Hindi Page 541

ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਨਾਨਕਿ ਸੇਵਿਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਿਨਿ ਪੈਰੀ ਆਣਿ ਸਭਿ ਘਤੇ ਰਾਮ ॥੩॥
गुरु पूरा नानकि सेविआ मेरी जिंदुड़ीए जिनि पैरी आणि सभि घते राम ॥३॥
नानक ने अपने पूर्ण गुरु की श्रद्धा से सेवा की है, हे मेरी आत्मा ! जिसने सभी को लाकर उसके चरणों में डाल दिया है॥ ३॥

ਸੋ ਐਸਾ ਹਰਿ ਨਿਤ ਸੇਵੀਐ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜੋ ਸਭ ਦੂ ਸਾਹਿਬੁ ਵਡਾ ਰਾਮ ॥
सो ऐसा हरि नित सेवीऐ मेरी जिंदुड़ीए जो सभ दू साहिबु वडा राम ॥
हे मेरी आत्मा ! सो नित्य ही ऐसे परमेश्वर की भक्ति करनी चाहिए, जो सभी जीवों का बड़ा मालिक है।

ਜਿਨੑੀ ਇਕ ਮਨਿ ਇਕੁ ਅਰਾਧਿਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਤਿਨਾ ਨਾਹੀ ਕਿਸੈ ਦੀ ਕਿਛੁ ਚਡਾ ਰਾਮ ॥
जिन्ही इक मनि इकु अराधिआ मेरी जिंदुड़ीए तिना नाही किसै दी किछु चडा राम ॥
जो लोग एक मन से एक परमात्मा की आराधना करते हैं, वे किसी भी व्यक्ति के मोहताज नहीं होते।

ਗੁਰ ਸੇਵਿਐ ਹਰਿ ਮਹਲੁ ਪਾਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਝਖ ਮਾਰਨੁ ਸਭਿ ਨਿੰਦਕ ਘੰਡਾ ਰਾਮ ॥
गुर सेविऐ हरि महलु पाइआ मेरी जिंदुड़ीए झख मारनु सभि निंदक घंडा राम ॥
गुरु की सेवा करने से हरि का मन्दिर (आत्मस्वरूप) प्राप्त हो जाता है,

ਜਨ ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਧੁਰਿ ਮਸਤਕਿ ਹਰਿ ਲਿਖਿ ਛਡਾ ਰਾਮ ॥੪॥੫॥
जन नानक नामु धिआइआ मेरी जिंदुड़ीए धुरि मसतकि हरि लिखि छडा राम ॥४॥५॥
हे मेरी आत्मा ! उन्होंने ही हरि-नाम का चिंतन किया है, जिनके मस्तक पर जन्म से पूर्व प्रारम्भ से ही परमेश्वर ने लेख लिख दिया है॥ ४ ॥ ५ ॥

ਬਿਹਾਗੜਾ ਮਹਲਾ ੪ ॥
बिहागड़ा महला ४ ॥
बिहागड़ा महला ४ ॥

ਸਭਿ ਜੀਅ ਤੇਰੇ ਤੂੰ ਵਰਤਦਾ ਮੇਰੇ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭ ਤੂੰ ਜਾਣਹਿ ਜੋ ਜੀਇ ਕਮਾਈਐ ਰਾਮ ॥
सभि जीअ तेरे तूं वरतदा मेरे हरि प्रभ तूं जाणहि जो जीइ कमाईऐ राम ॥
हे मेरे हरि-प्रभु ! सभी जीव तेरे पैदा किए हुए हैं और सब के भीतर तू ही मौजूद है, ये जीव जो भी कर्म करते हैं, इस संबंध में तू सब कुछ जानता है।

ਹਰਿ ਅੰਤਰਿ ਬਾਹਰਿ ਨਾਲਿ ਹੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਸਭ ਵੇਖੈ ਮਨਿ ਮੁਕਰਾਈਐ ਰਾਮ ॥
हरि अंतरि बाहरि नालि है मेरी जिंदुड़ीए सभ वेखै मनि मुकराईऐ राम ॥
हे मेरी आत्मा ! हरि भीतर एवं बाहर सभी के साथ है तथा सब कुछ देखता है किन्तु अज्ञानी मानव अपने मन में किए पाप कर्मों से मुकर जाता है।

