Hindi Page 666

ਨਾਨਕ ਆਪੇ ਵੇਖੈ ਆਪੇ ਸਚਿ ਲਾਏ ॥੪॥੭॥

नानक आपे वेखै आपे सचि लाए ॥४॥७॥

हे नानक ! वह स्वयं सबको देखता रहता है और स्वयं ही मनुष्य को सत्य-नाम में लगाता है॥४॥७॥

O’ Nanak, God Himself cherishes all and Himself unites all human beings to His eternal Name. ||4||7||

ਧਨਾਸਰੀ ਮਹਲਾ ੩ ॥

धनासरी महला ३ ॥

धनासरी महला ३ ॥

Raag Dhanasri, Third Guru:

ਨਾਵੈ ਕੀ ਕੀਮਤਿ ਮਿਤਿ ਕਹੀ ਨ ਜਾਇ ॥

नावै की कीमति मिति कही न जाइ ॥

परमात्मा के नाम का मूल्य एवं विस्तार व्यक्त नहीं किया जा सकता।

The value and worth of God’s Name cannot be described.

ਸੇ ਜਨ ਧੰਨੁ ਜਿਨ ਇਕ ਨਾਮਿ ਲਿਵ ਲਾਇ ॥

से जन धंनु जिन इक नामि लिव लाइ ॥

वे भक्तजन बड़े खुशनसीब हैं, जिन्होंने एक नाम में अपनी सुरति लगाई है।

Blessed are those devotees who have lovingly attuned their minds to Naam.

ਗੁਰਮਤਿ ਸਾਚੀ ਸਾਚਾ ਵੀਚਾਰੁ ॥

गुरमति साची साचा वीचारु ॥

गुरु की मति सत्य है और उसका ज्ञान भी सत्य है।

One who follows the Guru’s eternal teachings, reflects on the virtues of the eternal God.

ਆਪੇ ਬਖਸੇ ਦੇ ਵੀਚਾਰੁ ॥੧॥

आपे बखसे दे वीचारु ॥१॥

मनुष्य को ज्ञान प्रदान करके वह स्वयं ही उसे क्षमा कर देता है ॥१॥

God blesses such thoughts to a person on whom He bestows grace.||1||

ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਅਚਰਜੁ ਪ੍ਰਭੁ ਆਪਿ ਸੁਣਾਏ ॥

हरि नामु अचरजु प्रभु आपि सुणाए ॥

हरि-नाम एक अदभुत अनहद ध्वनि है और प्रभु स्वयं ही जीवों को यह नाम सुनाता है।

God’s Name is wonderful! God Himself recites it to a person.

ਕਲੀ ਕਾਲ ਵਿਚਿ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪਾਏ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥

कली काल विचि गुरमुखि पाए ॥१॥ रहाउ ॥

कलियुग के समय में कोई गुरुमुख ही यह नाम प्राप्त करता है॥१॥ रहाउ॥

In Kalyug, the age of strife, only a Guru’s follower realizes Naam. ||1||pause||

ਹਮ ਮੂਰਖ ਮੂਰਖ ਮਨ ਮਾਹਿ ॥

हम मूरख मूरख मन माहि ॥

हम (जीव) मूर्ख हैं और मूर्खता ही हमारे मन में विद्यमान है।

If we reflect in our mind, we find that we are foolish overall,

ਹਉਮੈ ਵਿਚਿ ਸਭ ਕਾਰ ਕਮਾਹਿ ॥

हउमै विचि सभ कार कमाहि ॥

हम सभी कार्य अहंकार में ही करते हैं लेकिन

because we do all our deeds in ego.

