Hindi Page 824

ਕਹਾ ਕਰੈ ਕੋਈ ਬੇਚਾਰਾ ਪ੍ਰਭ ਮੇਰੇ ਕਾ ਬਡ ਪਰਤਾਪੁ ॥੧॥
कहा करै कोई बेचारा प्रभ मेरे का बड परतापु ॥१॥
मेरे प्रभु का सारी दुनिया में बड़ा प्रताप है, फिर कोई मनुष्य बेचारा मेरा क्या बिगाड़ सकता है॥ १॥

ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਚਰਨ ਕਮਲ ਰਖੁ ਮਨ ਮਾਹੀ ॥
सिमरि सिमरि सिमरि सुखु पाइआ चरन कमल रखु मन माही ॥
बारबार भगवान् का सिमरन करके मुझे सुख उपलब्ध हो गया है, इसलिए उसके चरण-कमल को मन में बसा लिया है।

ਤਾ ਕੀ ਸਰਨਿ ਪਰਿਓ ਨਾਨਕ ਦਾਸੁ ਜਾ ਤੇ ਊਪਰਿ ਕੋ ਨਾਹੀ ॥੨॥੧੨॥੯੮॥
ता की सरनि परिओ नानक दासु जा ते ऊपरि को नाही ॥२॥१२॥९८॥
दास नानक उस परमात्मा की शरण में पड़ा है, जिससे ऊपर कोई नहीं ॥ २ ॥ १२ ॥ ६८ ॥

ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥

ਸਦਾ ਸਦਾ ਜਪੀਐ ਪ੍ਰਭ ਨਾਮ ॥
सदा सदा जपीऐ प्रभ नाम ॥
सर्वदा प्रभु का नाम जपना चाहिए,

ਜਰਾ ਮਰਾ ਕਛੁ ਦੂਖੁ ਨ ਬਿਆਪੈ ਆਗੈ ਦਰਗਹ ਪੂਰਨ ਕਾਮ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जरा मरा कछु दूखु न बिआपै आगै दरगह पूरन काम ॥१॥ रहाउ ॥
क्योंकि इससे बुढापा एवं मृत्यु का दुख कुछ भी प्रभावित नहीं करता और आगे सत्य के दरबार में कार्य पूर्ण हो जाता है॥ १॥ रहाउ॥

ਆਪੁ ਤਿਆਗਿ ਪਰੀਐ ਨਿਤ ਸਰਨੀ ਗੁਰ ਤੇ ਪਾਈਐ ਏਹੁ ਨਿਧਾਨੁ ॥
आपु तिआगि परीऐ नित सरनी गुर ते पाईऐ एहु निधानु ॥
अपना अहंत्व त्याग कर सदैव शरण में रहना चाहिए। यह नाम का भण्डार गुरु से प्राप्त होता है।

ਜਨਮ ਮਰਣ ਕੀ ਕਟੀਐ ਫਾਸੀ ਸਾਚੀ ਦਰਗਹ ਕਾ ਨੀਸਾਨੁ ॥੧॥
जनम मरण की कटीऐ फासी साची दरगह का नीसानु ॥१॥
इससे जन्म-मरण की फांसी कट जाती है और सत्य के दरबार में जाने के लिए यह परवाना है॥ १॥

ਜੋ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹ ਕਰਹੁ ਸੋਈ ਭਲ ਮਾਨਉ ਮਨ ਤੇ ਛੂਟੈ ਸਗਲ ਗੁਮਾਨੁ ॥
जो तुम्ह करहु सोई भल मानउ मन ते छूटै सगल गुमानु ॥
हे ईश्वर ! जो तू करता है, मैं उसे सहर्ष भला मानता हूँ और मेरे मन से सारा घमण्ड छूट गया है।

ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਤਾ ਕੀ ਸਰਣਾਈ ਜਾ ਕਾ ਕੀਆ ਸਗਲ ਜਹਾਨੁ ॥੨॥੧੩॥੯੯॥
कहु नानक ता की सरणाई जा का कीआ सगल जहानु ॥२॥१३॥९९॥
हे नानक ! में उस परमात्मा की शरण में हूँ, जिसने सारा जहान बनाया है॥ २॥ १३॥ ६६ ॥

ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥

ਮਨ ਤਨ ਅੰਤਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਆਹੀ ॥
मन तन अंतरि प्रभु आही ॥
जिसके मन तन में प्रभु बसा हुआ है,

ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਵਤ ਪਰਉਪਕਾਰ ਨਿਤ ਤਿਸੁ ਰਸਨਾ ਕਾ ਮੋਲੁ ਕਿਛੁ ਨਾਹੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
हरि गुन गावत परउपकार नित तिसु रसना का मोलु किछु नाही ॥१॥ रहाउ ॥
वह नित्य उसका गुणगान करके दूसरों को सुनाने का परोपकार करता है, उसकी रसना का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता ॥ १॥ रहाउ॥

ਕੁਲ ਸਮੂਹ ਉਧਰੇ ਖਿਨ ਭੀਤਰਿ ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੀ ਮਲੁ ਲਾਹੀ ॥
कुल समूह उधरे खिन भीतरि जनम जनम की मलु लाही ॥
उसकी सारी कुल का एक क्षण में ही उद्धार हो गया है और उसके जन्म-जन्मांतर की मैल दूर हो गई है।

ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸੁਆਮੀ ਪ੍ਰਭੁ ਅਪਨਾ ਅਨਦ ਸੇਤੀ ਬਿਖਿਆ ਬਨੁ ਗਾਹੀ ॥੧॥
सिमरि सिमरि सुआमी प्रभु अपना अनद सेती बिखिआ बनु गाही ॥१॥
वह अपने प्रभु का सिमरन करके बड़े आनंद से विकारों से भरे वन रूपी जगत् से पार हो गया है॥ १॥

ਚਰਨ ਪ੍ਰਭੂ ਕੇ ਬੋਹਿਥੁ ਪਾਏ ਭਵ ਸਾਗਰੁ ਪਾਰਿ ਪਰਾਹੀ ॥
चरन प्रभू के बोहिथु पाए भव सागरु पारि पराही ॥
वह प्रभु के चरण रूपी जहाज को पाकर भवसागर से पार हो गया है।

ਸੰਤ ਸੇਵਕ ਭਗਤ ਹਰਿ ਤਾ ਕੇ ਨਾਨਕ ਮਨੁ ਲਾਗਾ ਹੈ ਤਾਹੀ ॥੨॥੧੪॥੧੦੦॥
संत सेवक भगत हरि ता के नानक मनु लागा है ताही ॥२॥१४॥१००॥
हे नानक ! जिस भगवान् की भक्ति में अनेक संत, महापुरुष एवं भक्तजन लीन हैं, उसका मन भी उससे ही लगा है ॥२॥१४॥१००॥

ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥

ਧੀਰਉ ਦੇਖਿ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰੇ ਰੰਗਾ ॥
धीरउ देखि तुम्हारे रंगा ॥
हे परमेश्वर ! तेरी लीला देखकर मुझे बड़ा धैर्य होता है।

ਤੁਹੀ ਸੁਆਮੀ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ਤੂਹੀ ਵਸਹਿ ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
तुही सुआमी अंतरजामी तूही वसहि साध कै संगा ॥१॥ रहाउ ॥
तू ही अन्तर्यामी स्वामी है और तू ही साधुओं के संग रहता है॥ १॥ रहाउ॥

ਖਿਨ ਮਹਿ ਥਾਪਿ ਨਿਵਾਜੇ ਠਾਕੁਰ ਨੀਚ ਕੀਟ ਤੇ ਕਰਹਿ ਰਾਜੰਗਾ ॥੧॥
खिन महि थापि निवाजे ठाकुर नीच कीट ते करहि राजंगा ॥१॥
उस ठाकुर की लीला इतनी अद्भुत है कि वह क्षण में ही नीच आदमी को राजसिंहासन पर बैठाकर सम्मान दिलवा देता है। १॥

ਕਬਹੂ ਨ ਬਿਸਰੈ ਹੀਏ ਮੋਰੇ ਤੇ ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਇਹੀ ਦਾਨੁ ਮੰਗਾ ॥੨॥੧੫॥੧੦੧॥
कबहू न बिसरै हीए मोरे ते नानक दास इही दानु मंगा ॥२॥१५॥१०१॥
दास नानक विनती करता है कि हे प्रभु ! मैं यही दान माँगता हूँ कि तू मेरे हृदय से कभी न विस्मृत हो।॥ २॥ १५ ॥ १०१॥

ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥

ਅਚੁਤ ਪੂਜਾ ਜੋਗ ਗੋਪਾਲ ॥
अचुत पूजा जोग गोपाल ॥
अटल परमेश्वर पूजनीय है,

ਮਨੁ ਤਨੁ ਅਰਪਿ ਰਖਉ ਹਰਿ ਆਗੈ ਸਰਬ ਜੀਆ ਕਾ ਹੈ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
मनु तनु अरपि रखउ हरि आगै सरब जीआ का है प्रतिपाल ॥१॥ रहाउ ॥
मैं अपना मन-तन उसके समक्ष अर्पण करता हूँ, वही सब जीवों का पालनहार है॥ १॥ रहाउ॥

