ਰਾਜਨ ਕਉਨੁ ਤੁਮਾਰੈ ਆਵੈ ॥
राजन कउनु तुमारै आवै ॥
हे राजन ! तुम्हारे सुन्दर घर में कौन आए?
ਐਸੋ ਭਾਉ ਬਿਦਰ ਕੋ ਦੇਖਿਓ ਓਹੁ ਗਰੀਬੁ ਮੋਹਿ ਭਾਵੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
ऐसो भाउ बिदर को देखिओ ओहु गरीबु मोहि भावै ॥१॥ रहाउ ॥
मैंने विदुर का ऐसा प्रेम देखा है कि वह गरीब ही मुझे अच्छा लगता है॥ १॥ रहाउ॥
ਹਸਤੀ ਦੇਖਿ ਭਰਮ ਤੇ ਭੂਲਾ ਸ੍ਰੀ ਭਗਵਾਨੁ ਨ ਜਾਨਿਆ ॥
हसती देखि भरम ते भूला स्री भगवानु न जानिआ ॥
हाथी इत्यादि (सत्ता) देखकर तुम भ्रम में ही भूले हुए हो किन्तु भगवान की महिमा को नहीं जाना।
ਤੁਮਰੋ ਦੂਧੁ ਬਿਦਰ ਕੋ ਪਾਨੑੋ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਕਰਿ ਮੈ ਮਾਨਿਆ ॥੧॥
तुमरो दूधु बिदर को पान्हो अम्रितु करि मै मानिआ ॥१॥
तुम्हारे दूध की अपेक्षा विदुर का पानी मैंने अमृत समान माना है॥ १॥
ਖੀਰ ਸਮਾਨਿ ਸਾਗੁ ਮੈ ਪਾਇਆ ਗੁਨ ਗਾਵਤ ਰੈਨਿ ਬਿਹਾਨੀ ॥
खीर समानि सागु मै पाइआ गुन गावत रैनि बिहानी ॥
मुझे उसका साग (तेरी) खीर के समान स्वादिष्ट प्रतीत हुआ और भगवान् का गुणगान करते हुए रात्रि व्यतीत हुई।
ਕਬੀਰ ਕੋ ਠਾਕੁਰੁ ਅਨਦ ਬਿਨੋਦੀ ਜਾਤਿ ਨ ਕਾਹੂ ਕੀ ਮਾਨੀ ॥੨॥੯॥
कबीर को ठाकुरु अनद बिनोदी जाति न काहू की मानी ॥२॥९॥
कबीर का मालिक बड़ा आनंदी एवं विचित्र लीलाएँ करने वाला है, वह किसी की ऊँची अथवा नीच जाति को नहीं मानता॥ २॥ ६॥
ਸਲੋਕ ਕਬੀਰ ॥
सलोक कबीर ॥
श्लोक कबीर।
ਗਗਨ ਦਮਾਮਾ ਬਾਜਿਓ ਪਰਿਓ ਨੀਸਾਨੈ ਘਾਉ ॥
गगन दमामा बाजिओ परिओ नीसानै घाउ ॥
गगन तक युद्ध का विगुल बज चुका है और नगाड़े पर भी चोट हो गई है।
ਖੇਤੁ ਜੁ ਮਾਂਡਿਓ ਸੂਰਮਾ ਅਬ ਜੂਝਨ ਕੋ ਦਾਉ ॥੧॥
खेतु जु मांडिओ सूरमा अब जूझन को दाउ ॥१॥
शूरवीरों ने रणभूमि में तैयारी कर ली है और अब उनके लिए शत्रुओं से जूझने का समय आ गया है॥ १॥
ਸੂਰਾ ਸੋ ਪਹਿਚਾਨੀਐ ਜੁ ਲਰੈ ਦੀਨ ਕੇ ਹੇਤ ॥
सूरा सो पहिचानीऐ जु लरै दीन के हेत ॥
सच्चा शूरवीर वही समझा जाता है जो अपने धर्म एवं मासूमों के लिए लड़ता है।
ਪੁਰਜਾ ਪੁਰਜਾ ਕਟਿ ਮਰੈ ਕਬਹੂ ਨ ਛਾਡੈ ਖੇਤੁ ॥੨॥੨॥
पुरजा पुरजा कटि मरै कबहू न छाडै खेतु ॥२॥२॥
धर्म एवं गरीबों की खातिर चाहे वह अंग-अंग से कट कर मर जाए किन्तु वह रणभूमि को कदापि नहीं छोड़ता॥ २॥ २॥
ਕਬੀਰ ਕਾ ਸਬਦੁ ਰਾਗੁ ਮਾਰੂ ਬਾਣੀ ਨਾਮਦੇਉ ਜੀ ਕੀ
कबीर का सबदु रागु मारू बाणी नामदेउ जी की
