Hindi Page 1096

ਪਉੜੀ ॥

पउड़ी ॥

पउड़ी॥

Pauree:

ਤੁਧੁ ਰੂਪੁ ਨ ਰੇਖਿਆ ਜਾਤਿ ਤੂ ਵਰਨਾ ਬਾਹਰਾ ॥

तुधु रूपु न रेखिआ जाति तू वरना बाहरा ॥

हे इंश्वर ! न कोई तेरा रूप-आकार है, न तेरी कोई जाति है और तू ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र इत्यादि वर्णो से भी रहित है।

O’ God, You have no form, feature, social class or race.

ਏ ਮਾਣਸ ਜਾਣਹਿ ਦੂਰਿ ਤੂ ਵਰਤਹਿ ਜਾਹਰਾ ॥

ए माणस जाणहि दूरि तू वरतहि जाहरा ॥

ये मानव तुझे दूर ही समझते हैं मगर तू प्रत्यक्ष रूप में व्याप्त है।

These humans deem You far, but You are pervading everywhere quite obviously.

ਤੂ ਸਭਿ ਘਟ ਭੋਗਹਿ ਆਪਿ ਤੁਧੁ ਲੇਪੁ ਨ ਲਾਹਰਾ ॥

तू सभि घट भोगहि आपि तुधु लेपु न लाहरा ॥

सब शरीरों को तू स्वयं ही भोगता है परन्तु तुझे कोई दोष नहीं लगता।

By pervading all beings,You enjoy worldly pleasures, still You are not affected by the material world.

ਤੂ ਪੁਰਖੁ ਅਨੰਦੀ ਅਨੰਤ ਸਭ ਜੋਤਿ ਸਮਾਹਰਾ ॥

तू पुरखु अनंदी अनंत सभ जोति समाहरा ॥

तू परमपुरुष, परम आनंदी एवं अनंत है, सबमें तेरी ही ज्योति समाई हुई है।

You are the blissful and infinite all pervading God; Your Light is present in all.

ਤੂ ਸਭ ਦੇਵਾ ਮਹਿ ਦੇਵ ਬਿਧਾਤੇ ਨਰਹਰਾ ॥

तू सभ देवा महि देव बिधाते नरहरा ॥

हे विधाता ! तू ही देवाधिदेव है।

O’ the Creator-God! amongst all the gods, You are the most luminous God.

ਕਿਆ ਆਰਾਧੇ ਜਿਹਵਾ ਇਕ ਤੂ ਅਬਿਨਾਸੀ ਅਪਰਪਰਾ ॥

किआ आराधे जिहवा इक तू अबिनासी अपरपरा ॥

तू अविनाशी एवं अपरंपार है, एक जीभ तेरी क्या आराधना कर सकती है।

How can my single tongue worship and adore You? You are the eternal and imperishable God.

ਜਿਸੁ ਮੇਲਹਿ ਸਤਿਗੁਰੁ ਆਪਿ ਤਿਸ ਕੇ ਸਭਿ ਕੁਲ ਤਰਾ ॥

जिसु मेलहि सतिगुरु आपि तिस के सभि कुल तरा ॥

जिसे तू सतगुरु से मिला देता है, उसकी समूची वंशावलि का उद्धार हो जाता है।

One whom You Yourself unite with the true Guru, all his generations are saved.

ਸੇਵਕ ਸਭਿ ਕਰਦੇ ਸੇਵ ਦਰਿ ਨਾਨਕੁ ਜਨੁ ਤੇਰਾ ॥੫॥

सेवक सभि करदे सेव दरि नानकु जनु तेरा ॥५॥

सभी भक्तजन तेरी उपासना करते हैं। दास नानक भी तेरे द्वार पर तेरी शरण में आ पड़ा है॥ ५॥

O’ God, all Your devotees lovingly remember You; Your devotee Nanak is also in Your refuge. ||5||

ਡਖਣੇ ਮਃ ੫ ॥

डखणे मः ५ ॥

डखणे महला ५॥

Dakhanay, Fifth Guru:

ਗਹਡੜੜਾ ਤ੍ਰਿਣਿ ਛਾਇਆ ਗਾਫਲ ਜਲਿਓਹੁ ਭਾਹਿ ॥

गहडड़ड़ा त्रिणि छाइआ गाफल जलिओहु भाहि ॥

आदमी का घास से बना छप्पर रूपी शरीर लापरवाही के कारण पाप-विकारों की अग्नि से जल गया है,

The careless human is burning his body like a hut made of straw, in the fire of worldly desires.