ਸਰਨਿ ਸਮ੍ਰਥ ਅਕਥ ਸੁਖਦਾਤਾ ਕਿਰਪਾ ਸਿੰਧੁ ਬਡੋ ਦਇਆਲ ॥
सरनि सम्रथ अकथ सुखदाता किरपा सिंधु बडो दइआल ॥
वह जीवों को शरण देने में समर्थ है, उसकी महिमा अकथनीय है, वह सुखदाता, कृपा का सागर एवं बड़ा दयालु है।

ਕੰਠਿ ਲਾਇ ਰਾਖੈ ਅਪਨੇ ਕਉ ਤਿਸ ਨੋ ਲਗੈ ਨ ਤਾਤੀ ਬਾਲ ॥੧॥
कंठि लाइ राखै अपने कउ तिस नो लगै न ताती बाल ॥१॥
वह भक्तों को गले से लगाकर रखता है और उन्हें कोई गर्म हवा अर्थात् दुख नहीं लगने देता॥ १॥

ਦਾਮੋਦਰ ਦਇਆਲ ਸੁਆਮੀ ਸਰਬਸੁ ਸੰਤ ਜਨਾ ਧਨ ਮਾਲ ॥
दामोदर दइआल सुआमी सरबसु संत जना धन माल ॥
वह दामोदर स्वामी बड़ा दयाल है और संतंजनों का धन-संपत्ति सब कुछ है।

ਨਾਨਕ ਜਾਚਿਕ ਦਰਸੁ ਪ੍ਰਭ ਮਾਗੈ ਸੰਤ ਜਨਾ ਕੀ ਮਿਲੈ ਰਵਾਲ ॥੨॥੧੬॥੧੦੨॥
नानक जाचिक दरसु प्रभ मागै संत जना की मिलै रवाल ॥२॥१६॥१०२॥
याचक नानक प्रभु-दर्शन ही माँगता है और चाहता है कि उसे संतजनों की चरण-धूलि ही मिले॥ २॥ १६॥ १०२॥

ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥

ਸਿਮਰਤ ਨਾਮੁ ਕੋਟਿ ਜਤਨ ਭਏ ॥
सिमरत नामु कोटि जतन भए ॥
भगवान का नाम-सिमरन करने से करोड़ों ही यत्न पूरे हो गए हैं।

ਸਾਧਸੰਗਿ ਮਿਲਿ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਏ ਜਮਦੂਤਨ ਕਉ ਤ੍ਰਾਸ ਅਹੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
साधसंगि मिलि हरि गुन गाए जमदूतन कउ त्रास अहे ॥१॥ रहाउ ॥
जब संतो की संगति में मिलकर हरि का गुणगान किया तो यमदूत भी निकट आने से डरने लगे ॥ १॥ रहाउ॥

ਜੇਤੇ ਪੁਨਹਚਰਨ ਸੇ ਕੀਨੑੇ ਮਨਿ ਤਨਿ ਪ੍ਰਭ ਕੇ ਚਰਣ ਗਹੇ ॥
जेते पुनहचरन से कीन्हे मनि तनि प्रभ के चरण गहे ॥
मनतन में प्रभु के चरण बसाने से जितने भी प्रायश्चित कर्म हैं, सब पूर्ण हो गए हैं।

ਆਵਣ ਜਾਣੁ ਭਰਮੁ ਭਉ ਨਾਠਾ ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੇ ਕਿਲਵਿਖ ਦਹੇ ॥੧॥
आवण जाणु भरमु भउ नाठा जनम जनम के किलविख दहे ॥१॥
अब मेरा आवागमन, भ्रम एवं भय दूर हो गया है और जन्म-जन्मांतर के सब पाप जल गए हैं।॥ १॥

ਨਿਰਭਉ ਹੋਇ ਭਜਹੁ ਜਗਦੀਸੈ ਏਹੁ ਪਦਾਰਥੁ ਵਡਭਾਗਿ ਲਹੇ ॥
निरभउ होइ भजहु जगदीसै एहु पदारथु वडभागि लहे ॥
निडर होकर जगदीश्वर का भजन करो, यह नाम रूपी पदार्थ भाग्यशालियों को ही मिलता है।

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