ਮਨਮੁਖਾ ਨੋ ਹਰਿ ਦੂਰਿ ਹੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਸਭ ਬਿਰਥੀ ਘਾਲ ਗਵਾਈਐ ਰਾਮ ॥
मनमुखा नो हरि दूरि है मेरी जिंदुड़ीए सभ बिरथी घाल गवाईऐ राम ॥
हे मेरी आत्मा ! स्वेच्छाचारी लोगों से भगवान दूर ही रहता है तथा उनका तमाम परिश्रम निष्फल हो जाता है।

ਜਨ ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਧਿਆਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਹਰਿ ਹਾਜਰੁ ਨਦਰੀ ਆਈਐ ਰਾਮ ॥੧॥
जन नानक गुरमुखि धिआइआ मेरी जिंदुड़ीए हरि हाजरु नदरी आईऐ राम ॥१॥
हे मेरी आत्मा ! नानक ने गुरुमुख बनकर हरि की आराधना की है तथा वह हरि को हर तरफ प्रत्यक्ष ही देखता है॥ १॥

ਸੇ ਭਗਤ ਸੇ ਸੇਵਕ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜੋ ਪ੍ਰਭ ਮੇਰੇ ਮਨਿ ਭਾਣੇ ਰਾਮ ॥
से भगत से सेवक मेरी जिंदुड़ीए जो प्रभ मेरे मनि भाणे राम ॥
हे मेरी आत्मा ! वही सच्चे भक्त तथा सेवक हैं जो मेरे प्रभु के चित्त को लुभाते हैं।

ਸੇ ਹਰਿ ਦਰਗਹ ਪੈਨਾਇਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਅਹਿਨਿਸਿ ਸਾਚਿ ਸਮਾਣੇ ਰਾਮ ॥
से हरि दरगह पैनाइआ मेरी जिंदुड़ीए अहिनिसि साचि समाणे राम ॥
हे मेरी आत्मा ! हरि के दरबार में ऐसे सच्चे भक्तों एवं सेवकों को प्रतिष्ठा का वस्त्र पहनाया जाता है और वे रात-दिन सत्य में ही समाए रहते हैं।

ਤਿਨ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮਲੁ ਉਤਰੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਰੰਗਿ ਰਾਤੇ ਨਦਰਿ ਨੀਸਾਣੇ ਰਾਮ ॥
तिन कै संगि मलु उतरै मेरी जिंदुड़ीए रंगि राते नदरि नीसाणे राम ॥
हे मेरी आत्मा ! उनकी संगति में रहने से विकारों की मैल उतर जाती है, जो प्राणी परमेश्वर के प्रेम-रंग में रंग जाता है और उस पर उसकी कृपा का चिन्ह अंकित हो जाता है।

ਨਾਨਕ ਕੀ ਪ੍ਰਭ ਬੇਨਤੀ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਮਿਲਿ ਸਾਧੂ ਸੰਗਿ ਅਘਾਣੇ ਰਾਮ ॥੨॥
नानक की प्रभ बेनती मेरी जिंदुड़ीए मिलि साधू संगि अघाणे राम ॥२॥
हे मेरी आत्मा ! नानक की प्रभु से विनती है कि वह साधुओं की संगति में रहकर तृप्त हो जाए॥ २॥

ਹੇ ਰਸਨਾ ਜਪਿ ਗੋਬਿੰਦੋ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਪਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਤ੍ਰਿਸਨਾ ਜਾਏ ਰਾਮ ॥
हे रसना जपि गोबिंदो मेरी जिंदुड़ीए जपि हरि हरि त्रिसना जाए राम ॥
हे मेरी रसना ! परमात्मा का भजन कर, परमात्मा का भजन करने से तृष्णा मिट जाती है।

ਜਿਸੁ ਦਇਆ ਕਰੇ ਮੇਰਾ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਤਿਸੁ ਮਨਿ ਨਾਮੁ ਵਸਾਏ ਰਾਮ ॥
जिसु दइआ करे मेरा पारब्रहमु मेरी जिंदुड़ीए तिसु मनि नामु वसाए राम ॥
हे मेरी आत्मा ! मेरा परब्रह्म जिस जीव पर भी दया करता है, वह उसके मन में अपने नाम को बसा देता है।

