Hindi Page 781

ਨਾਨਕ ਕਉ ਪ੍ਰਭ ਕਿਰਪਾ ਕੀਜੈ ਨੇਤ੍ਰ ਦੇਖਹਿ ਦਰਸੁ ਤੇਰਾ ॥੧॥
नानक कउ प्रभ किरपा कीजै नेत्र देखहि दरसु तेरा ॥१॥
हे प्रभु ! नानक पर ऐसी कृपा करो कि वह अपनी ऑखों से तेरे दर्शन कर ले॥ १॥

ਕੋਟਿ ਕਰਨ ਦੀਜਹਿ ਪ੍ਰਭ ਪ੍ਰੀਤਮ ਹਰਿ ਗੁਣ ਸੁਣੀਅਹਿ ਅਬਿਨਾਸੀ ਰਾਮ ॥
कोटि करन दीजहि प्रभ प्रीतम हरि गुण सुणीअहि अबिनासी राम ॥
हे प्रियतम प्रभु! मुझे करोड़ों ही कान दीजिए, जिनसे मैं तेरे गुण सुनता रहूँ।

ਸੁਣਿ ਸੁਣਿ ਇਹੁ ਮਨੁ ਨਿਰਮਲੁ ਹੋਵੈ ਕਟੀਐ ਕਾਲ ਕੀ ਫਾਸੀ ਰਾਮ ॥
सुणि सुणि इहु मनु निरमलु होवै कटीऐ काल की फासी राम ॥
तेरा गुणगान सुनने से यह मन निर्मल हो जाता है और मृत्यु की फांसी भी कट जाती है।

ਕਟੀਐ ਜਮ ਫਾਸੀ ਸਿਮਰਿ ਅਬਿਨਾਸੀ ਸਗਲ ਮੰਗਲ ਸੁਗਿਆਨਾ ॥
कटीऐ जम फासी सिमरि अबिनासी सगल मंगल सुगिआना ॥
अनश्वर हरि का सिमरन करने से यम की फांसी फट जाती है और सारी खुशियाँ एवं ज्ञान प्राप्त हो जाता है।

ਹਰਿ ਹਰਿ ਜਪੁ ਜਪੀਐ ਦਿਨੁ ਰਾਤੀ ਲਾਗੈ ਸਹਜਿ ਧਿਆਨਾ ॥
हरि हरि जपु जपीऐ दिनु राती लागै सहजि धिआना ॥
दिन-रात हरि-नाम का जाप जपने से सहज ही ध्यान लग जाता है।

ਕਲਮਲ ਦੁਖ ਜਾਰੇ ਪ੍ਰਭੂ ਚਿਤਾਰੇ ਮਨ ਕੀ ਦੁਰਮਤਿ ਨਾਸੀ ॥
कलमल दुख जारे प्रभू चितारे मन की दुरमति नासी ॥
प्रभु का चिंतन करके सारे दुख एवं पाप जला दिए हैं और मन की दुर्मति नाश हो गई है।

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਕਿਰਪਾ ਕੀਜੈ ਹਰਿ ਗੁਣ ਸੁਣੀਅਹਿ ਅਵਿਨਾਸੀ ॥੨॥
कहु नानक प्रभ किरपा कीजै हरि गुण सुणीअहि अविनासी ॥२॥
नानक प्रार्थना करता है कि हे प्रभु! मुझ पर कृपा करो ताकि तेरे गुण सुन सकूं ॥ २॥

ਕਰੋੜਿ ਹਸਤ ਤੇਰੀ ਟਹਲ ਕਮਾਵਹਿ ਚਰਣ ਚਲਹਿ ਪ੍ਰਭ ਮਾਰਗਿ ਰਾਮ ॥
करोड़ि हसत तेरी टहल कमावहि चरण चलहि प्रभ मारगि राम ॥
हे प्रभु! मेरे करोड़ों हाथ हो जाएँ और वे तेरी ही सेवा करते रहें। मेरे करोड़ों पैर हो जाएँ तो वे तेरे ही मार्ग पर चलें ।

