ਮਾਰੂ ਮਹਲਾ ੫ ॥
मारू महला ५ ॥
मारू महला ५॥
ਵੈਦੋ ਨ ਵਾਈ ਭੈਣੋ ਨ ਭਾਈ ਏਕੋ ਸਹਾਈ ਰਾਮੁ ਹੇ ॥੧॥
वैदो न वाई भैणो न भाई एको सहाई रामु हे ॥१॥
जग में न कोई वैद्य, न दवाई, न कोई शुभचिंतक एवं न ही कोई बहिन एवं भाई है, केवल एक राम ही सदा सहायक है। १॥
ਕੀਤਾ ਜਿਸੋ ਹੋਵੈ ਪਾਪਾਂ ਮਲੋ ਧੋਵੈ ਸੋ ਸਿਮਰਹੁ ਪਰਧਾਨੁ ਹੇ ॥੨॥
कीता जिसो होवै पापां मलो धोवै सो सिमरहु परधानु हे ॥२॥
जिसका किया सब हो रहा है, जो पापों को मैल को धो देता है, उस सर्वेश्वर को मन में याद करो॥ २॥
ਘਟਿ ਘਟੇ ਵਾਸੀ ਸਰਬ ਨਿਵਾਸੀ ਅਸਥਿਰੁ ਜਾ ਕਾ ਥਾਨੁ ਹੇ ॥੩॥
घटि घटे वासी सरब निवासी असथिरु जा का थानु हे ॥३॥
जो घट -घट में वास करता है, सर्वव्यापी है, जिसका स्थान हमेशा अटल है॥ ३॥
ਆਵੈ ਨ ਜਾਵੈ ਸੰਗੇ ਸਮਾਵੈ ਪੂਰਨ ਜਾ ਕਾ ਕਾਮੁ ਹੇ ॥੪॥
आवै न जावै संगे समावै पूरन जा का कामु हे ॥४॥
जो कहीं आता जाता नहीं है, सबके संग समाया हुआ है, जिसका किया हुआ काम पूर्ण होता है॥ ४॥
ਭਗਤ ਜਨਾ ਕਾ ਰਾਖਣਹਾਰਾ ॥
भगत जना का राखणहारा ॥
वह भक्तजनों का रखवाला है,
ਸੰਤ ਜੀਵਹਿ ਜਪਿ ਪ੍ਰਾਨ ਅਧਾਰਾ ॥
संत जीवहि जपि प्रान अधारा ॥
संतजन उस प्राणाधार को जप कर ही जीते हैं।
ਕਰਨ ਕਾਰਨ ਸਮਰਥੁ ਸੁਆਮੀ ਨਾਨਕੁ ਤਿਸੁ ਕੁਰਬਾਨੁ ਹੇ ॥੫॥੨॥੩੨॥
करन कारन समरथु सुआमी नानकु तिसु कुरबानु हे ॥५॥२॥३२॥
नानक तो सर्वकर्ता समर्थ स्वामी पर सर्वदा कुर्बान है॥ ५॥ २॥ ३२॥
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि॥
ਮਾਰੂ ਮਹਲਾ ੯ ॥
मारू महला ९ ॥
मारू महला ९॥
ਹਰਿ ਕੋ ਨਾਮੁ ਸਦਾ ਸੁਖਦਾਈ ॥
हरि को नामु सदा सुखदाई ॥
प्रभु का नाम सदा सुखदायक है,
ਜਾ ਕਉ ਸਿਮਰਿ ਅਜਾਮਲੁ ਉਧਰਿਓ ਗਨਿਕਾ ਹੂ ਗਤਿ ਪਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जा कउ सिमरि अजामलु उधरिओ गनिका हू गति पाई ॥१॥ रहाउ ॥
जिसे स्मरण करने से पापी अजामल का उद्धार हो गया और गणिका ने भी मोक्ष प्राप्त कर लिया॥ १॥ रहाउ॥
ਪੰਚਾਲੀ ਕਉ ਰਾਜ ਸਭਾ ਮਹਿ ਰਾਮ ਨਾਮ ਸੁਧਿ ਆਈ ॥
पंचाली कउ राज सभा महि राम नाम सुधि आई ॥
जब द्रौपदी को कौरवों की राजसभा में रामनाम स्मरण आया तो