ਜਿਨਾ ਭਾਗ ਮਥਾਹੜੈ ਤਿਨ ਉਸਤਾਦ ਪਨਾਹਿ ॥੧॥

जिना भाग मथाहड़ै तिन उसताद पनाहि ॥१॥

जिनके माथे पर उत्तम भाग्य है, उन्हें अपने उस्ताद (गुरु-पीर) की पनाह मिल गई है॥ १॥

But those who have pre-ordained destiny, receive the support of the Guru and escape the fierce worldly desires. ||1||

ਮਃ ੫ ॥

मः ५ ॥

महला ५॥

Fifth Guru:

ਨਾਨਕ ਪੀਠਾ ਪਕਾ ਸਾਜਿਆ ਧਰਿਆ ਆਣਿ ਮਉਜੂਦੁ ॥

नानक पीठा पका साजिआ धरिआ आणि मउजूदु ॥

हे नानक ! किसी ने आटा गूंथा, रोटियां पका कर भोजन तैयार कर लिया और सारा भोजन लाकर श्रद्धालुओं के सामने रख दिया।

O’ Nanak! a devoted Muslim grinds corn, cooks it, and arranges it nicely on a platter as offering,

ਬਾਝਹੁ ਸਤਿਗੁਰ ਆਪਣੇ ਬੈਠਾ ਝਾਕੁ ਦਰੂਦ ॥੨॥

बाझहु सतिगुर आपणे बैठा झाकु दरूद ॥२॥

किन्तु गुरु-पीर के बिना दुआ-प्रार्थना के बगैर उसका मनोरथ पूरा नहीं हुआ, अब वह दुखी हुआ बैठा इधर-उधर झांक रहा है, क्योंकि गुरु के बिना प्रार्थना किए बगैर कैसे भोजन मिलेगा॥ २॥

and waits for the priest to sanctify it; (similarly one does many rituals but cannot receive God’s grace without the true Guru. ||2||

ਮਃ ੫ ॥

मः ५ ॥

महला ५॥

Fifth Guru:

ਨਾਨਕ ਭੁਸਰੀਆ ਪਕਾਈਆ ਪਾਈਆ ਥਾਲੈ ਮਾਹਿ ॥

नानक भुसरीआ पकाईआ पाईआ थालै माहि ॥

हे नानक ! किसी ने गुरु वाली मीठी रोटियाँ पकाकर उन्हें थाल में परोस दिया।

O’ Nanak, the loaves of bread (simple food) are baked and placed on the plate,

ਜਿਨੀ ਗੁਰੂ ਮਨਾਇਆ ਰਜਿ ਰਜਿ ਸੇਈ ਖਾਹਿ ॥੩॥

जिनी गुरू मनाइआ रजि रजि सेई खाहि ॥३॥

जिन्होंने गुरु-पीर को प्रसन्न कर लिया, ये तृप्त होकर रोटियों खा रहे हैं।॥ ३॥

simple food is enjoyed to the fullest by those who have pleased their Guru. ||3||

ਪਉੜੀ ॥

पउड़ी ॥

पउड़ी॥

Pauree:

ਤੁਧੁ ਜਗ ਮਹਿ ਖੇਲੁ ਰਚਾਇਆ ਵਿਚਿ ਹਉਮੈ ਪਾਈਆ ॥

तुधु जग महि खेलु रचाइआ विचि हउमै पाईआ ॥

हे ईश्वर ! तूने जगत् में खेल रचाया हुआ है और सब जीवों में अहम्-भावना डाल दी है।

O’ God, You have infused egotism in the beings and have staged this play in the world.

