ਪ੍ਰਭ ਕਿਰਪਾ ਤੇ ਹੋਇ ਪ੍ਰਗਾਸੁ ॥
प्रभ किरपा ते होइ प्रगासु ॥
प्रभु की कृपा से प्रकाश होता है।
ਪ੍ਰਭੂ ਦਇਆ ਤੇ ਕਮਲ ਬਿਗਾਸੁ ॥
प्रभू दइआ ते कमल बिगासु ॥
प्रभु की कृपा से हृदय-कमल प्रफुल्लित होता है।
ਪ੍ਰਭ ਸੁਪ੍ਰਸੰਨ ਬਸੈ ਮਨਿ ਸੋਇ ॥
प्रभ सुप्रसंन बसै मनि सोइ ॥
जब प्रभु सुप्रसन्न होता है, तो वह मनुष्य के हृदय में आ निवास करता है।
ਪ੍ਰਭ ਦਇਆ ਤੇ ਮਤਿ ਊਤਮ ਹੋਇ ॥
प्रभ दइआ ते मति ऊतम होइ ॥
प्रभु की दया से मनुष्य की बुद्धि उत्तम हो जाती है।
ਸਰਬ ਨਿਧਾਨ ਪ੍ਰਭ ਤੇਰੀ ਮਇਆ ॥
सरब निधान प्रभ तेरी मइआ ॥
हे प्रभु ! समस्त खजाने तेरी दया में हैं।
ਆਪਹੁ ਕਛੂ ਨ ਕਿਨਹੂ ਲਇਆ ॥
आपहु कछू न किनहू लइआ ॥
अपने आप किसी को कुछ भी प्राप्त नहीं होता।
ਜਿਤੁ ਜਿਤੁ ਲਾਵਹੁ ਤਿਤੁ ਲਗਹਿ ਹਰਿ ਨਾਥ ॥
जितु जितु लावहु तितु लगहि हरि नाथ ॥
हे हरि-परमेश्वर ! तुम जहाँ प्राणियों को लगाते हो, वे उधर ही लग जाते हैं।
ਨਾਨਕ ਇਨ ਕੈ ਕਛੂ ਨ ਹਾਥ ॥੮॥੬॥
नानक इन कै कछू न हाथ ॥८॥६॥
हे नानक ! इन प्राणियों के वश में कुछ नहीं है ॥८॥६॥
ਸਲੋਕੁ ॥
सलोकु ॥
श्लोक॥
ਅਗਮ ਅਗਾਧਿ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਸੋਇ ॥
अगम अगाधि पारब्रहमु सोइ ॥
वह पारब्रह्म प्रभु अगम्य एवं अनन्त है।
ਜੋ ਜੋ ਕਹੈ ਸੁ ਮੁਕਤਾ ਹੋਇ ॥
जो जो कहै सु मुकता होइ ॥
जो कोई भी उसके नाम का जाप करता है, वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
ਸੁਨਿ ਮੀਤਾ ਨਾਨਕੁ ਬਿਨਵੰਤਾ ॥
सुनि मीता नानकु बिनवंता ॥
नानक प्रार्थना करता है, हे मेरे मित्र ! ध्यानपूर्वक सुन,
ਸਾਧ ਜਨਾ ਕੀ ਅਚਰਜ ਕਥਾ ॥੧॥
साध जना की अचरज कथा ॥१॥
साधुओं की कथा बड़ी अद्भुत है॥ १॥
ਅਸਟਪਦੀ ॥
असटपदी ॥
अष्टपदी।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮੁਖ ਊਜਲ ਹੋਤ ॥
साध कै संगि मुख ऊजल होत ॥
साधुओं की संगति करने से मुख उज्ज्वल हो जाता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਮਲੁ ਸਗਲੀ ਖੋਤ ॥
साधसंगि मलु सगली खोत ॥
साधुओं की संगति करने से विकारों की तमाम मैल दूर हो जाती है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮਿਟੈ ਅਭਿਮਾਨੁ ॥
साध कै संगि मिटै अभिमानु ॥
साधुओं की संगति करने से अभिमान मिट जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਪ੍ਰਗਟੈ ਸੁਗਿਆਨੁ ॥
साध कै संगि प्रगटै सुगिआनु ॥
साधुओं की संगति करने से आत्म-ज्ञान प्रगट हो जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਬੁਝੈ ਪ੍ਰਭੁ ਨੇਰਾ ॥
साध कै संगि बुझै प्रभु नेरा ॥
साधुओं की संगति करने से प्रभु निकट ही रहता हुआ प्रतीत होता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਸਭੁ ਹੋਤ ਨਿਬੇਰਾ ॥
साधसंगि सभु होत निबेरा ॥
साधुओं की संगति करने से तमाम विवाद निपट जाते हैं।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਪਾਏ ਨਾਮ ਰਤਨੁ ॥
साध कै संगि पाए नाम रतनु ॥
साधुओं की संगति करने से नाम-रत्न प्राप्त हो जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਏਕ ਊਪਰਿ ਜਤਨੁ ॥
साध कै संगि एक ऊपरि जतनु ॥
साधुओं की संगति में मनुष्य केवल एक ईश्वर हेतु ही प्रयास करता है।
ਸਾਧ ਕੀ ਮਹਿਮਾ ਬਰਨੈ ਕਉਨੁ ਪ੍ਰਾਨੀ ॥
साध की महिमा बरनै कउनु प्रानी ॥
कौन-सा प्राणी साधुओं की महिमा का वर्णन कर सकता है ?
