ਖੋਜਤ ਖੋਜਤ ਇਹੈ ਬੀਚਾਰਿਓ ਸਰਬ ਸੁਖਾ ਹਰਿ ਨਾਮਾ ॥
खोजत खोजत इहै बीचारिओ सरब सुखा हरि नामा ॥
खोजते-खोजते यही निष्कर्ष पाया है कि परमेश्वर का नाम ही सर्व सुख प्रदान करने वाला है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਤਿਸੁ ਭਇਓ ਪਰਾਪਤਿ ਜਾ ਕੈ ਲੇਖੁ ਮਥਾਮਾ ॥੪॥੧੧॥
कहु नानक तिसु भइओ परापति जा कै लेखु मथामा ॥४॥११॥
हे नानक ! यह उसको ही प्राप्त होता है, जिसका उत्तम भाग्य होता है।॥४॥ ११ ॥
ਸਾਰਗ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सारग महला ५ ॥
सारग महला ५ ॥
ਅਨਦਿਨੁ ਰਾਮ ਕੇ ਗੁਣ ਕਹੀਐ ॥
अनदिनु राम के गुण कहीऐ ॥
हर पल भगवान की महिमागान करनी चाहिए,
ਸਗਲ ਪਦਾਰਥ ਸਰਬ ਸੂਖ ਸਿਧਿ ਮਨ ਬਾਂਛਤ ਫਲ ਲਹੀਐ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
सगल पदारथ सरब सूख सिधि मन बांछत फल लहीऐ ॥१॥ रहाउ ॥
इससे सब पदार्थ, सर्व सुख, सिद्धियाँ एवं मनवांछित फल की प्राप्ति होती है॥१॥रहाउ॥।
ਆਵਹੁ ਸੰਤ ਪ੍ਰਾਨ ਸੁਖਦਾਤੇ ਸਿਮਰਹ ਪ੍ਰਭੁ ਅਬਿਨਾਸੀ ॥
आवहु संत प्रान सुखदाते सिमरह प्रभु अबिनासी ॥
हे सज्जनो ! आओ, प्राणों को सुख देने वाले, अविनाशी प्रभु की आराधना करें।
ਅਨਾਥਹ ਨਾਥੁ ਦੀਨ ਦੁਖ ਭੰਜਨ ਪੂਰਿ ਰਹਿਓ ਘਟ ਵਾਸੀ ॥੧॥
अनाथह नाथु दीन दुख भंजन पूरि रहिओ घट वासी ॥१॥
अनाथों का नाथ, दीन-दुखियों के दुख नाश करने वाला दिल में ही बसा हुआ है॥१॥
ਗਾਵਤ ਸੁਨਤ ਸੁਨਾਵਤ ਸਰਧਾ ਹਰਿ ਰਸੁ ਪੀ ਵਡਭਾਗੇ ॥
गावत सुनत सुनावत सरधा हरि रसु पी वडभागे ॥
भाग्यशाली पुरुष प्रभु के गुण गाता, उसका यश सुनता-सुनाता है और श्रद्धापूर्वक हरि रस का पान करता है।
ਕਲਿ ਕਲੇਸ ਮਿਟੇ ਸਭਿ ਤਨ ਤੇ ਰਾਮ ਨਾਮ ਲਿਵ ਜਾਗੇ ॥੨॥
कलि कलेस मिटे सभि तन ते राम नाम लिव जागे ॥२॥
यदि राम नाम में ध्यान लगाया जाए तो तन से सभी कलह-कलेश मिट जाते हैं।॥२॥
ਕਾਮੁ ਕ੍ਰੋਧੁ ਝੂਠੁ ਤਜਿ ਨਿੰਦਾ ਹਰਿ ਸਿਮਰਨਿ ਬੰਧਨ ਤੂਟੇ ॥
कामु क्रोधु झूठु तजि निंदा हरि सिमरनि बंधन तूटे ॥
काम, क्रोध, झूठ एवं निंदा को छोड़कर परमेश्वर का स्मरण करने से सब बन्धनों से छुटकारा हो जाता है।
ਮੋਹ ਮਗਨ ਅਹੰ ਅੰਧ ਮਮਤਾ ਗੁਰ ਕਿਰਪਾ ਤੇ ਛੂਟੇ ॥੩॥
मोह मगन अहं अंध ममता गुर किरपा ते छूटे ॥३॥
गुरु की कृपा से मोह में मग्न, अहंकार में अंधा हुआ जीव ममत्व इत्यादि सब बन्धनों से मुक्त हो जाता है॥३॥
ਤੂ ਸਮਰਥੁ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਸੁਆਮੀ ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਜਨੁ ਤੇਰਾ ॥
तू समरथु पारब्रहम सुआमी करि किरपा जनु तेरा ॥