ਭਵ ਸਾਗਰ ਨਾਵ ਹਰਿ ਸੇਵਾ ਜੋ ਚੜੈ ਤਿਸੁ ਤਾਰਗਿ ਰਾਮ ॥
भव सागर नाव हरि सेवा जो चड़ै तिसु तारगि राम ॥
भवसागर में से पार होने के लिए हरि की उपासना एक नाव है, जो इस नाव पर चढ़ता है, वह पार हो जाता है।

ਭਵਜਲੁ ਤਰਿਆ ਹਰਿ ਹਰਿ ਸਿਮਰਿਆ ਸਗਲ ਮਨੋਰਥ ਪੂਰੇ ॥
भवजलु तरिआ हरि हरि सिमरिआ सगल मनोरथ पूरे ॥
जिसने भी हरि नाम का सिमरन किया है, वह भवसागर में से पार हो गया है तथा उसके सारे मनोरथ पूरे हो गए हैं।

ਮਹਾ ਬਿਕਾਰ ਗਏ ਸੁਖ ਉਪਜੇ ਬਾਜੇ ਅਨਹਦ ਤੂਰੇ ॥
महा बिकार गए सुख उपजे बाजे अनहद तूरे ॥
उसके मन में से काम, क्रोध, मोह, लोभ एवं अहंकार रूपी महा विकार दूर हो गए हैं, सुख उपलब्ध हो गया है और अनहद बाजे बजते हैं।

ਮਨ ਬਾਂਛਤ ਫਲ ਪਾਏ ਸਗਲੇ ਕੁਦਰਤਿ ਕੀਮ ਅਪਾਰਗਿ ॥
मन बांछत फल पाए सगले कुदरति कीम अपारगि ॥
उसने मनोवांछित फल पा लिया है और उसकी कुदरत की कीमत अपरंपार है।

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਕਿਰਪਾ ਕੀਜੈ ਮਨੁ ਸਦਾ ਚਲੈ ਤੇਰੈ ਮਾਰਗਿ ॥੩॥
कहु नानक प्रभ किरपा कीजै मनु सदा चलै तेरै मारगि ॥३॥
नानक प्रार्थना करता है कि हे प्रभु! मुझ पर कृपा करो ताकि मेरा मन सदैव ही तेरे मार्ग पर चले ॥ ३ ॥

ਏਹੋ ਵਰੁ ਏਹਾ ਵਡਿਆਈ ਇਹੁ ਧਨੁ ਹੋਇ ਵਡਭਾਗਾ ਰਾਮ ॥
एहो वरु एहा वडिआई इहु धनु होइ वडभागा राम ॥
हे ईश्वर ! मेरे लिए तो यही वरदान, यही बड़ाई, यही धन,

ਏਹੋ ਰੰਗੁ ਏਹੋ ਰਸ ਭੋਗਾ ਹਰਿ ਚਰਣੀ ਮਨੁ ਲਾਗਾ ਰਾਮ ॥
एहो रंगु एहो रस भोगा हरि चरणी मनु लागा राम ॥
रस, रंग, भोग इत्यादि है कि मेरा मन तेरे चरणों में लीन रहे।

ਮਨੁ ਲਾਗਾ ਚਰਣੇ ਪ੍ਰਭ ਕੀ ਸਰਣੇ ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਗੋਪਾਲਾ ॥
मनु लागा चरणे प्रभ की सरणे करण कारण गोपाला ॥
मेरा मन उसके चरणों में लग गया है और यही प्रभु की शरण है। एक परमात्मा ही सर्वकर्ता है।

ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਤੇਰਾ ਤੂ ਪ੍ਰਭੁ ਮੇਰਾ ਮੇਰੇ ਠਾਕੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ ॥
सभु किछु तेरा तू प्रभु मेरा मेरे ठाकुर दीन दइआला ॥
हे दीनदयाल प्रभु ! यह सबकुछ तेरा ही दिया हुआ है और तू मेरा रखवाला है।

