ਇਹ ਬਿਧਿ ਸੁਨਿ ਕੈ ਜਾਟਰੋ ਉਠਿ ਭਗਤੀ ਲਾਗਾ ॥
इह बिधि सुनि कै जाटरो उठि भगती लागा ॥
इस तरह की कथाएँ सुनकर धन्ना जाट भी प्रेरित होकर भगवान की भक्ति करने लगा।
ਮਿਲੇ ਪ੍ਰਤਖਿ ਗੁਸਾਈਆ ਧੰਨਾ ਵਡਭਾਗਾ ॥੪॥੨॥
मिले प्रतखि गुसाईआ धंना वडभागा ॥४॥२॥
धन्ना जाट भाग्यवान हो गया है, जो उसे साक्षात् गोसाई के दर्शन प्राप्त हुए॥ ४॥ २॥
ਰੇ ਚਿਤ ਚੇਤਸਿ ਕੀ ਨ ਦਯਾਲ ਦਮੋਦਰ ਬਿਬਹਿ ਨ ਜਾਨਸਿ ਕੋਈ ॥
रे चित चेतसि की न दयाल दमोदर बिबहि न जानसि कोई ॥
हे मेरे चित! तू दयालु दामोदर भगवान को याद क्यों नहीं करता ? भगवान के सिवाय किसी अन्य सहारे की उम्मीद मत रखो।
ਜੇ ਧਾਵਹਿ ਬ੍ਰਹਮੰਡ ਖੰਡ ਕਉ ਕਰਤਾ ਕਰੈ ਸੁ ਹੋਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
जे धावहि ब्रहमंड खंड कउ करता करै सु होई ॥१॥ रहाउ ॥
यदि तू खंडों-ब्रह्माण्डों पर भी भागता-फिरता रहेगा, फिर भी वही होगा जो कर्ता-प्रभु को मंजूर होगा ॥ १॥ रहाउ॥
ਜਨਨੀ ਕੇਰੇ ਉਦਰ ਉਦਕ ਮਹਿ ਪਿੰਡੁ ਕੀਆ ਦਸ ਦੁਆਰਾ ॥
जननी केरे उदर उदक महि पिंडु कीआ दस दुआरा ॥
भगवान ने जननी के उदर-जल में हमारा दसों द्वारों वाला शरीर बनाया।
ਦੇਇ ਅਹਾਰੁ ਅਗਨਿ ਮਹਿ ਰਾਖੈ ਐਸਾ ਖਸਮੁ ਹਮਾਰਾ ॥੧॥
देइ अहारु अगनि महि राखै ऐसा खसमु हमारा ॥१॥
हमारा मालिक प्रभु ऐसा है कि वह गर्भ में ही आहार देकर गर्भ की अग्नि से रक्षा करता है॥ १॥
ਕੁੰਮੀ ਜਲ ਮਾਹਿ ਤਨ ਤਿਸੁ ਬਾਹਰਿ ਪੰਖ ਖੀਰੁ ਤਿਨ ਨਾਹੀ ॥
कुमी जल माहि तन तिसु बाहरि पंख खीरु तिन नाही ॥
कछुआ जल में रहता है लेकिन उसके बच्चे जल से बाहर रहते हैं। उनकी रक्षा न ही माता के पंखों से होती है और न ही उनकी पालना उसके दूध से होती है।
ਪੂਰਨ ਪਰਮਾਨੰਦ ਮਨੋਹਰ ਸਮਝਿ ਦੇਖੁ ਮਨ ਮਾਹੀ ॥੨॥
पूरन परमानंद मनोहर समझि देखु मन माही ॥२॥
फिर भी अपने मन में सोच-समझ एवं देख कि पूर्ण परमानंद मनोहर उनका भरण-पोषण करता है॥ २॥
ਪਾਖਣਿ ਕੀਟੁ ਗੁਪਤੁ ਹੋਇ ਰਹਤਾ ਤਾ ਚੋ ਮਾਰਗੁ ਨਾਹੀ ॥
पाखणि कीटु गुपतु होइ रहता ता चो मारगु नाही ॥
पत्थर में कीट छिपा हुआ रहता है। उसके लिए बाहर आने-जाने का कोई मार्ग नहीं होता।
ਕਹੈ ਧੰਨਾ ਪੂਰਨ ਤਾਹੂ ਕੋ ਮਤ ਰੇ ਜੀਅ ਡਰਾਂਹੀ ॥੩॥੩॥
कहै धंना पूरन ताहू को मत रे जीअ डरांही ॥३॥३॥
धन्ना कहता है कि फिर भी प्रभु उसका पालनहार है। हे जीव ! तू भय मत कर ॥ ३॥ ३॥
ਆਸਾ ਸੇਖ ਫਰੀਦ ਜੀਉ ਕੀ ਬਾਣੀ
आसा सेख फरीद जीउ की बाणी
आसा सेख फरीद जीउ की बाणी
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਦਿਲਹੁ ਮੁਹਬਤਿ ਜਿੰਨੑ ਸੇਈ ਸਚਿਆ ॥
दिलहु मुहबति जिंन्ह सेई सचिआ ॥