ਗੁਰ ਪਰਸਾਦੀ ਹੰਉਮੈ ਜਾਇ ॥

गुर परसादी हंउमै जाइ ॥

गुरु की कृपा से ही मन से अहंकार दूर होता है।

When egotism is eradicated by the Guru’s Grace,

ਆਪੇ ਬਖਸੇ ਲਏ ਮਿਲਾਇ ॥੨॥

आपे बखसे लए मिलाइ ॥२॥

वह प्रभु स्वयं ही क्षमा करके जीव को अपने साथ मिला लेता है ॥२॥

then God Himself forgives and unites us with Him.||2||

ਬਿਖਿਆ ਕਾ ਧਨੁ ਬਹੁਤੁ ਅਭਿਮਾਨੁ ॥

बिखिआ का धनु बहुतु अभिमानु ॥

विषय-विकारों का धन मनुष्य के मन में बहुत अभिमान पैदा कर देता है,

The worldly wealth gives rise to lot of ego,

ਅਹੰਕਾਰਿ ਡੂਬੈ ਨ ਪਾਵੈ ਮਾਨੁ ॥

अहंकारि डूबै न पावै मानु ॥

जिसके परिणामस्वरूप वह अहंकार में डूब जाता है और दरगाह में सम्मान प्राप्त नहीं करता।

and one who remains engrossed in egotism, is not honored in God’s presence.

ਆਪੁ ਛੋਡਿ ਸਦਾ ਸੁਖੁ ਹੋਈ ॥

आपु छोडि सदा सुखु होई ॥

लेकिन अपने आत्माभिमान को छोड़कर वह सदैव सुखी रहता है।

Forsaking self-conceit, one dwells in lasting celestial peace.

ਗੁਰਮਤਿ ਸਾਲਾਹੀ ਸਚੁ ਸੋਈ ॥੩॥

गुरमति सालाही सचु सोई ॥३॥

गुरु के उपदेश द्वारा मनुष्य सत्य का ही स्तुतिगान करता है ॥३॥

and by following the Guru’s teachings he keeps praising that eternal God. ||3||

ਆਪੇ ਸਾਜੇ ਕਰਤਾ ਸੋਇ ॥

आपे साजे करता सोइ ॥

वह कर्ता-परमेश्वर स्वयं ही सबका रचयिता है एवं

That Creator-God Himself creates the universe,

ਤਿਸੁ ਬਿਨੁ ਦੂਜਾ ਅਵਰੁ ਨ ਕੋਇ ॥

तिसु बिनु दूजा अवरु न कोइ ॥

उसके सिवाय विश्व में दूसरा कोई बड़ा नहीं।

Without Him, there is none other at all.

ਜਿਸੁ ਸਚਿ ਲਾਏ ਸੋਈ ਲਾਗੈ ॥

जिसु सचि लाए सोई लागै ॥

जिसे प्रभु स्वयं सत्य-नाम में लगाता है, वही व्यक्ति सत्य-नाम में लगता है।

He alone is attuned to Naam, whom He Himself so attunes.

ਨਾਨਕ ਨਾਮਿ ਸਦਾ ਸੁਖੁ ਆਗੈ ॥੪॥੮॥

नानक नामि सदा सुखु आगै ॥४॥८॥

हे नानक ! नाम द्वारा प्राणी आगे परलोक में सदैव सुखी रहता है।॥४॥८॥

O’ Nanak, through Naam, lasting peace is attained in the world hereafter. ||4||8||

ਰਾਗੁ ਧਨਾਸਿਰੀ ਮਹਲਾ ੩ ਘਰੁ ੪

रागु धनासिरी महला ३ घरु ४

रागु धनासिरी महला ३ घरु ४

Raag Dhanasri, Fourth Beat, Third Guru:

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।

One eternal God, realized by the grace of the true Guru:

ਹਮ ਭੀਖਕ ਭੇਖਾਰੀ ਤੇਰੇ ਤੂ ਨਿਜ ਪਤਿ ਹੈ ਦਾਤਾ ॥

हम भीखक भेखारी तेरे तू निज पति है दाता ॥

हे ईश्वर ! मैं तेरे दरबार पर भिक्षा माँगने वाला भिखारी हूँ और तू खुद ही अपना स्वामी है और सबको देने वाला है।

O’ God, we are Your beggars; You are Your own master and great benefactor.