ਮੋਹਿ ਨਿਰਗੁਣ ਪ੍ਰੀਤਮ ਸੁਖ ਸਾਗਰ ਸੰਤਸੰਗਿ ਮਨੁ ਜਾਗਾ ॥
मोहि निरगुण प्रीतम सुख सागर संतसंगि मनु जागा ॥
हे मेरे प्रियतम ! तू सुख का सागर है, पर मैं गुणविहीन हूँ। अज्ञानता की निद्रा में सोया हुआ मेरा मन संतों की संगति करने से चेतन हो गया है।

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਕੀਨੑੀ ਚਰਣ ਕਮਲ ਮਨੁ ਲਾਗਾ ॥੪॥੩॥੬॥
कहु नानक प्रभि किरपा कीन्ही चरण कमल मनु लागा ॥४॥३॥६॥
हे नानक ! प्रभु ने मुझ पर बड़ी कृपा की है और मेरा मन उसके चरणों से लग गया है॥ ४॥ ३॥ ६॥

ਸੂਹੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सूही महला ५ ॥
सूही महला ५ ॥

ਹਰਿ ਜਪੇ ਹਰਿ ਮੰਦਰੁ ਸਾਜਿਆ ਸੰਤ ਭਗਤ ਗੁਣ ਗਾਵਹਿ ਰਾਮ ॥
हरि जपे हरि मंदरु साजिआ संत भगत गुण गावहि राम ॥
हे भाई ! यह हरिमन्दिर हरि का नाम जपने के लिए बनाया है। इसमें संत एवं भक्तजन बैठकर हरि का गुणानुवाद करते हैं।

ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸੁਆਮੀ ਪ੍ਰਭੁ ਅਪਨਾ ਸਗਲੇ ਪਾਪ ਤਜਾਵਹਿ ਰਾਮ ॥
सिमरि सिमरि सुआमी प्रभु अपना सगले पाप तजावहि राम ॥
वे स्वामी प्रभु का सिमरन करके अपने सर्व पापों को नाश करते हैं।

ਹਰਿ ਗੁਣ ਗਾਇ ਪਰਮ ਪਦੁ ਪਾਇਆ ਪ੍ਰਭ ਕੀ ਊਤਮ ਬਾਣੀ ॥
हरि गुण गाइ परम पदु पाइआ प्रभ की ऊतम बाणी ॥
प्रभु की उत्तम वाणी द्वारा हरि का गुणगान करके उन्होंने परमपद (मोक्ष) पा लिया है।

ਸਹਜ ਕਥਾ ਪ੍ਰਭ ਕੀ ਅਤਿ ਮੀਠੀ ਕਥੀ ਅਕਥ ਕਹਾਣੀ ॥
सहज कथा प्रभ की अति मीठी कथी अकथ कहाणी ॥
प्रभु की सहज कथा मन को शांति देने वाली है और बड़ी मीठी है। अत: मैंने यह अकथनीय कहानी कथन की है।

ਭਲਾ ਸੰਜੋਗੁ ਮੂਰਤੁ ਪਲੁ ਸਾਚਾ ਅਬਿਚਲ ਨੀਵ ਰਖਾਈ ॥
भला संजोगु मूरतु पलु साचा अबिचल नीव रखाई ॥
वह संयोग बड़ा शुभ था, वह मुहूर्त एवं पल भी सच्चा था, जब इस हरिमन्दिर की अटल नींव रखवाई थी।

ਜਨ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਦਇਆਲਾ ਸਰਬ ਕਲਾ ਬਣਿ ਆਈ ॥੧॥
जन नानक प्रभ भए दइआला सरब कला बणि आई ॥१॥
हे नानक ! जब प्रभु दयालु हो गया तो सब कार्य सम्पूर्ण हो गए॥ १॥

ਆਨੰਦਾ ਵਜਹਿ ਨਿਤ ਵਾਜੇ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਮਨਿ ਵੂਠਾ ਰਾਮ ॥
आनंदा वजहि नित वाजे पारब्रहमु मनि वूठा राम ॥
हे भाई ! जिसके मन में परमात्मा आकर बस गया है, उसके मन में नित्य आनंददायक बाजे बजते रहते हैं।