जो लोग दिल से खुदा से मोहब्बत करते हैं, वही उसके सच्चे आशिक हैं।
ਜਿਨੑ ਮਨਿ ਹੋਰੁ ਮੁਖਿ ਹੋਰੁ ਸਿ ਕਾਂਢੇ ਕਚਿਆ ॥੧॥
जिन्ह मनि होरु मुखि होरु सि कांढे कचिआ ॥१॥
जिन लोगों के मन में कुछ और है तथा मुँह में कुछ और है, वे कच्चे तथा झूठे कहे जाते हैं।॥ १॥
ਰਤੇ ਇਸਕ ਖੁਦਾਇ ਰੰਗਿ ਦੀਦਾਰ ਕੇ ॥
रते इसक खुदाइ रंगि दीदार के ॥
जो लोग खुदा के इश्क में रंगे हुए हैं, वे उसके दर्शन-दीदार के रंग में मस्त रहते हैं।
ਵਿਸਰਿਆ ਜਿਨੑ ਨਾਮੁ ਤੇ ਭੁਇ ਭਾਰੁ ਥੀਏ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
विसरिआ जिन्ह नामु ते भुइ भारु थीए ॥१॥ रहाउ ॥
जो लोग खुदा के नाम को भुला देते हैं, वे धरती पर बोझ बनकर ही रह जाते हैं।॥ १॥ रहाउ॥
ਆਪਿ ਲੀਏ ਲੜਿ ਲਾਇ ਦਰਿ ਦਰਵੇਸ ਸੇ ॥
आपि लीए लड़ि लाइ दरि दरवेस से ॥
जिन लोगों को अल्लाह अपने दामन (शरण) से मिला लेता है, वही उसके द्वार पर सच्चे दरवेश हैं।
ਤਿਨ ਧੰਨੁ ਜਣੇਦੀ ਮਾਉ ਆਏ ਸਫਲੁ ਸੇ ॥੨॥
तिन धंनु जणेदी माउ आए सफलु से ॥२॥
उनको जन्म देने वाली माता धन्य है और उनका इस दुनिया में आगमन सफल है॥ २॥
ਪਰਵਦਗਾਰ ਅਪਾਰ ਅਗਮ ਬੇਅੰਤ ਤੂ ॥
परवदगार अपार अगम बेअंत तू ॥
हे परवदगार ! तू अपार, अगम्य एवं बेअंत है।
ਜਿਨਾ ਪਛਾਤਾ ਸਚੁ ਚੁੰਮਾ ਪੈਰ ਮੂੰ ॥੩॥
जिना पछाता सचु चुमा पैर मूं ॥३॥
जिन्होंने सत्य को पहचान लिया है, मैं उनके पैर चूमता हूँ॥ ३॥
ਤੇਰੀ ਪਨਹ ਖੁਦਾਇ ਤੂ ਬਖਸੰਦਗੀ ॥
तेरी पनह खुदाइ तू बखसंदगी ॥
हे बक्शणहारे खुदा ! मैं तेरी पनाह में रहु।
ਸੇਖ ਫਰੀਦੈ ਖੈਰੁ ਦੀਜੈ ਬੰਦਗੀ ॥੪॥੧॥
सेख फरीदै खैरु दीजै बंदगी ॥४॥१॥
शेख फरीद को बंदगी (भक्ति) की खैर (दान) प्रदान॥४॥१॥
ਆਸਾ ॥
आसा ॥
आसा ॥
ਬੋਲੈ ਸੇਖ ਫਰੀਦੁ ਪਿਆਰੇ ਅਲਹ ਲਗੇ ॥
बोलै सेख फरीदु पिआरे अलह लगे ॥
शेख फरीद जी कहते हैं हे प्यारे ! उस अल्लाह के साथ लग।
ਇਹੁ ਤਨੁ ਹੋਸੀ ਖਾਕ ਨਿਮਾਣੀ ਗੋਰ ਘਰੇ ॥੧॥
इहु तनु होसी खाक निमाणी गोर घरे ॥१॥
यह तन एक दिन मिट्टी हो जाएगा तथा इसका निवास बेचारी कब्र में होगा।॥ १॥
ਆਜੁ ਮਿਲਾਵਾ ਸੇਖ ਫਰੀਦ ਟਾਕਿਮ ਕੂੰਜੜੀਆ ਮਨਹੁ ਮਚਿੰਦੜੀਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
आजु मिलावा सेख फरीद टाकिम कूंजड़ीआ मनहु मचिंदड़ीआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे शेख फरीद ! तेरा खुदा से मिलाप आज ही हो सकता है, यदि तू अपने मन को चंचल करने वाली इन्द्रियों पर अंकुश लगा दे ॥ १॥ रहाउ॥
ਜੇ ਜਾਣਾ ਮਰਿ ਜਾਈਐ ਘੁਮਿ ਨ ਆਈਐ ॥
जे जाणा मरि जाईऐ घुमि न आईऐ ॥