कबीर का सबदु रागु मारू बाणी नामदेउ जी की
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि॥
ਚਾਰਿ ਮੁਕਤਿ ਚਾਰੈ ਸਿਧਿ ਮਿਲਿ ਕੈ ਦੂਲਹ ਪ੍ਰਭ ਕੀ ਸਰਨਿ ਪਰਿਓ ॥
चारि मुकति चारै सिधि मिलि कै दूलह प्रभ की सरनि परिओ ॥
जब हम पति-प्रभु की शरण में आ गए तो चारों मुक्तियाँ एवं चारों सिद्धियाँ हमें प्राप्त हो गई।
ਮੁਕਤਿ ਭਇਓ ਚਉਹੂੰ ਜੁਗ ਜਾਨਿਓ ਜਸੁ ਕੀਰਤਿ ਮਾਥੈ ਛਤ੍ਰੁ ਧਰਿਓ ॥੧॥
मुकति भइओ चउहूं जुग जानिओ जसु कीरति माथै छत्रु धरिओ ॥१॥
जब मुक्ति प्राप्त हो गई तो चारों युगों में विख्यात हो गया और परमात्मा ने यश एवं कीर्ति का छत्र हमारे सिर पर झुला दिया है॥ १॥
ਰਾਜਾ ਰਾਮ ਜਪਤ ਕੋ ਕੋ ਨ ਤਰਿਓ ॥
राजा राम जपत को को न तरिओ ॥
राम का नाम जपकर भला कौन-कौन पार नहीं हुआ ?
ਗੁਰ ਉਪਦੇਸਿ ਸਾਧ ਕੀ ਸੰਗਤਿ ਭਗਤੁ ਭਗਤੁ ਤਾ ਕੋ ਨਾਮੁ ਪਰਿਓ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
गुर उपदेसि साध की संगति भगतु भगतु ता को नामु परिओ ॥१॥ रहाउ ॥
जिसने भी गुरु का उपदेश सुना, साधु-पुरुषों की संगति की है, उसका ही नाम भक्त पड़ गया है॥ १॥ रहाउ॥
ਸੰਖ ਚਕ੍ਰ ਮਾਲਾ ਤਿਲਕੁ ਬਿਰਾਜਿਤ ਦੇਖਿ ਪ੍ਰਤਾਪੁ ਜਮੁ ਡਰਿਓ ॥
संख चक्र माला तिलकु बिराजित देखि प्रतापु जमु डरिओ ॥
जिस पर शंख, चक्र, माला एवं तिलक शोभायमान है, उस परमात्मा के प्रताप को देखकर यम भी डरकर भाग गए हैं।
ਨਿਰਭਉ ਭਏ ਰਾਮ ਬਲ ਗਰਜਿਤ ਜਨਮ ਮਰਨ ਸੰਤਾਪ ਹਿਰਿਓ ॥੨॥
निरभउ भए राम बल गरजित जनम मरन संताप हिरिओ ॥२॥
राम के बल से निर्भय हो गए हैं और जन्म-मरण का दुख मिट गया है॥ २॥
ਅੰਬਰੀਕ ਕਉ ਦੀਓ ਅਭੈ ਪਦੁ ਰਾਜੁ ਭਭੀਖਨ ਅਧਿਕ ਕਰਿਓ ॥
अ्मबरीक कउ दीओ अभै पदु राजु भभीखन अधिक करिओ ॥
भगवान् ने राजा अंबरीष को अभय-पद प्रदान किया था और प्रभु के वर से ही विभीषण ने अधिकतर समय लंका पर राज्य किया।
ਨਉ ਨਿਧਿ ਠਾਕੁਰਿ ਦਈ ਸੁਦਾਮੈ ਧ੍ਰੂਅ ਅਟਲੁ ਅਜਹੂ ਨ ਟਰਿਓ ॥੩॥
नउ निधि ठाकुरि दई सुदामै ध्रूअ अटलु अजहू न टरिओ ॥३॥
उस ठाकुर जी ने गरीब सुदामा को नौ निधियाँ प्रदान की थीं और भक्त धुव को अटल कर दिया जो अभी तक कायम है॥ ३॥
ਭਗਤ ਹੇਤਿ ਮਾਰਿਓ ਹਰਨਾਖਸੁ ਨਰਸਿੰਘ ਰੂਪ ਹੋਇ ਦੇਹ ਧਰਿਓ ॥
भगत हेति मारिओ हरनाखसु नरसिंघ रूप होइ देह धरिओ ॥
अपने भक्त प्रहलाद के लिए नृसिंह अवतार धारण करके दुष्ट हिरण्यकशिपु का वध किया।
ਨਾਮਾ ਕਹੈ ਭਗਤਿ ਬਸਿ ਕੇਸਵ ਅਜਹੂੰ ਬਲਿ ਕੇ ਦੁਆਰ ਖਰੋ ॥੪॥੧॥