ਨਾਨਕ ਸਾਧ ਕੀ ਸੋਭਾ ਪ੍ਰਭ ਮਾਹਿ ਸਮਾਨੀ ॥੧॥
नानक साध की सोभा प्रभ माहि समानी ॥१॥
हे नानक ! साधुओं की शोभा प्रभु (की महिमा) में ही लीन हुई है॥ १॥
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਅਗੋਚਰੁ ਮਿਲੈ ॥
साध कै संगि अगोचरु मिलै ॥
साधुओं की संगति करने से अगोचर प्रभु मिल जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸਦਾ ਪਰਫੁਲੈ ॥
साध कै संगि सदा परफुलै ॥
साधुओं की संगति करने से प्राणी सदा प्रफुल्लित रहता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਆਵਹਿ ਬਸਿ ਪੰਚਾ ॥
साध कै संगि आवहि बसि पंचा ॥
साधुओं की संगति करने से पाँच शत्रु (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) वश में आ जाते हैं।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਰਸੁ ਭੁੰਚਾ ॥
साधसंगि अम्रित रसु भुंचा ॥
साधुओं की संगति करने से मनुष्य अमृत रूप नाम का रस चख लेता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਹੋਇ ਸਭ ਕੀ ਰੇਨ ॥
साधसंगि होइ सभ की रेन ॥
साधुओं की संगति करने से मनुष्य सबकी धूलि बन जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮਨੋਹਰ ਬੈਨ ॥
साध कै संगि मनोहर बैन ॥
साधुओं की संगति करने से वाणी मनोहर हो जाती है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਨ ਕਤਹੂੰ ਧਾਵੈ ॥
साध कै संगि न कतहूं धावै ॥
साधुओं की संगति करने से मन कहीं नहीं जाता।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਅਸਥਿਤਿ ਮਨੁ ਪਾਵੈ ॥
साधसंगि असथिति मनु पावै ॥
साधुओं की संगति करने से मन स्थिरता प्राप्त कर लेता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮਾਇਆ ਤੇ ਭਿੰਨ ॥
साध कै संगि माइआ ते भिंन ॥
साधुओं की संगति में यह माया से मुक्ति प्राप्त कर लेता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸੁਪ੍ਰਸੰਨ ॥੨॥
साधसंगि नानक प्रभ सुप्रसंन ॥२॥
हे नानक ! साधुओं की संगति में रहने से प्रभु सुप्रसन्न हो जाता है॥ २॥
ਸਾਧਸੰਗਿ ਦੁਸਮਨ ਸਭਿ ਮੀਤ ॥
साधसंगि दुसमन सभि मीत ॥
साधु की संगति करने से सभी दुश्मन भी मित्र बन जाते हैं।
ਸਾਧੂ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮਹਾ ਪੁਨੀਤ ॥
साधू कै संगि महा पुनीत ॥
साधु की संगति करने से मनुष्य महापवित्र हो जाता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਕਿਸ ਸਿਉ ਨਹੀ ਬੈਰੁ ॥
साधसंगि किस सिउ नही बैरु ॥
साधुओं की संगति करने से वह किसी से वैर नहीं करता।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਨ ਬੀਗਾ ਪੈਰੁ ॥
साध कै संगि न बीगा पैरु ॥
साधुओं की संगति में रहने से मनुष्य कुमार्ग की ओर चरण नहीं करता।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਨਾਹੀ ਕੋ ਮੰਦਾ ॥
साध कै संगि नाही को मंदा ॥
साधु की संगति करने से कोई बुरा दिखाई नहीं देता।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਜਾਨੇ ਪਰਮਾਨੰਦਾ ॥
साधसंगि जाने परमानंदा ॥
साधुओं की संगति करने से मनुष्य महान सुख के मालिक ईश्वर को ही जानता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਨਾਹੀ ਹਉ ਤਾਪੁ ॥
साध कै संगि नाही हउ तापु ॥
साधुओं की संगति करने से मनुष्य के अहंकार का ताप उतर जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਤਜੈ ਸਭੁ ਆਪੁ ॥
साध कै संगि तजै सभु आपु ॥
साधुओं की संगति करने से मनुष्य तमाम अहंत्व को त्याग देता है।
ਆਪੇ ਜਾਨੈ ਸਾਧ ਬਡਾਈ ॥
आपे जानै साध बडाई ॥
ईश्वर स्वयं ही साधुओं की महिमा को जानता है।
ਨਾਨਕ ਸਾਧ ਪ੍ਰਭੂ ਬਨਿ ਆਈ ॥੩॥
नानक साध प्रभू बनि आई ॥३॥
