ਗਿਆਨ ਮੰਗੀ ਹਰਿ ਕਥਾ ਚੰਗੀ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਗਤਿ ਮਿਤਿ ਜਾਣੀਆ ॥
गिआन मंगी हरि कथा चंगी हरि नामु गति मिति जाणीआ ॥
मैं गुरु से सत्य का ज्ञान माँगता हूँ और मुझे हरि-कथा बहुत अच्छी लगती है। हरि-नाम द्वारा मैंने हरि की गति को जान लिया है।
ਸਭੁ ਜਨਮੁ ਸਫਲਿਉ ਕੀਆ ਕਰਤੈ ਹਰਿ ਰਾਮ ਨਾਮਿ ਵਖਾਣੀਆ ॥
सभु जनमु सफलिउ कीआ करतै हरि राम नामि वखाणीआ ॥
राम-नाम का बखान करने से कर्ता-परमेश्वर ने मेरा समूचा जीवन सफल कर दिया है।
ਹਰਿ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਸਲਾਹਿ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭ ਹਰਿ ਭਗਤਿ ਹਰਿ ਜਨ ਮੰਗੀਆ ॥
हरि राम नामु सलाहि हरि प्रभ हरि भगति हरि जन मंगीआ ॥
राम नाम का स्तुतिगान करके भक्तजन हरि-प्रभु की भक्ति ही माँगते हैं।
ਜਨੁ ਕਹੈ ਨਾਨਕੁ ਸੁਣਹੁ ਸੰਤਹੁ ਹਰਿ ਭਗਤਿ ਗੋਵਿੰਦ ਚੰਗੀਆ ॥੧॥
जनु कहै नानकु सुणहु संतहु हरि भगति गोविंद चंगीआ ॥१॥
नानक का कथन है कि हे संतजनो ! जरा सुनो, गोविन्द की भक्ति ही भली है॥ १॥
ਦੇਹ ਕੰਚਨ ਜੀਨੁ ਸੁਵਿਨਾ ਰਾਮ ॥
देह कंचन जीनु सुविना राम ॥
यह कंचन काया सोने की सुन्दर काठी से शोभायमान है और यह परमेश्वर के नाम-रत्नों से जड़ी हुई है।
ਜੜਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਰਤੰਨਾ ਰਾਮ ॥
जड़ि हरि हरि नामु रतंना राम ॥
इस तरह नाम के रत्नों से अलंकृत होकर इसने गोविन्द को पा लिया है।
ਜੜਿ ਨਾਮ ਰਤਨੁ ਗੋਵਿੰਦ ਪਾਇਆ ਹਰਿ ਮਿਲੇ ਹਰਿ ਗੁਣ ਸੁਖ ਘਣੇ ॥
जड़ि नाम रतनु गोविंद पाइआ हरि मिले हरि गुण सुख घणे ॥
जब मुझे हरि मिल गया तो उसका गुणगान करके बहुत सुख पाया है।
ਗੁਰ ਸਬਦੁ ਪਾਇਆ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਆ ਵਡਭਾਗੀ ਹਰਿ ਰੰਗ ਹਰਿ ਬਣੇ ॥
गुर सबदु पाइआ हरि नामु धिआइआ वडभागी हरि रंग हरि बणे ॥
गुरु-शब्द को प्राप्त करके हरि-नाम का ही ध्यान किया है। मैं बड़ा भाग्यवान हूँ कि हरि के रंग में हरि का रूप बन गया हूँ।
ਹਰਿ ਮਿਲੇ ਸੁਆਮੀ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ਹਰਿ ਨਵਤਨ ਹਰਿ ਨਵ ਰੰਗੀਆ ॥
हरि मिले सुआमी अंतरजामी हरि नवतन हरि नव रंगीआ ॥
जगत का स्वामी अन्तर्यामी हरि मुझे मिल गया है और वह सदा ही नितनवीन एवं नवरंग है।
ਨਾਨਕੁ ਵਖਾਣੈ ਨਾਮੁ ਜਾਣੈ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭ ਮੰਗੀਆ ॥੨॥
नानकु वखाणै नामु जाणै हरि नामु हरि प्रभ मंगीआ ॥२॥
नानक का कथन है कि जो नाम को जानता है वह प्रभु से हरि-नाम ही माँगता है॥ २॥
ਕੜੀਆਲੁ ਮੁਖੇ ਗੁਰਿ ਅੰਕਸੁ ਪਾਇਆ ਰਾਮ ॥
