखहु रहै अवसथा पूरे ॥२॥
अनेक यत्न कर इस शरीर को तुम बचाकर रखते हो, मगर जीवनावधि पूरी होने पर यह यहीं रह जाता है॥२॥

ਆਪਨ ਕੀਆ ਕਛੂ ਨ ਹੋਵੈ ਕਿਆ ਕੋ ਕਰੈ ਪਰਾਨੀ ॥
आपन कीआ कछू न होवै किआ को करै परानी ॥
निस्संकोच प्राणी कुछ भी कर ले, मगर अपने आप करने से कुछ नहीं होता।

ਜਾ ਤਿਸੁ ਭਾਵੈ ਸਤਿਗੁਰੁ ਭੇਟੈ ਏਕੋ ਨਾਮੁ ਬਖਾਨੀ ॥੩॥
जा तिसु भावै सतिगुरु भेटै एको नामु बखानी ॥३॥
जब ईश्वर की मर्जी होती है तो सतगुरु से भेंट हो जाती है और फिर वह हरिनाम का बखान करता है॥३॥

ਬਲੂਆ ਕੇ ਘਰੂਆ ਮਹਿ ਬਸਤੇ ਫੁਲਵਤ ਦੇਹ ਅਇਆਨੇ ॥
बलूआ के घरूआ महि बसते फुलवत देह अइआने ॥
रेत के घर में बस रहा नादान जीव बेकार में ही शरीर का अहंकार करता है।

ਕਹੁ ਕਬੀਰ ਜਿਹ ਰਾਮੁ ਨ ਚੇਤਿਓ ਬੂਡੇ ਬਹੁਤੁ ਸਿਆਨੇ ॥੪॥੪॥
कहु कबीर जिह रामु न चेतिओ बूडे बहुतु सिआने ॥४॥४॥
कबीर जी कहते हैं कि जिन्होंने कभी राम का स्मरण नहीं किया, ऐसे बहुत बुद्धिमान भी डूब चुके हैं।॥४॥४॥

ਟੇਢੀ ਪਾਗ ਟੇਢੇ ਚਲੇ ਲਾਗੇ ਬੀਰੇ ਖਾਨ ॥
टेढी पाग टेढे चले लागे बीरे खान ॥
कुछ व्यक्ति टेढ़ी पगड़ी बाँधकर टेढ़े रास्ते चलते हैं और पान बीड़े खाते हैं।

ਭਾਉ ਭਗਤਿ ਸਿਉ ਕਾਜੁ ਨ ਕਛੂਐ ਮੇਰੋ ਕਾਮੁ ਦੀਵਾਨ ॥੧॥
भाउ भगति सिउ काजु न कछूऐ मेरो कामु दीवान ॥१॥
उनकी यही सोच है कि प्रेम-भक्ति से कुछ भी वास्ता नहीं अपितु हमारा काम केवल लोगों पर शासन करना है।॥१॥

ਰਾਮੁ ਬਿਸਾਰਿਓ ਹੈ ਅਭਿਮਾਨਿ ॥
रामु बिसारिओ है अभिमानि ॥
ऐसे अभिमानी पुरुषों ने ईश्वर को भुला दिया है और

ਕਨਿਕ ਕਾਮਨੀ ਮਹਾ ਸੁੰਦਰੀ ਪੇਖਿ ਪੇਖਿ ਸਚੁ ਮਾਨਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
कनिक कामनी महा सुंदरी पेखि पेखि सचु मानि ॥१॥ रहाउ ॥
स्वर्ण (धन-दौलत, मदिरा) एवं खूबसूरत स्त्रियों को देख-देखकर उन्हें सच मान लिया है॥१॥ रहाउ॥

ਲਾਲਚ ਝੂਠ ਬਿਕਾਰ ਮਹਾ ਮਦ ਇਹ ਬਿਧਿ ਅਉਧ ਬਿਹਾਨਿ ॥
लालच झूठ बिकार महा मद इह बिधि अउध बिहानि ॥
लालच, झूठ एवं विकारों के नशे में इनका पूरा जीवन बीत जाता है।

ਕਹਿ ਕਬੀਰ ਅੰਤ ਕੀ ਬੇਰ ਆਇ ਲਾਗੋ ਕਾਲੁ ਨਿਦਾਨਿ ॥੨॥੫॥
कहि कबीर अंत की बेर आइ लागो कालु निदानि ॥२॥५॥
कबीर जी कहते हैं कि आखिरकार मौत उन्हें अपना शिकार बना लेती है॥२॥५॥

ਚਾਰਿ ਦਿਨ ਅਪਨੀ ਨਉਬਤਿ ਚਲੇ ਬਜਾਇ ॥
चारि दिन अपनी नउबति चले बजाइ ॥
मनुष्य चार दिन अपनी नौबत बजाकर चल देता है और

ਇਤਨਕੁ ਖਟੀਆ ਗਠੀਆ ਮਟੀਆ ਸੰਗਿ ਨ ਕਛੁ ਲੈ ਜਾਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
इतनकु खटीआ गठीआ मटीआ संगि न कछु लै जाइ ॥१॥ रहाउ ॥
अनेक प्रकार से कमाया हुआ धन-दौलत एवं जायदाद कुछ भी साथ नहीं जाता॥१॥ रहाउ॥

ਦਿਹਰੀ ਬੈਠੀ ਮਿਹਰੀ ਰੋਵੈ ਦੁਆਰੈ ਲਉ ਸੰਗਿ ਮਾਇ ॥
दिहरी बैठी मिहरी रोवै दुआरै लउ संगि माइ ॥
दहलीज पर बैठी पत्नी रोती है और द्वार पर माता भी ऑसू बहाती है।