ਗੁਰਮੁਖੇ ਸਚੁ ਕਰਣੀ ਸਾਰੀ ਬਿਨਸੇ ਭ੍ਰਮ ਭੈ ਝੂਠਾ ਰਾਮ ॥
गुरमुखे सचु करणी सारी बिनसे भ्रम भै झूठा राम ॥
जिसने गुरु के माध्यम से सत्कर्म किया है, उसका भ्रम एवं झूठा भय नाश हो गए हैं।

ਅਨਹਦ ਬਾਣੀ ਗੁਰਮੁਖਿ ਵਖਾਣੀ ਜਸੁ ਸੁਣਿ ਸੁਣਿ ਮਨੁ ਤਨੁ ਹਰਿਆ ॥
अनहद बाणी गुरमुखि वखाणी जसु सुणि सुणि मनु तनु हरिआ ॥
जब गुरु ने अनहद वाणी का बखान किया तो उसे सुन-सुनकर मन एवं तन आनंदित हो गया।

ਸਰਬ ਸੁਖਾ ਤਿਸ ਹੀ ਬਣਿ ਆਏ ਜੋ ਪ੍ਰਭਿ ਅਪਨਾ ਕਰਿਆ ॥
सरब सुखा तिस ही बणि आए जो प्रभि अपना करिआ ॥
यह सर्व सुख उसे ही हासिल हुए हैं, जिसे प्रभु ने अपना बना लिया है।

ਘਰ ਮਹਿ ਨਵ ਨਿਧਿ ਭਰੇ ਭੰਡਾਰਾ ਰਾਮ ਨਾਮਿ ਰੰਗੁ ਲਾਗਾ ॥
घर महि नव निधि भरे भंडारा राम नामि रंगु लागा ॥
जिसे राम नाम का रंग लग गया है, उसके घर नौ निधियों के भण्डार भरे रहते हैं।

ਨਾਨਕ ਜਨ ਪ੍ਰਭੁ ਕਦੇ ਨ ਵਿਸਰੈ ਪੂਰਨ ਜਾ ਕੇ ਭਾਗਾ ॥੨॥
नानक जन प्रभु कदे न विसरै पूरन जा के भागा ॥२॥
हे नानक ! जिस व्यक्ति के पूर्ण भाग्य हैं, उसे प्रभु कभी नहीं भूलता ॥ २॥

ਛਾਇਆ ਪ੍ਰਭਿ ਛਤ੍ਰਪਤਿ ਕੀਨੑੀ ਸਗਲੀ ਤਪਤਿ ਬਿਨਾਸੀ ਰਾਮ ॥
छाइआ प्रभि छत्रपति कीन्ही सगली तपति बिनासी राम ॥
हे भाई ! छत्रपति प्रभु ने मुझ पर कृपा रूपी छाया कर दी है, जिससे तृष्णा रूपी सारा ताप नाश हो गया है।

ਦੂਖ ਪਾਪ ਕਾ ਡੇਰਾ ਢਾਠਾ ਕਾਰਜੁ ਆਇਆ ਰਾਸੀ ਰਾਮ ॥
दूख पाप का डेरा ढाठा कारजु आइआ रासी राम ॥
मेरे दुखों एवं पापों का डेरा ध्वस्त हो गया है और मेरा कार्य संवर गया है।

ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਫੁਰਮਾਇਆ ਮਿਟੀ ਬਲਾਇਆ ਸਾਚੁ ਧਰਮੁ ਪੁੰਨੁ ਫਲਿਆ ॥
हरि प्रभि फुरमाइआ मिटी बलाइआ साचु धरमु पुंनु फलिआ ॥
जब प्रभु ने हुक्म किया तो मेरी सब बलाएँ मिट गई और मुझे सत्य, धर्म एवं पुण्य फल मिल गया।

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