कड़ीआलु मुखे गुरि अंकसु पाइआ राम ॥
मैंने शरीर रूपी घोड़ी के मुँह में गुरु के ज्ञान के अंकुश की लगाम लगा दी है।
ਮਨੁ ਮੈਗਲੁ ਗੁਰ ਸਬਦਿ ਵਸਿ ਆਇਆ ਰਾਮ ॥
मनु मैगलु गुर सबदि वसि आइआ राम ॥
यह मन रूपी हाथी गुरु के शब्द द्वारा ही वश में आता है।
ਮਨੁ ਵਸਗਤਿ ਆਇਆ ਪਰਮ ਪਦੁ ਪਾਇਆ ਸਾ ਧਨ ਕੰਤਿ ਪਿਆਰੀ ॥
मनु वसगति आइआ परम पदु पाइआ सा धन कंति पिआरी ॥
जिसका मन वश में आ जाता है, वह परम पदवी प्राप्त कर लेता है और वह जीव-स्त्री अपने प्रभु की प्रियतमा बन जाती है।
ਅੰਤਰਿ ਪ੍ਰੇਮੁ ਲਗਾ ਹਰਿ ਸੇਤੀ ਘਰਿ ਸੋਹੈ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭ ਨਾਰੀ ॥
अंतरि प्रेमु लगा हरि सेती घरि सोहै हरि प्रभ नारी ॥
ऐसी नारी अपने हृदय में प्रभु से प्रेम करती है और अपने प्रभु के चरणों में सुहावनी लगती है।
ਹਰਿ ਰੰਗਿ ਰਾਤੀ ਸਹਜੇ ਮਾਤੀ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਪਾਇਆ ॥
हरि रंगि राती सहजे माती हरि प्रभु हरि हरि पाइआ ॥
हरि के प्रेम रंग में रंगकर वह सहज ही मस्त हो जाती है और नाम की आराधना करके हरि-परमेश्वर को पा लेती है।
ਨਾਨਕ ਜਨੁ ਹਰਿ ਦਾਸੁ ਕਹਤੁ ਹੈ ਵਡਭਾਗੀ ਹਰਿ ਹਰਿ ਧਿਆਇਆ ॥੩॥
नानक जनु हरि दासु कहतु है वडभागी हरि हरि धिआइआ ॥३॥
हरि का दास नानक कहता है कि अहोभाग्य से ही हरि का ध्यान किया है॥ ३॥
ਦੇਹ ਘੋੜੀ ਜੀ ਜਿਤੁ ਹਰਿ ਪਾਇਆ ਰਾਮ ॥
देह घोड़ी जी जितु हरि पाइआ राम ॥
यह काया एक सुन्दर घोड़ी है, जिसके माध्यम से हरि को पाया है।
ਮਿਲਿ ਸਤਿਗੁਰ ਜੀ ਮੰਗਲੁ ਗਾਇਆ ਰਾਮ ॥
मिलि सतिगुर जी मंगलु गाइआ राम ॥
सतगुरु से मिलकर खुशी के मंगल गीत गाता हूँ।
ਹਰਿ ਗਾਇ ਮੰਗਲੁ ਰਾਮ ਨਾਮਾ ਹਰਿ ਸੇਵ ਸੇਵਕ ਸੇਵਕੀ ॥
हरि गाइ मंगलु राम नामा हरि सेव सेवक सेवकी ॥
हरि का मंगल गान किया है, राम नाम का जाप किया है और हरि के सेवकों की सेवा की है।
ਪ੍ਰਭ ਜਾਇ ਪਾਵੈ ਰੰਗ ਮਹਲੀ ਹਰਿ ਰੰਗੁ ਮਾਣੈ ਰੰਗ ਕੀ ॥
प्रभ जाइ पावै रंग महली हरि रंगु माणै रंग की ॥
हरि के रंग में रंगकर प्रभु को पाकर आनंद किया जा सकता है।
ਗੁਣ ਰਾਮ ਗਾਏ ਮਨਿ ਸੁਭਾਏ ਹਰਿ ਗੁਰਮਤੀ ਮਨਿ ਧਿਆਇਆ ॥
गुण राम गाए मनि सुभाए हरि गुरमती मनि धिआइआ ॥
मैं सहज स्वभाव राम का गुणगान करता हूँ और गुरु-उपदेश द्वारा हरि को अपने मन में स्मरण करता हूँ।
ਜਨ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ਦੇਹ ਘੋੜੀ ਚੜਿ ਹਰਿ ਪਾਇਆ ॥੪॥੨॥੬॥
जन नानक हरि किरपा धारी देह घोड़ी चड़ि हरि पाइआ ॥४॥२॥६॥
परमेश्वर ने नानक पर कृपा धारण की है और देह रूपी घोड़ी पर सवार होकर उसने हरि को पा लिया है॥ ४॥ २॥ ६॥