ਤਾ ਕੋ ਦੂਖੁ ਹਰਿਓ ਕਰੁਣਾ ਮੈ ਅਪਨੀ ਪੈਜ ਬਢਾਈ ॥੧॥
ता को दूखु हरिओ करुणा मै अपनी पैज बढाई ॥१॥
करुणामय भगवान ने उसका दुख दूर करके अपनी गरिमा में वृद्धि की॥ १॥
ਜਿਹ ਨਰ ਜਸੁ ਕਿਰਪਾ ਨਿਧਿ ਗਾਇਓ ਤਾ ਕਉ ਭਇਓ ਸਹਾਈ ॥
जिह नर जसु किरपा निधि गाइओ ता कउ भइओ सहाई ॥
जिस व्यक्ति ने भी कृपानिधि का यशगान किया है, वह उसका सहायक बना है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਮੈ ਇਹੀ ਭਰੋਸੈ ਗਹੀ ਆਨਿ ਸਰਨਾਈ ॥੨॥੧॥
कहु नानक मै इही भरोसै गही आनि सरनाई ॥२॥१॥
हे नानक ! इसी भरोसे पर मैंने भी भगवान की शरण ले ली है॥ २॥ १॥
ਮਾਰੂ ਮਹਲਾ ੯ ॥
मारू महला ९ ॥
मारू महला ९॥
ਅਬ ਮੈ ਕਹਾ ਕਰਉ ਰੀ ਮਾਈ ॥
अब मै कहा करउ री माई ॥
हे माँ! अब मैं क्या करूं ?
ਸਗਲ ਜਨਮੁ ਬਿਖਿਅਨ ਸਿਉ ਖੋਇਆ ਸਿਮਰਿਓ ਨਾਹਿ ਕਨੑਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
सगल जनमु बिखिअन सिउ खोइआ सिमरिओ नाहि कन्हाई ॥१॥ रहाउ ॥
चूंकि सारा जन्म विषय-विकारों में ही गंवा दिया लेकिन भगवान् को याद नहीं किया॥ १॥ रहाउ॥
ਕਾਲ ਫਾਸ ਜਬ ਗਰ ਮਹਿ ਮੇਲੀ ਤਿਹ ਸੁਧਿ ਸਭ ਬਿਸਰਾਈ ॥
काल फास जब गर महि मेली तिह सुधि सभ बिसराई ॥
जब काल ने मेरे गले में फन्दा डाला तो उसने सारी होश भुला दी।
ਰਾਮ ਨਾਮ ਬਿਨੁ ਯਾ ਸੰਕਟ ਮਹਿ ਕੋ ਅਬ ਹੋਤ ਸਹਾਈ ॥੧॥
राम नाम बिनु या संकट महि को अब होत सहाई ॥१॥
इस संकट की घड़ी में राम नाम के बिना अन्य कौन मददगार हो सकता है। १॥
ਜੋ ਸੰਪਤਿ ਅਪਨੀ ਕਰਿ ਮਾਨੀ ਛਿਨ ਮਹਿ ਭਈ ਪਰਾਈ ॥
जो स्मपति अपनी करि मानी छिन महि भई पराई ॥
जिस संपति को अपनी मान बैठा था, वह क्षण में ही पराई हो गई है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਯਹ ਸੋਚ ਰਹੀ ਮਨਿ ਹਰਿ ਜਸੁ ਕਬਹੂ ਨ ਗਾਈ ॥੨॥੨॥
कहु नानक यह सोच रही मनि हरि जसु कबहू न गाई ॥२॥२॥
हे नानक ! मन में यही सोच रहा हूँ, भगवान् का यशोगान कभी नहीं किया।॥ २॥ २॥
ਮਾਰੂ ਮਹਲਾ ੯ ॥
मारू महला ९ ॥
मारू महला ९॥
ਮਾਈ ਮੈ ਮਨ ਕੋ ਮਾਨੁ ਨ ਤਿਆਗਿਓ ॥
माई मै मन को मानु न तिआगिओ ॥
हे माँ ! मैंने अपने मन का अभिमान नहीं छोड़ा।
ਮਾਇਆ ਕੇ ਮਦਿ ਜਨਮੁ ਸਿਰਾਇਓ ਰਾਮ ਭਜਨਿ ਨਹੀ ਲਾਗਿਓ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
