Hindi Page 901

ਰਾਗੁ ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੫ ਘਰੁ ੨ ਦੁਪਦੇ
रागु रामकली महला ५ घरु २ दुपदे
रागु रामकली महला ५ घरु २ दुपदे

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ਗਾਵਹੁ ਰਾਮ ਕੇ ਗੁਣ ਗੀਤ ॥
गावहु राम के गुण गीत ॥
नित्य राम के गुण गीत गाओ।

ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਪਰਮ ਸੁਖੁ ਪਾਈਐ ਆਵਾ ਗਉਣੁ ਮਿਟੈ ਮੇਰੇ ਮੀਤ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
नामु जपत परम सुखु पाईऐ आवा गउणु मिटै मेरे मीत ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे मित्र ! राम नाम जपने से परमसुख प्राप्त होता है और आवागमन मिट जाता है॥ १॥ रहाउ॥

ਗੁਣ ਗਾਵਤ ਹੋਵਤ ਪਰਗਾਸੁ ॥
गुण गावत होवत परगासु ॥
उसका गुणगान करने से मन में सत्य का प्रकाश हो जाता है और

ਚਰਨ ਕਮਲ ਮਹਿ ਹੋਇ ਨਿਵਾਸੁ ॥੧॥
चरन कमल महि होइ निवासु ॥१॥
चरण-कमल में निवास हो जाता है॥ १॥

ਸੰਤਸੰਗਤਿ ਮਹਿ ਹੋਇ ਉਧਾਰੁ ॥
संतसंगति महि होइ उधारु ॥
हे नानक ! संतों की संगति करने से जीव का उद्धार हो जाता है और

ਨਾਨਕ ਭਵਜਲੁ ਉਤਰਸਿ ਪਾਰਿ ॥੨॥੧॥੫੭॥
नानक भवजलु उतरसि पारि ॥२॥१॥५७॥
वह भवसागर से पार हो जाता है। २॥ १॥ ५७ ॥

ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
रामकली महला ५ ॥
रामकली महला ५ ॥

ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਮੇਰਾ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ॥
गुरु पूरा मेरा गुरु पूरा ॥
मेरा गुरु सर्वकला सम्पूर्ण है।

ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਜਪਿ ਸਦਾ ਸੁਹੇਲੇ ਸਗਲ ਬਿਨਾਸੇ ਰੋਗ ਕੂਰਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
राम नामु जपि सदा सुहेले सगल बिनासे रोग कूरा ॥१॥ रहाउ ॥
राम नाम का जाप करने से सदा सुख बना रहता है और मिथ्या माया से उत्पन्न हुए सब रोग नाश हो जाते हैं।॥ १॥ रहाउ॥

ਏਕੁ ਅਰਾਧਹੁ ਸਾਚਾ ਸੋਇ ॥
एकु अराधहु साचा सोइ ॥
एक परमेश्वर ही सत्य है, इसलिए उसकी ही आराधना करो;

ਜਾ ਕੀ ਸਰਨਿ ਸਦਾ ਸੁਖੁ ਹੋਇ ॥੧॥
जा की सरनि सदा सुखु होइ ॥१॥
जिसकी शरण लेने से सदा सुख उपलब्ध होता है।॥ १॥

ਨੀਦ ਸੁਹੇਲੀ ਨਾਮ ਕੀ ਲਾਗੀ ਭੂਖ ॥
नीद सुहेली नाम की लागी भूख ॥
अब सुख की नीद प्राप्त हो गई है और नाम की भूख लग गई है।

ਹਰਿ ਸਿਮਰਤ ਬਿਨਸੇ ਸਭ ਦੂਖ ॥੨॥
हरि सिमरत बिनसे सभ दूख ॥२॥
भगवान का सिमरन करने से सारे दुख नाश हो गए हैं।॥ २॥

ਸਹਜਿ ਅਨੰਦ ਕਰਹੁ ਮੇਰੇ ਭਾਈ ॥
सहजि अनंद करहु मेरे भाई ॥
हे मेरे भाई ! सहजावस्था में आनंद करो;

ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਸਭ ਚਿੰਤ ਮਿਟਾਈ ॥੩॥
गुरि पूरै सभ चिंत मिटाई ॥३॥
पूर्ण गुरु ने सारी चिंता मिटा दी है॥ ३॥

ਆਠ ਪਹਰ ਪ੍ਰਭ ਕਾ ਜਪੁ ਜਾਪਿ ॥
आठ पहर प्रभ का जपु जापि ॥
हे नानक ! आठों प्रहर प्रभु नाम का जाप जपते रहो;

ਨਾਨਕ ਰਾਖਾ ਹੋਆ ਆਪਿ ॥੪॥੨॥੫੮॥
नानक राखा होआ आपि ॥४॥२॥५८॥
वह स्वयं ही रखवाला बन जाता है। ॥४॥२॥५८॥

ਰਾਗੁ ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੫ ਪੜਤਾਲ ਘਰੁ ੩
रागु रामकली महला ५ पड़ताल घरु ३
रागु रामकली महला ५ पड़ताल घरु ३

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि

ਨਰਨਰਹ ਨਮਸਕਾਰੰ ॥
नरनरह नमसकारं ॥
पुरुषोत्तम परमेश्वर को हमारा शत्-शत् प्रणाम है।

ਜਲਨ ਥਲਨ ਬਸੁਧ ਗਗਨ ਏਕ ਏਕੰਕਾਰੰ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जलन थलन बसुध गगन एक एकंकारं ॥१॥ रहाउ ॥
जल, थल, पृथ्वी एवं आकाश सब में एक ऑकार का ही निवास है॥ १॥ रहाउ॥