ਏਕੁ ਮੰਦਰੁ ਪੰਚ ਚੋਰ ਹਹਿ ਨਿਤ ਕਰਹਿ ਬੁਰਿਆਈਆ ॥

एकु मंदरु पंच चोर हहि नित करहि बुरिआईआ ॥

यह मानव-शरीर एक मन्दिर है, जिसमें काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार रूपी पाँच चोर नित्य ही बुरे कर्म करते हैं।

In the one temple-like human body are the five thieves, (lust, anger, greed, attachment and ego), who continually commit evil deeds.

ਦਸ ਨਾਰੀ ਇਕੁ ਪੁਰਖੁ ਕਰਿ ਦਸੇ ਸਾਦਿ ਲੋੁਭਾਈਆ ॥

दस नारी इकु पुरखु करि दसे सादि लोभाईआ ॥

तूने इन्द्रिय रूपी दस नारियों एवं मन रूपी एक पुरुष को बनाकर शरीर में बसा दिया हैं, यह दसों इन्द्रियाँ विकारों के स्वाद में लीन रहती हैं।

You have also created ten sense organs as if they are the brides of one man (the mind); these ten are engrossed in the tastes of Maya.

ਏਨਿ ਮਾਇਆ ਮੋਹਣੀ ਮੋਹੀਆ ਨਿਤ ਫਿਰਹਿ ਭਰਮਾਈਆ ॥

एनि माइआ मोहणी मोहीआ नित फिरहि भरमाईआ ॥

माया मोहिनी ने इन्हें मोह लिया है, अतः यह नित्य ही भटकती रहती हैं।

The enticer Maya has enchanted these ten organs and they continually wander in doubt.

ਹਾਠਾ ਦੋਵੈ ਕੀਤੀਓ ਸਿਵ ਸਕਤਿ ਵਰਤਾਈਆ ॥

हाठा दोवै कीतीओ सिव सकति वरताईआ ॥

तूने अपनी जगत् रूपी खेल के दो हिस्से बनाए हैं, जीव और माया को बनाया है।

It is You who have created both sides, and have staged the play between the mind and the Maya.

ਸਿਵ ਅਗੈ ਸਕਤੀ ਹਾਰਿਆ ਏਵੈ ਹਰਿ ਭਾਈਆ ॥

सिव अगै सकती हारिआ एवै हरि भाईआ ॥

जीव माया के आगे पराजित हुआ है, ईश्वर को ऐसे ही भाया है।

O’ God, this is how You liked that mind loses out to the Maya.

ਇਕਿ ਵਿਚਹੁ ਹੀ ਤੁਧੁ ਰਖਿਆ ਜੋ ਸਤਸੰਗਿ ਮਿਲਾਈਆ ॥

इकि विचहु ही तुधु रखिआ जो सतसंगि मिलाईआ ॥

जिन्हें तूने सत्संग में मिलाया है, इनमें से कई जीवों को तूने बचा लिया है।

Many beings whom You united with the holy congregation and saved them from the Maya,

ਜਲ ਵਿਚਹੁ ਬਿੰਬੁ ਉਠਾਲਿਓ ਜਲ ਮਾਹਿ ਸਮਾਈਆ ॥੬॥

जल विचहु बि्मबु उठालिओ जल माहि समाईआ ॥६॥

जल में से उत्पन्न किया हुआ बुलबुला जल में ही विलीन हो जाता है। ६॥

and they merged back into You, just as a bubble which emerges from water, merges back into water. ||6||

ਡਖਣੇ ਮਃ ੫ ॥

डखणे मः ५ ॥

डखणे महला ५॥

Dakhanay, Fifth Guru:

ਆਗਾਹਾ ਕੂ ਤ੍ਰਾਘਿ ਪਿਛਾ ਫੇਰਿ ਨ ਮੁਹਡੜਾ ॥

आगाहा कू त्राघि पिछा फेरि न मुहडड़ा ॥

हे मानव ! तू आगे प्रभु-चरणों में पहुँचने की महत्वाकांक्षा कर और संसार की तरफ पीछे मत देख।

O’ mortal, long for achieving spiritual growth, do not look back at past deeds.