ਹੋਹੁ ਦੈਆਲ ਨਾਮੁ ਦੇਹੁ ਮੰਗਤ ਜਨ ਕੰਉ ਸਦਾ ਰਹਉ ਰੰਗਿ ਰਾਤਾ ॥੧॥

होहु दैआल नामु देहु मंगत जन कंउ सदा रहउ रंगि राता ॥१॥

हे सर्वेश्वर ! मुझ पर दयालु हो जाओ और मुझ भिक्षुक को अपना नाम प्रदान कीजिए ताकि मैं सदैव ही तेरे प्रेम-रंग में मग्न रहूँ॥१॥

O’ God, be merciful and bless me, a humble beggar with Naam so that I may forever remain imbued with Your love. ||1||

ਹੰਉ ਬਲਿਹਾਰੈ ਜਾਉ ਸਾਚੇ ਤੇਰੇ ਨਾਮ ਵਿਟਹੁ ॥

हंउ बलिहारै जाउ साचे तेरे नाम विटहु ॥

हे सच्चे परमेश्वर ! मैं तेरे नाम पर कुर्बान जाता हूँ।

O’ God, I dedicate myself to Your eternal Name.

ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਸਭਨਾ ਕਾ ਏਕੋ ਅਵਰੁ ਨ ਦੂਜਾ ਕੋਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥

करण कारण सभना का एको अवरु न दूजा कोई ॥१॥ रहाउ ॥

एक तू ही इस जगत, माया एवं सब जीवों को पैदा करने वाला है और तेरे सिवाय दूसरा कोई सर्वशक्तिमान नहीं है ॥१॥ रहाउ ॥

You alone are the Cause of causes; there is no other at all like You. ||1||Pause||

ਬਹੁਤੇ ਫੇਰ ਪਏ ਕਿਰਪਨ ਕਉ ਅਬ ਕਿਛੁ ਕਿਰਪਾ ਕੀਜੈ ॥

बहुते फेर पए किरपन कउ अब किछु किरपा कीजै ॥

हे परमपिता ! मुझ कृपण को जन्म-मरण के बहुत चक्र पड़ चुके हैं, अब मुझ पर कुछ कृपा करो।

O’ God, this miser has wandered through many rounds of birth and death; now, please bless me with Your Grace.

ਹੋਹੁ ਦਇਆਲ ਦਰਸਨੁ ਦੇਹੁ ਅਪੁਨਾ ਐਸੀ ਬਖਸ ਕਰੀਜੈ ॥੨॥

होहु दइआल दरसनु देहु अपुना ऐसी बखस करीजै ॥२॥

मुझ पर दयालु हो जाओ एवं मुझे अपने दर्शन दीजिए, मुझ पर केवल ऐसी मेहर प्रदान करो ॥ २॥

O’ God, be merciful and grant me Your blessed Vision of Your Darshan (view); please grant me such a gift. ||2||

ਭਨਤਿ ਨਾਨਕ ਭਰਮ ਪਟ ਖੂਲ੍ਹ੍ਹੇ ਗੁਰ ਪਰਸਾਦੀ ਜਾਨਿਆ ॥

भनति नानक भरम पट खूल्हे गुर परसादी जानिआ ॥

नानक का कथन है कि भ्रम के किवाड़ (परदे) खुल गए हैं और गुरु की कृपा से सत्य को जान लिया है।

Nanak says, I am now so enlightened as if the shutters of my doubt have been opened, and through the Guru’s grace I have realized God.

ਸਾਚੀ ਲਿਵ ਲਾਗੀ ਹੈ ਭੀਤਰਿ ਸਤਿਗੁਰ ਸਿਉ ਮਨੁ ਮਾਨਿਆ ॥੩॥੧॥੯॥

साची लिव लागी है भीतरि सतिगुर सिउ मनु मानिआ ॥३॥१॥९॥

मेरे मन में प्रभु से सच्ची प्रीति लग गई है और मेरा मन गुरु के साथ संतुष्ट हो गया है ॥३॥१॥६॥

My heart is attuned to God forever and my mind has developed faith in the true Guru.||3||1||9||

ਧਨਾਸਰੀ ਮਹਲਾ ੪ ਘਰੁ ੧ ਚਉਪਦੇ

धनासरी महला ४ घरु १ चउपदे

धनासरी महला ४ घरु १ चउपदे

Raag Dhanasri, First Beat, Chau-Padas, Fourth Guru:

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।

One eternal God, realized by the grace of the true Guru:

ਜੋ ਹਰਿ ਸੇਵਹਿ ਸੰਤ ਭਗਤ ਤਿਨ ਕੇ ਸਭਿ ਪਾਪ ਨਿਵਾਰੀ ॥

जो हरि सेवहि संत भगत तिन के सभि पाप निवारी ॥

हे भगवान् ! जो सन्त एवं भक्तजन तेरी आराधना करते हैं, तू उनके सभी पाप दूर कर देता हैं।

O’ God, the saints and devotees who meditate on Your Name, You wash off all their previous sins.

