ਸੰਤ ਜਨਾ ਮਿਲਿ ਪਾਇਆ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿਦਾ ਮੇਰਾ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਸਜਣੁ ਸੈਣੀ ਜੀਉ ॥
संत जना मिलि पाइआ मेरे गोविदा मेरा हरि प्रभु सजणु सैणी जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द ! संतजनों से मिलकर मैंने अपने मित्र एवं सज्जन हरि-प्रभु को पा लिया है।
ਹਰਿ ਆਇ ਮਿਲਿਆ ਜਗਜੀਵਨੁ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਮੈ ਸੁਖਿ ਵਿਹਾਣੀ ਰੈਣੀ ਜੀਉ ॥੨॥
हरि आइ मिलिआ जगजीवनु मेरे गोविंदा मै सुखि विहाणी रैणी जीउ ॥२॥
हे मेरे गोविन्द! जगजीवन हरि आकर मुझे मिल गया है और अब मेरी जीवन रूपी रात्रि सुख से बीत रही है। ॥२॥
ਮੈ ਮੇਲਹੁ ਸੰਤ ਮੇਰਾ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਸਜਣੁ ਮੈ ਮਨਿ ਤਨਿ ਭੁਖ ਲਗਾਈਆ ਜੀਉ ॥
मै मेलहु संत मेरा हरि प्रभु सजणु मै मनि तनि भुख लगाईआ जीउ ॥
हे संतजनो ! मुझे मेरे सज्जन हरि-प्रभु से मिलाओ। मेरे मन एवं तन को उसके मिलन की भूख लगी हुई है।
ਹਉ ਰਹਿ ਨ ਸਕਉ ਬਿਨੁ ਦੇਖੇ ਮੇਰੇ ਪ੍ਰੀਤਮ ਮੈ ਅੰਤਰਿ ਬਿਰਹੁ ਹਰਿ ਲਾਈਆ ਜੀਉ ॥
हउ रहि न सकउ बिनु देखे मेरे प्रीतम मै अंतरि बिरहु हरि लाईआ जीउ ॥
मैं अपने प्रियतम के दर्शनों के बिना जीवित नहीं रह सकती। मेरे मन में प्रभु की जुदाई की पीड़ा विद्यमान है।
ਹਰਿ ਰਾਇਆ ਮੇਰਾ ਸਜਣੁ ਪਿਆਰਾ ਗੁਰੁ ਮੇਲੇ ਮੇਰਾ ਮਨੁ ਜੀਵਾਈਆ ਜੀਉ ॥
हरि राइआ मेरा सजणु पिआरा गुरु मेले मेरा मनु जीवाईआ जीउ ॥
सम्राट प्रभु मेरा सर्वप्रिय मित्र है। गुरदेव ने मुझे उनसे मिला दिया है और मेरा मन पुनः जीवित होकर ईश्वर-परायण हो गया है।
ਮੇਰੈ ਮਨਿ ਤਨਿ ਆਸਾ ਪੂਰੀਆ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਹਰਿ ਮਿਲਿਆ ਮਨਿ ਵਾਧਾਈਆ ਜੀਉ ॥੩॥
मेरै मनि तनि आसा पूरीआ मेरे गोविंदा हरि मिलिआ मनि वाधाईआ जीउ ॥३॥
मेरे मन एवं तन की आशाएँ पूर्ण हो गई हैं। हे मेरे गोविन्द! ईश्वर को मिलने से मेरे मन को शुभकामनाएँ मिल रही हैं। ॥३॥
ਵਾਰੀ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਵਾਰੀ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰਿਆ ਹਉ ਤੁਧੁ ਵਿਟੜਿਅਹੁ ਸਦ ਵਾਰੀ ਜੀਉ ॥
वारी मेरे गोविंदा वारी मेरे पिआरिआ हउ तुधु विटड़िअहु सद वारी जीउ ॥
हे मेरे प्रिय गोविन्द! मैं तुझ पर तन एवं मन से कुर्बान हूँ।
ਮੇਰੈ ਮਨਿ ਤਨਿ ਪ੍ਰੇਮੁ ਪਿਰੰਮ ਕਾ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿਦਾ ਹਰਿ ਪੂੰਜੀ ਰਾਖੁ ਹਮਾਰੀ ਜੀਉ ॥
मेरै मनि तनि प्रेमु पिरम का मेरे गोविदा हरि पूंजी राखु हमारी जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द! मेरे मन एवं तन में मेरे प्रियतम-पति की प्रीति है। हे प्रभु! मेरी प्रेम रूपी पूँजी की रक्षा कीजिए।
ਸਤਿਗੁਰੁ ਵਿਸਟੁ ਮੇਲਿ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਹਰਿ ਮੇਲੇ ਕਰਿ ਰੈਬਾਰੀ ਜੀਉ ॥
सतिगुरु विसटु मेलि मेरे गोविंदा हरि मेले करि रैबारी जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द! मुझे मेरे मध्यस्थ सतिगुरु से मिला दो, जो अपने मार्गदर्शन से मुझे परमेश्वर से मिला देगा।
ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਦਇਆ ਕਰਿ ਪਾਇਆ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਜਨ ਨਾਨਕੁ ਸਰਣਿ ਤੁਮਾਰੀ ਜੀਉ ॥੪॥੩॥੨੯॥੬੭॥
हरि नामु दइआ करि पाइआ मेरे गोविंदा जन नानकु सरणि तुमारी जीउ ॥४॥३॥२९॥६७॥
हे मेरे गोविन्द ! तेरी दया से मैंने हरि का नाम प्राप्त किया है। नानक ने तेरी ही शरण ली है ॥४॥३॥२९॥६७॥
ਗਉੜੀ ਮਾਝ ਮਹਲਾ ੪ ॥
गउड़ी माझ महला ४ ॥
गउड़ी माझ महला ४ ॥
ਚੋਜੀ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਚੋਜੀ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰਿਆ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਮੇਰਾ ਚੋਜੀ ਜੀਉ ॥
चोजी मेरे गोविंदा चोजी मेरे पिआरिआ हरि प्रभु मेरा चोजी जीउ ॥
हे मेरे प्रिय गोविन्द! तू बड़ा विनोदी है, मेरा प्रभु-परमेश्वर विनोदी है।
ਹਰਿ ਆਪੇ ਕਾਨ੍ਹ੍ਹੁ ਉਪਾਇਦਾ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿਦਾ ਹਰਿ ਆਪੇ ਗੋਪੀ ਖੋਜੀ ਜੀਉ ॥
हरि आपे कान्हु उपाइदा मेरे गोविदा हरि आपे गोपी खोजी जीउ ॥
परमेश्वर ने स्वयं ही कृष्ण को उत्पन्न किया है। हरि स्वयं ही कृष्ण को खोजने वाली गोपी है।
ਹਰਿ ਆਪੇ ਸਭ ਘਟ ਭੋਗਦਾ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਆਪੇ ਰਸੀਆ ਭੋਗੀ ਜੀਉ ॥
हरि आपे सभ घट भोगदा मेरे गोविंदा आपे रसीआ भोगी जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द ! ईश्वर स्वयं ही समस्त शरीरो में पदार्थों को भोगता है वह स्वयं ही रस भोगने वाला भोगी है,
ਹਰਿ ਸੁਜਾਣੁ ਨ ਭੁਲਈ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਆਪੇ ਸਤਿਗੁਰੁ ਜੋਗੀ ਜੀਉ ॥੧॥
हरि सुजाणु न भुलई मेरे गोविंदा आपे सतिगुरु जोगी जीउ ॥१॥
हे मेरे गोविन्द ! हरि स्वयं ही चतुर एवं अचूक है। वह स्वयं ही भोगों से निर्लिप्त सतिगुरु है। १॥
ਆਪੇ ਜਗਤੁ ਉਪਾਇਦਾ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿਦਾ ਹਰਿ ਆਪਿ ਖੇਲੈ ਬਹੁ ਰੰਗੀ ਜੀਉ ॥
आपे जगतु उपाइदा मेरे गोविदा हरि आपि खेलै बहु रंगी जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द ! ईश्वर स्वयं सृष्टि की रचना करता है और स्वयं ही अनेकों विधियों से खेलता है।
ਇਕਨਾ ਭੋਗ ਭੋਗਾਇਦਾ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਇਕਿ ਨਗਨ ਫਿਰਹਿ ਨੰਗ ਨੰਗੀ ਜੀਉ ॥
इकना भोग भोगाइदा मेरे गोविंदा इकि नगन फिरहि नंग नंगी जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द! कई प्राणियों को वह नियामतें प्रदान करता है, जिससे वे आनंद प्राप्त करते हैं और कई प्राणी नग्न होकर (जिनके तन पर वस्त्र नहीं) नंगे भटकते फिरते हैं।
ਆਪੇ ਜਗਤੁ ਉਪਾਇਦਾ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿਦਾ ਹਰਿ ਦਾਨੁ ਦੇਵੈ ਸਭ ਮੰਗੀ ਜੀਉ ॥
आपे जगतु उपाइदा मेरे गोविदा हरि दानु देवै सभ मंगी जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द! ईश्वर स्वयं सृष्टि की रचना करता है और माँगने वाले समस्त प्राणियों को दान प्रदान करता है,