माइआ के मदि जनमु सिराइओ राम भजनि नही लागिओ ॥१॥ रहाउ ॥
माया के नशे में सारा जन्म बिता लिया है, लेकिन राम के भजन में मन नहीं लगाया॥ १॥ रहाउ॥
ਜਮ ਕੋ ਡੰਡੁ ਪਰਿਓ ਸਿਰ ਊਪਰਿ ਤਬ ਸੋਵਤ ਤੈ ਜਾਗਿਓ ॥
जम को डंडु परिओ सिर ऊपरि तब सोवत तै जागिओ ॥
जब यम का दण्ड सिर पर पड़ा तो अज्ञान की निद्रा से जागा।
ਕਹਾ ਹੋਤ ਅਬ ਕੈ ਪਛੁਤਾਏ ਛੂਟਤ ਨਾਹਿਨ ਭਾਗਿਓ ॥੧॥
कहा होत अब कै पछुताए छूटत नाहिन भागिओ ॥१॥
अब पछताने से भला क्या हो सकता है ? चूंकि भागकर भी यम से छूट नहीं सकता॥ १॥
ਇਹ ਚਿੰਤਾ ਉਪਜੀ ਘਟ ਮਹਿ ਜਬ ਗੁਰ ਚਰਨਨ ਅਨੁਰਾਗਿਓ ॥
इह चिंता उपजी घट महि जब गुर चरनन अनुरागिओ ॥
जब मन में यह चिंता पैदा हो गई तो गुरु चरणों से प्रेम लगा लिया।
ਸੁਫਲੁ ਜਨਮੁ ਨਾਨਕ ਤਬ ਹੂਆ ਜਉ ਪ੍ਰਭ ਜਸ ਮਹਿ ਪਾਗਿਓ ॥੨॥੩॥
सुफलु जनमु नानक तब हूआ जउ प्रभ जस महि पागिओ ॥२॥३॥
हे नानक ! मेरा जन्म तभी सफल हुआ है, जब ईश्वर के यश में रत हुआ॥ २॥ ३॥
ਮਾਰੂ ਅਸਟਪਦੀਆ ਮਹਲਾ ੧ ਘਰੁ ੧
मारू असटपदीआ महला १ घरु १
मारू असटपदीआ महला १ घरु १
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि॥
ਬੇਦ ਪੁਰਾਣ ਕਥੇ ਸੁਣੇ ਹਾਰੇ ਮੁਨੀ ਅਨੇਕਾ ॥
बेद पुराण कथे सुणे हारे मुनी अनेका ॥
वेद-पुराण की कथा करने-सुनने वाले अनेक मुनिजन भी हार गए हैं।
ਅਠਸਠਿ ਤੀਰਥ ਬਹੁ ਘਣਾ ਭ੍ਰਮਿ ਥਾਕੇ ਭੇਖਾ ॥
अठसठि तीरथ बहु घणा भ्रमि थाके भेखा ॥
अनेक वेषधारी साधु अड़सठ तीर्थों पर भटकते हुए थक चुके हैं।
ਸਾਚੋ ਸਾਹਿਬੁ ਨਿਰਮਲੋ ਮਨਿ ਮਾਨੈ ਏਕਾ ॥੧॥
साचो साहिबु निरमलो मनि मानै एका ॥१॥
एक परम-सत्य परमेश्वर ही निर्मल है, जिसका ध्यान करके यह मन प्रसन्न होता है॥ १॥
ਤੂ ਅਜਰਾਵਰੁ ਅਮਰੁ ਤੂ ਸਭ ਚਾਲਣਹਾਰੀ ॥
तू अजरावरु अमरु तू सभ चालणहारी ॥
हे ईश्वर ! तू अजर अमर है, शेष सारी दुनिया चलायमान है।
ਨਾਮੁ ਰਸਾਇਣੁ ਭਾਇ ਲੈ ਪਰਹਰਿ ਦੁਖੁ ਭਾਰੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
नामु रसाइणु भाइ लै परहरि दुखु भारी ॥१॥ रहाउ ॥
जो श्रद्धा भावना से नाम-औषधि लेता है, उसका भारी दुख नाश हो जाता है॥ १॥ रहाउ॥