ਹਮ ਊਪਰਿ ਕਿਰਪਾ ਕਰਿ ਸੁਆਮੀ ਰਖੁ ਸੰਗਤਿ ਤੁਮ ਜੁ ਪਿਆਰੀ ॥੧॥

हम ऊपरि किरपा करि सुआमी रखु संगति तुम जु पिआरी ॥१॥

हे मेरे स्वामी ! मुझ पर अपनी कृपा करो और मुझे उस सुसंगति में रखो, जो तुझे प्यारी लगती है ॥१॥

O’ Master-God, show mercy and keep us in that saintly congregation, which is dear to You.||1||

ਹਰਿ ਗੁਣ ਕਹਿ ਨ ਸਕਉ ਬਨਵਾਰੀ ॥

हरि गुण कहि न सकउ बनवारी ॥

हे परमात्मा ! मैं तेरी महिमा कथन नहीं कर सकता।

O’ God, I cannot describe Your virtues.

ਹਮ ਪਾਪੀ ਪਾਥਰ ਨੀਰਿ ਡੁਬਤ ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਪਾਖਣ ਹਮ ਤਾਰੀ ॥ ਰਹਾਉ ॥

हम पापी पाथर नीरि डुबत करि किरपा पाखण हम तारी ॥ रहाउ ॥

हम पापी पत्थर की भांति जल में डूब रहे हैं, अपनी कृपा करके हम पापी पत्थरों का उद्धार कर दीजिए ॥ रहाउ ॥

We sinners, are sinking in the worldly ocean of vices like stones in water; grant Your grace and ferry us across this ocean. ||Pause||

ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੇ ਲਾਗੇ ਬਿਖੁ ਮੋਰਚਾ ਲਗਿ ਸੰਗਤਿ ਸਾਧ ਸਵਾਰੀ ॥

जनम जनम के लागे बिखु मोरचा लगि संगति साध सवारी ॥

मैंने अपने मन को जन्म-जन्मांतरों की लगी हुई विष रूपी माया की जंग साधसंगत में सम्मिलित होकर यूं उतार दी है,

A soul is purified of the poison and rust of sins collected by it birth after birth by joining the holy congregation,

ਜਿਉ ਕੰਚਨੁ ਬੈਸੰਤਰਿ ਤਾਇਓ ਮਲੁ ਕਾਟੀ ਕਟਿਤ ਉਤਾਰੀ ॥੨॥

जिउ कंचनु बैसंतरि ताइओ मलु काटी कटित उतारी ॥२॥

जैसे स्वर्ण को अग्नि में तपा कर उसकी सारी मैल को काटा एवं काट कर उतार दिया जाता है।॥२॥

just as impurities from gold are removed by heating it in the fire. ||2||

ਹਰਿ ਹਰਿ ਜਪਨੁ ਜਪਉ ਦਿਨੁ ਰਾਤੀ ਜਪਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਉਰਿ ਧਾਰੀ ॥

हरि हरि जपनु जपउ दिनु राती जपि हरि हरि हरि उरि धारी ॥

मैं दिन-रात हरि-नाम का जाप जपता रहता हूँ और हरि-नाम जपकर हरि को अपने हृदय में बसाता हूँ।

Day and night I meditate on God’s Name again and again and by repeating His Name I enshrine Him in my heart.

ਹਰਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਅਉਖਧੁ ਜਗਿ ਪੂਰਾ ਜਪਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਹਉਮੈ ਮਾਰੀ ॥੩॥

हरि हरि हरि अउखधु जगि पूरा जपि हरि हरि हउमै मारी ॥३॥

परमात्मा का ‘हरि-हरि’ नाम इस जगत में पूर्ण औषधि है और हरि-नाम का भजन करके मैंने अपने अहंकार को मार दिया है ॥३॥

God’s Name is the perfect cure for vices in this world; by uttering God’s Name I have eradicated my ego.||3||

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