ਰਾਗੁ ਵਡਹੰਸੁ ਮਹਲਾ ੫ ਛੰਤ ਘਰੁ ੪
रागु वडहंसु महला ५ छंत घरु ४
रागु वडहंसु महला ५ छंत घरु ४
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।
ਗੁਰ ਮਿਲਿ ਲਧਾ ਜੀ ਰਾਮੁ ਪਿਆਰਾ ਰਾਮ ॥
गुर मिलि लधा जी रामु पिआरा राम ॥
गुरु से मिलकर मैंने प्रिय राम को खोज लिया है और
ਇਹੁ ਤਨੁ ਮਨੁ ਦਿਤੜਾ ਵਾਰੋ ਵਾਰਾ ਰਾਮ ॥
इहु तनु मनु दितड़ा वारो वारा राम ॥
यह तन-मन मैंने उस पर न्योछावर कर दिया है।
ਤਨੁ ਮਨੁ ਦਿਤਾ ਭਵਜਲੁ ਜਿਤਾ ਚੂਕੀ ਕਾਂਣਿ ਜਮਾਣੀ ॥
तनु मनु दिता भवजलु जिता चूकी कांणि जमाणी ॥
अपना तन-मन न्योछावर करके मैं भवसागर से पार हो गया हूँ और मेरा मृत्यु का डर समाप्त हो गया है।
ਅਸਥਿਰੁ ਥੀਆ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਪੀਆ ਰਹਿਆ ਆਵਣ ਜਾਣੀ ॥
असथिरु थीआ अम्रितु पीआ रहिआ आवण जाणी ॥
नामामृत का पान करके मैं अटल हो गया हूँ और मेरा जीवन-मृत्यु का चक्र मिट गया है।
ਸੋ ਘਰੁ ਲਧਾ ਸਹਜਿ ਸਮਧਾ ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਅਧਾਰਾ ॥
सो घरु लधा सहजि समधा हरि का नामु अधारा ॥
मैंने वह निवास खोज लिया है, जहाँ सहज समाधि में प्रविष्ट हो जाता हूँ और वहाँ हरि का नाम ही मेरा आधार है।
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਖਿ ਮਾਣੇ ਰਲੀਆਂ ਗੁਰ ਪੂਰੇ ਕੰਉ ਨਮਸਕਾਰਾ ॥੧॥
कहु नानक सुखि माणे रलीआं गुर पूरे कंउ नमसकारा ॥१॥
नानक का कथन है कि अब मैं सुख एवं आनंद का उपभोग करता हूँ एवं पूर्ण गुरु को मेरा शत-शत नमन है॥ १॥
ਸੁਣਿ ਸਜਣ ਜੀ ਮੈਡੜੇ ਮੀਤਾ ਰਾਮ ॥
सुणि सजण जी मैडड़े मीता राम ॥
हे मेरे मीत राम ! हे सज्जन जी ! कृपया सुनो,
ਗੁਰਿ ਮੰਤ੍ਰੁ ਸਬਦੁ ਸਚੁ ਦੀਤਾ ਰਾਮ ॥
गुरि मंत्रु सबदु सचु दीता राम ॥
गुरु ने मुझे सच्चे शब्द (की आराधना) का मंत्र प्रदान किया है।
ਸਚੁ ਸਬਦੁ ਧਿਆਇਆ ਮੰਗਲੁ ਗਾਇਆ ਚੂਕੇ ਮਨਹੁ ਅਦੇਸਾ ॥
सचु सबदु धिआइआ मंगलु गाइआ चूके मनहु अदेसा ॥
सच्चे शब्द का ध्यान करने से मेरे मन की चिंता दूर हो गई है और मंगल गीत गायन करता हूँ।
ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਪਾਇਆ ਕਤਹਿ ਨ ਜਾਇਆ ਸਦਾ ਸਦਾ ਸੰਗਿ ਬੈਸਾ ॥
सो प्रभु पाइआ कतहि न जाइआ सदा सदा संगि बैसा ॥
मैंने उस प्रभु को पाया है, जो कहीं नहीं जाता और सर्वदा मेरे साथ रहता है।
ਪ੍ਰਭ ਜੀ ਭਾਣਾ ਸਚਾ ਮਾਣਾ ਪ੍ਰਭਿ ਹਰਿ ਧਨੁ ਸਹਜੇ ਦੀਤਾ ॥
प्रभ जी भाणा सचा माणा प्रभि हरि धनु सहजे दीता ॥
जो पूज्य प्रभु को अच्छा लगा है, उसने मुझे सच्चा सम्मान प्रदान किया है, उसने सहज ही मुझे नाम का धन प्रदान किया है।