ਹਰਨ ਧਰਨ ਪੁਨ ਪੁਨਹ ਕਰਨ ॥
हरन धरन पुन पुनह करन ॥
वह सृष्टि का संहार करने वाला, पालनकर्ता एवं पुनः पुनः पैदा करने वाला है।

ਨਹ ਗਿਰਹ ਨਿਰੰਹਾਰੰ ॥੧॥
नह गिरह निरंहारं ॥१॥
उसका कोई घर नहीं है और न ही वह भोजन करता है॥ १॥

ਗੰਭੀਰ ਧੀਰ ਨਾਮ ਹੀਰ ਊਚ ਮੂਚ ਅਪਾਰੰ ॥
ग्मभीर धीर नाम हीर ऊच मूच अपारं ॥
वह गहन-गंभीर, धैर्यवान, नाम का अमूल्य हीरा, सर्वोच्च एवं अपरम्पार है।

ਕਰਨ ਕੇਲ ਗੁਣ ਅਮੋਲ ਨਾਨਕ ਬਲਿਹਾਰੰ ॥੨॥੧॥੫੯॥
करन केल गुण अमोल नानक बलिहारं ॥२॥१॥५९॥
हे नानक ! उस अद्भुत लीला करने वाले, अमूल्य गुणों के भण्डार पर हम बलिहारी जाते हैं।॥ २॥ १॥ ५९ ॥

ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
रामकली महला ५ ॥
रामकली महला ५ ॥

ਰੂਪ ਰੰਗ ਸੁਗੰਧ ਭੋਗ ਤਿਆਗਿ ਚਲੇ ਮਾਇਆ ਛਲੇ ਕਨਿਕ ਕਾਮਿਨੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
रूप रंग सुगंध भोग तिआगि चले माइआ छले कनिक कामिनी ॥१॥ रहाउ ॥
स्वर्ण एवं कामिनी रूपी माया के छले हुए अनेक जीव रूप-रंगों, सुगन्धियों एवं भोगने वाले पदार्थों को त्याग कर दुनिया से चले गए हैं।॥ १॥ रहाउ॥

ਭੰਡਾਰ ਦਰਬ ਅਰਬ ਖਰਬ ਪੇਖਿ ਲੀਲਾ ਮਨੁ ਸਧਾਰੈ ॥
भंडार दरब अरब खरब पेखि लीला मनु सधारै ॥
धन से भरे हुए अपने अरबो -खरबों के भण्डार एवं खेल-तमाशों को देखकर जीव मन को धीरज देता रहता है परन्तु

ਨਹ ਸੰਗਿ ਗਾਮਨੀ ॥੧॥
नह संगि गामनी ॥१॥
अन्तिम समय यह सबकुछ उसके साथ नहीं जाता ॥ १॥

ਸੁਤ ਕਲਤ੍ਰ ਭ੍ਰਾਤ ਮੀਤ ਉਰਝਿ ਪਰਿਓ ਭਰਮਿ ਮੋਹਿਓ ਇਹ ਬਿਰਖ ਛਾਮਨੀ ॥
सुत कलत्र भ्रात मीत उरझि परिओ भरमि मोहिओ इह बिरख छामनी ॥
भ्रम में फँसा हुआ जीव अपने पुत्र, पत्नी, भाई एवं मित्र के मोह में उलझा हुआ है, परन्तु यह सब पेड़ की छाया के समान नाशवान् है।

ਚਰਨ ਕਮਲ ਸਰਨ ਨਾਨਕ ਸੁਖੁ ਸੰਤ ਭਾਵਨੀ ॥੨॥੨॥੬੦॥
चरन कमल सरन नानक सुखु संत भावनी ॥२॥२॥६०॥
हे नानक ! परमात्मा के चरणों की शरण का सुख ही संतों को भला लगता है॥ २॥ २॥ ६०॥

ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

ਰਾਗੁ ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੯ ਤਿਪਦੇ ॥
रागु रामकली महला ९ तिपदे ॥
रागु रामकली महला ९ तिपदे ॥

ਰੇ ਮਨ ਓਟ ਲੇਹੁ ਹਰਿ ਨਾਮਾ ॥
रे मन ओट लेहु हरि नामा ॥
हे मन ! परमात्मा के नाम का सहारा लो,

ਜਾ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਦੁਰਮਤਿ ਨਾਸੈ ਪਾਵਹਿ ਪਦੁ ਨਿਰਬਾਨਾ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जा कै सिमरनि दुरमति नासै पावहि पदु निरबाना ॥१॥ रहाउ ॥
उसका सिमरन करने से दुर्मति नाश हो जाती है तथा निर्वाण पद प्राप्त होता है।॥ १॥ रहाउ॥

ਬਡਭਾਗੀ ਤਿਹ ਜਨ ਕਉ ਜਾਨਹੁ ਜੋ ਹਰਿ ਕੇ ਗੁਨ ਗਾਵੈ ॥
बडभागी तिह जन कउ जानहु जो हरि के गुन गावै ॥
उस इन्सान को खुशनसीब समझो, जो भगवान के गुण गाता है।

ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੇ ਪਾਪ ਖੋਇ ਕੈ ਫੁਨਿ ਬੈਕੁੰਠਿ ਸਿਧਾਵੈ ॥੧॥
जनम जनम के पाप खोइ कै फुनि बैकुंठि सिधावै ॥१॥
वह जन्म-जन्मांतर के पापों को नाश करके बैकुण्ठ में पहुँच जाता है॥ १ ॥

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