नामा कहै भगति बसि केसव अजहूं बलि के दुआर खरो ॥४॥१॥
नामदेव कहते हैं कि ईश्वर तो भक्ति के वश में है और आज भी राजा बलि के द्वार पर खड़ा है।४॥ १॥
ਮਾਰੂ ਕਬੀਰ ਜੀਉ ॥
मारू कबीर जीउ ॥
मारू कबीर जीउ॥
ਦੀਨੁ ਬਿਸਾਰਿਓ ਰੇ ਦਿਵਾਨੇ ਦੀਨੁ ਬਿਸਾਰਿਓ ਰੇ ॥
दीनु बिसारिओ रे दिवाने दीनु बिसारिओ रे ॥
अरे पगले ! तूने अपना धर्म ही भुला दिया है।
ਪੇਟੁ ਭਰਿਓ ਪਸੂਆ ਜਿਉ ਸੋਇਓ ਮਨੁਖੁ ਜਨਮੁ ਹੈ ਹਾਰਿਓ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
पेटु भरिओ पसूआ जिउ सोइओ मनुखु जनमु है हारिओ ॥१॥ रहाउ ॥
पशु की तरह पेट भरकर तू गहरी नीद सोया रहता है और मनुष्य-जन्म व्यर्थ ही गंवा दिया है॥ १॥ रहाउ॥
ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਕਬਹੂ ਨਹੀ ਕੀਨੀ ਰਚਿਓ ਧੰਧੈ ਝੂਠ ॥
साधसंगति कबहू नही कीनी रचिओ धंधै झूठ ॥
साधु-पुरुषों की कभी संगति ही नहीं की, अपितु जग के झूठे धेधों में ही लीन रहा।
ਸੁਆਨ ਸੂਕਰ ਬਾਇਸ ਜਿਵੈ ਭਟਕਤੁ ਚਾਲਿਓ ਊਠਿ ॥੧॥
सुआन सूकर बाइस जिवै भटकतु चालिओ ऊठि ॥१॥
कुते, सूअर एवं कौए की तरह मनुष्य भटकता रहता है और अंत में फिर संसार से चल देता है॥ १॥
ਆਪਸ ਕਉ ਦੀਰਘੁ ਕਰਿ ਜਾਨੈ ਅਉਰਨ ਕਉ ਲਗ ਮਾਤ ॥
आपस कउ दीरघु करि जानै अउरन कउ लग मात ॥
मनुष्य स्वयं को बड़ा समझता है किन्तु अन्य लोगों को छोटे से छोटा समझता है।
ਮਨਸਾ ਬਾਚਾ ਕਰਮਨਾ ਮੈ ਦੇਖੇ ਦੋਜਕ ਜਾਤ ॥੨॥
मनसा बाचा करमना मै देखे दोजक जात ॥२॥
अपने मन, वचन एवं कर्म द्वारा ऐसा करने वालों को मैंने नरक में ही जाते देखा है॥ २॥
ਕਾਮੀ ਕ੍ਰੋਧੀ ਚਾਤੁਰੀ ਬਾਜੀਗਰ ਬੇਕਾਮ ॥
कामी क्रोधी चातुरी बाजीगर बेकाम ॥
कामी, क्रोधी, चालवाज एवं छल-कपट करने वाले सभी निकम्मे हैं,
ਨਿੰਦਾ ਕਰਤੇ ਜਨਮੁ ਸਿਰਾਨੋ ਕਬਹੂ ਨ ਸਿਮਰਿਓ ਰਾਮੁ ॥੩॥
निंदा करते जनमु सिरानो कबहू न सिमरिओ रामु ॥३॥
उन्होंने राम का तो कभी स्मरण नहीं किया, अपितु दूसरों की निंदा करते हुए अपना जन्म व्यर्थ ही व्यतीत कर दिया है॥ ३॥
ਕਹਿ ਕਬੀਰ ਚੇਤੈ ਨਹੀ ਮੂਰਖੁ ਮੁਗਧੁ ਗਵਾਰੁ ॥
कहि कबीर चेतै नही मूरखु मुगधु गवारु ॥
कबीर जी कहते हैं केि मूर्ख-गंवार जीव चिंतन ही नहीं करता,
ਰਾਮੁ ਨਾਮੁ ਜਾਨਿਓ ਨਹੀ ਕੈਸੇ ਉਤਰਸਿ ਪਾਰਿ ॥੪॥੧॥
रामु नामु जानिओ नही कैसे उतरसि पारि ॥४॥१॥
फिर राम नाम के रहस्य को जागे बिना वह कैसे पार उतर सकता है॥ ४॥ १॥