ਨਾਨਕ ਸਿਝਿ ਇਵੇਹਾ ਵਾਰ ਬਹੁੜਿ ਨ ਹੋਵੀ ਜਨਮੜਾ ॥੧॥

नानक सिझि इवेहा वार बहुड़ि न होवी जनमड़ा ॥१॥

हे नानक ! इस मानव-जन्म में ही अपना जीवन सफल कर लो, दोबारा तुम्हारा जन्म नहीं होगा॥ १॥

O’ Nanak, win the game of life now, so that you may not have to take birth again. ||1||

ਮਃ ੫ ॥

मः ५ ॥

महला ५॥

Fifth Guru:

ਸਜਣੁ ਮੈਡਾ ਚਾਈਆ ਹਭ ਕਹੀ ਦਾ ਮਿਤੁ ॥

सजणु मैडा चाईआ हभ कही दा मितु ॥

मेरं सज्जन प्रभु बड़ा रंगीला है, सबका प्यारा मित्र है।

My beloved God is full of love and is a friend of all.

ਹਭੇ ਜਾਣਨਿ ਆਪਣਾ ਕਹੀ ਨ ਠਾਹੇ ਚਿਤੁ ॥੨॥

हभे जाणनि आपणा कही न ठाहे चितु ॥२॥

सब जीव उसे अपना ही समझते हैं और वह किसी का दिल नहीं तोड़ता॥ २॥

Everyone thinks of Him as their own; He does not hurt any one’s feelings. ||2||

ਮਃ ੫ ॥

मः ५ ॥

महला ५॥

Fifth Guru:

ਗੁਝੜਾ ਲਧਮੁ ਲਾਲੁ ਮਥੈ ਹੀ ਪਰਗਟੁ ਥਿਆ ॥

गुझड़ा लधमु लालु मथै ही परगटु थिआ ॥

मैंने रहस्यपूर्ण प्यारे प्रभु को ढूंढ लिया है, वह मेरे समक्ष ही प्रगट हो गया है।

Because of my preordained destiny, I have realized the beloved God who was hidden in my heart.

ਸੋਈ ਸੁਹਾਵਾ ਥਾਨੁ ਜਿਥੈ ਪਿਰੀਏ ਨਾਨਕ ਜੀ ਤੂ ਵੁਠਿਆ ॥੩॥

सोई सुहावा थानु जिथै पिरीए नानक जी तू वुठिआ ॥३॥

नानक का कथन है कि हे प्रियतम प्रभु ! वही ह्रदय रूपी स्थान सुन्दर हो गया, जहाँ तू बस गया है॥ ३॥

O’ Nanak! say, O’ Husband God! embellished becomes that heart in which You manifest. ||3||

ਪਉੜੀ ॥

पउड़ी ॥

पउड़ी॥

Pauree:

ਜਾ ਤੂ ਮੇਰੈ ਵਲਿ ਹੈ ਤਾ ਕਿਆ ਮੁਹਛੰਦਾ ॥

जा तू मेरै वलि है ता किआ मुहछंदा ॥

हे ईश्वर ! जब तू मेरे साथ है तो अब मुझे किसी पर निर्भर अथवा आश्रित होने की क्या आवश्यकता है।

O’ God, when You are on my side, then why do I need to be dependent on anybody else?

ਤੁਧੁ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਮੈਨੋ ਸਉਪਿਆ ਜਾ ਤੇਰਾ ਬੰਦਾ ॥

तुधु सभु किछु मैनो सउपिआ जा तेरा बंदा ॥

सच तो यही है कि तूने सब कुछ मुझे ही दे दिया है और मैं एक तेरा ही सेवक हूँ।

Since the time I have become Your devotee, You have provided me with everything.