यदि यह पता है कि अन्तः मृत्यु के वश में ही होना है और दोबारा वापिस नहीं आना तो
ਝੂਠੀ ਦੁਨੀਆ ਲਗਿ ਨ ਆਪੁ ਵਞਾਈਐ ॥੨॥
झूठी दुनीआ लगि न आपु वञाईऐ ॥२॥
इस झूठी दुनिया में लिप्त होकर अपने आपको बर्बाद नहीं करना चाहिए॥ २॥
ਬੋਲੀਐ ਸਚੁ ਧਰਮੁ ਝੂਠੁ ਨ ਬੋਲੀਐ ॥
बोलीऐ सचु धरमु झूठु न बोलीऐ ॥
सत्य तथा धर्म ही बोलना चाहिए तथा झूठ कभी नहीं बोलना चाहिए।
ਜੋ ਗੁਰੁ ਦਸੈ ਵਾਟ ਮੁਰੀਦਾ ਜੋਲੀਐ ॥੩॥
जो गुरु दसै वाट मुरीदा जोलीऐ ॥३॥
गुरु जो मार्ग दिखाता है, मुरीदों को उसी मार्ग पर चलना चाहिए॥ ३॥
ਛੈਲ ਲੰਘੰਦੇ ਪਾਰਿ ਗੋਰੀ ਮਨੁ ਧੀਰਿਆ ॥
छैल लंघंदे पारि गोरी मनु धीरिआ ॥
छैल-छबीले नवयुवकों को पार होते देखकर सुन्दर युवती के मन में भी धैर्य हो जाता है।
ਕੰਚਨ ਵੰਨੇ ਪਾਸੇ ਕਲਵਤਿ ਚੀਰਿਆ ॥੪॥
कंचन वंने पासे कलवति चीरिआ ॥४॥
जो लोग सोने की झलक की तरफ मुड़ते हैं, वे नरक में आरे से चीरे जाते हैं।॥ ४॥
ਸੇਖ ਹੈਯਾਤੀ ਜਗਿ ਨ ਕੋਈ ਥਿਰੁ ਰਹਿਆ ॥
सेख हैयाती जगि न कोई थिरु रहिआ ॥
हे शेख ! किसी भी मनुष्य का जीवन इस दुनिया में स्थिर नहीं रहता।
ਜਿਸੁ ਆਸਣਿ ਹਮ ਬੈਠੇ ਕੇਤੇ ਬੈਸਿ ਗਇਆ ॥੫॥
जिसु आसणि हम बैठे केते बैसि गइआ ॥५॥
जिस आसन पर अभी हम बैठे हैं, अनेकों ही इस पर बैठ कर चले गए हैं।॥ ५ ॥
ਕਤਿਕ ਕੂੰਜਾਂ ਚੇਤਿ ਡਉ ਸਾਵਣਿ ਬਿਜੁਲੀਆਂ ॥
कतिक कूंजां चेति डउ सावणि बिजुलीआं ॥
जैसे कार्तिक के मास में कुंजों का उड़ना, चैत्र महीने में दावाग्नि, श्रावण महीने में बिजली चमकती दिखाई देती है तथा
ਸੀਆਲੇ ਸੋਹੰਦੀਆਂ ਪਿਰ ਗਲਿ ਬਾਹੜੀਆਂ ॥੬॥
सीआले सोहंदीआं पिर गलि बाहड़ीआं ॥६॥
शीतकाल (सर्दियों) में सुन्दर पत्नी की बाहें पति-प्रियतम के गले में शोभा देती हैं।॥ ६॥
ਚਲੇ ਚਲਣਹਾਰ ਵਿਚਾਰਾ ਲੇਇ ਮਨੋ ॥
चले चलणहार विचारा लेइ मनो ॥
वैसे ही संसार से चले जाने वाले मनुष्य शरीर चले जा रहे हैं। अपने मन में इसे सोच-समझ लो।
ਗੰਢੇਦਿਆਂ ਛਿਅ ਮਾਹ ਤੁੜੰਦਿਆ ਹਿਕੁ ਖਿਨੋ ॥੭॥
गंढेदिआं छिअ माह तुड़ंदिआ हिकु खिनो ॥७॥
प्राणी को बनाने में छ: महीने लगते हैं लेकिन उसे तोड़ने (खत्म करने) में एक क्षण भर लगता है॥ ७ ॥
ਜਿਮੀ ਪੁਛੈ ਅਸਮਾਨ ਫਰੀਦਾ ਖੇਵਟ ਕਿੰਨਿ ਗਏ ॥
जिमी पुछै असमान फरीदा खेवट किंनि गए ॥
हे फरीद ! जमीन आसमान से पूछती है कि जीव रूपी खेवट कहाँ चले गए हैं ?
ਜਾਲਣ ਗੋਰਾਂ ਨਾਲਿ ਉਲਾਮੇ ਜੀਅ ਸਹੇ ॥੮॥੨॥
जालण गोरां नालि उलामे जीअ सहे ॥८॥२॥
आसमान जवाब देता है कि कई लोगों के शरीर कब्रों में पड़े गल-सड़ रहे हैं परन्तु उनके कर्मों के दोष आत्मा सहन कर रही ॥८॥२॥