ਮਰਹਟ ਲਗਿ ਸਭੁ ਲੋਗੁ ਕੁਟੰਬੁ ਮਿਲਿ ਹੰਸੁ ਇਕੇਲਾ ਜਾਇ ॥੧॥
मरहट लगि सभु लोगु कुट्मबु मिलि हंसु इकेला जाइ ॥१॥
परिवार के सदस्य एवं अन्य रिश्तेदार श्मशान तक आते हैं परन्तु आत्मा रूपी हंस अकेला ही जाता है॥१॥

ਵੈ ਸੁਤ ਵੈ ਬਿਤ ਵੈ ਪੁਰ ਪਾਟਨ ਬਹੁਰਿ ਨ ਦੇਖੈ ਆਇ ॥
वै सुत वै बित वै पुर पाटन बहुरि न देखै आइ ॥
वे पुत्र, धन-दौलत, नगर-गलियां पुनः देखने को नहीं मिलते।

ਕਹਤੁ ਕਬੀਰੁ ਰਾਮੁ ਕੀ ਨ ਸਿਮਰਹੁ ਜਨਮੁ ਅਕਾਰਥੁ ਜਾਇ ॥੨॥੬॥
कहतु कबीरु रामु की न सिमरहु जनमु अकारथु जाइ ॥२॥६॥
कबीर जी जनमानस को चेताते हुए कहते हैं, फिर भला राम का स्मरण क्यों नहीं करते, क्योंकि जीवन तो निरर्थक जा रहा है॥२॥६॥

ਰਾਗੁ ਕੇਦਾਰਾ ਬਾਣੀ ਰਵਿਦਾਸ ਜੀਉ ਕੀ
रागु केदारा बाणी रविदास जीउ की
रागु केदारा बाणी रविदास जीउ की

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि॥

ਖਟੁ ਕਰਮ ਕੁਲ ਸੰਜੁਗਤੁ ਹੈ ਹਰਿ ਭਗਤਿ ਹਿਰਦੈ ਨਾਹਿ ॥
खटु करम कुल संजुगतु है हरि भगति हिरदै नाहि ॥
अगर कोई षट् कर्म (भजन, याजन, अध्ययन, अध्यापन, दान देना अथवा लेना) करने वाला है, उच्च कुल से नाता रखता है, अगर हृदय में हरि-भक्ति नहीं,

ਚਰਨਾਰਬਿੰਦ ਨ ਕਥਾ ਭਾਵੈ ਸੁਪਚ ਤੁਲਿ ਸਮਾਨਿ ॥੧॥
चरनारबिंद न कथा भावै सुपच तुलि समानि ॥१॥
प्रभु-चरणों की कथा उसे अच्छी नहीं लगती तो वह चाण्डाल समान है॥१॥

ਰੇ ਚਿਤ ਚੇਤਿ ਚੇਤ ਅਚੇਤ ॥
रे चित चेति चेत अचेत ॥
अरे मन ! क्यों अचेत बना हुआ है, होश में आ।

ਕਾਹੇ ਨ ਬਾਲਮੀਕਹਿ ਦੇਖ ॥
काहे न बालमीकहि देख ॥
वाल्मीकि की ओर क्यों नहीं देख रहा,

ਕਿਸੁ ਜਾਤਿ ਤੇ ਕਿਹ ਪਦਹਿ ਅਮਰਿਓ ਰਾਮ ਭਗਤਿ ਬਿਸੇਖ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
किसु जाति ते किह पदहि अमरिओ राम भगति बिसेख ॥१॥ रहाउ ॥
किस जाति से था और किस प्रकार राम भक्ति के फलस्वरूप विशेषता अमर पद पा गया॥१॥ रहाउ॥

ਸੁਆਨ ਸਤ੍ਰੁ ਅਜਾਤੁ ਸਭ ਤੇ ਕ੍ਰਿਸ੍ਨ ਲਾਵੈ ਹੇਤੁ ॥
सुआन सत्रु अजातु सभ ते क्रिस्न लावै हेतु ॥
वह कुत्तों को मारने वाला था, सबसे हिंसक था, उसने भगवान कृष्ण से प्रेम लगा लिया,

ਲੋਗੁ ਬਪੁਰਾ ਕਿਆ ਸਰਾਹੈ ਤੀਨਿ ਲੋਕ ਪ੍ਰਵੇਸ ॥੨॥
लोगु बपुरा किआ सराहै तीनि लोक प्रवेस ॥२॥
लोग भला उस बेचारे की क्या प्रशंसा करेंगे, उसकी कीर्ति तो तीनों लोकों में फैल गई॥२॥

ਅਜਾਮਲੁ ਪਿੰਗੁਲਾ ਲੁਭਤੁ ਕੁੰਚਰੁ ਗਏ ਹਰਿ ਕੈ ਪਾਸਿ ॥
अजामलु पिंगुला लुभतु कुंचरु गए हरि कै पासि ॥
वेश्यागामी अजामिल, पिंगला, शिकारी एवं कुंचर सभी संसार के बन्धनों से छूटकर ईश्वर में विलीन हो गए।

ਐਸੇ ਦੁਰਮਤਿ ਨਿਸਤਰੇ ਤੂ ਕਿਉ ਨ ਤਰਹਿ ਰਵਿਦਾਸ ॥੩॥੧॥
ऐसे दुरमति निसतरे तू किउ न तरहि रविदास ॥३॥१॥
रविदास जनमानस को उपदेश करते हैं कि जब ऐसी दुर्मति वाले संसार से मुक्ति पा गए, फिर प्रभु-स्मरण कर तू क्यों नहीं पार होगा॥३॥१॥

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