ਭਗਤਾ ਨਾਮੁ ਆਧਾਰੁ ਹੈ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਹਰਿ ਕਥਾ ਮੰਗਹਿ ਹਰਿ ਚੰਗੀ ਜੀਉ ॥੨॥
भगता नामु आधारु है मेरे गोविंदा हरि कथा मंगहि हरि चंगी जीउ ॥२॥
हे मेरे गोविन्द! भक्तों को प्रभु-नाम का ही आधार है और वे श्रेष्ठ हरि कथा की माँग करते रहते हैं ॥२॥
ਹਰਿ ਆਪੇ ਭਗਤਿ ਕਰਾਇਦਾ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਹਰਿ ਭਗਤਾ ਲੋਚ ਮਨਿ ਪੂਰੀ ਜੀਉ ॥
हरि आपे भगति कराइदा मेरे गोविंदा हरि भगता लोच मनि पूरी जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द ! ईश्वर स्वयं ही भक्तों से अपनी भक्ति करवाता है और अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करता है।
ਆਪੇ ਜਲਿ ਥਲਿ ਵਰਤਦਾ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿਦਾ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਨਹੀ ਦੂਰੀ ਜੀਉ ॥
आपे जलि थलि वरतदा मेरे गोविदा रवि रहिआ नही दूरी जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द ! हरि जल-थल सर्वत्र विद्यमान है। वह सर्वव्यापक है और कहीं दूर नहीं रहता।
ਹਰਿ ਅੰਤਰਿ ਬਾਹਰਿ ਆਪਿ ਹੈ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿਦਾ ਹਰਿ ਆਪਿ ਰਹਿਆ ਭਰਪੂਰੀ ਜੀਉ ॥
हरि अंतरि बाहरि आपि है मेरे गोविदा हरि आपि रहिआ भरपूरी जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द ! भीतर एवं बाहर प्रभु स्वयं ही विद्यमान है। ईश्वर स्वयं ही समस्त स्थानों को परिपूर्ण कर रहा है।
ਹਰਿ ਆਤਮ ਰਾਮੁ ਪਸਾਰਿਆ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਹਰਿ ਵੇਖੈ ਆਪਿ ਹਦੂਰੀ ਜੀਉ ॥੩॥
हरि आतम रामु पसारिआ मेरे गोविंदा हरि वेखै आपि हदूरी जीउ ॥३॥
हे मेरे गोविन्द ! राम स्वयं ही इस जगत्-प्रसार को प्रसारित कर रहा है। प्रभु स्वयं निकट से सभी को देखता है॥ ३॥
ਹਰਿ ਅੰਤਰਿ ਵਾਜਾ ਪਉਣੁ ਹੈ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਹਰਿ ਆਪਿ ਵਜਾਏ ਤਿਉ ਵਾਜੈ ਜੀਉ ॥
हरि अंतरि वाजा पउणु है मेरे गोविंदा हरि आपि वजाए तिउ वाजै जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द! प्राणियों के भीतर पवन का नाद (बज रहा) है। जैसे ईश्वर स्वयं इसको बजाता है, वैसे ही यह गूंजता है।
ਹਰਿ ਅੰਤਰਿ ਨਾਮੁ ਨਿਧਾਨੁ ਹੈ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਗੁਰ ਸਬਦੀ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਗਾਜੈ ਜੀਉ ॥
हरि अंतरि नामु निधानु है मेरे गोविंदा गुर सबदी हरि प्रभु गाजै जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द! हम जीवों के अन्तर्मन में नाम रूपी खजाना है। गुरु के उपदेश से हरि-प्रभु प्रकट हो जाता है।
ਆਪੇ ਸਰਣਿ ਪਵਾਇਦਾ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦਾ ਹਰਿ ਭਗਤ ਜਨਾ ਰਾਖੁ ਲਾਜੈ ਜੀਉ ॥
आपे सरणि पवाइदा मेरे गोविंदा हरि भगत जना राखु लाजै जीउ ॥
हे मेरे गोविन्द! ईश्वर स्वयं ही मनुष्य को अपनी शरणागत में प्रवेश करवाता है और भक्तजनों की लाज रखता है।