ਲਖਮੀ ਤੋਟਿ ਨ ਆਵਈ ਖਾਇ ਖਰਚਿ ਰਹੰਦਾ ॥

लखमी तोटि न आवई खाइ खरचि रहंदा ॥

मैं बेशक कितना ही खाता एवं खर्च करता रहता हूँ, मगर धन-दौलत की किसी प्रकार की कमी नहीं आई।

Even after spending, sharing and amassing, I never fall short of the wealth of Naam.

ਲਖ ਚਉਰਾਸੀਹ ਮੇਦਨੀ ਸਭ ਸੇਵ ਕਰੰਦਾ ॥

लख चउरासीह मेदनी सभ सेव करंदा ॥

चौरासी लाख योनियों के सृष्टि के सब जीव तेरी ही उपासना करते हैं।

It appears that millions of species of beings are serving me.

ਏਹ ਵੈਰੀ ਮਿਤ੍ਰ ਸਭਿ ਕੀਤਿਆ ਨਹ ਮੰਗਹਿ ਮੰਦਾ ॥

एह वैरी मित्र सभि कीतिआ नह मंगहि मंदा ॥

सब शत्रुओं को तूने मेरा मित्र बना दिया है और अब वे बिल्कुल भी मेरा बुरा नहीं चाहते।

You have made all enemies as my friends, and none wishes ill of me.

ਲੇਖਾ ਕੋਇ ਨ ਪੁਛਈ ਜਾ ਹਰਿ ਬਖਸੰਦਾ ॥

लेखा कोइ न पुछई जा हरि बखसंदा ॥

जब परमात्मा क्षमावान् है तो फिर कर्मो का हिसाब कोई भी नहीं पूछता।

O’ God, since You are my forgiver, then no one asks me for the account of my past deeds.

ਅਨੰਦੁ ਭਇਆ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਮਿਲਿ ਗੁਰ ਗੋਵਿੰਦਾ ॥

अनंदु भइआ सुखु पाइआ मिलि गुर गोविंदा ॥

गोविंद गुरु को मिलकर हमने परम सुख पा लिया है और मन में आनंद ही आनंद हो गया है।

After meeting with the Divine-Guru, I have become blissful, and I have received inner peace.

ਸਭੇ ਕਾਜ ਸਵਾਰਿਐ ਜਾ ਤੁਧੁ ਭਾਵੰਦਾ ॥੭॥

सभे काज सवारिऐ जा तुधु भावंदा ॥७॥

अगर तू चाहता है तो सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।॥ ७॥

When it pleases You, all my tasks get accomplished. ||7||

ਡਖਣੇ ਮਃ ੫ ॥

डखणे मः ५ ॥

डखणे महला ५॥

Dakhanay, Fifth Guru:

ਡੇਖਣ ਕੂ ਮੁਸਤਾਕੁ ਮੁਖੁ ਕਿਜੇਹਾ ਤਉ ਧਣੀ ॥

डेखण कू मुसताकु मुखु किजेहा तउ धणी ॥

हे मालिक ! मैं तेरे दर्शनों का आकांक्षी हूँ, तेरा मुख कैसा है, कैसे बताऊँ कि

O’ God! I am so eager to see You; what does Your face look like?

ਫਿਰਦਾ ਕਿਤੈ ਹਾਲਿ ਜਾ ਡਿਠਮੁ ਤਾ ਮਨੁ ਧ੍ਰਾਪਿਆ ॥੧॥

फिरदा कितै हालि जा डिठमु ता मनु ध्रापिआ ॥१॥

मैं किस हाल में भटकता फिरता था, लेकिन जब तुझे देखा तो मन तृप्त हो गया॥ १॥

I wandered around in such a miserable state, but when I saw (realized) You, my mind became satiated. ||1||

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