ਜਿਸੁ ਭੇਟੇ ਪੂਰਾ ਸਤਿਗੁਰੂ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਸੋ ਹਰਿ ਧਨੁ ਨਿਧਿ ਪਾਏ ਰਾਮ ॥
जिसु भेटे पूरा सतिगुरू मेरी जिंदुड़ीए सो हरि धनु निधि पाए राम ॥
जो व्यक्ति पूर्ण सतिगुरु से मिलता है, उसे हरि धन रूपी निधि प्राप्त हो जाती है।

ਵਡਭਾਗੀ ਸੰਗਤਿ ਮਿਲੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਗੁਣ ਗਾਏ ਰਾਮ ॥੩॥
वडभागी संगति मिलै मेरी जिंदुड़ीए नानक हरि गुण गाए राम ॥३॥
नानक का कथन है कि हे मेरी आत्मा ! सौभाग्य से ही सद्पुरुषों की संगति मिलती है, जहाँ भगवान का यशोगान होता रहता है।॥ ३॥

ਥਾਨ ਥਨੰਤਰਿ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਪ੍ਰਭੁ ਦਾਤਾ ਰਾਮ ॥
थान थनंतरि रवि रहिआ मेरी जिंदुड़ीए पारब्रहमु प्रभु दाता राम ॥
हे मेरी आत्मा ! परब्रह्म-प्रभु सब जीवों का दाता विश्व के कोने-कोने में बस रहा है,

ਤਾ ਕਾ ਅੰਤੁ ਨ ਪਾਈਐ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਪੂਰਨ ਪੁਰਖੁ ਬਿਧਾਤਾ ਰਾਮ ॥
ता का अंतु न पाईऐ मेरी जिंदुड़ीए पूरन पुरखु बिधाता राम ॥
उसका अन्त नहीं पाया जा सकता है क्योंकि वह पूर्ण अकालपुरुष विधाता है।

ਸਰਬ ਜੀਆ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲਦਾ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਿਉ ਬਾਲਕ ਪਿਤ ਮਾਤਾ ਰਾਮ ॥
सरब जीआ प्रतिपालदा मेरी जिंदुड़ीए जिउ बालक पित माता राम ॥
हे मेरी आत्मा ! वह सब जीवों का ऐसे भरण-पोषण करता है जैसे माता-पिता अपने बालक की परवरिश करते हैं।

ਸਹਸ ਸਿਆਣਪ ਨਹ ਮਿਲੈ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੁੜੀਏ ਜਨ ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਜਾਤਾ ਰਾਮ ॥੪॥੬॥ ਛਕਾ ੧ ॥
सहस सिआणप नह मिलै मेरी जिंदुड़ीए जन नानक गुरमुखि जाता राम ॥४॥६॥ छका १ ॥
हे मेरी आत्मा ! हजारों चतुराईयों का प्रयोग करने पर भी परमात्मा नहीं मिलता किन्तु नानक ने गुरुमुख बनकर ईश्वर को समझ लिया है॥ ४॥ ६॥ छका १॥

ਬਿਹਾਗੜਾ ਮਹਲਾ ੫ ਛੰਤ ਘਰੁ ੧
बिहागड़ा महला ५ छंत घरु १
बिहागड़ा महला ५ छंत घरु १

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।

ਹਰਿ ਕਾ ਏਕੁ ਅਚੰਭਉ ਦੇਖਿਆ ਮੇਰੇ ਲਾਲ ਜੀਉ ਜੋ ਕਰੇ ਸੁ ਧਰਮ ਨਿਆਏ ਰਾਮ ॥
हरि का एकु अच्मभउ देखिआ मेरे लाल जीउ जो करे सु धरम निआए राम ॥
हे मेरे प्यारे ! ईश्वर का मैंने एक अद्भुत कौतुक देखा है कि वह जो कुछ भी करता है, वह धर्म अनुसार ही न्याय करता है।

ਹਰਿ ਰੰਗੁ ਅਖਾੜਾ ਪਾਇਓਨੁ ਮੇਰੇ ਲਾਲ ਜੀਉ ਆਵਣੁ ਜਾਣੁ ਸਬਾਏ ਰਾਮ ॥
हरि रंगु अखाड़ा पाइओनु मेरे लाल जीउ आवणु जाणु सबाए राम ॥
ईश्वर ने इस सृष्टि को एक ऐसा रंगभवन अथवा अखाड़ा बनाया हुआ है, जहाँ सभी जीवों का जन्म-मरण अटल किया हुआ है अर्थात् इस सृष्टि में प्राणी जन्म के रूप में आते तथा मृत्यु के रूप में चले जाते हैं।

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