हे नानक ! साधु एवं परमेश्वर का प्रेम परिपक्व हो जाता है॥ ३ ॥
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਨ ਕਬਹੂ ਧਾਵੈ ॥
साध कै संगि न कबहू धावै ॥
साधु की संगति करने से प्राणी का मन कभी नहीं भटकता।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸਦਾ ਸੁਖੁ ਪਾਵੈ ॥
साध कै संगि सदा सुखु पावै ॥
साधु की संगति करने से वह सदा सुख प्राप्त करता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਬਸਤੁ ਅਗੋਚਰ ਲਹੈ ॥
साधसंगि बसतु अगोचर लहै ॥
साधुओं की संगति करने से नाम रूपी अगोचर वस्तु प्राप्त हो जाती है।
ਸਾਧੂ ਕੈ ਸੰਗਿ ਅਜਰੁ ਸਹੈ ॥
साधू कै संगि अजरु सहै ॥
साधुओं की संगति करने से मनुष्य शिथिल न होने वाली शक्ति को सहन कर लेता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਬਸੈ ਥਾਨਿ ਊਚੈ ॥
साध कै संगि बसै थानि ऊचै ॥
साधुओं की संगति करने से प्राणी सर्वोच्च स्थान में निवास करता है।
ਸਾਧੂ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮਹਲਿ ਪਹੂਚੈ ॥
साधू कै संगि महलि पहूचै ॥
साधुओं की संगति में रहने से मनुष्य आत्मस्वरूप में पहुँच जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਦ੍ਰਿੜੈ ਸਭਿ ਧਰਮ ॥
साध कै संगि द्रिड़ै सभि धरम ॥
साधुओं की संगति करने से प्राणी का धर्म पूरी तरह सुदृढ़ हो जाता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਕੇਵਲ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ॥
साध कै संगि केवल पारब्रहम ॥
साधुओं की संगति में रहने से मनुष्य केवल पारब्रह्म की ही आराधना करता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਪਾਏ ਨਾਮ ਨਿਧਾਨ ॥
साध कै संगि पाए नाम निधान ॥
साधुओं की संगति में रहने से मनुष्य नाम रूपी खजाना प्राप्त कर लेता है।
ਨਾਨਕ ਸਾਧੂ ਕੈ ਕੁਰਬਾਨ ॥੪॥
नानक साधू कै कुरबान ॥४॥
हे नानक ! मैं उन साधुओं पर तन-मन से न्यौछावर हूँ॥ ४॥
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸਭ ਕੁਲ ਉਧਾਰੈ ॥
साध कै संगि सभ कुल उधारै ॥
साधुओं की संगति द्वारा मनुष्य के समूचे वंश का उद्धार हो जाता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਸਾਜਨ ਮੀਤ ਕੁਟੰਬ ਨਿਸਤਾਰੈ ॥
साधसंगि साजन मीत कुट्मब निसतारै ॥
साधुओं की संगति में रहने से मनुष्य के मित्र-सज्जन एवं परिवार का भवसागर से उद्धार हो जाता है।
ਸਾਧੂ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸੋ ਧਨੁ ਪਾਵੈ ॥
साधू कै संगि सो धनु पावै ॥
साधुओं की संगति में रहने से वह धन प्राप्त हो जाता है,
ਜਿਸੁ ਧਨ ਤੇ ਸਭੁ ਕੋ ਵਰਸਾਵੈ ॥
जिसु धन ते सभु को वरसावै ॥
जिस धन से हरेक पुरुष लाभ प्राप्त करता है और तृप्त हो जाता है।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਧਰਮ ਰਾਇ ਕਰੇ ਸੇਵਾ ॥
साधसंगि धरम राइ करे सेवा ॥
साधुओं की संगति में रहने से यमराज भी सेवा करता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸੋਭਾ ਸੁਰਦੇਵਾ ॥
साध कै संगि सोभा सुरदेवा ॥
जो साधुओं की संगति में रहता है, देवदूत एवं देवते भी उसका यशोगान करते हैं।
ਸਾਧੂ ਕੈ ਸੰਗਿ ਪਾਪ ਪਲਾਇਨ ॥
साधू कै संगि पाप पलाइन ॥
साधुओं की संगति करने से समूचे पाप नाश हो जाते हैं।
ਸਾਧਸੰਗਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਗੁਨ ਗਾਇਨ ॥
साधसंगि अम्रित गुन गाइन ॥
साधुओं की संगति द्वारा मनुष्य अमृतमयी नाम का यश गायन करता है।
ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ਸ੍ਰਬ ਥਾਨ ਗੰਮਿ ॥
साध कै संगि स्रब थान गमि ॥
साधुओं की संगति द्वारा मनुष्य की समस्त स्थानों पर पहुँच हो जाती है।