हे परब्रह्म स्वामी ! तू सर्वशक्तिमान है, अपने भक्त पर कृपा करो।
ਪੂਰਿ ਰਹਿਓ ਸਰਬ ਮਹਿ ਠਾਕੁਰੁ ਨਾਨਕ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਨੇਰਾ ॥੪॥੧੨॥
पूरि रहिओ सरब महि ठाकुरु नानक सो प्रभु नेरा ॥४॥१२॥
नानक का कथन है कि मालिक सब में मौजूद है और वह प्रभु हमारे निकट ही है॥४ ॥ १२ ॥
ਸਾਰਗ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सारग महला ५ ॥
सारग महला ५ ॥
ਬਲਿਹਾਰੀ ਗੁਰਦੇਵ ਚਰਨ ॥
बलिहारी गुरदेव चरन ॥
मैं गुरुदेव के चरणों पर कुर्बान जाता हूँ,
ਜਾ ਕੈ ਸੰਗਿ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਧਿਆਈਐ ਉਪਦੇਸੁ ਹਮਾਰੀ ਗਤਿ ਕਰਨ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जा कै संगि पारब्रहमु धिआईऐ उपदेसु हमारी गति करन ॥१॥ रहाउ ॥
जिनके साथ परब्रह्म का ध्यान होता है और उनका उपदेश हमारी मुक्ति करता है ॥१॥रहाउ॥
ਦੂਖ ਰੋਗ ਭੈ ਸਗਲ ਬਿਨਾਸੇ ਜੋ ਆਵੈ ਹਰਿ ਸੰਤ ਸਰਨ ॥
दूख रोग भै सगल बिनासे जो आवै हरि संत सरन ॥
जो भी संतों की शरण में आता है, उसके दुख, रोग भय सब नाश हो जाते हैं।
ਆਪਿ ਜਪੈ ਅਵਰਹ ਨਾਮੁ ਜਪਾਵੈ ਵਡ ਸਮਰਥ ਤਾਰਨ ਤਰਨ ॥੧॥
आपि जपै अवरह नामु जपावै वड समरथ तारन तरन ॥१॥
ये स्वयं तो परमात्मा का जाप करते ही हैं, अन्य लोगों को भी नाम का ही जाप करवाते हैं।
ਜਾ ਕੋ ਮੰਤ੍ਰੁ ਉਤਾਰੈ ਸਹਸਾ ਊਣੇ ਕਉ ਸੁਭਰ ਭਰਨ ॥
जा को मंत्रु उतारै सहसा ऊणे कउ सुभर भरन ॥
वे इतने समर्थ हैं कि जीव को संसार-सागर से पार उतार देते हैं ॥१॥
ਹਰਿ ਦਾਸਨ ਕੀ ਆਗਿਆ ਮਾਨਤ ਤੇ ਨਾਹੀ ਫੁਨਿ ਗਰਭ ਪਰਨ ॥੨॥
हरि दासन की आगिआ मानत ते नाही फुनि गरभ परन ॥२॥
जिनका मंत्र सब संदेह समाप्त कर देता है और खाली को पूर्णतया भर देता है, उन ईश्वर-भक्तों की आज्ञा मानने से पुनः गर्भ योनि में नहीं आना पड़ता ॥२॥
ਭਗਤਨ ਕੀ ਟਹਲ ਕਮਾਵਤ ਗਾਵਤ ਦੁਖ ਕਾਟੇ ਤਾ ਕੇ ਜਨਮ ਮਰਨ ॥
भगतन की टहल कमावत गावत दुख काटे ता के जनम मरन ॥
जो भक्तों की सेवा करते हैं, उनके गुण गाते हैं, उनके जन्म-मरण के दुख कट जाते हैं।
ਜਾ ਕਉ ਭਇਓ ਕ੍ਰਿਪਾਲੁ ਬੀਠੁਲਾ ਤਿਨਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਅਜਰ ਜਰਨ ॥੩॥
जा कउ भइओ क्रिपालु बीठुला तिनि हरि हरि अजर जरन ॥३॥
जिन पर ईश्वर कृपालु होता है, ऐसे लोग प्रभु भजन करते हुए अमर हो जाते हैं।॥३॥
ਹਰਿ ਰਸਹਿ ਅਘਾਨੇ ਸਹਜਿ ਸਮਾਨੇ ਮੁਖ ਤੇ ਨਾਹੀ ਜਾਤ ਬਰਨ ॥
हरि रसहि अघाने सहजि समाने मुख ते नाही जात बरन ॥
जो हरि रस से तृप्त होकर सहजावस्था में लीन रहते हैं, उनकी कीर्ति मुँह से वर्णन नहीं की जा सकती।
ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ਨਾਨਕ ਸੰਤੋਖੇ ਨਾਮੁ ਪ੍ਰਭੂ ਜਪਿ ਜਪਿ ਉਧਰਨ ॥੪॥੧੩॥
गुर प्रसादि नानक संतोखे नामु प्रभू जपि जपि उधरन ॥४॥१३॥
हे नानक ! गुरु की कृपा से प्रभु नाम का स्मरण करके संतुष्ट हो गए हैं और प्रभु का निरंतर जाप करके उनकी मुक्ति हो गई है॥४॥ १३॥
ਸਾਰਗ ਮਹਲਾ ੫ ॥
सारग महला ५ ॥
सारग महला ५ ॥
ਗਾਇਓ ਰੀ ਮੈ ਗੁਣ ਨਿਧਿ ਮੰਗਲ ਗਾਇਓ ॥
गाइओ री मै गुण निधि मंगल गाइओ ॥
अरी सखी ! मैंने गुणों के भण्डार निरंकार का ही मंगलगान किया है।
ਭਲੇ ਸੰਜੋਗ ਭਲੇ ਦਿਨ ਅਉਸਰ ਜਉ ਗੋਪਾਲੁ ਰੀਝਾਇਓ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
भले संजोग भले दिन अउसर जउ गोपालु रीझाइओ ॥१॥ रहाउ ॥
वे संयोग, दिन एवं अवसर सब भले हैं, जब प्रभु को प्रसन्न किया॥१॥रहाउ॥।
ਸੰਤਹ ਚਰਨ ਮੋਰਲੋ ਮਾਥਾ ॥
संतह चरन मोरलो माथा ॥
मेरा माथा संत पुरुषों के चरणों में नत है,
ਹਮਰੇ ਮਸਤਕਿ ਸੰਤ ਧਰੇ ਹਾਥਾ ॥੧॥
हमरे मसतकि संत धरे हाथा ॥१॥
उन्होंने हमारे माथे पर अपना (आशीष) हाथ रख दिया है॥१॥
ਸਾਧਹ ਮੰਤ੍ਰੁ ਮੋਰਲੋ ਮਨੂਆ ॥
साधह मंत्रु मोरलो मनूआ ॥
जब से साधुओं के मंत्र (उपदेश) का अभ्यास किया है,
ਤਾ ਤੇ ਗਤੁ ਹੋਏ ਤ੍ਰੈ ਗੁਨੀਆ ॥੨॥
ता ते गतु होए त्रै गुनीआ ॥२॥
हमारा तीन गुणों से छुटकारा हो गया है॥२॥
ਭਗਤਹ ਦਰਸੁ ਦੇਖਿ ਨੈਨ ਰੰਗਾ ॥
भगतह दरसु देखि नैन रंगा ॥
भक्तों के दर्शन पाकर नयनों में प्रभु का रंग लग गया है और
ਲੋਭ ਮੋਹ ਤੂਟੇ ਭ੍ਰਮ ਸੰਗਾ ॥੩॥
लोभ मोह तूटे भ्रम संगा ॥३॥
लोभ, मोह एवं भ्रम समाप्त हो गए हैं।॥३॥
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਖ ਸਹਜ ਅਨੰਦਾ ॥
कहु नानक सुख सहज अनंदा ॥
हे नानक ! अब सहज सुख एवं आनंद प्राप्त हुआ है,
ਖੋਲ੍ਹ੍ਹਿ ਭੀਤਿ ਮਿਲੇ ਪਰਮਾਨੰਦਾ ॥੪॥੧੪॥
खोल्हि भीति मिले परमानंदा ॥४॥१४॥
अज्ञान की दीवार को खोलकर परमानंद मिला है॥४॥ १४॥
ਸਾਰਗ ਮਹਲਾ ੫ ਘਰੁ ੨
सारग महला ५ घरु २
सारग महला ५ घरु २
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ਕੈਸੇ ਕਹਉ ਮੋਹਿ ਜੀਅ ਬੇਦਨਾਈ ॥
कैसे कहउ मोहि जीअ बेदनाई ॥
मैं अपने दिल का दर्द कैसे बताऊँ।
ਦਰਸਨ ਪਿਆਸ ਪ੍ਰਿਅ ਪ੍ਰੀਤਿ ਮਨੋਹਰ ਮਨੁ ਨ ਰਹੈ ਬਹੁ ਬਿਧਿ ਉਮਕਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
दरसन पिआस प्रिअ प्रीति मनोहर मनु न रहै बहु बिधि उमकाई ॥१॥ रहाउ ॥
प्यारे प्रभु के दर्शन की तीव्र लालसा एवं प्रेम बना हुआ है और मन अनेक प्रकार से महत्वाकांक्षी है॥१॥रहाउ॥।